Written by , (शिक्षा- एमए इन मास कम्युनिकेशन)

स्वस्थ शरीर का मतलब सिर्फ रोग मुक्त शरीर नहीं होता। इसके साथ संतुलित भोजन, उचित वजन और सही मानसिक नियंत्रण भी जरूरी है। इन सभी के लिए वैकल्पिक रूप से योग मददगार साबित हो सकता है। योग न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से व्यक्ति को स्वस्थ रखने में सहायक हो सकता है। वैसे तो योग में असंख्य आसनों के बारे में बताया गया है, लेकिन स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम भुजंगासन के स्वास्थ्य लाभों के विषय में बताने जा रहे हैं। हमारे साथ जानिए शरीर के लिए भुजंगासन के फायदे और भुजंगासन कैसे करते हैं। साथ ही आप इस लेख में भुजंगासन से जुड़ी सावधानियां व अन्य जरूरी जानकारी भी जान पाएंगे।

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तो आइए, सबसे पहले भुजंगासन क्या है, यह समझ लेते हैं।

भुजंगासन क्या है – What is Bhujangasana in Hindi

भुजंगासन एक ऐसा योगासन है, जो दो शब्दों को मिलाकर बना है। एक भुजंग अर्थात सांप और दूसरा आसन। अंग्रेजी में भुजंगासन को कोबरा पोज कहा जाता है, क्योंकि इसे करते समय शरीर की आकृति कुछ सांप जैसी हो जाती है। स्वास्थ्य के लिए इस योगासन के कई फायदे हैं, इस वजह से सूर्य नमस्कार में भी इसे शामिल किया गया है। आगे इस लेख में इस आसन को करने के लाभ बताए गए हैं। उससे पहले जरूरी है कि यहां हम भुजंगासन की समय सीमा और इसे करने के पीछे के विज्ञान को थोड़ा समझ लें, जो कुछ इस प्रकार है:

भुजंगासन की समय सीमा : शुरुआती दौर में भुजंगासन योगा की मुद्रा में करीब 30 सेकंड के लिए रहने की सलाह दी जाती है। वहीं, कुछ समय के अभ्यास के बाद इस समय सीमा को धीरे-धीरे बढ़कर एक मिनट तक किया जा सकता है (1)।

भुजंगासन के पीछे का विज्ञान : भुजंगासन के पीछे के विज्ञान की बात करें, तो इस आसन का मुख्य प्रभाव पेट की मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी पर सीधे-सीधे पड़ता है। यही कारण है कि इस आसन को पेट की मांसपेशियों को सक्रिय करने और रीढ़ की हड्डी को मजबूती प्रदान करने के लिए जाना जाता है। इसके साथ ही यह रक्त संचार को सुधारने में भी सहायक हो सकता है (2)। इसके अलावा भी भुजंगासन के फायदे कई हैं, जिनके बारे में हम आपको लेख में आगे विस्तार से बताएंगे।

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लेख के अगले भाग में अब हम भुजंगासन के फायदे समझने का प्रयास करेंगे।

भुजंगासन करने के 10 फायदे – 10 Bhujangasana Benefits In Hindi

कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं में भुजंगासन करने के फायदे हासिल किए जा सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं :

1. बढ़े हुए पेट को कम करने में कारगर

एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन) द्वारा प्रकाशित एक शोध में कई प्रकार के योगासन के बारे में बताया गया है, जो महिलाओं में पेट के मोटापे (Abdominal Weight) को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इन योगासनों में भुजंगासन का भी शामिल किया गया (3)। इसके अलावा, भुजंगासन से संबंधित एक शोध में सीधे तौर पर माना गया है कि यह आसन पेट की मांसपेशियों में खिंचाव पैदा करता है, जिससे बढ़े हुए पेट को कम करने में मदद मिल सकती है (2)। इस आधार पर भुजंगासन को पेट की चर्बी को कम करने में सहायक माना जा सकता है।

