Written by , (शिक्षा- बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मीडिया कम्युनिकेशन)

इस बात से तो आप सहमत ही होंगे कि अब न तो पहले जैसा रहन-सहन रहा है और न ही खानपान। इस कारण से हमारी हड्डियां, जोड़ और मांंसपेशियां कमजोर हो रही हैं। परिणामस्वरूप, गठिया (आर्थराइटिस) का सामना करना पड़ता है। जहां, पहले यह समस्या अमूमन बुजुर्गों में देखने को मिलती थी, वहीं अब युवा भी इसका शिकार हो रहे हैं। गठिया का सबसे ज्यादा असर घुटनों, कूल्हों व हाथों की उंगलियों पर दिखाई देता है। इस अवस्था में मरीज का चलना-फिरना और उठना-बैठना तक मुश्किल हो जाता है। आखिर गठिया रोग क्या है, गठिया रोग मे परहेज, गठिया के लक्षण और गठिया की दवा के साथ-साथ गठिया का आयुर्वेदिक इलाज कैसे किया जाए, इस बारे में आपको इस लेख में जानने को मिलेगा। इसके साथ ही आपको ध्यान रखना होगा कि लेख में शामिल गठिया के घरेलू उपचार कुछ हद तक राहत तो दिला सकते हैं, लेकिन पूर्ण इलाज डॉक्टरी परामर्श पर ही निर्भर करता है।

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तो आइए, लेख में सबसे पहले हम गठिया क्या है? यह जान लेते हैं। बाद में हम गठिया के घरेलू उपचार और गठिया के लक्षण जानेंगे।

गठिया क्या है?

हड्डियों के जोड़ों में यूरिक एसिड जमा होने या फिर कैल्शियम की कमी होने पर उनमें सूजन व अकड़न आ जाती है। साथ ही जोड़ों में गांठ और कांटे चुभने जैसा महसूस होता है। साथ ही जोड़ों में मौजूद टिश्यू भी टूटकर नष्ट होने लगते हैं। इस अवस्था को ही गठिया कहा जाता है। जोड़ उन्हें कहा जाता है, जहां दो हड्डियां आपस में मिलती हैं, जैसे – कोहनियां व घुटने (1)

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लेख के अगले भाग में अब हम गठिया के प्रकार के बारे में बात करेंगे। 

गठिया (आर्थराइटिस) के प्रकार – Types of Arthritis Hindi

अभी तक 100 प्रकार के आर्थराइटिस की पहचान हो चुकी है (1)। इनमें से सबसे अहम ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड आर्थराइटिस है। ज्यादातर लोग इन्हीं दो का शिकार होते हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस का शिकार 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोग होते हैं और खासकर महिलाएं इसका ज्यादा शिकार होती हैं। वहीं, रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षण अधिकतर युवाओं में नजर आते हैं। यह भी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा होता है (2) (3)। आर्थराइटिस के अन्य प्रकार कुछ इस तरह से हैं:

गाउट : शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा ज्यादा हो जाने से जोड़ों के कार्टिलेज नष्ट होने लगते हैं। साथ ही यूरिक एसिड जोड़ों व नसों में जम जाता है, जिससे आर्थराइटिस की समस्या होती है (4)

एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस : इसमें कमर की हड्डी व जोड़ प्रभावित होते हैं। इस अवस्था में पीठ में सूजन व दर्द होने लगती है (5)

जुवेनाइल आर्थराइटिस : इसका शिकार बच्चे होते हैं, इसलिए इसे जुवेनाइल आर्थराइटिस कहा जाता है। यह 16 साल से कम उम्र के बच्चों को होता है। स्पष्ट तौर पर बताना मुश्किल है कि यह किस कारण से होता है, ऐसा अनुमान है कि ऑटोइम्यून (इम्यून सिस्टम से जुड़ा विकार) होने के कारण ऐसा हो सकता है। इसमें शरीर के स्वस्थ्य टिशू नष्ट हो जाते हैं (6)

