गोमुखासन के फायदे, नियम और करने का तरीका – Gomukhasana (Cow Face Pose) Benefits in Hindi

Written by , MA (Mass Communication) Anuj Joshi MA (Mass Communication)
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स्वस्थ जीवनयापन के लिए योग और पौष्टिक खान-पान अच्छा तरीका है। अगर आप अपनी दिनचर्या में सुबह या शाम कुछ मिनट योग के लिए निकालते हैं, तो इससे बेहतर कुछ नहीं है। प्रतिदिन कुछ मिनट का योगाभ्यास न सिर्फ शरीर से तदुंरुस्त रखता है, बल्कि मन को भी शांत रखने में मदद कर सकता है। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम ऐसे ही एक आसन के बारे में बता रहे हैं, जिसे गोमुखासन कहा जाता है। इसे करना आसान है और कई बीमारियों को दूर रखने में मदद मिल सकती है। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम गोमुखासन करने का तरीका और गोमुखासन के फायदे के साथ ही गोमुखासन की सावधानियां भी बताएंगे। गोमुखासन करने का फायदा तभी है, जब इसे नियमित रूप से किया जाए और साथ ही संतुलित आहार का भी सेवन किया जाए।

आर्टिकल के पहले भाग में हम गोमुखासन के बारे में बता रहे हैं।

गोमुखासन क्या है? – What Is Gomukhasana in Hindi

योग के विभिन्न आसनों में से एक गोमुखासन भी है। इस योगासन को हठ योग की श्रेणी में गिना जाता है। गोमुखासन को इंग्लिश में काऊ फेस पॉज के नाम से जाना जाता है। यह दो शब्द गौ और मुख से मिलकर बना है। गौ का मतलब गाय और मुख का मतलब चेहरे से है। इस आसन को करते समय जांघें और दोनों हाथ एक छोर से पतले और दूसरे छोर से चौड़े दिखाई देते है, जो गाय के मुख की तरह दिखाई देते हैं। यही कारण है कि इस आसन को गोमुखासन कहा जाता है (1)।

आइए, अब गोमुखासन के फायदे के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।

गोमुखासन के फायदे – Benefits of Gomukhasana (Cow Face Pose) in Hindi

योग का फायदा तभी होगा, जब उसे सही तरीके से किया जाए। आइए, जानते हैं कि गोमुखासन स्वास्थ्य के लिहाज से किस-किस प्रकार फायदेमंद हो सकता है।

1. हृदय को स्वस्थ रखने के लिए

गोमुखासन के फायदे में हृदय को स्वस्थ रखना शामिल है। दरअसल, इस आसन को करते समय शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है। इससे उच्च रक्तचाप की समस्या से बचा जा सकता है। उच्च रक्तचाप ऐसी स्थिति है, जो हृदय संबंधी समस्या को उत्पन्न कर सकती है। इस प्रकार यह आसन हृदय के लिए लाभकारी हो सकता है (1)।

2. शरीर के लचीलेपन को बढ़ावा

गोमुखासन करने से शरीर में लचीलापन आ सकता है। इसकी पुष्टि करने के लिए वैज्ञानिक ने शोध किया और बाद में यह शोध एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया। इस शोध में 50 से 79 वर्ष की करीब 56 महिलाओं को शामिल किया। इन सभी को हफ्ते में एक बार 90 मिनट तक हठ योग कराया गया। इसमें गोमुखासन सहित कई प्रकार की योगासन शामिल थे। यह योग प्रक्रिया करीब 20 हफ्ते तक चली। इसके बाद इन महिलाओं के स्पाइन यानी रीढ़ की हड्डी में लचीलापन पाया गया। इस आधार पर माना जा सकता है कि गोमुखासन करने से शरीर में लचीला आ सकता है (2)।

3. मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए

अगर कोई नियमित रूप से योगासन करता है, तो मधुमेह जैसी समस्या परेशान नहीं कर सकती। वहीं, अगर कोई मधुमेह से ग्रस्त है, तो उनके लिए गोमुखासन किसी वरदान से कम नहीं है। गोमुखासन करने पर मधुमेह की समस्या को नियंत्रण में किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक वैज्ञानिक अध्ययन में बताया गया है कि कुछ योगासन को करने से मधुमेह से थोड़ी राहत मिल सकती है। इन योगासनों में गोमुखासन भी शामिल है (3)। यह आसन किस तरह फायदे पहुंचाता है, इस पर अभी और शोध की जरूरत है।

