Written by , (शिक्षा- बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मीडिया कम्युनिकेशन)

आंख शरीर का एक अहम हिस्सा होती हैं। इसलिए, इसकी देखभाल बेहद जरूरी है। वहीं, कई बार इन आंखों में संक्रमण या सूजन की शिकायत हो जाती है, जिसे आम भाषा में आँख आना कहते हैं। इसे कंजंक्टिवाइटिस या फिर पिंक आई के नाम से भी जाना जाता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम इस विषय पर विस्तृत जानकारी लेकर आए हैं। यहां हम बहुत ही आसान शब्दों में आँख आने के कारण, इसके घरेलू उपचार और इसकी देखभाल के तरीकों को बताने जा रहे हैं, जिसे जानना आपके लिए बेहद जरूरी है। ये सभी उपाय आँखों के लिए बहुत लाभकारी हो सकते हैं, तो चलिए इस बारे में जानने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

विस्तार से पढ़ें

लेख में सबसे पहले जानेंगे कि आखिर आँख आना क्या होता है?

आँख आना क्या है? – What is Conjunctivitis in Hindi

कंजंक्टिवाइटिस को हिंदी में आंख आना या पिंक आई (गुलाबी आंख) कहते हैं। यह आंखों में सूजन या कंजंक्टिवा (पारदर्शी झिल्ली जो आंख की बाहरी परत को कवर करती है) में सूजन के कारण होता है। यह एक्यूट या क्रॉनिक और संक्रामक या गैर-संक्रामक हो सकता है। एक्यूट कंजंक्टिवाइटिस 3 से 4 सप्ताह (आमतौर पर केवल 1 से 2 सप्ताह) तक रह सकता है। जबकि क्रॉनिक 4 सप्ताह से अधिक समय तक रह सकता है (1)।

चलिए, अब जानते हैं कि पिंक आई कितने प्रकार की होती है।

आँख आने के प्रकार – Types of Conjunctivitis in Hindi

सामान्य तौर पर कई प्रकार के कंजंक्टिवाइटिस होते हैं, लेकिन इसके तीन प्रकार सबसे आम हैं। नीचे हम विस्तार से इनकी चर्चा कर रहे हैं (1) –

  • वायरल कंजंक्टिवाइटिस – आमतौर पर यह वायरस के फैलने के कारण होता है। इसमें आंखों से पानी निकलता है। यह जल्द ही एक आंख से दूसरी आंख में फैल जाता है (2)।
  • एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस – यह एलर्जी के कारण हो सकता है। इस दौरान आंखों से आंसू निकलने लगते हैं और खुजली होने लगती है (3)।
  • बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस – यह सामान्य तौर पर बैक्टीरिया के कारण होता है। इस दौरान आँखों से मवाद निकलता है और यह एक आंख से दूसरी आंख को भी प्रभावित कर सकता है (4)।

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अब लेख में जानिए आँख आने के कारण क्या हो सकते हैं?

आँख आने के कारण – Causes of Conjunctivitis Hindi

आँख आने के कारण निम्नलिखित रूप से देखे जा सकते हैं – (5)

  • बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण
  • एलर्जी के कारण
  • जलन पैदा करने वाले पदार्थों का उपयोग
  • लेंस उत्पादों या फिर आई ड्रॉप के कारण

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आँख आने के कारण जानने के बाद अब आँख आने के लक्षण भी जान लीजिए।

आँख आने के लक्षण – Symptoms of Conjunctivitis in Hindi

लेख के इस भाग में हम आँख आने के लक्षण बता रहे हैं – (6)

  • आंखों में खुजली, जलन और लालिमा
  • आंखों में अत्यधिक आंसू
  • आंखों से मवाद निकलना
  • कॉन्टैक्ट लेंस से असहज महसूस करना
  • पलकों का चिपकना (खासकर सुबह के समय में)

अंत तक पढ़ें

अब जानिए आँख आने का घरेलू इलाज कैसे किया जा सकता है?

