Medically Reviewed By Dt. Arpita Jain, MSc (Clinical Nutrition & Dietitics)
Written by , (शिक्षा- एमए इन जर्नलिज्म मीडिया कम्युनिकेशन)

दालचीनी लगभग हर भारतीय रसोई में आसानी से मिल जाती है। यह एक ऐसा मसाला है, जिसका इस्तेमाल खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए ही नहीं, बल्कि एक औषधि की तरह भी किया जाता है। इसी वजह से स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम दालचीनी के फायदे और नुकसान विस्तार से बता रहे हैं। यहां हम विभिन्न वैज्ञानिक शोध के आधार पर बताएंगे कि किस तरह से दालचीनी व्यक्ति को स्वस्थ रखने और बीमारियों से बचाए रखने में मदद कर सकती है। बस ध्यान दें कि दालचीनी किसी बीमारी का इलाज नहीं है। हां, यह रोग से बचने और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद जरूर कर सकती है। दालचीनी के औषधीय उपयोग और दालचीनी खाने के फायदे के बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़ते रहें यह लेख।

पढ़ते रहें आर्टिकल

चलिए, सबसे पहले यह जान लेते हैं कि दालचीनी कितने प्रकार की होती है। इसके बाद दालचीनी के गुण के बारे में जानेंगे।

दालचीनी कितने प्रकार की होती हैं? और कौन-सी सबसे अच्छी है?

दालचीनी सामान्य तौर पर चार प्रकार की होती है, जिनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं (1):

  •     ट्रू दालचीनी व सीलोन दालचीनी या मैक्सिकन दालचीनी (Cinnamomum Zeylanicum)
  •     इंडोनेशियन दालचीनी (Cinnamomum Burmanni)
  •     वियतनामिज दालचीनी (Cinnamomum Loureiroi)
  •     कैसिया दालचीनी या चाइनीज दालचीनी (Cinnamomum Aromaticum)

सीलोन दालचीनी (Ceylon cinnamon) को सबसे अच्छा माना जाता है। महंगी होने के बावजूद लोग इस दालचीनी को इसके स्वाद और गुणों के लिए खरीदना पसंद करते हैं।

बने रहें हमारे साथ

आगे हम बता रहे हैं दालचीनी के घरेलू उपाय क्या-क्या हैं और दालचीनी खाने के फायदे क्या हो सकते हैं।

दालचीनी के फायदे – Benefits of Cinnamon in Hindi

1. एंटी-ऑक्सीडेंट

दालचीनी एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है। पशु पर किए गए एक शोध में भी यह स्पष्ट हुआ है (2)। दरअसल, दालचीनी में प्रोसानिडिन्स (केमिकल कंपाउंड) होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि को प्रदर्शित करता है (3)।  एक अध्ययन के दौरान जब 26 मसालों के एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि की तुलना की गई तो दालचीनी को शानदार पाया गया (4)

2. एंटी-इंफ्लामेटरी गतिविधियां

औषधीय पौधों पर किए गये अध्ययन के दौरान दालचीनी में एंटी-इंफ्लामेटरी प्रभाव होने की भी पुष्टि हुई है। कई शोध बताते हैं कि दालचीनी और इसके तेल, दोनों में ही यह प्रभाव पाए जाते हैं। रिसर्च के मुताबिक इसमें कई फ्लेवोनोइड यौगिक होते हैं, जो एंटी-इंफ्लामेटरी गतिविधियों को प्रदर्शित करते हैं (3)। गौर हो कि यह गुण शरीर से जुड़ी सूजन की समस्या को कम करने में मदद कर सकते हैं। शोध बताते हैं कि दालचीनी के पानी का अर्क भी एंटी-इंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर होता है (1)

3. डायबिटीज और ब्लड शुगर

दालचीनी खाने के फायदे में डायबिटीज को नियंत्रित करना भी शामिल हो सकता है। मधुमेह के मरीज अगर दालचीनी को आहार में शामिल करें, तो मधुमेह को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। दरअसल, इसमें एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते हैं (5)। इसके अलावा, एक अन्य शोध में बताया गया है कि दालचीनी में मौजूद पॉलीफेनॉल्स सीरम ग्लूकोज और इंसुलिन को कम करके डायबिटीज के खतरे से बचाव कर सकते हैं (6)

