सर्दियों के लिए योग – Benefits Of Yoga During Winter In Hindi

सर्दी का मौसम ठंड के अलावा अपने साथ आलस भी लेकर आता है। इस कारण लोग फिजिकल एक्टिविटी तो दूर, मॉर्निंग वॉक तक से परहेज करने लगते हैं। फिर यहां से शुरू हो जाती है उनकी शारीरिक समस्याएं। इन्हीं समस्याओं से बचाने के लिए स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम सर्दियों के लिए योग लेकर आए हैं। योग न केवल ठंड दूर करने में मदद करेगा, बल्कि इसके अभ्यास से स्वास्थ्य समस्याओं को भी दूर रखा जा सकता है। तो चलिए जानते हैं कि सर्दियों में योग करने के फायदे क्या हैं और सर्दियों में करने वाले योगासन आखिर कौन-कौन से हैं।
शुरू करते हैं लेख
सबसे पहले समझ लीजिए कि सर्दियों में योग कैसे फायदेमंद है।
विषय सूची
सर्दियों में कैसे लाभदायक है योग? – How Does Yoga Benefits During Winter in Hindi
वैसे तो सर्दियों के लिए योगासन कई सारे हैं, लेकिन यहां हम कुछ ऐसे योगासनों के बारे में बता रहे हैं, जिनका ठंड के मौसम में अभ्यास करना लाभकारी माना जाता है।
1. शरीर को गर्म रखे
सर्दी के मौसम में शरीर की गर्मी को बनाए रखने के लिए योगाभ्यास करना एक बेहतर विकल्प हो सकता है। दरअसल, ऐसे कई योग हैं जिनका नियमित रूप से अभ्यास किया जाए, तो उससे शरीर की गर्मी को बरकरार रखने में मदद मिल सकती है।
इससे जुड़े एक शोध से जानकारी मिलती है कि कपालभाति, भस्त्रिका प्राणायाम और सूर्य नमस्कार जैसे योगासन करने से शरीर में गर्माहट पैदा हो सकती है (1)। यही वजह है कि शरीर गर्म रखने के लिए सर्दियों के मौसम से योग करना फायदेमंद हो सकता है।
2. संक्रमण से बचाव के लिए
माना जाता है कि ठंड के मौसम में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है (2)। ऐसे में संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी है कि इम्यून सिस्टम को मजबूत रखा जाए (3)। ऐसे में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करने के लिए योग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। बताया जाता है कि रोजाना योगाभ्यास जैसे – प्राणायाम और ध्यान करने से प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार हो सकता है (4)। ऐसे में ठंड के मौसम में बीमारियों से बचाव के लिए योग को अपने रूटीन में शामिल करना लाभकारी हो सकता है।
3. बेहतर ब्लड सर्कुलेशन के लिए
ठंड के मौसम में ब्लड सर्कुलेशन करने के लिए भी योग करना फायदेमंद हो सकता है। बताया जाता है कि नियमित रूप से योगाभ्यास करने से पूरे शरीर में रक्त और अन्य तरल पदार्थों के संचालन को बेहतर बनाया जा सकता है, जो स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।
दरअसल, रक्त संचार प्रणाली (जिसमें हृदय, रक्त वाहिकाएं और रक्त शामिल हैं) शरीर में सभी कोशिकाओं तक पोषक तत्व और ऑक्सीजन पहुंचाती है। इसके अलावा, ऊतकों से कार्बन-डाइऑक्साइड और मेटाबॉलिज्म से विषाक्त पदार्थों को निकालने में भी रक्त संचार प्रणाली अहम भूमिका निभाती है। यही कारण है कि शरीर में रक्त का संचार निरंतर होना जरूरी है (5)।
4. जोड़ों के दर्द से राहत
आमतौर पर ठंड के मौसम में जोड़ों के दर्द की शिकायत बढ़ जाती है, खासकर अर्थराइटिस की समस्या (5)। वहीं, इससे बचाव या इसके लक्षणों को कम करने के लिए योग करना फायदेमंद हो सकता है (7)। इस बात की जानकारी एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध से होती है, जिसमें बताया गया है कि योग करने से अर्थराइटिस के लक्षणों को कम किया जा सकता है। साथ ही यह शारीरिक क्षमता को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकता है (8)।
