अर्जुन की छाल के फायदे, उपयोग और नुकसान – Arjun Ki Chaal Benefits in Hindi

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Written by , MA (Journalism & Media Communication) Puja Kumari MA (Journalism & Media Communication)
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आयुर्वेद में कई पेड़-पौधों की जड़, फूल, छाल और फलों को औषधि के तौर पर इस्तेमाल में लाया जाता है। इन्हीं औषधीय पेड़ों में अर्जुन का नाम भी शामिल है, जिसकी छाल का उपयोग कई शारीरिक समस्याओं में राहत पाने के लिए किया जाता है। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको अर्जुन की छाल के फायदे बताने जा रहे हैं। साथ ही लेख में आपको अर्जुन की छाल क्या है? और अर्जुन का उपयोग कैसे किया जाए? इस संबंध में भी विस्तार से जानकारी दी जाएगी। वहीं, यह ध्यान रखना जरूरी है कि अर्जुन की छाल बेशक कई शारीरिक समस्याओं में लाभकारी है, लेकिन इसे उनका उपचार नहीं कहा जा सकता। किसी भी समस्या का पूर्ण इलाज डॉक्टरी परामर्श पर ही निर्भर करता है।

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लेख में आगे बढ़ने से पहले जरूरी है कि अर्जुन की छाल क्या है? पहले यह जान लिया जाए।

अर्जुन की छाल क्या है – What is Arjuna Ki Chaal in Hindi

अर्जुन के पेड़ के तने की बाहरी परत को अर्जुन की छाल कहा जाता है। इस बाहरी परत को पेड़ से अलग कर औषधीय उपयोग में लाया जाता है। खास यह है कि यह छाल करीब 4 मिलीमीटर तक मोटी होती है और साल में एक बार अपने आप पेड़ से अलग होकर गिर जाती है। बता दें अर्जुन का पेड़ एक सदाबहार पेड़ है, जो करीब 60 से 80 फीट तक ऊंचा होता है। इसकी पत्तियां करीब-करीब अमरुद की पत्तियों की तरह दिखाई देती हैं। यह पेड़ हिमालय की तराई और शुष्क पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित नदी-नालों के किनारे बहुतायत में देखने को मिलता है। इसका वैज्ञानिक नाम टर्मिनेलिया अर्जुना (Terminalia arjuna) है।

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अर्जुन की छाल क्या है? जानने के बाद अब हम आपको अर्जुन की छाल के अन्य भाषाओं में लिए जाने वाले कुछ आम नामों के बारे में बताएंगे।

अन्य भाषाओं में अर्जुन की छाल के नाम – Name of Arjuna Ki Chaal in Different Languages in Hindi

अर्जुन की छाल अपने पेड़ के नाम से ही जानी जाती है, इसलिए यहां हम अन्य भाषाओं में लिए जाने वाले अर्जुन के पेड़ के नाम बताने जा रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं –

अंग्रेजी – अर्जुना या अर्जुन ट्री

संस्कृत – अर्जुन, नदीसर्जः, वीरवृक्ष, वीर, धनंजय, कौन्तेय, पार्थः, धवल

हिंदी- अर्जुन, अरजान, अंजनी, मट्टी, होलेमट्ट, काहू, कोह

उड़िया – ओर्जुनो

उर्दू- अर्जन

कन्नड़- मड्डी, बिल्लीमड्डी, निरमथी

गुजराती – अर्जुन, सादादो, अर्जुनसदारा

तमिल – मरुदु, अट्टूमारूतू, निरमारुदु, वेल्लईमरुदु

तेलुगू – तैल्लामद्दि, इरमअददी, येरमददी

बंगाली – अर्जुन गाछ, अरझान

नेपाली – काहू

पंजाबी – अरजन

मराठी – अंजन, सावीमदात

मलयालम – वेल्लामरूटु

अरबी – अर्जुन पोस्त

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लेख के अगले भाग में अब हम आपको अर्जुन की छाल के फायदे बताएंगे।

अर्जुन की छाल के फायदे – Benefits of Arjun Ki Chaal in Hindi

लेख के इस भाग में हम आपको विस्तार से अर्जुन की छाल के फायदे बताएंगे ताकि आप इसकी उपयोगिता को आसानी से समझ सकें।

