आंत्रशोथ (गैस्ट्रोएन्टराइटिस) के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Gastroenteritis (Stomach Flu) in Hindi

Written by , BA (Journalism & Media Communication) Saral Jain BA (Journalism & Media Communication)
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मनुष्य के शरीर में पेट को महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है, क्योंकि इस पर पूरा स्वास्थ्य निर्भर होता है। अगर पाचन तंत्र सुचारू रूप से कार्य नहीं करता है, तो इसका असर सेहत पर तुरंत दिखने लगता है। हालांकि, आजकल के खान-पान के वजह से लोगों को पेट से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है। ऐसे में स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम पेट से जुड़ी समस्या आंत्रशोथ यानी गैस्ट्रोएन्टराइटिस के बारे में जानकारी दे रहे हैं। इसके अलावा हम आंत्रशोथ के लक्षण व गैस्ट्रोएन्टराइटिस के लिए घरेलू उपाय के बारे में भी जानकारी देंगे। लेख में बताए गए ये उपचार आंत्रशोथ के लक्षण या उसके जोखिम को कम करने में सहायक हो सकते हैं।

नीचे विस्तार से पढ़ें

आइए, सबसे पहले जानते हैं कि गैस्ट्रोएन्टराइटिस का मतलब क्या होता है।

आंत्रशोथ क्या है? – What are Gastroenteritis in Hindi

“गैस्ट्रोएन्टराइटिस” की उत्पत्ति दो ग्रीक शब्दों को मिलाने से हुई है – गैस्ट्रॉन और एंटरोन। गैस्ट्रॉन का अर्थ है पेट और एंटरोन का अर्थ है छोटी आंत। इसका मतलब है “पेट और छोटी आंत में सूजन।” मेडिकली गैस्ट्रोएन्टराइटिस को डायरियल (दस्त पैदा करने वाली) बीमारी के रूप में परिभाषित किया जाता है। गैस्ट्रोएन्टराइटिस होने पर 24 घंटे में तीन से अधिक बार पतला और पानीदार मल हो सकता है। इसके लक्षणों की अवधि के आधार पर, गैस्ट्रोएन्टराइटिस चार प्रकार के हो सकते हैं।

  • एक्यूट गैस्ट्रोएन्टराइटिस : 14 दिन या 14 दिन से कम अवधि तक दस्त बने रहना।
  • परसिस्टेंट गैस्ट्रोएन्टराइटिस : 14 दिन से ज्यादा, लेकिन 30 दिन से कम दस्त बने रहना।
  • क्रोनिक गैस्ट्रोएन्टराइटिस : 30 दिन से अधिक समय तक दस्त बने रहना।
  • रीकरेंट गैस्ट्रोएन्टराइटिस : 7 दिन के भीतर समाप्त होने वाले दस्त।

यह रोग दूषित भोजन या पानी के संपर्क में आने से और बैक्टीरिया, वायरल, फंगल व पैरासाइट के कारण हो सकता है। इसे आंतों की परत की सूजन कहा जा सकता है (1)। स्वस्थ व्यक्ति अक्सर बिना किसी जटिलता के इस स्थिति से उबर जाते हैं। वहीं, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को काफी नुकसान हो सकता है (2)। इन कारणों के बारे में लेख में आगे विस्तार से बताया गया है।

आगे है और जानकारी

आइए, लेख में आगे जानते हैं कि आंत्रशोथ के कारण और जोखिम क्या-क्या हो सकते हैं।

आंत्रशोथ के कारण और जोखिम कारक – Causes and Risk Factors of Gastroenteritis in Hindi

आंत्रशोथ होने के पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण होते हैं, जिनमें प्रमुख बैक्टीरिया और वायरस को माना जाता है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं (3)