5. अस्थमा के लिए लाभकारी
अस्थमा सांसों से संबंधित एक बीमारी है। ऐसा माना जाता है कि ठंड के मौसम में यह समस्या और बढ़ जाती है (9)। ऐसे में योगाभ्यास करके अस्थमा के लक्षणों को कम किया जा सकता है। इस विषय पर हुए एक शोध में बताया गया है कि योग के माध्यम से अस्थमा के अटैक को कम किया जा सकता है।
साथ ही यह श्वसन प्रवाह दर में भी सुधार कर सकता है (10)। हालांकि, इस विषय में अभी और शोध की आवश्यकता है, लेकिन लक्षणों को कम करने के लिए योग को रूटीन का हिस्सा बनाया जा सकता है।
6. उच्च रक्तचाप के लिए
एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध की मानें तो ठंड के मौसम में रक्तचाप बढ़ जाता है। इस वजह से स्ट्रोक, हार्ट फेल्योर जैसी हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है (11)। वहीं, इन समस्याओं के जोखिमों को कम करने के लिए योग एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। दरअसल, योग को उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए प्रभावी उपाय माना गया है (12)।
इसके अलावा, जैसा कि हमने लेख में बताया कि कुछ प्रकार के योग, जैसे- कपालभाति, भस्त्रिका प्राणायाम और सूर्य नमस्कार करने से शरीर में गर्माहट पैदा हो सकती है (1) ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ठंड के मौसम में शरीर को गर्म रखकर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने के लिए योग करना लाभकारी साबित हो सकता है।
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लेख के इस हिस्से में जानें सर्दियों के लिए योग।
सर्दियों में करने वाले योग आसन- Yoga During Winter in Hindi
सर्दियों के लिए योग के फायदे जानने के बाद अब बारी आती है, सर्दियों में करने वाले योगासन के बारे में जानने की। तो यहां हम क्रमवार तरीके से सर्दियों के लिए योग और उन्हें करने के तरीके बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं:
1. भस्त्रिका प्राणायाम
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ठंड के मौसम में भस्त्रिका प्राणायाम करने के लाभ कई सारे हैं। जैसा कि हमने लेख में बताया कि भस्त्रिका प्राणायाम शरीर में गर्मी पैदा कर सकता है। इसके अलावा, यह शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक हो सकता है, जो हवा, पित्त और कफ की अधिकता से उत्पन्न होते हैं। यही नहीं, नाक और छाती के रोगों को दूर करने के साथ-साथ गले की सूजन से राहत दिलाने के लिए भी यह प्राणायाम लाभकारी माना गया है (1)।
इससे जुड़ी जानकारी में इस बात का जिक्र भी है कि भस्त्रिका प्राणायाम के अभ्यास से अस्थमा की समस्या को कम किया जा सकता है। साथ ही यह वजन घटाने में भी सहायक हो सकता है (1)। इसलिए, ठंड में स्वस्थ रहने के लिए के लिए भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास करना लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
भस्त्रिका प्राणायाम करने का तरीका :
- सबसे पहले एक शांत जगह का चुनाव करके योग मैट बिछा लें और पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- ध्यान रहे इस दौरान रीढ़ की हड्डी और सिर दोनों एकदम सीधी होने चाहिए। साथ ही मुंह बिल्कुल भी खुला न रहे।