1. डायबिटीज को करे नियंत्रित

अर्जुन का उपयोग डायबिटीज के मरीजों के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। अर्जुन छाल से जुड़े एक शोध से इस बात की पुष्टि होती है। शोध में पाया गया कि अर्जुन छाल में हेक्सोकिनेस, एल्डोलेस, फॉस्फोग्लुकोसोमेरेस और ग्लूकोनियोजेनिक जैसे कई एंजाइम्स पाए जाते हैं। इनकी मौजूदगी के कारण अर्जुन की छाल में एंटीडायबिटिक गुण मौजूद होता है। अर्जुन छाल का यह गुण किडनी और लिवर की कार्यक्षमता को बढ़ाकर ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है (1)। इस आधार पर डायबिटीज नियंत्रण के मामले में अर्जुन की छाल को सहायक माना जा सकता है।

2. हृदय स्वास्थ्य के लिए उपयोगी

हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी अर्जुन की छाल लाभकारी साबित हो सकती है। चूहों पर आधारित एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) के एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है। शोध में माना गया कि अर्जुन की छाल में ट्राइटरपेनॉइड (Triterpenoids) नाम का एक खास रसायन पाया जाता है। इस खास रसायन की उपस्थिति के कारण ही अर्जुन छाल हृदय जोखिमों को दूर रखने में कारगर साबित हो सकती है। वहीं, शोध में स्पष्ट तौर पर यह भी जिक्र मिलता है कि यह हाई बीपी और कोलेस्ट्रोल के साथ ही हृदय रोग के कारण होने वाले सीने के दर्द में भी राहत दिलाने का काम कर सकती है (2)। ऐसे में माना जा सकता है कि अर्जुन का उपयोग हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मददगार साबित हो सकता है।

3. कान दर्द में दिलाए आराम

कान में दर्द का एक सामान्य कारण बैक्टीरियल इन्फेक्शन को माना जाता है। इस इन्फेक्शन के कारण कान में दर्द की समस्या देखी जा सकती है। इस समस्या से निपटने में अर्जुन की छाल का अर्क उपयोगी साबित हो सकता है। इस बात की पुष्टि अर्जुन की छाल पर आधारित एक शोध से होती है। शोध में माना गया है कि अर्जुन की छाल में एंटीमाइक्रोबियल (सूक्ष्म जीवाणुओं को नष्ट करने वाला) गुण मौजूद होता है। इस गुण के कारण यह कान के इन्फेक्शन को दूर करने में यह सहायक साबित हो सकती है (2)

4. सर्दी-खांसी से दिलाए राहत

सर्दी-खांसी की समस्या में राहत पाने के लिए भी अर्जुन की छाल को इस्तेमाल में लाया जा सकता है। दो अलग-अलग शोधों में इस बात का जिक्र मिलता है। एक शोध में माना गया है कि अर्जुन की छाल श्वसन संबंधी विकार को दूर करने में मदद कर सकती है (3)वहीं, अन्य शोध में पाया गया कि अर्जुन की छाल में एंटीट्यूसिव (कफ कम करने का प्रभाव) पाया जाता है, जो खांसी में राहत दिला सकता है (4)। इस आधार पर माना जा सकता है कि सामान्य सर्दी-खांसी की समस्या में भी अर्जुन की छाल मददगार हो सकती हैं। हालांकि, अधिक प्रमाण न होने के कारण इस संबंध में अभी अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है।

5. हाई बीपी में सहायक

जैसा कि लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि अर्जुन की छाल में मौजूद ट्राइटरपेनॉइड नाम का खास रसायन हृदय स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है। वहीं, शोध में यह भी माना गया है कि इसमें एंटीहाइपरटेंसिव (बीपी कम करने वाला) गुण मौजूद होता है (2)। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए भी अर्जुन की छाल काफी मददगार साबित हो सकती है।

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6. अल्सर में कारगर

पेट से संबंधित अल्सर के मामले में भी अर्जुन की छाल फायदेमंद साबित हो सकती है। वजह यह कि इसमें गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव (पेट की अंदरूनी दीवार की सुरक्षा) और साइटोप्रोटेक्टिव (पेट के अल्सर से बचाव) का गुण मौजूद होता है। अर्जुन की छाल के ये दोनों गुण संयुक्त रूप से पेट के अल्सर में राहत दिलाने का काम कर सकते हैं। इस बात का साफ जिक्र अर्जुन की छाल से संबंधित एक जर्नल में मिलता है (2)। इस आधार पर माना जा सकता है कि पेट के अल्सर का घरेलू उपचार करने में अर्जुन की छाल का इस्तेमाल कारगर हो सकता है।