सोराइटिक आर्थराइटिस : यह त्वचा संबंधी विकार सोरायसिस के कारण होता है। सोरायसिस से प्रभावित 7 से 42 प्रतिशत मरीज इसकी चपेट में आते हैं (7)

रिएक्टिव आर्थराइटिस : यह जोड़ों, आंखों, यूरिन मार्ग व जेनिटल एरिया को प्रभावित कर सकता है। इन जगहों पर सूजन व दर्द महसूस होती है। यह समस्या संक्रमण के कारण होती है (8)

ऑस्टियोपोरोसिस : यह आनुवंशिक हो सकता है, जो उम्र बढ़ने के साथ-साथ सामने आता है। यह मुख्य रूप से कमर, घुटनों और पैरों को प्रभावित करता है (9)

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लेख के अगले भाग में अब हम आपको गठिया के कारण बताएंगे। 

गठिया (आर्थराइटिस) के कारण – Causes of Arthritis Hindi

गठिया के कारण कई हैं, जिनमें से प्रमुख कारणों के बारे में यहां बताया जा रहा है (1) :

  • कार्टिलेज : जोड़ों में कार्टिलेज (एक प्रकार का टिश्यू) होता है, जो हड्डियों के लिए कुशन का काम करता है। इसके नष्ट होने पर जोड़ आपस में रगड़ खाने लगते हैं, जिससे गठिया की समस्या हो सकती है।
  • आनुवंशिक : अगर परिवार में किसी को कभी गठिया की समस्या रही है, तो हो सकता है कि व्यक्ति को भी इसका सामना करना पड़े।
  • आयु : वैसे तो 60 वर्ष के आसपास पहुंचने पर यह समस्या होने लगती है, लेकिन आजकल युवा भी इसका शिकार हो रहे हैं।
  • पुरानी चोट : अगर पहले कभी हड्डियों के जोड़ में चोट लगी है, तो भविष्य में आर्थराइटिस की समस्या होने की आशंका बढ़ सकती है।
  • मोटापा : वजन का अधिक होना भी आर्थराइटिस का अहम कारण माना गया है। शरीर का वजन जरूरत से ज्यादा होने पर घुटनों, कूल्हों व कमर पर ज्यादा बोझ पड़ता है। आगे चलकर इससे गठिया हो सकता है।
  • संक्रमण : शरीर में किसी बैक्टीरिया या वायरस के पनपने पर भी गठिया हो सकता है।

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लेख के अगले भाग में अब हम गठिया रोग के लक्षण से जुड़ी जानकारी देंगे। 

गठिया के लक्षण – Symptoms of Arthritis in Hindi

जोड़ों में सूजन और दर्द गठिया रोग के लक्षण हैं। इसके अलावा, अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जिनके बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं (1) (10):

  • सूजन व दर्द के कारण चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है।
  • कुछ लोगों में सुबह के समय यह दर्द ज्यादा होता है।
  • प्रभावित जगह लाल रंग की हो जाती है।
  • जिस जगह गठिया हुआ है, उस जोड़ में भारीपन महसूस हो सकता है।
  • जल्दी थकान हो जाना और इम्यून सिस्टम का कमजोर होना।
  • पीड़ित व्यक्ति को बार-बार बुखार आ सकता है।
  • जोड़ों के आसपास गांठें भी बन सकती हैं।
  • वजन कम होना।
  • सांस लेने में तकलीफ होना।
  • त्वचा पर रैशेज भी हो सकते हैं।

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गठिया रोग के लक्षण के बाद लेख में आगे अब हम गठिया रोग के घरेलू उपचार के बारे में जानेंगे। 

गठिया के घरेलू इलाज – Home Remedies for Arthritis in Hindi

यहां हम गठिया रोग के घरेलू उपचार करने के कई तरीके बताने जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर इस समस्या के लक्षणों को कम करने में काफी हद तक मदद मिल सकती है।