4. हृदय स्वास्थ्य के लिए दालचीनी के फायदे

दालचीनी डायबिटीज के साथ ही हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करके हृदय को स्वस्थ रखने का काम कर सकती है (5)।  एनसीबीआई के एक शोध में कहा गया है कि एक, तीन और छह ग्राम दालचीनी का सेवन करने वालों में एलडीएल, सीरम ग्लूकोज, ट्राइग्लिसराइड (रक्त में मौजूद एक तरह का फैट) और टोटल कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करके हृदय संबंधी रोगों से बचने में मदद मिल सकती है (7)। एक पशु अध्ययन के मुताबिक कैसिया दालचीनी में मौजूद घटक सिनामलडिहाइड (Cinnamaldehyde) और सिनामिक एसिड कार्डियो प्रोटेक्टिव गुण को प्रदर्शित करते हैं (1)। इसी वजह से दालचीनी को हृदय रोग से बचाव के लिए अहम माना जाता है।

5. कैंसर

दालचीनी, कैंसर की कोशिकाओं के विकास को कम करने और उसे फैलने से रोक सकती है। चूहों पर किए गए एक अध्ययन में बताया गया है कि इसमें कीमोप्रेंटिव गुण होते हैं। शोध के अनुसार दालचीनी में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एपोप्टोसिस-इंडयूसिंग (कोशिकाओं को खत्म करने वाली) गतिविधि, एंटी-प्रोलिफेरेटिव (कोशिकाओं को बढ़ने से रोकना वाला) प्रभाव मिलकर कीमोप्रेंटिव एजेंट की तरह काम करते हैं। यह सभी मिलकर कैंसर सेल्स के बनने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करके उन्हें बढ़ने और बनने से रोक सकते हैं (8)

इसके अलावा, दालचीनी अन्य कैंसर के लक्षण को भी कम करने में मदद कर सकता है। एक अन्य शोध में पाया गया है कि इसमें एंटी कैंसर गुण मौजूद होते हैं। रिसर्च में जिक्र है कि दालचीनी मेलेनोमा कैंसर (त्वचा का कैंसर) के खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर सकती है (9)। पाठक ध्यान दें कि दालचीनी, किसी भी तरीके से कैंसर का इलाज नहीं है। अगर कोई इस बीमारी से पीड़ित है तो उसे जल्द से जल्द डॉक्टरी उपचार करवाना चाहिए।

पढ़ते रहें

6. पेट और पाचन

दालचीनी खाने के फायदे में पाचन और पेट स्वास्थ्य भी शामिल है। प्राचीन काल से ही दालचीनी का इस्तेमाल पाचन संबंधी परेशानी को दूर करने के लिए किया जाता रहा है। इसमें एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो पाचन तंत्र व पेट में संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया से लड़ने का काम कर सकते हैं। यह गुण खाद्य पदार्थों में लिस्टेरिया और एस्चेरिचिया कोली (Escherichia Coli) जैसे बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकता है। ये बैक्टीरिया खाने के माध्यम से पेट में पहुंच कर समस्या पैदा कर सकते हैं। साथ ही दालचीनी का तेल कैंडीडा इंफेक्शन से भी बचाव कर सकता है (1) (10)। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।

7. मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए दालचीनी के फायदे

दालचीनी के घरेलू उपाय को मस्तिष्क के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है। यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके मस्तिष्क को स्वस्थ बनाने का काम कर सकती है (11)। न्यूरोइम्यून फार्माकोलॉजी जर्नल में 24 जून 2016 को ऑनलाइन प्रकाशित चूहों पर किए गए शोध के मुताबिक दालचीनी का सेवन याददाश्त को बढ़ा सकता है। साथ ही इससे जल्दी सीखने की क्षमता में भी वृद्धि भी हो सकती है। रिसर्च की मानें तो यह दालचीनी का सेवन करने से उत्पादित होने वाले सोडिम बेंजोएट की वजह से हो सकता है (12)