- इसके बाद नाक से गहरी सांस लें। सांस अंदर लेने के दौरान फेफड़े पूरी तरह से फूलने चाहिए।
- गहरी सांस भरने के बाद झटके में सांस को छोड़ें। सांस छोड़ने की गति इतनी तेज होनी चाहिए कि झटके के साथ फेफड़े सिकुड़ जाएं।
- इस तरह भस्त्रिका प्राणायाम का एक चक्र पूरा होता है। इस प्रक्रिया को 10 से 12 बार कर सकते हैं।
सावधानी :
- हमेशा भस्त्रिका प्राणायाम की शुरुआत धीमी गति के साथ ही करें।
- भस्त्रिका प्राणायाम करने से पहले नाक की सफाई अच्छे से कर लें।
- हाई ब्लड प्रेशर की समस्या और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को इस प्राणायाम को नहीं करना चाहिए (1)।
- गर्भवती महिलाओं को भी इस प्राणायाम का अभ्यास करने से परहेज करना चाहिए।
- जितनी बार भस्त्रिका प्राणायाम हो सके उतनी बार ही करें।
2. पश्चिमोत्तानासन योग
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ठंड का मौसम भूख से संबंधित हार्मोन को प्रभावित कर सकता है, जिससे खाने की इच्छा बढ़ जाती है (13)। वहीं, अधिक खाना मोटापे की समस्या को बढ़ा सकता है। ऐसे में पश्चिमोत्तानासन योग करना फायदेमंद साबित हो सकता है। इस पर हुए एक शोध से जानकारी मिलती है कि संतुलित आहार के साथ नियमित रूप से पश्चिमोत्तानासन योग का अभ्यास मोटापे की समस्या को कम कर सकता है (14)।
पश्चिमोत्तानासन योग करने का तरीका :
- सबसे पहले जमीन पर योग मैट बिछा लें, फिर पैरों को आगे की तरफ फैलाते हुए बैठ जाएं।
- इस दौरान ध्यान रखें कि दोनों पैर आपस में सटे हुए हों और घुटने बिल्कुल सीधे हों। साथ ही सिर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी भी एकदम सीधी होनी चाहिए।
- इसके बाद दोनों हाथों को ऊपर की तरफ ले जाएं और धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए आगे की तरफ झुकें।
- आगे झुकते हुए हाथों से पैरों के अंगूठे को पकड़ने की कोशिश करें। साथ ही सिर को घुटने के साथ सटाएं। इस दौरान यह जरूर ध्यान रखें कि घुटने मुड़ने नहीं चाहिए।
- अब कुछ सेकंड तक इसी अवस्था में रहने का प्रयास करें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
- 8 से 10 सेकंड के बाद गहरी सांस भरते हुए अपनी प्रारंभिक अवस्था में लौट आएं।
सावधानी :
- पीठ, कमर या शरीर के किसी अन्य अंग से संबंधित ऑपरेशन वाले लोगों को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- अगर किसी को अल्सर, अस्थमा या फिर जोड़ों से संबंधित कोई अन्य बीमारी है, तो इस योग को न करें।
- वहीं, अगर किसी को डायरिया की समस्या है, तो उन्हें इस योग का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को भी पश्चिमोत्तानासन योग नहीं करने की सलाह दी जाती है।
3. मंडूकासन योग
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मंडूकासन योग स्वास्थ्य के लिए कई मायनों में लाभकारी माना है। योग पर हुए एक रिसर्च की मानें तो नियमित रूप से योगाभ्यास, जिसमें मंडूकासन योग भी है, करने से मधुमेह की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है (15)। इसके अलावा, हृदय एवं रक्त वाहिकाओं से संबंधी समस्याओं के साथ-साथ फेफड़ों से जुड़ी परेशानियों से बचाव के लिए भी मंडूकासन योग को लाभकारी माना गया है। यही नहीं, बॉडी फैट घटाने के लिए भी इसका अभ्यास करना फायदेमंद साबित हो सकता है (16)।
मंडूकासन योग करने का तरीका :