  • वायरस – नोरोवायरस, कैली वायरस, रोटावायरस, एस्ट्रोवायरस और एडेनोवायरस जैसे विषाणु गैस्ट्रोएन्टराइटिस होने का कारण बन सकते हैं। इतना ही नहीं कोविड 19 भी गैस्ट्रोएन्टराइटिस होने का कारण बन सकता है। भले ही इसमें सांस संबंधी परेशानी वाले लक्षण न दिखे, लेकिन पेट संबंधी समस्या भी कोविड 19 के लक्षण हो सकते हैं (4)
  • बैक्टीरिया – कैम्पिलोबैक्टर नामक जीवाणु गैस्ट्रोएन्टराइटिस की समस्या उत्पन्न कर सकता है।
  • पैरासाइट – कुछ परजीवी जैसे एंटामोइबा हिस्टोलिटिका, जिआर्डिआ लैम्ब्लिया और क्रिप्टोस्पोरिडियम भी गैस्ट्रोएन्टराइटिस बीमारी को जन्म दे सकते हैं।
  • बैक्टीरियल टॉक्सिंस – बैक्टीरिया किसी भी बीमारी का कारण स्वयं नहीं होते हैं, बल्कि इनसे निकलने वाले विषाक्त पदार्थ भोजन को दूषित कर सकते हैं। स्टेफिलोकोकल बैक्टीरिया से निकले विषाक्त तत्व गैस्ट्रोएन्टराइटिस की समस्या उत्पन्न कर सकते हैं।
  • रसायन – कुछ रासायनिक तत्व भी गैस्ट्रोएन्टराइटिस का कारण बन सकते हैं।
  • दवा – कई बार कुछ एंटीबायोटिक्स दवाओं के कारण अतिसंवेदनशील लोगों में गैस्ट्रोएन्टराइटिस की समस्या हो सकती है।

आंत्रशोथ के जोखिम कारक

जैसा कि इस लेख में बताया गया है कि आंत्रशोथ भोजन, पानी और संक्रमित व्यक्ति से फैल सकता है। साथ ही गैस्ट्रोएन्टराइटिस का जोखिम कारक, पर्यावरण या मौसम भी हो सकता है। अधिक जनसंख्या भी इसका एक बड़ा कारण माना जा सकता है। इसके अलावा, इसके कुछ अन्य जोखिम कारक इस प्रकार हैं (5):

  • बाहर का खाना खाने से भी आंत्रशोथ का जोखिम हो सकता है।
  • खसरा और कम प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनोडेफिशिएंसी) गैस्ट्रोएन्टराइटिस का जोखिम पैदा कर सकती है (6)
  • कुपोषण या विटामिन-ए और जिंक की कमी भी इस रोग का जोखिम कारक बन सकता है (6)

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आइए, अब इस रोग से जुड़े लक्षणों के बारे में जान लेते हैं।

आंत्रशोथ के लक्षण – Symptoms of Gastroenteritis in Hindi

कारण और जोखिम कारक के बाद अब आंत्रशोथ के लक्षण जानना भी जरूरी है। आंत्रशोथ की समस्या से पीड़ित मरीजों में ये निम्नलिखित लक्षण देखने को मिल सकते हैं (3)

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आइए, अब जानते हैं कि आंत्रशोथ (गैस्ट्रोएन्टराइटिस) के लिए कौन से घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं।

आंत्रशोथ (गैस्ट्रोएन्टराइटिस) के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Gastroenteritis (Stomach Flu) in Hindi

अब हम लेख के इस भाग में गैस्ट्रोएन्टराइटिस के लिए घरेलू उपाय की जानकारी दे रहे हैं। ध्यान रहे आंत्रशोथ के लिए घरेलू उपाय उसके कुछ लक्षणों को कम कर सकते हैं, लेकिन गंभीर समस्या में मेडिकल ट्रीटमेंट ही सबसे सही विकल्प साबित हो सकता है। हम स्पष्ट कर दें कि इन घरेलू उपचारों को गैस्ट्रोएन्टराइटिस के गंभीर स्थिति का उपचार समझने की भूल न करें। आंत्रशोथ का संपूर्ण समाधान सिर्फ डॉक्टर ही कर सकते हैं। अब जानिए आंत्रशोथ के लिए घरेलू उपाय जो कुछ इस प्रकार हैं:

1. सेब का सिरका

सामग्री:

  • एक चम्मच सेब का सिरका
  • एक कप गर्म पानी

उपयोग का तरीका:

  • एक कप पानी में सेब का सिरका मिलाएं।
  • एक चम्मच से इसे अच्छे से घोल लें।
  • जब यह अच्छे से मिक्स हो जाए तो इसे पी लें।

कैसे फायदेमंद है:

वैज्ञानिक शोध में पाया गया है कि सेब के सिरके में एंटीमाइक्रोबियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। गैस्ट्रोएन्टराइटिस की समस्या में ये दोनों गुण काम आ सकते हैं। इसके जीवाणुरोधी प्रभाव उन बैक्टीरिया के खिलाफ काम कर सकते हैं, जो पेट में सूजन पैदा करते हैं। आसान शब्दों में समझा जाए तो यह गैस्ट्रोएन्टराइटिस का कारण बनने वाले बैक्टीरिया पर असरदार हो सकता है। इसकी जानकारी एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर उपलब्ध एक शोध से मिलती है (7)। हालांकि, अगर किसी को सेब के सिरके के सेवन से एलर्जी या अल्सर की समस्या रही हो तो वो सेब के सिरके के सेवन से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें।

2. प्रो-बायोटिक योगर्ट

सामग्री:

  • एक कटोरी प्रो-बायोटिक योगर्ट

उपयोग का तरीका:

  • प्रतिदिन एक कटोरी प्रो-बायोटिक योगर्ट खाएं।

कैसे फायदेमंद है:

आंत्रशोथ के लिए घरेलू उपाय में प्रो-बायोटिक योगर्ट भी शामिल है। यह आंत्रशोथ के रोगियों के लिए उपयोगी हो सकता है। योगर्ट यानी दही का सेवन पेट में मौजूद अच्छे जीवाणु जैसे लैक्टोबैसिली और बिफीडोबैक्टीरिया के लिए उपयोगी हो सकता है (8)। इसके अलावा, एक अन्य शोध में प्रोबायोटिक दही को नॉन इन्फ्लेमेटरी गैस्ट्रोएन्टराइटिस में सुधार करने के लिए उपयोगी पाया गया है (9)। इतना ही नहीं, दही को गैस्ट्रोएन्टराइटिस के लक्षण जैसे – दस्त की परेशानी को कम करने में भी सहायक पाया गया है (10)

3. शहद

सामग्री :

  • एक से दो चम्मच शहद
  • एक कप गुनगुना पानी

उपयोग का तरीका:

  • एक कप पानी में एक से दो चम्मच शहद डालें।
  • इसे अच्छी तरह से मिलाएं।
  • अच्छे से मिक्स हो जाने के बाद इसका सेवन करें।
  • इसे ओआरएस के घोल में भी मिलाया जा सकता है।

कैसे फायदेमंद है:

शहद का उपयोग बच्चों में गैस्ट्रोएन्टराइटिस के लक्षणों को कम कर सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार बच्चों को ओआरएस के घोल में शहद मिलाकर देने से और ज्यादा प्रभावकारी हो सकता है। शहद में पाए जाने वाले एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटी माइक्रोबियल गुण पेट के इंफेक्शन की समस्या से राहत देने में मददगार हो सकते हैं। यह गैस्ट्रोएन्टराइटिस के लक्षण जैसे – उल्टी और दस्त की समस्या से राहत दिला सकता है (11)। हालांकि, ध्यान रहे कि एक साल से कम आयु वाले शिशु को शहद न दें (12)

4. अदरक

सामग्री:

  • एक सॉस पैन
  • एक इंच कटा हुआ अदरक
  • एक कप पानी

उपयोग का तरीका:

  • एक पैन में पानी गर्म कर लें।
  • पानी में उबाल आने के बाद इसमें कटा हुआ अदरक मिलाएं।
  • अदरक डालने के बाद इसे 1 मिनट तक उबलने दें।
  • इसके बाद इसे छान कर पिएं।

कैसे फायदेमंद है:

आंत्रशोथ के लिए घरेलू उपाय में अदरक का इस्तेमाल किया जा सकता है। वैज्ञानिक अध्ययनों में देखा गया है कि अदरक का सेवन आंत्रशोथ के दौरान अपच जैसी समस्याओं पर उतना प्रभावकारी नहीं होता है, लेकिन दर्द को जरूर कम कर सकता है। अदरक का सेवन आंत्रशोथ के दर्द के लिए दर्द निवारक दवा डाइक्लोफेनाक की तरह काम कर सकता है (13)। अदरक में गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव गुण (पेट संबंधी समस्याओं से बचाव करने वाले) भी मौजूद है, जो पेट संबंधी समस्याओं या उनके लक्षणों से कुछ हद तक राहत दिला सकता है (14)। हालांकि, इस विषय में अभी और शोध की आवश्यकता है, लेकिन आंत्रशोथ के हल्के-फुल्के लक्षणों को कम करने के लिए इसका सेवन किया जा सकता है।

5. हल्दी

सामग्री :

  • दो चुटकी हल्दी पाउडर
  • एक गिलास दूध
  • दूध गर्म करने वाला बर्तन

उपयोग का तरीका:

  • एक बर्तन में दूध गर्म कर लें।
  • अब इस गर्म दूध में दो चुटकी हल्दी पाउडर मिलाएं।
  • इस मिश्रण को धीरे-धीरे पिएं।

कैसे फायदेमंद है:

एनसीबीआई की ओर से उपलब्ध शोध के अनुसार, हल्दी में गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं। साथ ही इसमें करक्यूमिन नामक पदार्थ पाया जाता है, जो गैस्ट्रोएन्टराइटिस की समस्याओं यानी पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानी जैसे सूजन के जोखिम को कम कर सकता है। हल्दी अपने एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गतिविधियों की मदद से पेट के इंफेक्शन में राहत दे सकती है। दरअसल, यह पेट से जुड़े संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया पर असरदार हो सकता है (15)। इस आधार पर मान सकते हैं कि हल्दी का उपयोग गैस्ट्रोएन्टराइटिस से बचाव या इसके हल्के-फुल्के लक्षणों के लिए उपयोगी हो सकता है।

6. दालचीनी

सामग्री :

  • एक इंच दालचीनी का टुकड़ा
  • एक कप पानी
  • शहद (आवश्यकतानुसार)

उपयोग का तरीका:

  • एक कप पानी में दालचीनी का टुकड़ा डालें।
  • इसे सॉस पैन में उबाल लें।
  • पांच मिनट उबालकर मिश्रण को छान लें।
  • फिर इसे चाय की तरह पिएं।

कैसे फायदेमंद है:

दालचीनी न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ा सकती है, बल्कि सेहत के लिए भी दालचीनी के फायदे कई सारे हैं। दालचीनी को पारंपरिक रूप से सूजन कम करने और गैस्ट्रिक रोगों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दालचीनी के घटकों की जांच के बाद विशेषज्ञों ने निष्कर्ष निकाला है कि इसमें एंटीमाइक्रोबियल, एंटीवायरल, एंटीऑक्सीडेंट व गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव गुण मौजूद हैं। दालचीनी का सेवन करने से दस्त और सूजन से राहत मिल सकती है (16)। इसके अलावा, दालचीनी पेट दर्द की समस्या से कुछ हद तक राहत दिला सकता है और साथ ही साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर कर सकता है (17)। वहीं, पेट दर्द गैस्ट्रोएन्टराइटिस के लक्षणों में से एक है (4)। साथ ही हम पहले ही जानकारी दे चुके हैं कि कमजोर इम्यून पावर गैस्ट्रोएन्टराइटिस का जोखिम कारक बन सकता है। ऐसे में मान सकते हैं कि दालचीनी और शहद का मिश्रण गैस्ट्रोएन्टराइटिस उपयोगी हो सकता है।

7. चावल का पानी

सामग्री :

  • आधा कप चावल
  • दो कप पानी
  • एक बर्तन

उपयोग का तरीका:

  • सबसे पहले चावल को अच्छी तरह से धो लें।
  • अब चावल में पानी डालकर उबालें।
  • इसे तब तक उबालें जब तक चावल अच्छी तरह से पक नहीं जाते।
  • चावल के पकने के बाद इसे छानकर चावल और उसके पानी को अलग कर लें।
  • फिर इस पानी को कप में डालकर मरीज को पिलाएं।

कैसे फायदेमंद है:

गैस्ट्रोएन्टराइटिस के लिए घरेलू उपाय की लिस्ट में चावल का पानी भी शामिल कर सकते है। चावल का पानी दस्त से राहत दे सकता है। यह इलेक्ट्रोलाइट का अच्छा विकल्प है, जो शरीर में पानी की मात्रा को सामान्य बनाने में सहायक हो सकता है। विशेष रूप से बच्चों में डायरिया के लक्षणों में चावल के पानी/मांड के फायदे देखे गए हैं (18)। वहीं, हम बता दें कि डायरिया गैस्ट्रोएन्टराइटिस के लक्षणों में से एक है (1)

8. कैमोमाइल चाय

सामग्री :

  • एक चम्मच कैमोमाइल चाय (बाजार या ऑनलाइन उपलब्ध)
  • एक कप पानी
  • एक बर्तन

उपयोग का तरीका:

  • एक बर्तन में एक कप पानी व एक चम्मच कैमोमाइल चाय मिलाएं।
  • इस मिश्रण को पांच मिनट तक गैस पर पकाएं।
  • फिर इस मिश्रण को छान कर पी जाएं।

कैसे फायदेमंद है:

कैमोमाइल चाय का प्रयोग पेट से जुड़ी समस्याओं से राहत प्रदान कर सकता है। इस चाय का सेवन पेट में एसिड की बढ़ी हुई मात्रा को कम करने में सहायक हो सकता है। कैमोमाइल चाय का उपयोग पेट की जलन, अपच, दस्त, अनियमित खान-पान, मोशन सिकनेस, मतली और उल्टी व अन्य पेट संबंधी समस्याओं से बचाव में सहायक हो सकता है। इतना ही नहीं यह पेट के अल्सर और संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया (Helicobacter pylori) को रोकने में भी सहायक हो सकती है (19)। वहीं, दस्त, पेट दर्द, उल्टी, सिरदर्द, बुखार और ठंड लगना ये सभी गैस्ट्रोएन्टराइटिस के लक्षणों में आते हैं (1)

9. नींबू

सामग्री:

  • आधा नींबू
  • एक गिलास पानी

उपयोग का तरीका:

  • एक गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़ें।
  • अच्छी तरह से मिलाएं और नींबू पानी पी जाएं।

कैसे फायदेमंद है:

नींबू के रस में सिट्रस पाया जाता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, सिट्रेट नोरोवायरस के खिलाफ काम कर सकता है। नोरोवायरस संक्रमण से पैदा होने वाले रोग जैसे आंत्रशोथ में नींबू का सेवन फायदेमंद हो सकता है। नींबू के इस गुण के चलते गैस्ट्रोएन्टराइटिस के लिए घरेलू उपाय में इसे शामिल किया जा सकता है (20)

10. हरा केला

सामग्री :

  • एक हरा कच्चा केला
  • पानी (आवश्यकतानुसार)

उपयोग का तरीका:

  • पहले हरे केले को छिल्के के साथ धो लें।
  • अब हरे केले को बिना छिलका हटाए उबाल लें।
  • केले को थोड़ा ठंडा होने दें।
  • इसके बाद केले का छिलका हटाएं और इसे कुचल लें यानी मैश कर लें।
  • फिर स्वादानुसार नमक डालें।
  • इसका ऐसे ही सेवन करे या फिर चावल के साथ खाएं।

कैसे फायदेमंद है:

कच्चे केले में फाइबर (पेक्टिन) होता है, जिसका सेवन पेट से जुड़ी समस्याओं से राहत पाने में किया जा सकता है। एक शोध के अनुसार, कच्चे केले के सेवन से बच्चों में दस्त के लक्षणों में कमी देखी गई है। इसके सेवन से पानी की कमी और अधिक बार मल आने का जोखिम भी कम हो सकता है (21)। वहीं बताते चलें कि दस्त गैस्ट्रोएन्टराइटिस के लक्षणों में से एक है (1)

लेख को अंत तक पढ़ें

लेख में आगे जानते हैं कि आंत्रशोथ का इलाज क्या हो सकता है।

आंत्रशोथ का इलाज – Treatment of Gastroenteritis (Stomach Flu) in Hindi

आंत्रशोथ का इलाज निश्चित तौर पर सीमित नहीं है, क्योंकि इसके लक्षणों व इसकी गंभीरता के अनुसार ही इसका सही तरीके से इलाज किया जा सकता है। ऐसे में ये इलाज क्या हो सकते हैं, उसकी जानकारी हम नीचे लेख के इस हिस्से में साझा कर रहे हैं (3):

  • आंत्रशोथ यानी पेट में इन्फेक्शन के दौरान बहुत से तरल पदार्थों का सेवन करने का सुझाव दिया जा सकता है।
  • गैस्ट्रोएन्टराइटिस से निपटने के लिए डॉक्टर ओरल रिहाइड्रेशन साल्यूशन यानी ओआरएस का सेवन करने का सुझाव भी दे सकते हैं। यह आसानी से सभी मेडिकल स्टोर पर मिल जाते हैं।
  • गैस्ट्रोएन्टराइटिस के मरीजों को गंभीर परिस्थितयों में कई बार डॉक्टर ड्रिप के जरिए शरीर में पानी की पूर्ति कर सकते हैं।
  • अगर ये संक्रमण बैक्टीरिया द्वारा हुआ है, तो डॉक्टर पेट में इन्फेक्शन की दवा जैसे एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह दे सकते हैं ।
  • अगर संक्रमण पैरासाइट द्वारा फैला है, तो ऐसे परिस्थिती में भी डॉक्टर पेट में इन्फेक्शन की दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • जब तक डॉक्टर न कहें, तब तक उल्टी व डायरिया-रोधी दवाओं से परहेज करें, क्योंकि ये दवाएं शरीर में संक्रमण को बनाए रख सकती हैं।

बने रहें हमारे साथ

आइए, अब जानते हैं आंत्रशोथ के दौरान किन खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए व किन चीजों को नहीं खाना चाहिए।

आंत्रशोथ के लिए आहार – Diet For Gastroenteritis in Hindi

गैस्ट्रोएन्टराइटिस से बचाव के लिए आहार काफी मददगार हो सकता है। ऐसे में इस दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं इसकी जानकारी हम नीचे दे रहे हैं।

क्या खाना चाहिए :

गैस्ट्रोएन्टराइटिस की समस्या से राहत पाने के लिए आहार का भी विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। इस दौरान शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए जितना हो सके तरल पदार्थों का सेवन करना उपयोगी हो सकता है (22)

  • तरल पदार्थ जैसे पानी
  • ग्लूकोज
  • इलेक्ट्रोलाइट्स
  • फलों के रस
  • स्पोर्ट्स ड्रिंक
  • सूप
  • नमक युक्त बिना मसाले वाले खाद्य पदार्थ

क्या नहीं खाना चाहिए :

गैस्ट्रोएन्टराइटिस की समस्या से राहत पाने के लिए आहार में कुछ चीजों को शामिल नहीं करने की सलाह भी दी जाती है, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है (23)

  • कैफीन युक्त पेय व खाद्य पदार्थ, जैसे कॉफी और चाय।
  • वसायुक्त भोजन जैसे तला हुआ भोजन, पिज्जा और फास्ट फूड।
  • कुछ ऐसे पेय पदार्थ जिनमें अधिक मात्रा में शुगर हो।
  • मीठे फल।
  • कैंडी और चॉकलेट।
  • दूध व दूध से बने उत्पाद, जिनमें शुगर व लैक्टोज होता है।

