65+ Best Gulzar Quotes in Hindi – गुलजार साहब की शायरी | Gulzar Shayari

Written by , MA (Mass Communication) Aviriti Gautam MA (Mass Communication)
 • 
 

Banner image Source: wiki / CC BY 3.0

कविता, शायरी या गीतों की बात हो और गुलजार साहब व उनकी गुलजार शायरी का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। आम इंसान से जुड़ा ऐसा कोई मुद्दा नहीं है, जिसे गुलजार साहब ने शब्दों के जरिए कागज पर न उतारा हो। फिर चाहे वो रंग प्यार का हो, जुदाई का हो या फिर जीवन की कड़वी सच्चाई ही क्यों न हो। इनकी शायरी को पढ़कर या सुनकर ऐसा एहसास होता है कि जैसे हमारी ही बात हो रही है। स्टाइलक्रेज के इस खास लेख में हम गुलजार साहब की शायरी में से कुछ ऐसे ही नायाब मोती आपके लिए चुनकर लाए हैं। आप इन गुलजार कोट्स को पढ़ें और आनंद लें।

स्क्रॉल करें

यहां आपको गुलजार साहब की शायरी से जिंदगी का फलसफा समझने में मदद मिलेगी।

65+ गुलजार शायरी – Heart-Felt and Heart touching Gulzar Shayari In Hindi

गुलजार साहब की शायरी हम दो-तीन हिस्सों में बांटकर आपके लिए लाए हैं। यहां आप उनके द्वारा लिखी गई कुछ प्यार भरी और कुछ लाजवाब दो लाइन शायरी पढ़ सकते हैं। इन शारियरों से पहले हम आपको गुलजार साहब के उस खास अंदाज से वाकिफ करवाएंगे, जिसमें वो जिंदगी को शब्दों में पिरोकर पेश करते हैं।

जिंदगी पर गुलजार साहब की शायरी

fun-playing-in-the-field
Image: IStock

गुलजार शायरी में जिंदगी के नए-नए रंग और अनुभव नजर आते हैं। आइए, कुछ ऐसी ही गुलजार शायरी पढ़ते हैं।

1. क्या पता कब कहां मारेगी,
बस मैं जिंदगी से डरता हूं,
मौत का क्या है एक बार मारेगी।

2. एहतियातन बुझा-सा रहता हूं,
जलता रहता तो खाक हो जाता।

3. कुछ भी कायम नहीं है, कुछ भी नहीं,
और जो कायम है, बस एक मैं हूं,
मैं जो पल-पल बदलता रहता हूं।

4. जिंदगी जिसका बड़ा नाम सुना है हमने,
एक कमजोर हिचकी के सिवाए कुछ नहीं।

5. जिंदगी की दौड़ में तजुर्बा कच्चा ही रह गया,
हम सीख न पाए फरेब और दिल बच्चा ही रह गया।

6. लगता है आज जिंदगी कुछ खफा है,
चलिए छोड़िए कौन सी पहली दफा है।

7. एक तमन्ना थी कि जिंदगी रंग-बिरंगी हो,
और दस्तूर देखिए,
जितने भी मिले गिरगिट ही मिले।

8. थोड़ा सुकून भी ढूंढिए जनाब,
ये जरूरत तो कभी खत्म नहीं होंगी।

9. यहां हर किसी को दरारों में झांकने की आदत है,
दरवाजे खोल दो कोई पूछने भी नहीं आएगा।

10. इस दौर के लोगों में वफा ढूंढ रहे हो,
बड़े नादान हो साहब,
जहर की शीशी में दवा ढूंढ रहे हो।

11. बचपन में भरी दोपहरी में, नाप आते थे पूरा मोहल्ला,
जब से डिग्रियां समझ में आईं, पांव जलने लगे।

12. बड़े अजीब हो गए हैं रिश्ते आजकल,
सब फुरसत में हैं पर वक्त किसी के पास नहीं।

13. मिलता तो बहुत कुछ है इस जिंदगी में,
बस हम गिनती उसी की करते हैं,
जो हासिल न हो सका।

14. काश नासमझी में ही बीत जाए ये जिंदगी,
समझदारी ने तो बहुत कुछ छीन लिया।

15. बस तुझसे जुड़ा हूं ए-जिंदगी,
इसलिए जिंदा हूं एकतरफा,
वरना इंसान ढूंढने की कोशिश,
बंद कर दी है मैंने।

16. बिना मोबाइल खाली हाथ नजर आ जाए कोई तो,
खामख्वाह ही हाथ मिलाने को जी करता है।

17. हजारों उलझने राहों में और कोशिशें बेहिसाब,
इसी का नाम है जिंदगी, चलते रहिए जनाब।

18. इतनी बदसलूकी न कर ए-जिंदगी,
हम कौन-सा यहां बार-बार आने वाले हैं।

19. बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर,
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है।

