भृंगराज के 10 फायदे और नुकसान – Bhringraj Benefits and Side Effects in Hindi

Medically reviewed by Neha Srivastava, MSc (Life Sciences) Neha Srivastava Neha SrivastavaMSc (Life Sciences)
Written by , MA (Journalism & Media Communication) Puja Kumari MA (Journalism & Media Communication)
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क्या आपको भी ऐसा ही लगता है कि भृंगराज सिर्फ बालों के लिए लाभदायक है? अगर ऐसा है, तो यह आर्टिकल आपकी इस सोच को पूरी तरह से बदल देगा। इस औषधीय जड़ी-बूटी के फायदे सिर्फ बालों को काला, लंबा और घना करने तक नहीं हैं, बल्कि यह कई शारीरिक समस्याओं में फायदेमंद है। अगर हम बात करें इस जड़ी-बूटी के गुणों की, तो इसकी जड़, तना, पत्तियां और फूल हर एक भाग स्वास्थ्य के लिहाज से उपयोगी है। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे भृंगराज के फायदे और नुकसान के बारे में। भृंगराज के सभी फायदों को विस्तार से जानने के लिए इस आर्टिकल को एक बार जरूर पढ़ें।

आर्टिकल की शुरुआत हम भृंगराज के परिचय के साथ करते हैं।

भृंगराज क्या है – What is Bhringraj in Hindi

भृंगराज एस्टेरेसी (Asteraceae) परिवार से संबंध रखने वाला एक पौधा है, जिसे फाल्स डेजी (False Daisy) के नाम से जाना जाता है। इसकी खेती भारत के अलावा चीन, थाईलैंड और ब्राजील में की जाती है। भारतीय आयुर्वेद में इसका अधिक महत्व है। इसकी जड़ों से लेकर तने, पत्तियां और फूल को औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीहिस्टामिनिक (एलर्जी को दूर करने वाला), हेपेटोप्रोटेक्टिव (लीवर को स्वस्थ रखना) और एक्सपेक्टोरेंट (कफ जैसी श्वांस की बीमारी को दूर करना) जैसे कई औषधीय गुण होते हैं। इसके अलावा, कई स्थानों पर इसका उपयोग सर्प दंश को ठीक करने के लिए किया जाता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकते हैं (1)।

भृंगराज के बारे में जानने के बाद, मानव स्वास्थ्य के लिए भृंगराज के फायदे के बारे में बात करते हैं।

भृंगराज के फायदे – Benefits of Bhringraj in Hindi

अगर यह कहा जाए कि भृंगराज कई औषधीय गुणों का खजाना है, तो गलत नहीं होगा। इसके प्रयोग से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को ठीक किया जा सकता है। आइए, भृंगराज के कुछ खास फायदों के बारे में विस्तार से बात करते हैं।

1. लीवर की समस्या (पीलिया) में भृंगराज तेल के फायदे

लीवर के विकार को आम भाषा में पीलिया कहा जाता है। इस चिकित्सकीय अवस्था में भृंगराज की पत्तियों और जड़ से निकले अर्क का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें वेडेलोलैक्टोन (wedelolactone), इरसोलिक (ursolic) और ओलिनोलिक एसिड (oleanolic acids) जैसे फाइटोकॉन्स्टिट्यूएंट्स (Phytoconstituents) औषधीय गुण मौजूद हाेते हैं, जाे हेपटोप्रोटेक्टिव (लीवर विकार को ठीक करने की क्षमता) के रूप में काम करते हैं। मौखिक रूप से लिया गया इसका अर्क एक टॉनिक के रूप में करता है (2)।

2. खांसी (कफ) की राेकथाम के लिए

भृंगराज के अर्क में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। इन गुणों के कारण यह खांसी का कारण बनने वाले कीटाणुओं को खत्म करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इतना ही नहीं, इस गुणों के कारण भृंगराज हानिकारक कीटाणुओं को पैदा होने से भी रोक सकता है। इस प्रकार भृंगराज के अर्क का सेवन आपको खांसी से राहत दिलाने में फायदेमंद हैं (31)।

3. दस्त के इलाज में कारगर

भृंगराज में एक गुण एंटीस्पास्मोडिक (antispasmodic) भी होता है। भृंगराज में पाया जाने वाला यह गुण दस्त को रोकने में कारगर हो सकता है (2)। एंटीस्पास्मोडिक मल को चिकना होने से रोकता है, जिस कारण दस्त से राहत मिल सकती है। साथ ही यह मांसपेशियों की सिकुड़न को भी कम करता है (4)।