- इस योग को करने के लिए सबसे पहले योग मैट बिछाकर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- इसके बाद अपने दोनों हाथों की मुट्ठी को बंद करें।
- फिर दोनों मुट्ठियों को अपनी नाभि और जांघ के बीच सटाकर दबाव बनाते हुए रखें। इस दौरान ध्यान रखें कि मुठ्ठियां खड़ी हों और अंगूठे अंदर की ओर हों।
- अगर किसी को मुट्ठी बंद करने में परेशानी हो, तो हाथों को फैला कर भी कर सकते हैं। जैसा कि तस्वीर में दिखाया गया है।
- इसके बाद सांसों को बाहर की ओर छोड़ते हुए सामने की ओर झुकें और अपनी ठुड्डी को जमीन से सटाने का प्रयास करें।
- 60 सेकंड तक इसी अवस्था में बने रहें। इस दौरान ध्यान रखें कि शरीर के ऊपरी भाग का पूरा वजन जांघों पर होना चाहिए और गर्दन एकदम सीधी दिशा में हो।
- इसके बाद धीरे-धीरे फिर से सीधे होकर वापस से वज्रासन की मुद्रा में आ जाएं।
- इस योग का अभ्यास तीन से चार बार तक कर सकते हैं।
सावधानियां :
- अगर किसी को पेट से संबंधित कोई गंभीर समस्या है, तो इस योग को न करें।
- इसके अलावा, ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या, स्लिप डिस्क या फिर कमर दर्द की शिकायत वाले लोगों को डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही मंडूकासन योग का अभ्यास करना चाहिए।
- इस योग को करते समय ध्यान रखें कि मुट्ठियां आपस में अच्छी तरह से बंद हो और वह पेट से सटी हों।
4. शशकासन योग
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जैसा कि हमने लेख में बताया कि ठंड के मौसम में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जिसके कारण हृदय संबंधी समस्याएं, जैसे – स्ट्रोक, हार्ट फेल्योर आदि का जोखिम हो सकता है (17)। ऐसे में उच्च रक्तचाप की समस्या को कम करने में शशकासन योग के फायदे देखे जा सकते हैं। इससे जुड़े एक शोध से जानकारी मिलती है कि शशकासन योग के माध्यम से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम किया जा सकता है, जिससे उच्च रक्तचाप की समस्या कम हो सकती है (18)।
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का मुख्य कारण फ्री रेडिकल्स को माना जाता है। इस वजह से कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, अल्जाइमर रोग, पार्किंसंस रोग और मोतियाबिंद जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है (19)। ऐसे में एंटीऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करने में सहायक हो सकते हैं (20)। ऐसे में शशकासन योग के रोजाना अभ्यास से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम कर इन समस्याओं से भी बचा जा सकता है।
इसके अलावा, शशकासन योग एकाग्रता में सुधार और स्मरण शक्ति को बढ़ा सकता है। साथ ही यह पैर की मांसपेशियों को आराम पहुंचा सकता है और रीढ़ को लचीला व मजबूत बनाने में मदद कर सकता है। यही नहीं, इस आसन के माध्यम से मन को आराम और शांत किया जा सकता है (21)।
शशकासन योग करने का तरीका :
- सबसे पहले एक शांत जगह का चुनाव कर योग मैट बिछाएं और उस पर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं। इस दौरान ध्यान रखें कि आपकी पीठ एकदम सीधी हो।
- इसके बाद अपने दोनों हाथों को सीधा करके दोनों घुटनों पर रखें।
- अब गहरी सांस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं। इस प्रक्रिया के दौरान हाथ सीधे होने चाहिए। साथ ही गर्दन और रीढ़ की हड्डी भी सीधी होनी जरूरी है।