7. बुखार को कम करे

लेख में हम पहले ही बता चुके हैं कि सामान्य बुखार में अर्जुन की छाल का सेवन सहायक हो सकता है (5)। वहीं, अर्जुन की छाल से जुड़े एक अन्य शोध में माना गाया है कि डेंगू बुखार में भी यह मददगार हो सकती है। इस काम में अर्जुन की छाल में मौजूद लार्विसाइडियल (लार्वा को नष्ट करने वाला) प्रभाव कारगर हो सकता है (6)।

8. यूरिनरी इन्फेक्शन में कारगर

यूरिनरी इन्फेक्शन यानी मूत्र मार्ग संक्रमण में भी अर्जुन की छाल का सेवन उपयोगी हो सकता है। इस बात को स्पष्ट रूप से अर्जुन की छाल से संबंधित एक शोध में माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि इसमें एंटीबैक्टीरियल (बैक्टीरिया को नष्ट करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। इस गुण के कारण अर्जुन की छाल मूत्र मार्ग में संक्रमण पैदा करने वाले सूक्ष्म बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद कर सकती है (7)।

9. बढ़ते वजन को कम करे

बढ़ते वजन की समस्या को रोकने के लिए भी अर्जुन की छाल को उपयोग में लाया जा सकता है। यह बात चूहों पर आधारित एनसीबीआई के एक शोध से स्पष्ट होती है। शोध में पाया गया कि अर्जुन की छाल से तैयार कैप्सूल का उपयोग फैट को कम करने में मदद कर सकता है। इस काम में अर्जुन की छाल में मौजूद हाइपोलिपिडेमिक (लिपिड, फैट और कोलेस्ट्रोल को कम करने वाला) गुण कारगर साबित हो सकते हैं (8)। इस तथ्य को देखते हुए कहा जा सकता है कि बढ़ते हुए वजन को नियंत्रित करने में भी अर्जुन की छाल सहायक हो सकती है।

10. त्वचा के लिए अर्जुन की छाल

त्वचा के लिए भी अर्जुन की छाल काफी उपयोगी साबित हो सकती है। अर्जुन की छाल से जुड़े एक शोध में इस बात को सीधे तौर पर स्वीकार किया गया है। शोध में माना गया है कि खुजली, चुभन और चकत्तों के साथ ही एक्जिमा और सोरायसिस जैसी त्वचा से संबंधित समस्याओं में अर्जुन की छाल सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकती है (9)।

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लेख के अगले भाग में अब हम आपको अर्जुन की छाल के सेवन के बारे में जानकारी देंगे।

अर्जुन की छाल का सेवन कैसे करें – How to Eat Arjun Ki Chaal  in Hindi

अर्जुन की छाल के सेवन की बात करें, तो इसे चूर्ण, चाय, रस और काढ़े के रूप में सेवन के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है। वहीं, चाहें तो बाजार में उपलब्ध इसके चूर्ण और काढ़े को उपयोग के लिए इस्तेमाल में ला सकते हैं।

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लेख के अगले भाग में अर्जुन छाल के सेवन से पूर्व बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में जानेंगे।

अर्जुन की छाल लेने से पहले सावधानियां

हालांकि, अर्जुन की छाल लेने से पहले किसी विशेष सावधानी लेने का कोई स्पष्ट वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है, फिर भी एहतियात के तौर पर निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दिया जा सकता है – (10)

  • गर्भावस्था में बिना डॉक्टर की सलाह के अर्जुन की छाल का सेवन न करें।
  • स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन न करने की सलाह दी जाती है।
  • किसी विशेष दवा का सेवन करने वाले लोगों को बिना डॉक्टर की सलाह के इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

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लेख के अगले भाग में हम अर्जुन की छाल के नुकसान के बारे में जानने का प्रयास करेंगे।

अर्जुन की छाल के नुकसान – Side Effects of Arjun Ki Chhal in Hindi

अर्जुन की छाल के अधिक सेवन से अर्जुन की छाल के नुकसान भी देखने को मिल सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (11)।

  • हल्की कमजोरी के साथ उल्टी और मतली की समस्या हो सकती है।
  • पेट में हल्की सूजन और उसके कारण दर्द का अनुभव हो सकता है।
  • सिरदर्द और बदन दर्द की समस्या हो सकती है।
  • कुछ मामलों में इसके सेवन के कारण कब्ज की शिकायत भी हो सकती है।
  • वहीं, कुछ लोगों को इसके सेवन के कारण अनिद्रा की समस्या परेशान कर सकती है।

नोट- इसमें से किसी एक समस्या के होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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लेख के अगले भाग में हम आपको बताएंगे कि अर्जुन की छाल कहां पाई जाती है।

अर्जुन की छाल कहां पाई जाती है?

लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि अर्जुन के पेड़ से ही अर्जुन की छाल अलग की जाती है। वहीं, अर्जुन का पेड़ हिमालय की तराई और शुष्क पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित नदी-नालों के किनारे बहुतायत में देखने को मिलता है। इसके अलावा, यह भारत में अन्य स्थानों पर मौजूद नदी या नालों के किनारे भी देखने को मिल सकता है।

अर्जुन की छाल क्या है? और अर्जुन की छाल के फायदे क्या हैं? इस बारे में तो आप अच्छे से जान गए होंगे। ऐसे में लेख में दिए गए अर्जुन की छाल का सेवन करने के तरीकों को भी एक बार अच्छे से समझ लेना जरूरी है ताकि आप सही प्रकार से अर्जुन का उपयोग कर पाएं और इसके व्यापक लाभ उठाएं। वहीं, लेख में बताएं गए अर्जुन की छाल के नुकसान के कोई भी लक्षण अगर नजर आते हैं, तो बिना देर किए डॉक्टर को दिखाएं। उम्मीद है, स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं को हल करने के मामले में यह लेख काफी हद तक आपके लिए उपयोगी साबित होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या अर्जुन की छाल गर्भावस्था के लिए सुरक्षित है?

हालांकि, इस बात का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है, लेकिन गर्भावस्था में अर्जुन की छाल न लेने की सलाह दी जाती है। अधिक जानकारी के लिए एक बार डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

क्या रूखी त्वचा के लिए अर्जुन की छाल उपयोगी है?

अर्जुन की छाल का अर्क त्वचा को नमी प्रदान करने का काम कर सकता है और त्वचा की देखभाल करने में मददगार हो सकता है। इसलिए, इसे रूखी त्वचा के लिए उपयोगी माना जा सकता है (12)।

क्या अर्जुन की छाल दिल की धड़कन की गति को कम कर सकती है?

जी बिल्कुल, बीपी को कम करने के साथ ही अर्जुन की छाल का अर्क दिल की धड़कन की गति को सामान्य कर सकता है (11)।

References

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  1. Antidiabetic effect ofT. arjuna bark extract in alloxan induced diabetic rats
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3453977/
  2. Medicinal properties of Terminalia arjuna (Roxb.) Wight & Arn.: A review
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5198828/
  3. EVALUATION OF ANTIMICROBIAL AND PHYTOCHEMICAL PROPERTIES OF TERMINALIA ARJUNA LINN. EXTRACTS AGAINST RESPIRATORY TRACT PATHOGENS
    https://www.researchgate.net/publication/265852444_EVALUATION_OF_ANTIMICROBIAL_AND_PHYTOCHEMICAL_PROPERTIES_OF_TERMINALIA_ARJUNA_LINN_EXTRACTS_AGAINST_RESPIRATORY_TRACT_PATHOGENS
  4. Cough and Arabinogalactan Polysaccharide from the Bark of Terminalia Arjuna
  5. Endophytic Mycoflora of Indian Medicinal Plant, Terminalia arjuna and their Biological Activities
    http://citeseerx.ist.psu.edu/viewdoc/download?doi=10.1.1.1031.9633&rep=rep1&type=pdf
  6. Antibacterial activity of bark extracts of Terminalia arjuna (Roxb.) against Extended Spectrum β-Lactamase producing multi drug resistant Bacteria from Urinary Tract Infections
    https://www.researchgate.net/publication/299536316_Antibacterial_activity_of_bark_extracts_of_Terminalia_arjuna_Roxb_against_Extended_Spectrum_b-Lactamase_producing_multi_drug_resistant_Bacteria_from_Urinary_Tract_Infections
  7. Hypolipidaemic and anti-oxidative potential of encapsulated herb (Terminalia arjuna) added vanilla chocolate milk in high cholesterol fed rats
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/25907198/
  8. Efficacy and Advancement of Terminalia arjuna in Indian Herbal Drug Research: A Review
    https://www.researchgate.net/publication/335448881_Efficacy_and_Advancement_of_Terminalia_arjuna_in_Indian_Herbal_Drug_Research_A_Review
  9. Safety and efficacy evaluation of Ayurvedic treatment (Arjuna powder and Arogyavardhini Vati) in dyslipidemia patients: A pilot prospective cohort clinical study
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3611635/
  10. Revisiting Terminalia arjuna – An Ancient Cardiovascular Drug
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4220499/
  11. Pentacyclic triterpenes from Terminalia arjuna show multiple benefits on aged and dry skin
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/24008587/
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