4. बवासीर में भृंगराज तेल के फायदे

जैसे भृंगराज के तने और पत्तियों में कई बीमारियों को दूर करने के औषधीय गुण होते हैं, वैसे ही इसकी जड़ भी कई रोगों का उपचार करने में फायदेमंद है। इसकी जड़ के अर्क को प्रतिदिन दो बार गाय के दूध के साथ लेने पर बवासीर का उपचार करने में मदद मिल सकती है (2)। भृंगराज में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो प्रभावित क्षेत्र पर होने वाली सूजन को कम करते हैं। इससे मल को निकलने में आसानी होती है और धीरे-धीरे बवासीर की समस्या भी खत्म हो सकती है (1)।

5. पेट की समस्याओं के लिए

जैसा कि ऊपर लेख में हमने जिक्र किया है कि भृंगराज में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल गुण होता है, जिस कारण इससे पेट की कई समस्याओं को दूर करने में मदद मिल सकती है (2)। भृंगराज में पाया जाने वाला यह गुण आपके पेट में मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करके पेट के संक्रमण, अल्सर, जलन और बैक्टीरिया से होने वाली आंतों की समस्या को दूर करने में मदद कर सकता है (5) (6)।

6. आंखों की देखभाल के लिए

भृंगराज में कई एंटीबैक्टीरियल, एंटीडायबिटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं (2)। जहां एक ओर इसका एंटीबैक्टीरियल गुण आंखों को संक्रमण से बचाता है, वहीं इसका एंटीडायबिटिक गुण आंखों को मधुमेह से होने वाले खतरे से बचा सकता है। इसके अलावा, इसमें पाया जाने वाला एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण आंखों की सूजन को दूर कर आंखों को स्वस्थ करने में मदद कर सकता है (7)।

7. सांस की समस्या में फायदेमंद

भृंगराज में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण अस्थमा के दौरान होने वाली फेफड़ों की सूजन को दूर करने के साथ ही फेफड़ों को कई प्रकार से फायदा पहुंचाने में कारगर हो सकता है। इससे आपको सांस लेने में होने वाली तकलीफ में राहत मिल सकती है (2)।

8. बुखार को करे दूर

भृंगराज में एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो बुखार को दूर करने में कारगर हो सकते हैं (2)। इसकी मदद से मलेरिया, डेंगू व चिकनगुनिया को ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा, यह मच्छरों को पनपने से रोकने में भी कारगर हो सकता है (8)।

9. शरीर को ऊर्जावान करना

आयुर्वेद में भृंगराज का उपयोग औषधीय गुणों के कारण एनर्जी बूस्टर के रूप में किया जाता है। इसके उपयोग से उम्र के साथ खत्म होती ऊर्जा को फिर से वापस लाया जाता है। इसके अलावा, यह प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करके शरीर को रोगों से लड़ने के लिए तैयार करता है। साथ ही इसका उपयोग शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है (9)।

10. बालाें के लिए भृंगराज तेल के फायदे

भृंगराज को आयुर्वेद में परंपरागत रूप से बालों के विकास को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। भृंगराज को केशराज भी कहते हैं ,क्योंकि इसका तेल बालों के लिए विशेष रूप से लाभदायक होता है। भृंगराज के तेल में मौजूद मेथनॉल नामक पोषक तत्व बालों के विकास को आसान बनाने में मदद कर सकता है। इसके तेल से नियमित मालिश करने से स्कैल्प के रक्त संचार में सुधार होता है। तेल में मौजूद मेथनॉल नामक पोषक तत्व जब बालों की जड़ तक पहुंचता है, तो यह बालों को मजबूत करने के साथ ही गंजेपन को भी रोक सकता है (10)।

भृंगराज के फायदों को जानने के बाद अब हम बात करेंगे कि इसका उपयोग कैसे किया जा सकता है।

भृंगराज का उपयोग – How to Use Bhringraj in Hindi

आप भृंगराज का उपयोग कई प्रकार से कर सकते हैं, जैसे:

  • भृंगराज के अर्क को नारियल के तेल में मिलाकर सिर की मसाज के लिए उपयोग कर सकते हैं।
  • नहाने से पहले भृंगराज तेल की कुछ बूंदें शैम्पू में मिला देने से बालों को पर्याप्त रूप से पोषक तत्व मिल सकते हैं।
  • अगर आपको अनिद्रा की शिकायत है, तो बिस्तर पर जाने से पहले आप इसके तेल से अपनी स्कैल्प की मालिश करें। इससे आपको इनसोमनिया यानी नींद न आने की बीमारी से छुटकारा मिल सकता है (11)।
  • इसकी पत्तियों को अजवाइन के बीजों के साथ सेवन करने से पित्ताशय की समस्या का समाधान मिल सकता है (11)।
  • इसकी पत्तियों को सीसम या नारियल के तेल के साथ उबाल कर अर्क बना लें। अब इस अर्क का उपयोग बालों को काला करने के लिए किया जा सकता है (11)।
  • इसके अर्क में पाए जाने वाले एंटीवायरल गुणों के कारण इसका उपयोग रानीखेत नामक घातक बीमारी के उपचार के लिए किया जा सकता है। यह मुर्गियों से होने वाले सबसे गंभीर वायरस में से एक है (11)।
  • आप इसके चूर्ण और अर्क का उपयोग सीमित मात्रा में औषधि के रूप में कर सकते हैं, जो आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।

नोट : इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधि के रूप में भी किया जाता है, लेकिन कोई रोग होने पर मौखिक रूप से इसका सेवन डॉक्टर के परामर्श से ही करना बेहतर होगा।

भृंगराज के उपयोग के बाद जानते हैं इससे होने वाले नुकसान के बारे में।

भृंगराज के नुकसान – Side Effects of Bhringraj in Hindi

हालांकि, भृंगराज के कोई खास नुकसान नहीं हैं, लेकिन फिर भी इसके उपयोग में सावधानी बरतनी जरूरी है। जरा सी लापरवाही के कारण निम्नलिखित नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं:

  • इसके तेल की तासीर ठंडी होती है। इसलिए, अगर आपको सर्दी या जुकाम है, तो इससे सिर की मालिश न करें।
  • जिन लोगों को लो शुगर की समस्या है, उन्हें इसके सेवन से परहेज करना चाहिए, क्योंकि इसमें मौजूद गुण रक्त में मौजूद ग्लूकोज के स्तर को कम कर देता है (2)।
  • कब्ज की समस्या वालों को इससे दूर रहना चाहिए, क्योंकि इसमें मौजूद एंटीस्पास्मोडिक (antispasmodic) मल को चिकना होने से रोकता है। यह कब्ज में हानिकारक हो सकता है (2)।

अब तो आप समझ ही गए होंगे कि भृंगराज सिर्फ बालों के लिए नहीं, बल्कि कई समस्याओं में गुणकारी है। इसलिए, अगली बार इस तेल का इस्तेमाल करें, तो इसके अन्य फायदों को भी जरूर याद कर लें। साथ ही इसे उपयोग करते समय इसके अनुमानित दुष्प्रभावों को भी अपने दिमाग में रखें, ताकि आपको पूरी तरह से इसका फायदा मिल सके। आप भृंगराज का उपयोग कर उसके फायदों से जुड़ा यह लेख अन्य लोगों के साथ जरूर साझा करें और हर किसी को इस गुणकारी औषधि के बारे में जानकारी दें।

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References

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    1. EVALUATION OF ANTIDEPRESSANT ACTIVITY OF ECLIPTA ALBA USING ANIMAL MODELS
      http://citeseerx.ist.psu.edu/viewdoc/download?doi=10.1.1.865.8506&rep=rep1&type=pdf
    2. Ethnopharmacological Significance of Eclipta alba (L.) Hassk. (Asteraceae)
      https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4897414/
    3. Ethnopharmacological uses, phytochemistry, biological activities, and biotechnological applications of Eclipta prostrata
      https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/28623383/
    4. Pharmacologic Agents for Chronic Diarrhea
      https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4641856/
    5. Antibiotic therapy for abdominal infection
      https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/9451930/
    6. Antioxidant Supplements and Gastrointestinal Diseases: A Critical Appraisal
      https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5588418/
    7. Anthocyanins and anthocyanin-rich extracts: role in diabetes and eye function
      http://apjcn.nhri.org.tw/server/apjcn/16/2/200.pdf
    8. Adulticidal and repellent properties of indigenous plant extracts against Culex quinquefasciatus and Aedes aegypti (Diptera: Culicidae)
      https://pubag.nal.usda.gov/catalog/400595
    9. Influence of medicinal herbs (Alteranthera sessilis, Eclipta alba and Cissus quadrangularis) on growth and biochemical parameters of the freshwater prawn Macrobrachium rosenbergii
      https://pubag.nal.usda.gov/catalog/375706
    10. Eclipta alba extract with potential for hair growth promoting activity
      https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/19481595/
    11. Isolation and Characterization of New Lanosteriod from Ethanolic Extract of Eclipta alba Linn.
      https://www.academia.edu/20740579/Isolation_and_Characterization_of_New_Lanosteriod_from_Ethanolic_Extract_of_Eclipta_alba_Linn
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