- फिर सांस को बाहर की ओर छोड़ते हुए धीरे-धीरे कमर को आगे की ओर झुकाएं और अपने हाथों को भी बिना जोड़े हुए नीचे लाएं और लंबे से जमीन में सटाएं।
- जमीन से सटाते समय माथा और हाथ दोनों फर्श पर टीके होने चाहिए।
- इस अवस्था में कुछ सेकंड तक रुके रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
- फिर गहरी सांस भरते हुए धीरे-धीरे ऊपर उठें।
- इस तरह शशकासन योग का एक चक्र पूरा होता है। इसका अभ्यास 5 से 10 बार किया जा सकता है।
सावधानियां :
- हाई ब्लड प्रेशर की समस्या या हृदय रोग से पीड़ित लोग इस योग को करने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
- पीठ दर्द की शिकायत वाले लोगों को शशकासन योग के अभ्यास से बचना चाहिए।
- इसके अलावा, अगर किसी को चक्कर आने की समस्या है या भी फिर मोतियाबिंद की बीमारी है, तो ऐसे में इस योग से परहेज करें।
- स्लिप डिस्क, सिर या पेट की समस्या एवं वर्टिगो और हर्निया वाले लोगों को भी इस योग को करने की सलाह नहीं दी जाती है।
- गर्भवती महिलाओं को भी इस आसन के अभ्यास से परहेज करना चाहिए।
5. कूर्मासन
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जैसा कि हमने लेख के ऊपरी भाग में बताया गया है कि ठंड के मौसम में संक्रमण का भी खतरा बढ़ जाता है (2)। वहीं, इससे बचाव के लिए जरूरी है कि इम्यून सिस्टम को मजबूत रखा जाए (3)। इसके लिए कूर्मासन का अभ्यास करना फायदेमंद साबित हो सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध की मानें तो कुर्मासन योग रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार कर सकता है (22)।
इसके अलावा, पीठ दर्द की शिकायत को दूर करने के लिए भी इस योग को फायदेमंद माना गया है (23)। यही नहीं, ठंड के मौसम में बढ़े हुए रक्तचाप को नियंत्रित या कम करने के लिए कुर्मासन योग का अभ्यास करना फायदेमंद साबित हो सकता है (24)।
कुर्मासन योग करने का तरीका :
- सबसे पहले एक समतल और शांत जगह का चुनाव कर योग मैट बिछाकर उस पर बैठ जाएं।
- इसके बाद दोनों पैर को आगे की ओर फैलाएं।
- इसके बाद धीरे-धीरे दाएं पैर को दाएं तरफ और बाएं पैर को बाएं तरफ फैलाएं।
- अब दाएं हाथ को दाएं पैर के घुटने के नीचे से निकालकर हथेली को जमीन से सटाएं।
- इसी तरह बाएं हाथ को भी बाएं पैर के घुटने के नीचे से निकालकर कर हथेली को जमीन से सटाएं।
- इसके बाद कमर के ऊपरी हिस्से को धीरे-धीरे कर के आगे की ओर झुकाएं। इस दौरान जितना नीचे की ओर झुक सकते हैं उतना झुकें। बस ध्यान रखें कि अपनी क्षमता के अनुसार ही झुकने का प्रयास करें।
- जितने देर तक संभव हो सके, इसी अवस्था में बने रहें। फिर धीरे-धीरे करके पुरानी अवस्था में वापस लौट आएं।
- इस प्रकार इस योग का एक चक्र पूरा होता है। इसका अभ्यास दो से तीन बार किया जा सकता है।
सावधानियां :
- कुर्मासन योग का अभ्यास तभी करें जब रीढ़ की हड्डी लचीली हो।
- अगर किसी को घुटना, कंधा, कमर, कोहनी, रीढ़ या फिर जोड़ों में दर्द की शिकायत हो, तो इस योग का अभ्यास न करें।
- इसके अलावा, हर्निया, साइटिका, स्लिप डिस्क की समस्या झेल रहे लोगों को भी इस योग से परहेज करना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को भी इस योग का अभ्यास नहीं करने की सलाह दी जाती है।
- वहीं, मासिक धर्म के दौरान भी कुर्मासन योग के अभ्यास से बचना चाहिए।
6. सूर्य नमस्कार