1. हल्दी

हल्दी को आयुर्वेद में गठिया का रामबाण इलाज माना जाता है। दरअसल, यह एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक है, जिसमें करक्यूमिनोइड नामक तत्व पाए जाते हैं। इनके कारण हल्दी में एंटीआर्थराइटिक और एंटीइन्फ्लामेट्री गुण भी मौजूद होता है। ऐसे में चोट लगने पर हल्दी का प्रयोग किया जाए, तो जल्द राहत मिल सकती है। वहीं यह शरीर में सूजन को कम करने में भी मदद कर सकती है। साथ ही आर्थराइटिस के असर को धीरे-धीरे कम कर सकता है (11)। इसलिए, गठिया की दवा के रूप में हल्दी का इस्तेमाल किया जा सकता है।

कैसे करें प्रयोग : दो-तीन ग्राम हल्दी को पानी में डालकर उबाल लें। इसके बाद जब पानी सामान्य हो जाए, तो इसका सेवन करें। प्रतिदिन के भोजन में भी थोड़ी-सी हल्दी का प्रयोग कर सकते हैं।

2. अदरक

गठिया की समस्या से राहत पाने के लिए अदरक का उपयोग भी किया जा सकता है। यह सूजन को दूर करने का काम कर सकता है। यही वजह है कि इसे गठिया के घरेलू उपचार के तौर पर भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है। यह शरीर में प्रोस्टाग्लैंडीन (लिपिड का एक प्रकार) के स्तर को कम कर सूजन को कम कर सकता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गठिया की समस्या में आराम पहुंचा सकते हैं (12) (13)। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि गठिया रोग के लिए अदरक बेहतर है। आयुर्वेद में भी इसके कई गुणों का उल्लेख है, जिसमें गठिया का घरेलू इलाज भी शामिल है।

कैसे करें प्रयोग : अदरक के तेल से मालिश की जा सकती है। इसके अलावा, अदरक की चाय बनाकर इसका सेवन किया जा सकता है। ध्यान रहे कि इसका अधिक सेवन न करें, क्योंकि इससे पेट में गर्मी हो सकती है।

3. मेथी

जहां मेथी खाने का स्वाद बढ़ा देती है, वहीं यह कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने में मदद कर सकती है। इसे एंंटीइंफ्लेमेटरी और एंटी आर्थराइटिक का प्रमुख स्रोत माना गया है। यही वजह है कि इसे आयुर्वेद में गठिया का रामबाण इलाज भी कहा जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार मेथी के दानों में पेट्रोलियम ईथर एक्सट्रेक्ट होता है, जिस कारण ये गठिया के चलते जोड़ों में आई सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही इसमें सैचुरेटेड और अनसैचुरेटेड फैटी एसिड भी होता है। इस कारण से भी यह सूजन और दर्द को कम कर सकते हैं (14) (15)। इसलिए, अगर गठिया का दर्द है, तो मेथी के दानों का सेवन गठिया की दवा के रूप में किया जा सकता है।

कैसे करें प्रयोग : मेथी के दानों को पानी में डालकर उबाल लें। फिर पानी को छानकर उसमें कुछ बूंद नींबू व शहद मिलाकर चाय की तरह पिएं। साथ ही मेथी के दानों को पीसकर पाउडर बना सकते हैं और फिर इसे सब्जियों व सूप में डालकर सेवन करें। इसके अलावा, मेथी के दानों को पानी में भिगोकर अंकुरित कर लें और फिर सलाद की तरह खा सकते हैं।