2. फेफड़ों को मजबूत करे

फेफड़ों के स्वास्थ्य को बनाए रखने और उन्हें मजबूती प्रदान करने के मामले में भी भुजंगासन के लाभ सहायक हो सकते हैं। गंभीर फेफड़ों से जुड़े रोग और योग से संबंधित एनसीबीआई के एक शोध में इस बात को माना गया है। शोध में कई योगासनों का जिक्र है, जो फेफड़ों से संबंधित समस्याओं में राहत पहुंचा सकते हैं। इन आसनों में भुजंगासन का नाम भी शामिल है। इस आसन में सांस लेने की प्रक्रिया का अभ्यास फेफड़ों को मजबूती प्रदान करने में मदद कर सकता है (4)। इस आधार पर फेफड़ों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी भुजंगासन को सहायक माना जा सकता है।

3. कंधे और गर्दन के तनाव को दूर करे

इंडियन जर्नल ऑफ पैलिएटिव केयर के एक शोध के मुताबिक भुजंगासन एक स्ट्रेचिंग आसन है, जो शरीर में खिंचाव पैदा करता है। वहीं, इस शोध में यह भी माना गया है कि खिंचाव पैदा करने वाले आसन कंधे, पीठ और गर्दन के साथ-साथ पूरे शरीर को आराम पहुंचाने में मदद कर सकते हैं (5)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि कंधे और गर्दन के तनाव को दूर करने के लिए भुजंगासन योग के फायदे सहायक साबित हो सकते हैं।

4. रीढ़ को मजबूत और लचीला बनाए

लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि भुजंगासन एक ऐसा योगासन है, जिसका प्रभाव मुख्य रूप से रीढ़ पर पड़ता है (2)। इस कारण यह रीढ़ को मजबूती प्रदान करने में मदद कर सकता है। वहीं, एक अन्य शोध में इसे रीढ़ को लचीला बनाने के लिए उपयोगी बताया गया है (6)। इन तथ्यों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि भुजंगासन के लाभ से रीढ़ को मजबूत और लचीला बनाया जा सकता है।

5. कूल्हों की मांसपेशियों को मजबूत करे

कूल्हों की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए भी भुजंगासन का अभ्यास किया जा सकता है। हालांकि, इस संबंध में कोई स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं है, लेकिन भुजंगासन के एक शोध से इस बात का कुछ-कुछ इशारा जरूर मिलता है। शोध में जिक्र मिलता है कि भुजंगासन के अभ्यास के दौरान कूल्हों की मांसपेशियों का भी इस्तेमाल होता है और उनमें खिंचाव पैदा होता है। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि भुजंगासन कुछ हद तक कूल्हों की मांसपेशियों को मजबूती देने का कम कर सकता है। इसके अलावा, यह भी माना गया है कि कूल्हों की मांसपेशियों में दर्द की स्थिति में इस आसन को करना संभव नहीं है (7)।

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6. लिवर और किडनी के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी

लिवर और किडनी के स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी भुजंगासन के लाभ अहम भूमिका निभा सकते हैं। दरअसल, शरीर में उपापचय (Metabolism) संबंधी गड़बड़ी किडनी विकार और फैटी लिवर की समस्या का कारण बन सकती है। वहीं, भुजंगासन उपापचय की बिगड़ी स्थिति को सुधारने में मदद कर सकता है (8)। वहीं एक अन्य शोध में माना गया है कि भुजंगासन शरीर में रक्त संचार को बढ़ाकर कई अंगों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है, जिनमें किडनी और लिवर भी शामिल हैं (2)। इस आधार पर भुजंगासन को किडनी और लिवर के स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी प्रभावी माना जा सकता है।

7. उपापचय प्रक्रिया को नियंत्रित करे

लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि भुजंगासन उपापचय (Metabolism) की बिगड़ी स्थिति को सुधारने में मदद कर सकता है (8)। वहीं, एनसीबीआई के एक शोध में भी कई योगासनों को उपापचय संबंधी विकार को ठीक करने में उपयोगी बताया गया है, जिनमें भुजंगासन भी शामिल है (9)। इस आधार पर बिगड़ी उपापचय प्रक्रिया को नियंत्रित करने में भुजंगासन को लाभकारी माना जा सकता है।