आँख आने का घरेलू इलाज – Home Remedies for Conjunctivitis in Hindi

लेख के इस भाग में हम जानेंगे कि आँख आने के घरेलू उपाए क्या हो सकते हैं, ताकि इससे राहत मिल सके। यहां हम पाठकों को स्पष्ट कर दें कि ये घरेलू नुस्खे किसी भी तरह से आंख आने का इलाज नहीं हैं। ये नुस्खे केवल समस्या से कुछ हद तक आराम पहुंचाने में मददगार हो सकते हैं। अब पढ़ें आगे –

1. शहद

सामग्री :

  • शहद – एक चौथाई चम्मच
  • साफ पानी – एक कप

उपयोग करने का तरीका :

  • सबसे पहले शहद को साफ पानी में अच्छी तरह मिला लें।
  • इसके बाद ड्रॉपर की मदद से शहद वाले पानी की दो बूंद आंखों में डालें।

कैसे है फायदेमंद :

आंख आने पर घरेलू उपचार करने के लिए शहद का इस्तेमाल किया जा सकता है। दरअसल, इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ने के साथ-साथ सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं (7)। वहीं, एक शोध के अनुसार, हनी बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस से राहत दिलाने में मदद कर सकता है (8)।

2. एलोवेरा

सामग्री :

  • एलोवेरा (ताजा) – एक चौथाई चम्मच
  • पानी – एक कप

उपयोग करने का तरीका :

  • सबसे पहले एलोवेरा को पानी में अच्छी तरह से मिला लें।
  • इसके बाद आई ड्रापर की मदद से एलोवेरा वाले पानी की दो बूंद आंखों में डालें।

कैसे है फायदेमंद :

आंख आने का इलाज एलोवेरा से भी किया जा सकता है। जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि आंख आने का एक कारण बैक्टीरिया भी हो सकता है। वहीं, एक शोध के मुताबिक एलोवेरा में एंटी माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो बैक्टिरिया से लड़ने में मदद कर सकते हैं। वहीं, इसी शोध में यह भी जिक्र मिलता है कि ऐलोवेरा के उपयोग पिंक आई से राहत पाने के लिए भी किया जा सकता है (9)। हालांकि, यह शोध जानवरों पर किया गया है। इंसानों पर यह कितना प्रभावी हो सकता है, इस बारे में जानने के लिए अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।

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3. टी बैग

सामग्री :

  • टी बैग – एक

उपयोग करने का तरीका :

  • टी बैग को पानी में उबाल लें।
  • इसके बाद इसे ठंडा होने के लिए रख दें।
  • जब यह ठंडा हो जाए, तो आंखों पर लगभग दस मिनट के लिए रखें।
  • आराम मिलने तक इस उपाय को रोजाना किया जा सकता है।

कैसे है फायदेमंद :

एनसीबीआई ( National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, ब्लैक और ग्रीन टी एंटी इन्फ्लामेट्री गुण प्रदर्शित कर सकते हैं, जिससे सूजन की समस्या में बहुत हद तक आराम मिल सकता है (10)। वहीं, एक अन्य शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि चाय का उपयोग आँख आने के इलाज में किया जा सकता है (11)।

4. धनिया

सामग्री :

  • धनिया के पत्ते (आवश्यकतानुसार)

उपयोग करने का तरीका :

  • सबसे पहले धनिया के पत्तों को पानी में उबाल लें।
  • अब इसे ठंडा कर इससे आँखों को धोएं।

कैसे है फायदेमंद :

धनिया का उपयोग आँख आने पर घरेलू उपचार के रूप में किया जा सकता है। दरअसल, इससे जुड़े एक शोध में बताया गया है कि इसमें एंटी इन्फ्लामेट्री गुण पाए जाते हैं, जो सूजन को कम कर आंख आने की समस्या में राहत देने का काम कर सकते हैं। वहीं, इसी शोध में साफ जिक्र मिलता है कि इसका उपयोग आँख आने के इलाज में किया जा सकता है (12)।

5. फिटकरी

सामग्री :

  • फिटकरी का एक छोटा टुकड़ा

उपयोग करने का तरीका :

  • सबसे पहले थोड़ी देर के लिए फिटकरी को पानी में डाल दें।
  • फिर फिटकरी को निकालकर पानी को किसी आई ड्रॉप बॉटल में भर लें।
  • फिर फिटकरी वाले पानी की दो बूंद आंखों में डालें।
  • राहत मिलने तक इसे रोजाना दो बार इस्तेमाल किया जा सकता है।