4. अरंडी का तेल

अरंडी का तेल शरीर में लिम्फोसाइट को बढ़ाने में मदद कर सकता है। यह एक प्रकार के टी सेल यानी श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं, जो किसी भी तरह की बीमारी से लड़ने में मदद करती हैं। यह शरीर में लगने वाली चोटों से भी उबरने में मदद करती हैं (16)। साथ ही अरंडी के तेल में रिसिनोलिक एसिड पाया जाता है, जो एंटीइंफ्लेमेटरी की तरह काम करता है (17)। वहीं, अरंडी से जुड़े एक शोध में सीधे तौर पर माना गया है कि रिसिनोलिक एसिड की मौजूदगी के कारण यह गठिया के उपचार में फायदेमंद साबित हो सकता है (18)। इस आधार पर कहा जा सकता है कि गठिया रोग का इलाज करने के लिए अरंडी का तेल उपयोगी साबित हो सकता है।

कैसे करें प्रयोग : अरंडी के तेल में अजवाइन व कपूर मिलाकर गर्म कर लें। फिर तेल के हल्का गुनगुना होने पर दर्द वाली जगह पर हल्के-हल्के हाथों से 15-20 मिनट मालिश करें। इस तरह मसाज करने से जोड़ों में दर्द व अकड़न से राहत मिल सकती है।

5. लहसुन

गठिया के उपचार से जुड़े कई अध्ययनों में पाया गया है कि लहसुन में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होता है, जिस कारण यह जोड़ों में दर्द व सूजन को कम कर सकता है। इसके अलावा, लहसुन में डायलाइल डाइसल्फाइड, एलेसिन, एजोएन और सेलेनियम जैसे तत्व भी होते हैं। इन तत्वों की मौजूदगी के कारण यह एंटीआर्थराइटिक (आर्थराइटिस को ठीक करने वाला) गुण प्रदर्शित कर सकता है (19)। ऐसे में आर्थराइटिस के कारण होने वाले दर्द व सूजन को कम करने में इसे गठिया की दवा के रूप में कारगर माना जा सकता है।

कैसे करें प्रयोग : आर्थराइटिस जैसी समस्या में रोज सुबह तीन-चार लहसुन की कच्ची कलियों का सेवन किया जा सकता है। 

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6. बुरडॉक की जड़

गठिया का इलाज करने के लिए यह सदियों से प्रयोग की जा रही आयुर्वेदिक औषधि है। इसमें भी एंटीइंफ्लेमेरी गुण पाए जाते हैं। यह जड़ बाजार में सूखे पाउडर, काढ़े या फिर रस के रूप में मिल जाएगी। इसके सेवन से न सिर्फ घुटनों व अन्य जोड़ों में आई सूजन कम हो सकती है, बल्कि ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का स्तर भी कम हो सकता है (20)। यही वजह है कि बुरडॉक की जड़ को गठिया का आयुर्वेदिक इलाज माना जा सकता है।

कैसे करें प्रयोग : इसका पाउडर है, तो इसे करीब 200 मिलीलीटर पानी में डालकर उबाल लें और फिर पानी को सामान्य होने दें। इसके बाद दिन में दो-तीन बार इस मिश्रण का सेवन करें। दिन में दो बार इसका सेवन किया जा सकता है।

7. मुलेठी

आर्थराइटिस के घरेलू उपचार में मुलेठी का उपयोग भी शामिल है। इस आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी में ग्लाइसिराइजिन नामक प्रमुख तत्व पाया जाता है, जो एंटीइंफ्लेमेटरी एजेंट की तरह काम कर सकता है। मुलेठी का यह गुण शरीर में सूजन का कारण बनने वाले एंजाइम को खत्म कर सकता  है। इस तरह यह आर्थराइटिस की समस्या में भी मददगार हो सकता है (21)। यही वजह है कि इसे भी गठिया का आयुर्वेदिक इलाज माना गया है।

कैसे करें प्रयोग : बाजार में मुलेठी की सूखी छड़, पाउडर, टैबलेट, कैप्सूल या फिर जेल के रूप में मिल जाएगी। इसका सेवन किसी भी रूप में कर सकते हैं।