आगे पढ़ते रहें

अब यह जानना जरूरी है कि ऐसा क्या करें कि पेट में इन्फेक्शन से बचाव हो सके। तो यहां जानिए पेट में इन्फेक्शन से बचाव के बारे में।

आंत्रशोथ से बचाव – Prevention Tips for Gastroenteritis (Stomach Flu) in Hindi

आंत्रशोथ से बचाव के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, इसलिए नीचे लिखी बातों का ध्यान रखें (3)

  • रसोई और उसमें इस्तेमाल होने वाले सभी तरह के सामान को स्वच्छ रखें।
  • फल और सब्जियों को धोकर खाएं।
  • दूषित जल का सेवन न करें।
  • शौचालय और बाथरूम की नियमित रूप से सफाई करें।
  • शौच के बाद हाथ जरूर धोएं।
  • ऐसे देशों की यात्रा से परहेज करें, जहां सफाई न रहती हो।
  • घर के आसपास गंदगी जमा न होने दें।
  • खाना अच्छी तरह पकाकर खाएं।
  • बैक्टीरिया पैदा न हो इसके लिए ठंडा भोजन ठंडा (5°C से नीचे) और गर्म भोजन गर्म (60°C से ऊपर) रखें।
  • खाने से पहले हाथ धोएं।

गैस्ट्रोएन्टराइटिस के इस लेख में आपने जाना कि आंत्रशोथ के कारण क्या हैं और पेट में इन्फेक्शन का इलाज कैसे हो सकता है। वहीं, इस विशेष लेख में गैस्ट्रोएन्टराइटिस से बचाव के लिए आहार व घरेलू उपाय की जानकारी भी दी गई है, जो उपयोगी साबित हो सकते हैं। यदि गैस्ट्रोएन्टराइटिस के लक्षण दिख रहे हैं और समस्या ज्यादा हो रही है तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें। जैसा कि आप जान चुके हैं कि पेट का इन्फेक्शन व्यक्ति के बैक्टीरिया के चपेट में आने से हो सकता है। इसलिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, ताकि इस तरह की बीमारियों या संक्रमण से बचा जा सके। इस लेख को अन्य लोगों के साथ शेयर करके इस विषय में सभी को जागरूक करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

कैसे पता करें कि पेट में फ्लू यानी पेट में इन्फेक्शन है?

पेट में इन्फेक्शन का पता उसके लक्षणों से चलता है, जैसे – भूख में कमी, जी मिचलाना, उल्टी, पेट में दर्द
या ऐंठन, दस्त आदि (3)

क्या गैस्ट्रोएन्टराइटिस संक्रामक है?

हां, गैस्ट्रोएन्टराइटिस यानी पेट में इन्फेक्शन एक संक्रामक रोग है और किसी संक्रमित व्यक्ति या सतह के सीधे संपर्क में आने से यह फैल सकता है। यह दूषित भोजन, वायु और पानी से भी फैल सकता है (24)

आंत्रशोथ कितने समय तक रहता है?

गैस्ट्रोएन्टराइटिस के लक्षण आमतौर पर एक या दो दिन तक रहते हैं, लेकिन कई बार इसे पूरी तरह से सामान्य होने में 1 से 2 सप्ताह भी लग सकते हैं (25)

क्या पेट का फ्लू और फूड पॉइजनिंग एक ही चीज है?

जी हां, बैक्टीरियल गैस्ट्रोएन्टराइटिस और फूड पॉइजनिंग, ये दोनों एक ही बीमारी हैं। दरअसल, बैक्टीरियल गैस्ट्रोएन्टराइटिस को फूड पॉइजनिंग कहते हैं (26)

क्या उपरोक्त उपाय बच्चों में पेट के फ्लू के इलाज में मदद करेंगे?

लेख में दिए गए उपायों में से बच्चे के लिए कच्चे केले का उपाय कर सकते हैं। हालांकि, अगर बच्चे एक साल से छोटा है या बच्चे में पेट के फ्लू के लक्षण गंभीर हैं तो डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।

गैस्ट्राइटिस और गैस्ट्रोएन्टराइटिस के बीच क्या अंतर है?