20. जिंदगी एक रवायत है,
जिसे निभाना पड़ता है,
उनके बिना भी, जो कभी आपकी जिंदगी थे।

21. तुमसे मिली जाे जिंदगी,
हमने अभी बोई नहीं,
तेरे सिवा कोई न था,
तेरे सिवा कोई नहीं।

22. ये कशमकश है जिंदगी कैसे बसर करें,
पैरों को काट फेंकें या चादर बड़ी करें।

23. अपने अंदर के बच्चे को हमेशा जिंदा रखिए साहब,
हद से ज्यादा समझदारी,जिंदगी को बेरंग कर देती है।

24. काश फुरसत में उन्हें भी ये ख्याल आ जाए,
कि कोई याद करता है उन्हें जिंदगी समझकर।

25. कभी चांद की तरह टपकी,
कभी राह में पड़ी पाई,
कभी छींक की तरह खनकी,
कभी जेब से निकल आई,
अठन्नी-सी जिंदगी ये जिंदगी।

नोट: आप गुलजार की दो लाइन शायरी या फिर गुलजार कोट्स पढ़ने के लिए किताब भी खरीद सकते हैं। इसे लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

अभी लेख बाकी है

अब बारी है प्यार के रस में डूबे गुलजार कोट्स। फिर पढ़ेंगे गुलजार की दो लाइन शायरी।

प्यार पर गुलजार साहब की शायरी

silhouette-bird-heart-shape-on-pastel
Image: Shutterstock

प्यार को भी गुलजार साहब ने बखूबी बयां किया है। हर प्यार करने वाले को ये शायरियां पढ़कर अपनी मोहब्बत और उससे मिली बेकरारी याद आ जाएगी।

26. तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आई और चांद भी था, मगर नींद नहीं।

27. किसी पर मर जाने से होती है मोहब्बत,
इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं।

28. तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा है,
बेबसी की छत के नीचे कोई किसी को भूल रहा है।

29. कैसे करें हम खुद को तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं, तो तुम शर्ते बदल देते हो।

30. कब आ रहे हो मुलाकात के लिए,
मैंने चांद रोका है एक रात के लिए।

31. बिना तेरे रातें क्यों लंबी लगती हैं,
कभी तेरा गुस्सा, कभी तेरी बातें,
क्यों अच्छी लगती हैं।

32. तुमसे मिला था प्यार कुछ अच्छे नसीब थे,
हम उन दिनों अमीर थे, जब तुम करीब थे,
जीने को तेरे प्यार की दौलत मिली तो थी,
जब तुम नहीं थे, उन दिनों हम गरीब थे,
वो ख्वाहिशें अजीब थी, सपने अजीब थे।

33. काली-काली आंखों का काला-काला जादू है,
आधा-आधा सा तुझ बिन मैं, आधी-आधी सी तू है।

34. तमन्ना फिर मचल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ,
ये मौसम फिर बदल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ,
मुझे गम है कि जिंदगी में मैंने कुछ नहीं पाया,
ये गम दिल से निकल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ।

35. जब भी दिल तुझको याद करता है,
तू मेरे जिस्म से गुजरता है,
आंखों में क्यों रखा हुआ है
तू सांस में क्यों रुका हुआ है।

36. लब पे आता नहीं था उनका नाम,
आज आया तो बार-बार आया,
बेवजह बेकरार रहते थे,
बेवजह आज फिर करार आया,
हम तो भूले हुए थे दिल को मगर,
दिल ने क्यों आज हमको याद किया,
क्यों कुरेदा पुराना जख्म उसने,
क्यों किसी भूले गम को याद किया।

37. इतने लोगों में कह दो आंखों को,
इतना ऊंचा ऐसे न बोला करें,
लोग मेरा नाम जान जाते हैं।

38. ऐसा नहीं है कि दिन नहीं ढलता या रात नहीं होती,
सब अधूरा-अधूरा सा लगता है, जब तुमसे बात नहीं होती।

39. मैं हकलाने लगा हूं हिचकियां ले लेकर सारा दिन,
मुझे शक है कि सारा दिन तुम मुझे याद करती हो,
सुनो, क्या रात को अब नींद आने लग गई तुमको?