8. अश्वगंधा

गठिया रोग का इलाज करने के लिए अश्वगंधा को भी उपयोग किया जा सकता है। इस आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर हो सकती है और ताकत मिलती है। साथ ही यह गठिया के दर्द और सूजन को भी कम कर सकता है। अश्वगंधा से जुड़े एक शोध में इस बात को स्पष्ट रूप से माना गया है (22) है। वहीं, एक अन्य शोध में भी गठिया के उपचार के तौर पर इसे उपयोगी और लाभदायक बताया गया है (23)

कैसे करें प्रयोग : गठिया के मरीज इसकी चाय बनाकर इसका सेवन कर सकते हैं।

9. विलो की छाल

आर्थराइटिस के लिए विलो (एक प्रकार का पेड़) की छाल का प्रयोग किया जा सकता है। इससे गठिया का इलाज संभव है। इसके प्रयोग से शरीर में सूजन कम हो सकती है। पुराने समय में लोग दर्द को कम करने के लिए इस पेड़ की छाल को चबाया करते थे। इसमें एस्पिरिन जैसे गुण होते हैं, जो जोड़ों में होने वाले दर्द को कम करने में सक्षम है (24)। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि विलो की छाल से आर्थराइटिस का घरेलू इलाज किया जा सकता है।

कैसे करें प्रयोग : इस छाल को चबा सकते हैं या फिर इसकी चाय बना सकते हैं। इसका सेवन सप्लीमेंट की तरह भी किया जा सकता है। ध्यान रहे कि इसे अधिक मात्रा में लेने से शरीर पर रैशेज या फिर किसी अन्य तरह की एलर्जी हो सकती है।

10. नेटल्स

नेटल्स से भी गठिया रोग का इलाज संभव हो सकता है। हिमालय के पहाड़ी क्षेत्र में कंडाली नामक औषधीय पौधा पाया जाता है। आम भाषा में इसे नेटल्स या फिर बिच्छू बूटी कहते हैं, क्योंकि इस पौधे को छूने पर शरीर में उसी प्रकार झनझनाहट होती है, जिस प्रकार बिच्छू के काटने पर होती है। इस आयुर्वेदिक औषधि की मदद से हर प्रकार के आर्थराइटिस को ठीक किया जा सकता है। इसमें तमाम तरह के पोषक तत्व और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो आर्थराइटिस के दर्द को कम कर हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं (25) (26)। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि गठिया के उपचार में नेटल्स भी प्रयोग कर सकते हैं।

कैसे करें प्रयोग : इसके पत्तों के ऊपर छोटे-छोटे बाल जैसे होते हैं, जिनमें सिलिकॉन की मात्रा ज्यादा होती है। जब इन पत्तों को त्वचा से स्पर्श किया जाता है, तो इन बालों के तीखे कोनों के साथ सिलिकॉन तत्व त्वचा में प्रवेश कर जाता है। बाद में यह तत्व दर्द कम करने में मदद करता है।

11. गर्म सिकाई

गठिया रोग के घरेलू उपचार में गर्म सिकाई भी शामिल है। आर्थराइटिस में गर्म सिकाई करने से जोड़ों में आई अकड़न कम हो सकती है और मांसपेशियां भी नरम होती हैं। इससे रक्त का प्रवाह अच्छी तरह हो पाता है। ऐसा करने से जोड़ों में हो रहे दर्द से आराम मिल सकता है (27)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि गठिया का इलाज करने के लिए गर्म सिकाई का उपयोग काफी हद तक सहायक साबित हो सकता है।

कैसे करें प्रयोग : अपनी पसंद के अनुसार गीले या सूखे तरीके से गर्म सिकाई कर सकते हैं। इसके लिए या तो गर्म पानी से नहा लें या फिर बाथ टब में गर्म पानी भरकर उसमें कुछ देर बैठ सकते हैं। इसके अलावा, करीब 20 मिनट के लिए हीटिंग पैड का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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गठिया रोग के घरेलू उपचार के बाद लेख के अगले भाग में अब हम आपको गठिया के लिए डाइट प्लान से जुड़ी कुछ जरूरी बातें बताएंगे। 