4. मांसपेशियों की मजबूती

प्रतिदिन योगाभ्यास करने से सिर्फ शरीर ही नहीं, बल्कि मांसपेशियों को भी मजबूती मिल सकती है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर इस संबंध में भी एक रिसर्च पेपर प्रकाशित है। इसमें बताया गया है कि 12 सप्ताह तक प्रतिदिन हठ योग करने से शरीर को कई लाभ हो सकते हैं। इन लाभों में मांसपेशियों की मजबूती भी शामिल है। वहीं, लेख में ऊपर बताया गया है कि हठ योग में गोमुखासन भी शामिल है (4)। इसलिए, ऐसा माना जा सकता है कि गोमुखासन के फायदे मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए हो सकते हैं। फिलहाल, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।

5. तनाव और चिंता से राहत के लिए

इस बात से लगभग सभी परिचित है कि तनाव और चिंता से छुटकारा पाने का सबसे बेहतर तरीका योग है। गोमुखासन को करने पर होने वाली श्वसन क्रिया के माध्यम से मन शांत होता है। इससे हर तरह के मानसिक तनाव से छुटकारा मिल सकता है। तनाव से राहत मिलने से कई अन्य शारीरिक समस्याएं भी दूर होने लगती हैं (1)।

इस आर्टिकल के अगले भाग में हम गोमुखासन से पहले किए जाने वाले आसन की जानकारी दे रहे हैं।

गोमुखासन से पहले करें ये आसन

गोमुखासन के बेहतर लाभ के लिए उससे पहले दूसरे योगासन करना जरूरी है। इन आसनों के बारे में हम नीचे बता रहे हैं :

  • ताड़ासन (Mountain Pose)
  • वीरासन (Hero Pose)
  • सुप्त पादंगुष्ठासन (Reclining Hand-to-Big-Toe Pose)
  • बद्धकोणासन (Bound Angle Pose)
  • तितली आसन (Butterfly Pose)

आइए, अब गोमुखासन करने का तरीका जान लेते हैं।

गोमुखासन करने का तरीका – Steps to do Gomukhasana in Hindi

  • एक समतल स्थान पर योग मैट बिछा लें और दंडासन की स्थिति में बैठ जाएं।
  • इस स्थिति में दोनों पैर सामने की तरफ फैला होंगे और हाथ शरीर से सटे हुए जमीन के पास रहेंगे।
  • फिर उसके बाद दाएं पैर को मोड़कर बाईं जंघा के नीचे से ले जाते हुए बाएं नितंब के पास जमीन पर रख दें।
  • इसी तरह बाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए दाईं जंघा के ऊपर से बाएं नितंब के पास जमीन पर रख दें।
  • अब दाएं हाथ को ऊपर उठाएं और कोहनी से मोड़कर पीठ के पीछे की तरफ ले जाएं।
  • इसके बाद बाएं हाथ को पीठ के पीछे ले जाकर कोहनी से मोड़ते हुए दाएं हाथ की उंगलियों को पकड़ने का प्रयास करें।
  • इस स्थिति में आपकी पीठ बिल्कुल सीधी रहनी चाहिए।
  • कुछ सेकंड इसी स्थिति में बने रहें और नियमित रूप से सांस लेते रहें।
  • फिर गोमुखासन से बाहर आने के लिए प्रक्रिया को विपरीत क्रम में करें।
  • यह गोमुखासन का आधा चक्र है। फिर इस प्रक्रिया को दूसरी तरफ से भी करें।
  • शुरुआत में इस आसन को तीन से चार बार तक कर सकते हैं।

इस आर्टिकल के अगले भाग में गोमुखासन को करते समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया गया है।

गोमुखासन के लिए कुछ सावधानियां – Precautions for Gomukhasana In Hindi

अगर नीचे बताई गई किसी भी तरह की समस्या हो, तो इस आसन को न करें।

  • अगर गोमुखासन करते समय हाथ को पीछे की तरफ ले जाने में दर्द होता है, तो ऐसे में इस आसन को नहीं करना चाहिए।
  • इस आसन को करने के लिए दोनों पैर को मोड़ने पर घुटनों में दर्द होता है, तो इस आसन को करने से बचें।
  • मांसपेशियों में दर्द महसूस होने पर इस आसन को करने से बचना चाहिए।
  • अगर रीढ़ की हड्डी से संबंधित किस तरह की शिकायत है, तो भी इस योगासन को नहीं करना चाहिए।

इस लेख के माध्यम से आपको यह स्पष्ट हो गया होगा कि प्रतिदिन कुछ मिनट निकालकर योग करने पर शरीर के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखा जा सकता है। अगर गोमुखासन करने का तरीका सही न हो, तो इसके फायदे के जगह नुकसान हो सकता है। इसलिए, गोमुखासन सहित कोई भी आसन करने से पहले इसे विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए। उसके बाद ही स्वयं से अभ्यास करना सही है। हम उम्मीद करते है कि इस आर्टिकल में दी गई प्रत्येक जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। इस आर्टिकल से जुड़ी अन्य किसी तरह की जानकारी या सुझाव के लिए आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स की मदद से हमसे संपर्क कर सकते हैं।

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