वहीं, दालचीनी में फाइटोकेमिकल्स भी होते हैं, जो ग्लूकोज का उपयोग करने की दिमाग की क्षमता को बढ़ाते हैं। यह अल्जाइमर रोग की वजह से दिमाग में होने वाले परिवर्तन को भी नियंत्रित कर सकता है (1) इसके अलावा, दालचीनी, पार्किंसंस रोग के जोखिम से बचाव में कुछ हद तक मददगार हो सकता है (13)  गौर हो कि अल्जाइमर रोग में याददाश्त कमजोर हो जाती है और पार्किंसंस में शरीर के अंगों में कंपन शुरू हो जाता है।

8. ओरल हेल्थ

एक अध्ययन में कहा गया है कि दालचीनी से निकाले जाने वाला तेल, स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स नामक बैक्टीरिया की गतिविधि को रोकने का काम कर सकता है। यह बैक्टीरिया कैविटी के लिए जिम्मेदार होते हैं। वहीं, इसका इस्तेमाल दांतों पर बुरा प्रभाव भी डाल सकता है, इसलिए इसका इस्तेमाल सही तरीके से किया जाना चाहिए (14)

दालचीनी ओरोफेशियल कंडीशन को भी नियंत्रित कर सकती है। यह एक ऐसा दर्द होता है, जो मुंह, जबड़ा और चेहरे को प्रभावित करता है (15)। इसके अलावा, दालचीनी के तेल में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण भी मुंह को बैक्टीरिया से बचाने का काम कर सकते हैं (16)

9. ब्रोंकाइटिस (Bronchitis)

ब्रोंकाइटिस, श्वसन संबंधी एक परेशानी है। ब्रोंकाइटिस रोग के दौरान फेफड़ों के अंदर मौजूद सांस नली में सूजन और इंफेक्शन हो जाता है। इस बीमारी में सांस लेने में तकलीफ और सीने में जलन जैसी समस्याएं होती हैं। इस परेशानी से बचने के लिए भी दालचीनी का उपयोग किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद एक शोध में बताया गया है कि यह श्वसन तंत्र के रोग के लक्षण को कुछ हद तक कम कर सकती है।

रिसर्च में बताया गया है कि एस. निमोनिया और एम. कैटरर्हालिस बैक्टीरिया मिलकर क्रोनिक ब्रोंकाइटिस को पैदा करते हैं। इन बैक्टीरिया के प्रभाव को दालचीनी में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण कम करने में मदद कर सकता है। दालचीनी के तेल और इसकी भाप, दोनों ही इन बैक्टीरिया से लड़ने में असरदार पाए गए हैं। इसी वजह से कहा जा सकता है कि ब्रोंकाइटिस से बचाव में दालचीनी मददगार हो सकती है (17)

10. एचआईवी

एचआईवी जैसी बीमारी के लिए किसी भी तरह की घरेलू दवा पर निर्भर रहना सही नहीं है। किसी भी व्यक्ति को एचआईवी से संक्रमित होते ही तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। अगर एचआईवी और दालचीनी को लेकर शोध की बात करें, तो एनसीबीआई में इससे संबंधित शोध मौजूद हैं। रिसर्च में कहा गया है कि दालचीनी में मौजूद प्रोजेनिडिन पॉलीफेनोल एंटी-एचआईवी -1 गतिविधि प्रदर्शित करता है (18)

11. वजन नियंत्रण के लिए दालचीनी के फायदे

माना जाता है कि दालचीनी के लाभ में वजन नियंत्रण भी शामिल है। आजकल बढ़ता वजन या मोटापा लगभग हर दूसरे-तीसरे व्यक्ति के लिए चिंता का विषय बन गया है। ऐसे में अगर खाने में दालचीनी का सेवन किया जाए, तो कुछ हद एक यह समस्या कम हो सकती है। दालचीनी में मौजूद पॉलीफेनॉल्स (Polyphenols), एक प्रकार का एंटी-ऑक्सीडेंट है, जो इंसुलिन की संवेदनशीलता को बेहतर कर सकता है। इंसुलिन खून में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है, लेकिन जब शरीर सही मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता, तो ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है।