गठिया (आर्थराइटिस) के लिए डाइट प्लान

गठिया रोग के लक्षण और उसका घरेलू इलाज जानने के साथ ही गठिया के लिए डाइट प्लान को समझना भी जरूरी है। डाइट प्लान बनाते वक्त निम्न चीजों को आहार में शामिल किया जा सकता है, जो एंटीइन्फ्लामेट्री (सूजन कम करने वाले) प्रभाव के कारण इस समस्या में राहत पहुंचा सकते हैं (28)

फल : आलूबुखारा (प्लम), ग्रेपफ्रूट, अंगूर, ब्लूबेरी, अनार, आम, केला, सेब और आड़ू।

सीरल्स : ओटमील, गेंहू की रोटी या पोहा (flattened rice)।

फलियां : काली सोयाबीन या काला चना।

साबुत अनाज : गेंहू, चावल, ओट्स, कॉर्न, जौ, बाजरा या कैनेरी सीड्स।

अन्य : दही, ग्रीन टी या तुलसी की चाय।

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गठिया के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए? लेख में आगे हम इस बारे में बात करेंगे। 

गठिया (आर्थराइटिस) के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?

निम्न स्थितियों में बिना देर किए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए (1)

  • तीन दिन तक अगर जोड़ों में दर्द बना रहे।
  • अगर जोड़ों में असहनीय दर्द हो रहा हो।
  • अगर जोड़ों में सूजन दिखाई दे।
  • जोड़ों को घुमाने में तकलीफ हो।
  • अगर जोड़ों के चारों ओर की त्वचा में लाली दिखाई दे या छूने पर गर्म लगे।
  • बुखार या अचानक वजन कम होना।

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लेख के अगले भाग में अब हम गठिया के इलाज के बारे में बात करेंगे। 

गठिया (आर्थराइटिस) का इलाज – Treatment of Arthritis in Hindi

आर्थराइटिस की समस्या को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है, इसलिए डॉक्टर इलाज की प्रक्रिया में निम्न चीजों पर विशेष ध्यान देता है (1)

  • दर्द और सूजन को कम करना।
  • जोड़ की प्रक्रिया में सुधार।
  • जोड़ों के खराब होने के जोखिम को दूर करना।

दवा : इन तीनों ही स्थितियों को सुधारने के लिए डॉक्टर कुछ खास दवाएं लेने का सुझाव दे सकता है। इन दवाओं में मुख्य रूप से दर्दनिवारक और सूजन को कम करने वाली दवाओं को शामिल किया जाता है जैसे :- टेलीनोल, एस्पिरिन, आईब्रूफेन और नैप्रोक्सेन।

सर्जरी : समस्या गंभीर होने की स्थिति में डॉक्टर सर्जरी कराने की भी सलाह दे सकते हैं, जिसमें जॉइंट  रिप्लेसमेंट और फुल रिप्लेसमेंट प्रक्रिया को अपनाया जा सकता है।

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लेख के अगले भाग में अब हम आपको गठिया के लिए उपयुक्त योग और व्यायाम की जानकारी देंगे। 

गठिया (आर्थराइटिस) से राहत पाने के लिए योग और व्यायाम

योग और व्यायाम दोनों के ही माध्यम से गठिया की समस्या से राहत मिल सकती है (1) (29)। वहीं, आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि व्यायाम के साथ ही गठिया रोग में परहेज भी बहुत जरूरी है। तभी व्यायाम का सही लाभ मिल पाएगा।