8. वजन को संतुलित रखे

लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि भुजंगासन के अभ्यास से पेट की मांसपेशियों में खिंचाव पैदा होता है। इससे बढ़े हुए पेट को कम करने में मदद मिल सकती है (2)। वहीं, संपूर्ण शारीरिक वजन को नियंत्रित करने से संबंधित एक शोध में भी इसे शारीरिक वजन को सुधारने वाले योगासनों की लिस्ट में शामिल किया गया है (10)। इस आधार पर शारीरिक वजन कम करने के उपाय में भी भुजंगासन को सहायक माना जा सकता है।

9. तनाव से मुक्ति दिलाए

तनाव शारीरिक हो या फिर मानसिक, दोनों ही स्थितियों में भुजंगासन का अभ्यास लाभकारी सिद्ध हो सकता है। भुजंगासन करने के फायदे से संबंधित एक शोध में इस बात को साफ तौर पर स्वीकार किया गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि भुजंगासन चिंता के कुछ सामान्य लक्षणों जैसे :- थकान, कमजोरी और सिर दर्द को दूर करने में मदद कर सकता है (2)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि चिंता की समस्या से राहत पाने के लिए भी भुजंगासन का सहारा लिया जा सकता है।

10. साइटिका और अस्थमा में लाभकारी

साइटिका की समस्या और अस्थमा की समस्या से राहत पाने के लिए भी भुजंगासन को अभ्यास में लाया जा सकता है। भुजंगासन से संबंधित एक शोध में इस बात को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है। शोध में माना गया है कि यह आसन साइटिका के दर्द में आराम पहुंचा सकता है। साथ ही इस बात का भी जिक्र मिलता है कि यह अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है। हालांकि, शोध में इस बात का भी स्पष्ट जिक्र है कि गंभीर अस्थमा रोगियों को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए (2)।

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आगे अब हम भुजंगासन करने का तरीका समझाएंगे।

भुजंगासन करने का तरीका – Steps to do Bhujangasana (Cobra Pose) in Hindi

निम्न बिंदुओं के माध्यम से भुजंगासन को करने का तरीका समझा जा सकता है।

  • सबसे पहले योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं, हाथों को सिर के दोनों तरफ रखें और माथे को जमीन से टिकाएं।
  • इस दौरान अपने पैरों को तना हुआ और इनके बीच थोड़ी दूरी रखें।
  • अब अपनी हथेलियों को अपने कंधों के बराबर में लाएं। फिर लंबी गहरी सांस भरते हुए हाथों से जमीन की ओर दबाव डालते हुए, नाभि तक शरीर को ऊपर उठाने का प्रयास करें।
  • आपको सबसे पहले मस्तक, फिर छाती और आखिर में नाभि वाले हिस्से को ऊपर उठाना होगा।
  • इस पोजीशन में रहकर आसमान की ओर देखने की कोशिश करें और इस पोजीशन में कुछ देर ठहरें।
  • इस दौरान अपने शरीर का भार दोनों हाथों पर बराबर बनाएं रखें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
  • अब धीरे-धीरे सांस को छोड़ते हुए अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
  • इस तरह आप इस योग का एक चक्र पूरा करेंगे।
  • आप अपनी क्षमतानुसार इस योग के तीन से पांच चक्र पूरे कर सकते हैं।

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भुजंगासन कैसे किया जाता है, बताने के बाद हम भुजंगासन करने वालों के लिए कुछ जरूरी टिप्स देंगे।

शुरुआती लोगों के लिए भुजंगासन करने की टिप – Beginner’s Tip to do Cobra Pose in Hindi

अगर किसी ने पहले कभी भुजंगासन नहीं किया है, तो भुजंगासन करने का तरीका जानने के साथ इससे जुड़ी कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है, जैसे (2) :