इसके परिणामस्वरूप मोटापा, डायबिटीज और अन्य कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। एक शोध के मुताबिक, जिन महिलाओं में पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि रोग (Polycystic Ovarian Disease) हैं, उनके लिए दालचीनी इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) को कम कर वजन को नियंत्रित कर सकती है (19)। इसके अलावा, दालचीनी का एंटी-ओबेसिटी प्रभाव और इसमें मौजूद कई अन्य तत्व मोटापे को कम कर सकते हैं (20)

12. फंगल इंफेक्शन

दालचीनी के फायदे में फंगल इंफेक्शन को कम करना भी शामिल है। दरअसल, दालचीनी में एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो फंगल संक्रमण से शरीर को बचाने व इससे संबंधित लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं (21)दालचीनी के तेल में पाया जाना वाला एंटी-फंगल प्रभाव कैंडिडा अल्बिकन्स, कैंडिडा ट्रॉपिकल और कैंडिडा क्रूसि से लड़ने में मदद कर सकता है (22)

13. त्वचा स्वास्थ्य

दालचीनी के लाभ में त्वचा स्वास्थ्य भी शामिल है। एक शोध में इस बात का जिक्र है कि दालचीनी में मौजूद एंटी-इंफ्लामेटरी गुण चर्म रोग से व्यक्ति को बचा सकता है (23)। इसका इस्तेमाल करने से हल्के से मध्यम एक्ने को भी कम किया जा सकता है। इसी वजह से बाजार में दालचीनी युक्त स्किन जेल भी उपलब्ध है। दालचीनी के एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पिंपल और दाग-धब्बों को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, दालचीनी और शहद का मिश्रण पिंपल वाले बैक्टीरिया से मारने का काम कर सकता है (24) (25)

दालचीनी त्वचा को जवां बनाए रखती है, क्योंकि यह कोलेजन (Collagen) को नष्ट होने से बचाती है और त्वचा के लचीलेपन को बरकरार रख सकती है। एक अध्ययन के अनुसार, दालचीनी कोलेजन जैव संश्लेषण को बढ़ाती है, जिससे एंटी-एजिंग की समस्या कुछ हद तक कम हो सकती है (26)। साथ ही इसमें घाव भरने वाले गुण भी पाए जाते हैं (27)। त्वचा स्वास्थ्य के लिए चुटकी भर दालचीनी के पाउडर को शहद के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाया जा सकता है।

14. स्वस्थ बाल

दालचीनी के पेड़ की पत्तियों का इस्तेमाल बालों को स्वस्थ रखने और घने बनाने के लिए किया जा सकता है। कई लोग एलोपिसिया यानी गंजेपन को दूर करने के लिए भी इसका उपयोग करते हैं। यह हेयर फॉलिकल्स की ग्रोथ को बढ़ाकर बालों को घना करने में मदद कर सकती है। हालांकि, इसमें मौजूद कौन सा तत्व बालों को बढ़ाने और गंजापन को कम करने का काम करता है, यह स्पष्ट नहीं है (28)। इसकी पत्तियों के पेस्ट को बालों पर सीधे लगाकर धो सकते हैं। इसके अलावा पत्तियों को उबालकर काढ़ा बनने के बाद उससे बालों को धोया भी जा सकता है। ध्यान रखें कि काढ़ा ठंडा होने पर ही उसका इस्तेमाल हो।

आगे और है जानकारी

दालचीनी के गुण और दालचीनी के घरेलू उपाय के बाद, आगे जानिए इसमें मौजूद पोषक तत्व के बारे में।

दालचीनी के पौष्टिक तत्व – Cinnamon Nutritional Value in Hindi

दालचीनी के फायदे तो हम बता ही चुके हैं। अब आगे हम प्रति 100 ग्राम सिनेमन पाउडर में मौजूद पोषक तत्व और पोषक मूल्य के बारे में नीचे बता रहे हैं (29)