योग : आर्थराइटिस की समस्या से राहत पाने के लिए कुछ योग क्रियाओं के साथ प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास किया जा सकता है। वहीं, कौन से योग आसन इस समस्या से लिए उपयुक्त होंगे, इससे जुड़ी जानकारी योग विशेषज्ञ से ली जा सकती है।

व्यायाम : वहीं, गठिया से राहत के लिए टहलना, मोशन एक्सरसाइज और मसल्स ट्रेनिंग एक्सरसाइज का अभ्यास किया जा सकता है।

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लेख के अगले भाग में अब हम आपको गठिया से बचाव के उपाय बताएंगे। 

गठिया (आर्थराइटिस) से बचाव – Prevention Tips for Arthritis in Hindi

निम्न बिंदुओं के माध्यम से हम गठिया से बचाव के उपायों को आसानी से समझ सकते हैं (1)

  • नियमित आठ से दस घंटे की नींद लें।
  • एक ही स्थिति में बैठने या खड़े रहने से बचें।
  • उस स्थिति में बैठने या गति करने से बचें जिससे प्रभावित जोड़ पर तनाव आ सकता हो।
  • विटामिन और मिनरल्स से भरपूर सब्जियों और फलों का सेवन करें। खासकर जिनमें विटामिन-ई मौजूद हो।
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थों को आहार में जगह दें जैसे :- अलसी, सोयाबीन, कद्दू के बीज और अखरोट। इसके साथ ही कैनोला और सोयाबीन ऑयल को भी उपयोग में ला सकते हैं।
  • धूम्रपान और शराब से गठिया रोग में परहेज किया जाना चाहिए।
  • वहीं, बचाव के लिए गठिया रोग मे परहेज के साथ वजन को नियंत्रित करना भी जरूरी है।

गठिया रोग क्या है? यह जानने के साथ ही इस लेख के माध्यम से आपने गठिया रोग में परहेज, गठिया रोग की दवा और गठिया रोग का आयुर्वेदिक इलाज जाना। वहीं, आपको लेख में गठिया रोग के लक्षण भी बताए गए हैं, जिन्हें पहचान कर समय रहते उपचार किया जा सकता है। आर्थराइटिस के लक्षण और उपचार के साथ ही आपको यहां गठिया के कारण और गठिया के प्रकार से जुड़ी जानकारी भी दी जा चुकी है। ऐसे में जरूरत है, तो बस जरा-सी सावधानी और सतर्कता की। उम्मीद है कि आर्थराइटिस के घरेलू उपचार और उससे जुड़े अन्य तथ्यों को समझने में यह लेख काफी हद तक मददगार साबित हुआ होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या बच्चों को गठिया हो सकता है?

जी हां, बच्चों को गठिया हो सकता है। गठिया का एक प्रकार है जुवेनाइल आर्थराइटिस। यह 16 साल से कम उम्र के बच्चों को होता है (6)

क्या अधिक वजन गठिया को प्रभावित करता है?

वजन का अधिक होना भी आर्थराइटिस का अहम कारण माना गया है। शरीर का वजन जरूरत से ज्यादा होने पर घुटनों, कूल्हों व कमर पर ज्यादा बोझ पड़ता है। आगे चलकर इससे गठिया हो सकता है (1)

क्या मैं गठिया रोग के साथ व्यायाम कर सकता हूं?

जैसा कि आपको लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि योग और व्यायाम के माध्यम से गठिया में राहत पाई जा सकती है। इसलिए, गठिया से राहत के लिए हल्का व्यायाम (जैसे :- टहलना, मोशन एक्सरसाइज और मसल्स ट्रेनिंग एक्सरसाइज) का उपयोग किया जा सकता है (1)

क्या गठिया पूरी तरह से दूर हो सकता है?

गठिया को पूरी तरह से नहीं ठीक किया जा सकता है। इसलिए, इलाज के तौर पर इसके लक्षणों और जोखिमों को दूर करने का प्रयास किया जाता है (1)

कौन से खाद्य पदार्थ गठिया को बदतर बना सकते हैं?