कैसे है फायदेमंद :

आँख आने पर घरेलू उपचार में फिटकरी भी शामिल है। एक शोध के मुताबिक, इसमें एंटी बैक्टीरियल (बैक्टीरिया को नष्ट करने वाला) गुण पाए जाते हैं। वहीं, शोध में साफ जिक्र मिलता है कि फिटकरी आँख आने के इलाज में मददगार साबित हो सकती है (13)।

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नीचे पढ़ें कि आँख आने पर डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?

आँख आने पर डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?

कंजंक्टिवाइटिस की निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी हो सकता है – (14)

  • अगर आंख आने के लक्षण 3-4 दिनों तक बने रहते हैं।
  • देखने में दिक्कत का सामना करना।
  • आंखों में असहनीय दर्द।
  • पलकें या आंखों के आसपास की त्वचा का लाल होना या सूजन की समस्या।
  • अन्य लक्षण के साथ सिरदर्द।

अभी बाकी है जानकारी

यहां हम जानेंगे कि आँख आने का इलाज क्या है?

आँख आने का इलाज – Treatment For Conjunctivitis in Hindi

आँख आने का इलाज उसके कारणों पर निर्भर करता है। वहीं, कुछ मामलों में यह समस्या बिना उपचार के भी ठीक हो सकती है। जबकि कुछ मामलों में इलाज जरूरी होता है (15)। नीचे जानिए विस्तार से –

  1. वायरल कंजंक्टिवाइटिस : आमतौर पर वायरल कंजंक्टिवाइटिस के मामले हल्के होते हैं। इस तरह के संक्रमण 7 से 14 दिनों में उपचार के बिना ही ठीक हो जाते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में वायरल कंजंक्टिवाइटिस स्पष्ट होने में 2 से 3 सप्ताह या उससे अधिक समय लग सकता है। इसके इलाज के लिए एंटी वायरल दवाओं का उपयोग किया जाता है।
  2. बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस : बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस का इलाज आमतौर पर आई ड्रॉप या एंटीबायोटिक मलहम से किया जा सकता है। ये एंटीबायोटिक्स संक्रमण को कम करने और दूसरों में फैलने से रोकने में मदद कर सकते हैं।
  3. एलर्जी कंजंक्टिवाइटिस : एलर्जी के कारण होने वाले कंजंक्टिवाइटिस का इलाज कुछ एंटी-एलर्जिक दवाओं और आई ड्रॉप्स से किया जा सकता है। वहीं, कुछ मामलों में डॉक्टर इसके लक्षणों को सुधारने के लिए अन्य दवाओं के उपयोग की सलाह दे सकता है।

पढ़ते रहें लेख

लेख के इस भाग में हम जानेंगे कि आँख आने में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए?

आँख आने में क्या खाना चाहिए? – Foods to Eat for Conjunctivitis in Hindi

कंजंक्टिवाइटिस के दौरान खान-पान का ध्यान रखना भी जरूरी है। इसलिए, इस लेख में हम इसकी भी जानकारी दे रहे हैं। साथ ही यह भी जानेंगे कि पिंक आई के दौरान क्या नहीं खाना चाहिए?

क्या खाना चाहिए : कंजंक्टिवाइटिस में निम्नलिखित खाद्य-पदार्थों का सेवन किया जा सकता है –

  • सूजन से संबंधित समस्याओं में एंटी इंफ्लामेटरी आहार जैसे टमाटर, पालक, केल, संतरा, चेरी, व स्ट्रॉबेरी का सेवन किया जा सकता है (16)।
  • इसके अलावा, पिंक आई की समस्या के दौरान विटामिन-सी और ई युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन भी किया जा सकता है। इससे इम्यून सिस्टम मजबूत बना रह सकता है और शरीर सही तरीके से बैक्टीरिया से लड़ने में सक्षम हो सकता है (17)।
  • विटामिन ए की कमी के कारण भी कभी-कभी आंखों से जुड़ी समस्या हो सकती है (18)। इसलिए, इस दौरान विटामिन ए युक्त पदार्थों का सेवन भी किया जा सकता है। जैसे – हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, कद्दू, पपीता व आम (19)।