पोषक तत्वमात्रा प्रति 100 ग्राम
पानी 10.58 g
ऊर्जा247 kcal
प्रोटीन3.99 g
फैट1.24 g
कार्बोहाइड्रेट80.59 g
शुगर2.17 g
मिनरल
कैल्शियम1002 mg
आयरन8.32 mg
मैग्नीशियम60 mg
फास्फोरस64 mg
पोटेशियम431 mg
सोडियम10 mg
जिंक1.83 mg
मैंगनीज17.466 mg
 कॉपर0.339 mg
सिलेनियम3.1 µg
विटामिन
विटामिन-सी3.8 mg
थियामिन0.022 mg
राइबोफ्लेविन0.041 mg
नियासिन1.332 mg
पैंटोथैनिक एसिड0.358 mg
विटामिन-बी 60.158 mg
फोलेट6 µg
विटामिन-ए15 µg
कैरोटीन, बीटा          112 µg
  कैरोटीन, अल्फा  1 µg
लाइकोपीन 15 µg
ल्यूटिन + जेक्सैंथिन222 µg
विटामिन ई (अल्फा-टोकोफेरॉल)2.32 mg

 पढ़ते रहें आर्टिकल

आगे हम दालचीनी के औषधीय उपयोग के बारे में बता रहे हैं।

दालचीनी का उपयोग – Uses of Dalchini in Hindi

दालचीनी का उपयोग कैसे किया जा सकता है और दालचीनी का सेवन कितनी मात्रा में किया जाता है, यह हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं। चलिए, सबसे पहले दालचीनी कैसे खाएं यह जान लेते हैं।

दालचीनी कैसे खाएं

  •     दालचीनी का इस्तेमाल खाने में मसाले की तरह होता है।
  •     सिनेमन पाउडर का सेवन दूध के साथ कर सकते हैं।
  •     इसे गुनगुने पानी में मिलाकर भी पी सकते हैं।
  •     दालचीनी को शहद के साथ मिलाकर चेहरे पर लगा सकते हैं।
  •     दालचीनी को हर्बल टी या काढ़ा बनाते समय भी डाल सकते हैं।
  •     दालचीनी को उबालकर इसके पानी से बालों को धोया जा सकता है।
  •     च्यवनप्राश बनाने के लिए भी दालचीनी का उपयोग किया जाता है।

कितना खाएं

दालचीनी को अधिक मात्रा में खाने से शरीर में टॉक्सिक प्रभाव पड़ सकता है। इससे जुड़े शोध में कहा गया है कि इसका दैनिक सेवन 0.1 mg/kg से ज्यादा शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है (1)

कब खाएं

वैसे तो दालचीनी खाने का समय स्पष्ट नहीं है। वहीं, इसका इस्तेमाल चाय या काढ़े के साथ सुबह किया जा सकता है। दोपहर या रात के भोजन में भी इसकी कुछ मात्रा का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, इसका सेवन डॉक्टरी परामर्श पर दिन के किसी निर्धारित समय में किया जा सकता है।

आगे स्क्रोल करें

दालचीनी के औषधीय उपयोग के बाद, चलिए आगे हम दालचीनी के नुकसान के बारे में बात करते हैं।

दालचीनी के नुकसान – Side Effects of Cinnamon in Hindi

दालचीनी खाने के फायदे तो हम बता चुके हैं, लेकिन इसका अधिक सेवन करने से नुकसान भी सामने आ सकते हैं। इसी वजह से हम नीचे दालचीनी खाने के नुकसान के बारे में बता रहे हैं (14) (30) (31) (32)

  •   दालचीनी के एसिडिक नेचर की वजह से दांत प्रभावित हो सकते हैं, जिससे प्लाक और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  •     गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (पेट संबंधी) विकार।
  •     एलर्जी।
  •     लिवर संबंधी समस्या।
  •   ग्लूकोज लेवल को कम कर सकता है, जिससे व्यक्ति ऊर्जाहीन महसूस कर सकता है।

अंत तक पढ़ें

आगे जानिए, सेहत के लिए सूखी दालचीनी का सेवन हानिकारक है या फायदेमंद।

क्या सूखी दालचीनी खाना सेहत के लिए हानिकारक होता है?