गैस्ट्राइटिस ऐसी स्थिति है, जो पेट की दीवारों (Stomach lining) की सूजन का कारण बनती है। गैस्ट्राइटिस का कारण हमेशा संक्रमण नहीं होता है, बल्कि यह शराब के सेवन, कुछ खास प्रकार की दवाइयों के सेवन से भी यह समस्या हो सकती है (27) (28)। वहीं, गैस्ट्रोएन्टराइटिस पेट और आंत दोनों की सूजन है, जो एक संक्रमण के कारण पैदा हो सकती है (1)

पेट में फ्लू होने पर क्या खाना चाहिए?

पेट में फ्लू यानी गैस्ट्रोएन्टराइटिस होने पर अधिकतर तरल पदार्थों जैसे पानी, ग्लूकोज, इलेक्ट्रोलाइट्स, सूप, आदि का सेवन कर सकते हैं (25)। वहीं समस्या गंभीर होने पर क्या खाना चाहिए व क्या नहीं, इस बारे में डॉक्टर से एक बार जरूर पूछ लें।

अगर मुझे गैस्ट्रोएन्टराइटिस है, तो डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?

आंत्रशोथ के लक्षण आमतौर पर 1 से 3 दिनों से अधिक समय तक रहता है। हालांकि, पूरी तरह से सामान्य होने में 1 से 2 सप्ताह भी लग सकते हैं। ऐसे में निम्न लक्षण सामने आते ही डॉक्टर से संपर्क करें (25):

  • अगर एक दिन से अधिक समय से उल्टी हो रही हो।
  • 3 दिनों से अधिक समय से दस्त की समस्या से पीड़ित हो।
  • मल में खून आना।
  • 101 F (38.3 C) से अधिक बुखार हो।

References

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  2. Bacterial Gastroenteritis
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  3. Gastroenteritis
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  4. Viral gastroenteritis (stomach flu)
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  5. Etiology and Risk Factors of Acute Gastroenteritis in a Taipei Emergency Department: Clinical Features for Bacterial Gastroenteritis
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  10. A comparison between tradition yogurt and probiotic Yogurt in non inflammatory acute gastroenteritis
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  12. Infant and Newborn Nutrition
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  17. Journal of Chemical and Pharmaceutical Research
    https://www.renevanmaarsseveen.nl/wp-content/uploads/overig4/Medical%20use%20and%20health%20benefits%20of%20honey%20-%20J.%20Chem.%20Pharm.%20Res.2010%202(1)%20385-395.pdf
  18. Rice water in treatment of infantile gastroenteritis
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/6113434/
  19. Chamomile: A herbal medicine of the past with bright future
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2995283/
  20. Treatment of norovirus particles with citrate
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/26295280/
  21. Clinical studies in persistent diarrhea: dietary management with green banana or pectin in Bangladeshi children
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/11522739/
  22. Treatment of Viral Gastroenteritis (“Stomach Flu”)
    https://www.niddk.nih.gov/health-information/digestive-diseases/viral-gastroenteritis/treatment
  23. Eating Diet & Nutrition for Viral Gastroenteritis (“Stomach Flu”)
    https://www.niddk.nih.gov/health-information/digestive-diseases/viral-gastroenteritis/eating-diet-nutrition
  24. Symptoms & Causes of Viral Gastroenteritis (“Stomach Flu”)
    https://www.niddk.nih.gov/health-information/digestive-diseases/viral-gastroenteritis/symptoms-causes
  25. Viral Gastroenteritis
    https://www.brown.edu/campus-life/health/services/sites/brown.edu.campus-life.health.services/files/uploads/stomachflu%2011.pdf
  26. Bacterial gastroenteritis
    https://medlineplus.gov/ency/article/000254.htm
  27. Gastritis: Overview
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK310265/
  28. Gastritis
    https://medlineplus.gov/ency/article/001150.htm
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