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सर्दियों के लिए योग की लिस्ट में सूर्य नमस्कार योग भी शामिल है। यह मोटापे और अवसाद की समस्या को कम करने में सहायक माना जाता है। इसके अलावा, सूर्य नमस्कार शरीर में गर्मी पैदा कर सकता है और कफ को निकालने के लिए इसे अहम माना गया है (1)।
वहीं, सूर्य नमस्कार श्वसन तंत्र मजबूत करने और फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार करने के लिए भी लाभकारी माना गया है (25)। इन सभी लाभों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि सर्दी के मौसम में सूर्य नमस्कार का अभ्यास सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए लाभकारी साबित हो सकता है। अब जानते हैं सूर्य नमस्कार की प्रक्रिया, जो कुछ इस प्रकार है:
सूर्य नमस्कार को करने का तरीका :
- प्रणामासन : यह सूर्य नमस्कार का पहला चरण है। इसे करने के लिए सबसे पहले योग मैट बिछाएं और सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएं। फिर दोनों हाथों को जोड़ते हुए अपने सीने के पास लाएं और नमस्कार करने की मुद्रा में खड़े हो जाएं।
- हस्तउत्तानासन : यह सूर्य नमस्कार का दूसरा चरण है। इसमें गहरी सांस लेते हुए अपने नमस्कार की मुद्रा वाले हाथों को सिर के ऊपर उठाएं। इस दौरान ध्यान रखें कि ऊपर की ओर उठी हुई दोनों भुजाएं कानों में सटी हुई होनी चाहिए। इसके बाद कमर से नीचे के हिस्से को सीधा रख कर शरीर के ऊपर के भाग को जितना संभव हो सके उतना पीछे की ओर ले जाएं। देखा जाए तो इसमें हाथ जोड़कर पीछे की ओर झुकना है।
- पादहस्तासन : यह सूर्य नमस्कार का तीसरा चरण हैं। इसमें सांसों को छोड़ते हुए अपने हाथों को धीरे-धीरे आगे लाते हुए पेट के बल आगे की ओर झुकें। फिर अपने हाथों को पैर के पंजे से सटाने का प्रयास करें। इस दौरान ध्यान रखें कि घुटने जरा भी न मुड़ें।
- अश्व संचालनासन : यह सूर्य नमस्कार का चौथा चरण है। इसमें सांस अंदर की ओर भरते हुए अपने बाएं पैर पर बैठते हुए दाएं पैर को जितना संभव हो सके पीछे की ओर ले जाएं। इस दौरान इस बात का ध्यान रखें कि दाएं पैर का घुटना जमीन में सटना चाहिए और गर्दन ऊपर की ओर एक सीधी दिशा में होनी चाहिए।
- पर्वतासन : यह सूर्य नमस्कार का पांचवां चरण है। इसमें सांसों को छोड़ते हुए बाएं और दाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। जब बाएं और दाएं पैर के पंजे एक बराबर में आ जाएं, तो शरीर को बीच से उठाने की कोशिश करें। इस दौरान अपनी हथेलियों और पंजे दोनों को जमीन से सटाए रखें। साथ ही ध्यान रखें कि इस दौरान हाथ और पैर दोनों एकदम सीधे रहें।
- अष्टांगासन : यह आसन सूर्य नमस्कार का छठा चरण है। इस आसन में गहरी सांस भरते हुए अपने दोनों पैर के पंजे और घुटनों को जमीन से सटाएं। साथ ही अपने सीने और ठुड्डी को भी जमीन में सटाएं और कमर एवं कूल्हे को ऊपर आसमान की ओर उठाएं। इस पूरी प्रक्रिया को बिना सांस छोड़े ही करें।
- भुजंगासन : यह सूर्य नमस्कार का सातवां चरण है। योग मैट पर इसमें बिना सांस छोड़े हुए पेट से कमर तक के हिस्से को जमीन से सटाएं। फिर कमर से ऊपर के हिस्से को उठाने का प्रयास करें। इस प्रक्रिया के दौरान अपनी हथेलियों को जमीन से सटाए रखें और गर्दन को आसमान की ओर करके रखें।
- पर्वतासन : यह सूर्य नमस्कार का आठवां चरण है। इसमें दोबारा से पांचवां चरण यानी पर्वतासन में आना होता है। इस आसन को करते समय दोनों हाथ सीधे जमीन पर रखें और पैर की उंगलियों को जमीन में सटाएं। साथ अपनी नजरों को नाभि को ओर रखें। ध्यान रहे इस दौरान बेंड करके कमर के हिस्से को ऊपर की ओर उठाकर रखें। फिर धीरे-धीरे अपनी सामान्य अवस्था में आ जाएं।