40. कभी तो चौक के देखे वो हमारी तरफ,
किसी की आंखों में हमको भी वो इंतजार दिखे।

41. तुम मिले तो क्यों लगा मुझे,
खुद से मुलाकात हो गई,
कुछ भी तो कहा नहीं मगर,
जिंदगी से बात हो गई।

42. सारी शिकायतों का हिसाब जोड़ कर रखा था मैंने,
उसने गले लगाकर सारा हिसाब ही बिगाड़ दिया।

43. चलो न शोर में बैठें जहां कुछ सुनाई न दे,
इस खामोशी में तो सोच भी बजती है कानों में।

44. बहुत दिन हो गए देखा नहीं न खत मिला कोई,
बहुत दिन हो गए सच्ची,
तेरी आवाज की बौछार में भीगा नहीं हूं मैं।

45. नहाकर गीले बालों में किसी का छत पे आ जाना,
उचक कर रस्सियों पर गीले कपड़ों का सुखाना,
हमेशा याद आएगा,
किसी को देखकर धड़कन का बढ़ जाना।

46. मुद्दत बाद फिर मिली हो तुम,
ये जो थोड़ी-सी भर गई हो तुम,
ये वजन तुम पे अच्छा लगता है।

47. ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए हैं,
फिर भी आंखों में तुम्हारा चेहरा समाए हुए हैं,
किताबों पर धूल जम जाने से कहानी कहां बदलती है।

48. कब से बैठा हुआ हूं मैं जानम,
सादे कागज पर लिखकर तेरा नाम,
बस तेरा नाम ही मुकम्मल है,
इससे बेहतर भी नज्म क्या होगा।

49. तेरा मिलना मेरे लिए ख्वाब ही सही,
पर तुझे भूले, ऐसा कोई लम्हा मेरे पास नहीं।

50. इक जरा चेहरा उधर कीजिए इनायत होगी,
आप को देख कर बड़ी देर से मेरी सांसें रुकी हैं।

नोट: गुलजार साहब की शायरी और गुलजार कोट्स के कुछ और रंग आपको इस किताब में भी पढ़ने को मिलेंगे। इसे खरीदने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

पढ़ते रहें लेख

आगे गुलजार साहब की कुछ खास दो लाइन शायरियां पढ़िए।

गुलजार साहब की दो लाइन शायरी

writing-travel-diary-memories-photos
Image: Shutterstock

गुलजार की दो लाइन शायरी की तो पूरी दुनिया दीवानी है। यहां हम कुछ ऐसे ही गुलजार कोट्स लेकर आए हैं।

51. चखकर देखी है कभी तन्हाई तुमने,
मैंने देखी है बड़ी ईमानदार लगती है।

52. पनाह मिल जाए रूह को जिसका हाथ छूकर,
उसी हथेली पर घर बना लो।

53. कुछ रिश्तों में मुनाफा नहीं होता,
पर जिंदगी को अमीर बना देते हैं।

54. जाने कब गुम हुआ कहां खोया,
एक आंसू छुपा के रखा था।

55. तकलीफ खुद कम हो गई,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गई।

56. कौन कहता है हम झूठ नहीं बोलते,
एक बार खैरियत पूछ के तो देखिए।

57. थोड़ा-सा रफू करके देखिए न,
फिर से नई-सी लगेगी, जिंदगी ही तो है।

58. बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायतें जो बयां नहीं होती।

59. शोर की तो उम्र होती है,
खामोशी सदाबहार है।

60. जैसे कहीं रखकर भूल गए हों वो,
बेफिक्र वक्त अब मिलता ही नहीं।

61. इच्छाएं बड़ी बेवफा होती हैं,
कमबख्त पूरी होते ही बदल जाती हैं।

62. रूह के बंधन खुलते नहीं हैं,
दाग हैं दिल के धुलते नहीं हैं।

63. नए अंधेरों में पुराने उजालों का इस्तेमाल करता हूं,
पॉकेट में रखी गुनगुनी धूप बहुत काम आती है।

64. खुशबू जैसे लोग मिले अफसाने में,
एक पुराना खत खोला अनजाने में।

65. काले सन्नाटों को अब एक आवाज मिल गई,
उड़ती पत्तियां भी देखो गुर्राने लगी हैं।

66. तुमने गीली लकड़ी-सा इश्क सुलगाया,
न पूरा जल पाया न कभी बुझ पाया।

67. वक्त की कसौटी से हर रिश्ता गुजर गया,
कुछ निकले खरे सोने से, कुछ का पानी उतर गया।

68. सहमा-सहमा डरा-सा रहता है,
जाने क्यों जी भरा-सा रहता है।

69. रिश्ते बस रिश्ते होते हैं,
कुछ एक पल के, कुछ दो पल के।

70. जब भी उदास हो, तो रो दिया करो,
चेहरे पढ़ना अब भूल गए हैं लोग।

गुलजार साहब की शायरी में आम बोलचाल के शब्द होते हैं, जो लोगों को खुद से जोड़ लेते हैं। यही गुलजार साहब की शायरियों की खासियत है। शायद इसी वजह से पूरी दुनिया उनकी शायरियों और कविताओं की दीवानी है। इसी वजह से हमने लेख में गुलजार शायरी के साथ-साथ गुलजार की दो लाइन शायरी भी शामिल की हैं। इन गुलजार कोट्स को आप अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं या फिर अपने सोशल प्लेटफॉर्म पर बतौर स्टेटस भी लगा सकते हैं।

Was this article helpful?
thumbsupthumbsdown
The following two tabs change content below.

ताज़े आलेख