क्या न खाएं : सूजन के दौरान कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए – (16)

  • रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट (जैसे – सफेद ब्रेड और पेस्ट्री)
  • फ्रेंच फ्राइज और अन्य तले हुए खाद्य पदार्थ।
  • सोडा, चीनी या अन्य मीठे खाद्य-पदार्थ।
  • रेड मीट (बर्गर या स्टेक) और प्रोसेस्ड मीट (हॉट डॉग या सॉसेज) इत्यादि।

पढ़ते रहें आर्टिकल

आँख आने से कैसे बचाव कर सकते हैं? इसकी जानकारी नीचे दी जा रही है।

आँख आने से बचाव – Prevention Tips for Conjunctivitis in Hindi

  • आंखों को हमेशा साफ पानी से धोएं।
  • आंखों को कभी मैले हाथों से न छूएं।
  • आंखों में लाली नजर आने पर उसे गंभीरता से लें और तुरंत उसे साफ पानी से धोएं।
  • आंखों को पोंछने के लिए साफ तौलिए का प्रयोग करें।
  • आंखों के मेकअप के लिए सही उत्पाद का चयन करें। साथ ही उसकी एक्सपायरी डेट अवश्य देखें।
  • आंखों या चेहरे के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सामानों को साझा न करें।
  • साफ तकिये का ही इस्तेमाल करें।

कंजंक्टिवाइटिस से जुड़ी तमाम जानकारी देने के बाद अब हम उम्मीद करते हैं कि पाठक आँख आने के कारण और आँख आने के लक्षण अच्छी तरह समझ गए होंगे। इसके अलावा, आँख आने पर घरेलू उपचार संबंधी जानकारी भी पाठकों को हो गई होगी। अब जब भी आपको या आपके परिवार में किसी को यह समस्या हो, तो बताए गए आंख आने के घरेलू उपचार किए जा सकते हैं। इसके अलावा, इससे बचने के के उपाय का पालन भी जरूर करें। वहीं, समस्या अगर गंभीर है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। अब हम नीचे पाठकों द्वारा अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब दे रहे हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

कंजंक्टिवाइटिस से कैसे जल्दी छुटकारा मिल सकता हैं?

कंजंक्टिवाइटिस से जल्दी छुटकारा पाने के लिए लेख में दिए गए आँख आने पर घरेलू उपचार इस्तेमाल कर सकते हैं।

क्या मुझे कंजंक्टिवाइटिस के साथ काम से दूर रहना चाहिए?

हां, कोशिश करनी चाहिए कि कंजंक्टिवाइटिस के दौरान आंखों को ज्यादा आराम मिले, इसलिए इस दौरान कंप्यूटर वर्क इत्यादि नहीं करना चाहिए।

कंजंक्टिवाइटिस को ठीक होने में कितना समय लगता है?

कंजंक्टिवाइटिस का ठीक होना उसके कारणों पर निर्भर करता है। इसकी चर्चा हमने लेख में विस्तार से की है।

कंजंक्टिवाइटिस के साथ क्या नहीं कर सकते हैं?

कंजंक्टिवाइटिस के दौरान आँखों के मेकअप व लेंस आदि के प्रयोग से बचना चाहिए।

कैसे पता कर सकते हैं कि कंजंक्टिवाइटिस वायरल है या बैक्टीरियल?

वायरल और बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस की पहचान उसके लक्षणों से की जा सकती है। अगर वायरल कंजंक्टिवाइटिस है, तो आँखों से पानी निकलता है और यह जल्दी ही एक आंख से दूसरे आंख में फैल जाता है। वहीं, अगर बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस है, तो इस दौरान आंखों से मवाद निकल सकता है। साथ ही पलकें चिपक सकती हैं (6)।

क्या कंजंक्टिवाइटिस अपने आप दूर हो जाता है?

हां, कभी-कभी बिना उपचार के कंजंक्टिवाइटिस अपने आप ठीक हो सकता है, लेकिन इसका उपचार करवाना जरूरी है।

Sources
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