- अश्व संचालनासन : यह सूर्य नमस्कार का नवां चरण है। इसमें गहरी सांस भरते हुए दाएं पैर को आगे की ओर लाकर उस पर बैठें। फिर अपने बाएं पैर को सीधा करके पीछे की ओर ले जाते हुए घुटने को जमीन पर सटाएं।
- पादहस्तासन : यह सूर्य नमस्कार का दसवां चरण है। इसमें सांस छोड़ते हुए अपने हाथों को धीरे-धीरे आगे लाते हुए पेट के बल आगे की ओर झुकें। फिर अपने हाथों को पैर के पंजे के पास सटाते हुए सिर से घुटने को छुने की कोशिश करें।
- हस्तउत्तानासन : यह सूर्य नमस्कार का ग्यारहवां चरण है। इसमें गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और हथेलियों को आपस में नमस्कार की मुद्रा में जोड़कर क्षमता के अनुसार पीछे की ओर झुकने की कोशिश करें।
- प्रणामासन : यह सूर्य नमस्कार का अंतिम यानी बारहवां चरण हैं। इसमें हाथों को जोड़े हुए सीधे खड़े होकर नमस्कार की मुद्रा में वापस आ जाएं।
सावधानियां :
- सूर्य नमस्कार को हमेशा खाली पेट ही करें।
- सूर्य नमस्कार को सूर्योदय के समय सूर्य निकलने की दिशा यानी पूर्व की ओर मुंह करके करें।
- अगर किसी को घुटने या कमर में परेशानी है, तो इसे न करें।
- अगर इस योग को करते समय शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द महसूस होता है, तो इसे करना बंद कर दें।
- अगर किसी को हर्निया या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो सूर्य नमस्कार योग को न करें।
- इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को भी इस प्राणायाम को नहीं करने की सलाह दी जाती है।
- सूर्य नमस्कार को मासिक चक्र के दौरान भी नहीं करना चाहिए।
- इसके अलावा, अगर किसी को कमर में दर्द की शिकायत है, तो इस प्राणायाम को न करें।
7. कपालभाति प्राणायाम
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कपालभाति एक प्रकार की ब्रीदिंग एक्सरसाइज है। नियमित रूप से इसका अभ्यास स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यही वजह है कि ठंड में इस प्राणायाम को करने की सलाह दी जाती है। इससे जुड़े शोध में बताया गया है कि कपालभाति सांसों के माध्यम से शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकाल सकता है। इसके अलावा, यह ब्लड सर्कुलेशन और तंत्रिका तंत्र के कामकाज में भी सुधार कर सकता है (26)।
यहीं नहीं, कपालभाति को पेट की चर्बी कम करने और मांसपेशियों को टोन करने में लाभकारी माना गया है। इसके अलावा, कपालभाति के अभ्यास से त्वचा की चमक को भी बरकरार रखा जा सकता है (27)। ऐसे में यह माना जा सकता है कि ठंड के मौसम में स्वस्थ रहने के साथ-साथ चमकती त्वचा पाने के लिए कपालभाति प्राणायाम करना फायदेमंद साबित हो सकता है।
कपालभाति प्राणायाम करने का तरीका :
- कपालभाति प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले एक शांत और साफ-सुथरी जगह का चुनाव कर लें।
- फिर वहां योग मैट बिछाकर पद्मासन, वज्रासन या सुखासन में से किसी भी एक मुद्रा में बैठ जाएं।
- इसके बाद अपनी कमर को सीधा करते हुए आंखों को बंद करें और उंगलियों को ज्ञान मुद्रा में रख लें। साथ ही मन को शांत करते हुए गहरी सांस भरें।
- अब अपने पेट को अंदर की ओर खींचते हुए सांस को नाक माध्यम से झटके से छोड़ें।
- इस प्रक्रिया को लगातार 15 से 20 बार लगातार और जल्दी-जल्दी करें। इस दौरान ध्यान रखें कि मुंह बंद रहे और सांस लेने और छोड़ने के लिए केवल नाक का ही इस्तेमाल करें।