  • अभ्यास में अपने सिर को उठाने से पूर्व अपने दोनों हाथों की सही स्थिति को बनाने का प्रयास करें। अभ्यास के दौरान दोनों हाथ छाती से ऊपर और कंधों के ठीक नीचे होने चाहिए।
  • इस आसन को करते वक्त अपने हाथों को तानकर कोहनियों को लॉक न करें, बल्कि कोहनियों को हल्का सा मुड़ा रहने दें।
  • सिर को ऊपर उठाते वक्त गर्दन पर झटका न दें, बल्कि उसे धीरे से ऊपर की और उठाने का प्रयास करें।
  • अपने सिर को ऊपर उठाते वक्त इस बात का भी ध्यान रखें कि रीढ़ के निचले हिस्से पर अधिक तनाव न आए।
  • आप जब इस आसन में हों, तो प्रयास करें कि अपने नितम्बों को भीतर की और बिलकुल न दबाएं। अपने शरीर को ढीला रखें और आराम की स्थिति में बने रहने का प्रयास करें।
  • इस आसन के दौरान अपने दोनों पैरों के मध्य थोड़ी दूरी जरूर बनाए रखें, ताकि रीढ़ के निचले हिस्से पर अधिक जोर न आए।
  • अभ्यास के दौरान अपने अगले धड़ को ऊपर उठाने के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि अंतिम स्थिति में आने के बाद शरीर के भार को हाथों या पैरों पर न आने दें। इस स्थिति को बनाए रखने के लिए कूल्हों की मांसपेशियों का इस्तेमाल करें।

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प्रारंभिक लोगों के लिए टिप्स के बाद हम भेक भुजंगासन के बारे में जानने का प्रयास करेंगे।

एडवांस लेवल मुद्रा : भेक भुजंगासन (Bheka Bhujangasana)

भेक भुजंगासन में सामान्य भुजंगासन की स्थिति के बाद टांगों को घुटनों से मोड़ना होता है और साथ ही पैरों को पालथी मारने की स्थिति में जांघों के नीचे रखना होता है। इस आसान को करने की सलाह केवल अनुभवी योगियों को ही दी जाती है।

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आगे हम भुजंगासन से जुड़ी कुछ सावधानियों को समझने का प्रयास करेंगे।

भुजंगासन के लिए कुछ सावधानियां – Precautions for Bhujangasana (Cobra Pose) In Hindi

भुजंगासन योगा को नीचे बताई गई परिस्थितियों में नहीं किया जाना चाहिए (11):

  • गर्भावस्था के दौरान।
  • माहवारी के दौरान।
  • कार्पल टनल सिंड्रोम के दौरान (इसमें हाथ-बांह में दर्द, इनका सुन्न पड़ना या इनमें झुनझुनी होती है)।
  • जोड़ों के दर्द।
  • कलाइयों या पसलियों में फ्रैक्चर की स्थिति में।

दोस्तों, हम आशा करते हैं कि आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि भुजंगासन योगा करने से आपको किस तरह के फायदे मिल सकते हैं। भुजंगासन के लाभ को और प्रभावी बनाने के लिए हम यह सलाह देंगे कि इसे अकेले करने की जगह सूर्य-नमस्कार के साथ करें। साथ ही भुजंगासन करने के फायदे सही प्रकार से लेने के लिए लेख में बताया गया भुजंगासन करने का तरीका और इससे जुड़ी सावधानियों को ठीक से पढ़ लें। आपको बता दें कि भुजंगासन लेख में बताई गई किसी भी बीमारी का पूर्ण इलाज नहीं है। यह इनके प्रभाव व लक्षणों को कम करने में एक सहायक की भूमिका जरूर निभा सकता है। वहीं, अगर कोई बीमारी नहीं है, तो स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। ऐसे ही अन्य विषयों के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें स्टाइलक्रेज।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:

भुजंगासन करने से पूर्व कौन सा आसन करें?

सूर्य नमस्कार में भुजंगासन से पूर्व प्रणामआसन, हस्तउतान्नासन, पादहस्तासन, अश्वसंचालासन, पर्वतासन और अष्टांग नमस्कार किया जाता है (12)। इस आधार पर कहा जा सकता है कि सूर्य नमस्कार के साथ भुजंगासना किया जाता है, तो चरण अनुसार इससे पहले आने वाले सभी आसनों को करना चाहिए।

भुजंगासन को करने के बाद कौन से आसन करने चाहिए?