सूखी दालचीनी को ही इस्तेमाल में लाया जाता है। इसका उपयोग पाउडर (सिनेमन पाउडर) और सूखे टुकड़े के रूप में पानी में उबालकर कर सकते हैं। वहीं, इसकी अधिक मात्रा का सेवन हानिकारक हो सकता है, जिसके बारे में हम लेख में ऊपर बता चुके हैं।

दालचीनी के फायदे और नुकसान से जुड़ा यह लेख पढ़ने के बाद यह तो स्पष्ट हो ही गया होगा कि दालचीनी महज खाने का स्वाद नहीं बढ़ाती बल्कि स्वास्थ बनाए रखने में भी मदद करती है। तो बस इसके नुकसान को ध्यान में रखते हुए संयमित मात्रा में दालचीनी का उपयोग करना शुरू कर दें। दालचीनी के गुण शरीर तक महज मसाले के रूप में इस्तेमाल करने से भी पहुंच सकते हैं। नियमित सेवन से दालचीनी के स्वास्थ्य लाभ उठाए जा सकते हैं। बस ख्याल रखें कि इसका सेवन अधिक मात्रा में न करें, अन्यथा दालचीनी के नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है। साथ ही अगर किसी तरह की एलर्जी की समस्या होती है, तो डॉक्टर की सलाह पर ही दालचीनी को अपने आहार में जगह दें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

दालचीनी की तासीर क्या है?

अगर आपका भी यही सवाल है कि दालचीनी की तासीर ठंडी या गर्म है, तो बता दें कि दालचीनी की तासीर गर्म होती है।

दालचीनी और शहद मिलाकर खाने से क्या फायदा हो सकता है?

दालचीनी और शहद के फायदे में अर्थराइटिस का दर्द कम करना, ब्लैडर इंफेक्शन से बचाव, पेट दर्द, सर्दी और कोलेस्ट्रॉल को कम करना शामिल है। इम्यूनिटी को बढ़ाने में भी यह फायदेमंद हो सकता है (33)

दालचीनी और जीरा मिलाकर खाने से क्या फायदा हो सकता है?

दालचीनी और जीरा के फायदे में हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (Hypercholesterolemia) यानी हाई कोलेस्ट्रॉल के स्तर को घटाना शामिल है (34)।

दूध में दालचीनी मिलाकर पीना सेहत के लिए कैसे फायदेमंद होता है?

दालचीनी वाला दूध पाचन के लिए अच्छा माना जाता है। साथ ही सर्दी और जुखाम को भी दूर करने में सहायक बताया जाता है, पर इसपर किसी तरह का शोध उपलब्ध नहीं है।

दालचीनी का सेवन प्रतिदिन कितनी मात्रा में किया जा सकता है?

इससे जुड़े शोध के अनुसार, इसका दैनिक सेवन 0.1 mg/kg से ज्यादा हानिकारक हो सकता है (1)। अच्छा होगा इस विषय पर डॉक्टरी सलाह ली जाए।

क्या दालचीनी में चीनी होती है?

दालचीनी पेड़ की छाल होती है, जिसमें शुगर की कुछ मात्रा होती है।

क्या दालचीनी में कैफीन होता है?

नहीं, इसमें कैफीन नहीं होता है।

क्या दालचीनी पेट की चर्बी कम कर सकती है?

यह वजन कम करने में मदद कर सकती है, जिसके बारे में हम ऊपर बता चुके हैं। इसी आधार पर कहा जा सकता है कि यह पेट के फैट को भी कम करने में सहायक हो सकती है।

दालचीनी और दूध के नुकसान क्या हैं?

लेख में हम यह बता ही चुके हैं कि दालचीनी एलर्जी का कारण बन सकती है। दरअसल, गाय के दूध में एक तरह का प्रोटीन होता है, जो एलर्जी का कारण बन सकता है (35)। ऐसे में अगर किसी को दूध या दालचीनी से एलर्जी है, तो उन्हें दालचीनी और दूध के नुकसान हो सकते हैं।

संदर्भ (Sources) :

Articles on StyleCraze are backed by verified information from peer-reviewed and academic research papers, reputed organizations, research institutions, and medical associations to ensure accuracy and relevance. Check out our editorial policy for further details.

और पढ़े:

Was this article helpful?
thumbsupthumbsdown
The following two tabs change content below.

ताज़े आलेख