- बता दें कि 15 से 20 बार करने पर कपालभाति का एक चक्र पूरा हो सकता है। ऐसा दो से तीन बार किया जा सकता है।
सावधानियां :
- अगर किसी को उच्च रक्तचाप की समस्या है, तो उन्हें कपालभाति प्राणायाम धीरे-धीरे करने की सलाह दी जाती है।
- वहीं, अगर किसी को नाक से खून आने की समस्या हो रही है, तो उन्हें इस प्राणायाम से परहेज करना चाहिए।
- इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को भी कपालभाति प्राणायाम से दूरी बनाए रखनी चाहिए।
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सर्दियों में योग करने के फायदे जानने के बाद कुछ सावधानियों के बारे में भी जान लीजिए।
सर्दियों में योग करते समय बरती जाने वाली सावधानियां – Precautions to be taken while doing Yoga during winter in Hindi
सर्दियों में करने वाले योगासान के बारे में तो आप जान ही चुके हैं। अब जरा इस दौरान बरते जाने वाली कुछ सावधानियों के बारे में भी जान लीजिए।
- खाना खाने के तुरंत बाद कभी भी योग न करें। कोशिश करें कि भोजन और योग के बीच कम से कम 4 घंटे का अंतराल हो। वहीं, योग पूरा करने के आधे घंटे बाद ही किसी चीज का सेवन करें।
- योगासन के दौरान सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया पर विशेष रूप से ध्यान दें।
- हमेशा आरामदायक कपड़े पहन कर ही योगाभ्यास करें।
- योग को हमेशा अपनी क्षमता के अनुसार ही करें। साथ ही उसके हर आसन को सही तरीके से करें।
- अगर पहली बार योगाभ्यास कर रहे हो, तो इसकी शुरुआत किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें।
- सर्दी के मौसम में योग के कुछ घंटे बाद हमेशा गुनगुने पानी का ही सेवन करें।
ठंड के मौसम में आलस को दूर रखने के लिए योग एक प्रभावी तरीका हो सकता है। यहां हमने सर्दियों के लिए योग करने के तरीकों को सरल शब्दों में बताया है। ऐसे में अब आप चाहें तो यहां बताए गए योग को अपने विंटर रूटीन में शामिल कर इसके लाभ उठा सकते हैं। वहीं, इसका अभ्यास करने से पहले इससे जुड़ी सावधानियों को पढ़ना न भूलें। सर्दियों में योग करने के फायदे को अन्य लोगों के साथ भी शेयर कर हर किसी को ये महत्वपूर्ण जानकारियां दें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या ठंड के मौसम में योग करना ठीक है?
हां, ठंड के मौसम में योग करना ठीक है। इससे शरीर में गर्मी पैदा हो सकती है और साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर हो सकती है (1)।
मुझे सर्दियों में योग के लिए कैसे कपड़े पहनने चाहिए?
सर्दियों में योग के लिए ढीले-ढाले कपड़े पहनने चाहिए। इससे योग करने में सुविधा होती है।
सर्दी में कौन सा प्राणायाम करना चाहिए?
सर्दियों के मौसम सूर्य नमस्कार, भस्त्रिका प्राणायाम, कपालभाति, कुर्मासन आदि योग करना चाहिए। लेख में ऊपर सर्दियों के लिए योग और उसे करने का तरीका विस्तार से बताया गया है (1)।
ठंड से राहत पाने के लिए कौन सा प्राणायाम उपयोगी है?
ठंड से राहत पाने के लिए भस्त्रिका प्राणायाम, कपालभाति, सूर्य नमस्कार आदि करना उपयोगी हो सकता है। ये योग शरीर में गर्माहट पैदा कर सकते हैं। इन सभी को करने की विधि जानने के लिए लेख के ऊपरी भाग में जाइए (1)।
संदर्भ
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- Role of Yoga in Purifying Body
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