सूर्य नमस्कार में भुजंगासन आखिरी आसन है। इस आसन पर सूर्य नमस्कार का आधा चक्र पूरा होता है। इसलिए सूर्य नमस्कार में शामिल सभी आसनों को नीचे से ऊपर के क्रम में भुजंगासन के बाद करने की सलाह दी जाती है। इसमें भुजंगासन के बाद पर्वतासन, अश्वसंचालासन, पादहस्तासन, हस्तउतान्नासन और फिर प्रणामआसन किया जाना चाहिए।

भुजंगासन और ऊर्ध्वमुख श्वानासन में क्या अंतर है?

इन दोनों आसनों में मुख्य अंतर यह है कि ऊर्ध्वमुख श्वानासन में पैर और पेल्विस भाग जमीन से ऊपर रहता है। वहीं, भुजंगासन में पैर और पेल्विस भाग के साथ ही पसलियों का निचला हिस्सा जमीन से सटा हुआ रहता है।

क्या भुजंगासन बैक बेंड (रीढ़ पर विपरीत तनाव) देने वाला आसन है?

हां, भुजंगासन एक बैक बेंड देने वाला आसन है।

सलंब भुजंगासन और भुजंगासन में क्या अंतर है?

इन दोनों आसन में मुख्य अंतर यह है कि सलंब भुजंगासन में रीढ़ को पीछे की ओर अधिक मोड़ने का प्रयास नहीं किया जाता है। वहीं, भुजंगासन में अभ्यास-कर्ता कोबरा के फन फैलाने की आकृति में खुद को लाने का अधिक प्रयास करता है, जिसमें रीढ़ को पीछे की ओर ले जाने का अधिक से अधिक प्रयास किया जाता है।

References

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  1. EFFECT OF YOGA ON BIO- MARKERS LINKED WITH DEVELOPMENT OF DIABETES COMPLICATIONS IN TYPE 2 DIABETES PATIENTS: A PRELIMINARY STUDY
    http://citeseerx.ist.psu.edu/viewdoc/download?doi=10.1.1.1071.8266&rep=rep1&type=pdf
  2. Importance of Bhujangasana in Daily Life
    https://www.ijtsrd.com/papers/ijtsrd29662.pdf
  3. Yoga in Women With Abdominal Obesity— a Randomized Controlled Trial
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5098025/
  4. Yoga-based pulmonary rehabilitation for the management of dyspnea in coal miners with chronic obstructive pulmonary disease: A randomized controlled trial
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5052394/
  5. Perspectives on Yoga Inputs in the Management of Chronic Pain
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2936076/
  6. Physical and Physiological Effects of Yoga for an Underserved Population with Chronic Low Back Pain
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6746048/
  7. An Anatomical Insight into the Biomechanics of Cobra Posture
    http://ijhbr.com/pdf/61-66.pdf
  8. A REVIEW ON YOGASANA WITH SPECIAL REFERENCE TO METABOLIC SYNDROME
    https://www.academia.edu/36958377/A_REVIEW_ON_YOGASANA_WITH_SPECIAL_REFERENCE_TO_METABOLIC_SYNDROME
  9. Effects of a 12-Week Hatha Yoga Intervention on Metabolic Risk and Quality of Life in Hong Kong Chinese Adults with and without Metabolic Syndrome
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4482438/
  10. Yoga Practice Improves the Body Mass Index and Blood Pressure: A Randomized Controlled Trial
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5433109/
  11. The Impact of Stress Management among Dental Professionals
    https://www.academia.edu/37225968/The_Impact_of_Stress_Management_among_Dental_Professionals
  12. SURYA NAMASKAR (SUN SALUTATION) AND NAMAZ (PRAYER) -SAFE AND EFFECTIVE PHYSICAL ACTIVITIES FOR PERSONS WITH VISUAL IMPAIRMENT
    https://www.academia.edu/34144460/SURYA_NAMASKAR_SUN_SALUTATION_AND_NAMAZ_PRAYER_SAFE_AND_EFFECTIVE_PHYSICAL_ACTIVITIES_FOR_PERSONS_WITH_VISUAL_IMPAIRMENT
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