अत्यधिक वसा युक्त खाद्य, हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप, मीठी सॉफ्ट ड्रिक्स, फ्रूट ड्रिंक और सेब का जूस गठिया की समस्या में न लेने की सलाह दी जाती है। इन खाद्यों के कारण गठिया की समस्या बढ़ सकती है (30)

क्या गठिया के लिए अंडे खराब हैं?

अंडे में मौजूद फोस्फोलिपिड के कारण इसमें एंटीइन्फ्लामेट्री (सूजन को कम करने वाला) गुण पाया जाता है। यह गुण गठिया की समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है (31)। इसलिए, अंडे को गठिया में खराब नहीं कहा जा सकता। हां, इस संबंध में अधिक प्रमाण न होने के कारण गठिया से ग्रस्त रोगियों को अंडे के सेवन से पहले एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लेना चाहिए।

क्या कॉफी गठिया के लिए अच्छी है?

डिकैफिनेटेड कॉफी (कैफीन अलग की हुई) का उपयोग गठिया में सहायक साबित हो सकता है  (32)

क्या केले गठिया के लिए खराब हैं?

नहीं, केला एंटीइन्फ्लामेट्री गुण युक्त खाद्यों में शामिल है, जिसे गठिया में लेने की सलाह दी जा सकती है (28)

गठिया का दर्द रात में क्यों बढ़ जाता है?

शरीर में कार्टिसोल नाम का एक खास हार्मोन बनता है, जिसमें एंटीइन्फ्लामेट्री प्रभाव पाया जाता है। यह शरीर को दर्द और थकान की अनुभूति नहीं होने देता है। इसकी मात्रा दिन के दौरान शरीर में अधिक होती है, जबकि शाम होते-होते यह धीरे-धीरे कम होने लगता है। यही वजह है कि दिन के मुकाबले गठिया रोगियों को रात में दर्द अधिक महसूस होता है (33)

गठिया स्केलेटन सिस्टम को कैसे प्रभावित करता है?

जैसा कि ऊपर लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि गठिया में जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या होती है। चूंकि जोड़ स्केलेटन सिस्टम का अहम हिस्सा है। इसलिए, गठिया के कारण संपूर्ण स्केलेटन सिस्टम की कार्य क्षमता प्रभावित होती है।

गठिया की सूजन कितने समय तक रहती है?

गठिया की सूजन कितने समय तक रह सकती है, यह समस्या की गंभीरता पर निर्भर करता है। अच्छा होगा इस विषय में डॉक्टर से सही जानकारी लें और समय रहते इलाज करवाएं।

गठिया के लिए सबसे अच्छा विटामिन कौन-सा है?

गठिया के लिए विटामिन-ई को सबसे अच्छा विटामिन माना जाता है (34)

क्या नींबू पानी पीना गठिया के लिए अच्छा है?

नींबू में एंटीइफ्लामेट्री गुण पाया जाता है, जो सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। इसलिए, इसके सेवन से गठिया की समस्या में राहत मिल सकती है (35)। ऐसे में नींबू पानी को गठिया में फायदेमंद माना जा सकता है।

क्या सेब का सिरका गठिया के लिए अच्छा है?

हां, सेब का सिरका गठिया के दर्द से राहत दिलाने में काफी हद तक कारगर साबित हो सकता है (36)

क्या पानी पीने से गठिया में मदद मिलती है?

हां, पानी पीने से गठिया में मदद मिल सकती है (37)

मैं अपनी उंगलियों में गठिया कैसे रोक सकता हूं?

गठिया से बचाव के लिए जरूरी है कि आप मैनुअल थेरेपी (अपनी उंगलियों को चलाते रहें) का इस्तेमाल करें (38)। वहीं, समस्या अधिक है, तो आप लेख में ऊपर बताए गए किसी सी उपचार के तरीके को अपना सकते हैं।

Sources

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