हीट थेरेपी और कोल्ड थेरेपी में से क्या बेहतर है? – Heat Therapy vs Cold Therapy in Hindi

Written by , BA (Journalism & Media Communication) Saral Jain BA (Journalism & Media Communication)
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शरीर में कहीं भी दर्द हो, तो सबसे पहले सभी सिकाई करने की सलाह देते हैं। इसके लिए हीट थेरेपी और कोल्ड थेरेपी में से कुछ भी किया जा सकता है, लेकिन दोनों को इस्तेमाल करने का तरीका अलग-अलग है। जहां एक ओर चोट लगने पर तुरंत दर्द को कम करने के लिए कोल्ड थेरेपी के फायदे नजर आते हैं। वहीं, पुराने दर्द को कम करने में हीट थेरेपी के फायदे कारगर हो सकते हैं। इसलिए, चिकित्सा के क्षेत्र में हीट थेरेपी और कोल्ड थेरेपी का अहम योगदान है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम इन दो थेरेपी के बारे में ही विस्तार से बात करेंगे।

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कोल्ड थेरेपी के फायदे जानने से पहले हम हीट थेरेपी के बारे में बात करेंगे।

हीट थेरेपी क्या है? – What is Heat therapy in Hindi

हीट थेरेपी को मेडिकल भाषा में थर्मोथेरेपी भी कहा जाता है। इस थेरेपी में हाट क्लॉथ, पानी की गर्म बोतल, अल्ट्रासाउंड, हीटिंग पैड, हाइड्रोकोलेटर पैक व व्हर्लपूल बाथ जैसे हीट प्रदान करने वाले उपकरणों का उपयोग किया जाता है। इनके इस्तेमाल से शरीर में किसी भी जगह होने वाले दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है। इसे खास तौर पर रूमेटाइड अर्थराइटिस, मांसपेशियों की ऐंठन, चोट के दर्द को कम करने और क्षतिग्रस्त टिश्यू को ठीक करने में फायदेमंद माना जाता है (1)।

हीट थेरेपी अन्य कई समस्याओं में भी फायदेमंद हो सकती है। इसमें जोड़ों की अकड़न और दर्द को कम करने के साथ ही सूजन की समस्या, एडिमा व रक्त प्रवाह में वृद्धि शामिल हैं। हीट थेरेपी के जरिए प्रभावित जगह पर रक्त का प्रवाह बेहतर होता है, जिससे दर्द से राहत मिल सकती है (1)। हीट थेरेपी के अन्य फायदों के बारे में विस्तार से जानने के लिए लेख में बने रहिए।

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हीट थेरेपी को जानने के बाद यहां हीट थेरेपी के प्रकार बता रहे हैं।

हीट थेरेपी के प्रकार – Types of Heat therapy in Hindi

मुख्य रूप से हीट थेरेपी के दो प्रकार माने गए हैं, मॉइस्ट हीट व ड्राई हीट। इन दोनों के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है (1)।

  • मॉइस्ट हीट- इसे कन्वेक्शन हीट भी कहा जाता है। इसे तेज और प्रभावी तरीके की हीट एप्लीकेशन कहा जाता है। इसके लिए हॉट वॉटर (गर्म पानी) और स्टीम (भाप) का उपयोग किया जाता है। नमी युक्त हीट यानी मॉइस्ट हीट में कम समय लगा है। इसके उदाहरण, सॉना बाथ, स्टीम्ड टॉवल, हॉट बाथ, हॉट टब और हॉट शॉवर हैं।
  • ड्राई हीट- इसे कंडक्टेड हीट थेरेपी के रूप में भी जाना जाता है। इस थेरेपी को गर्मी प्रदान करने वाले उन उपकरण या स्रोतों की मदद से किया जाता है, जिन्हें शरीर के विशिष्ट भागों पर इस्तेमाल करना आसान होता है। इन स्रोतों और उपकरणों में हॉट पैक, हॉट जैल, रैप्स, हीटिंग पैड, इंफ्रारेड सॉना और मसाज चेयर शामिल हैं।

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यहां हम विस्तार से हीट थेरेपी के फायदों के बारे जानेंगे।

हीट थेरेपी के फायदे – Heat therapy Benefits in Hindi

सेहत के लिए हीट थेरेपी के फायदे कई प्रकार से हो सकते हैं। यहां हम विस्तार से बता रहे हैं (1)।

  1. मांसपेशियों के दर्द में : एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया है कि दर्द को कम करने में हीट थेरेपी फायदेमंद हो सकती है (2)। वहीं, एक अन्य शोध से पता चला है कि हीट थेरेपी के इस्तेमाल से शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर हो सकता है। इसलिए, हीटिंग पैड या गर्म पानी की थैली लगाने से मांसपेशियों के दर्द से राहत मिल सकती है। साथ ही गर्म पानी के कंप्रेस का उपयोग करने से पीठ दर्द से भी आराम मिल सकता है (3)।
  1. जोड़ों के दर्द से राहत : जोड़ों के दर्द की समस्या में भी हीट थेरेपी फायदेमंद हो सकती है। दरअसल, हीट थेरेपी से टिश्यू की इलास्टिसिटी बढ़ती है, जिससे जोड़ों का दर्द कम हो सकता है। साथ ही हीट थेरेपी शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाती है, जिससे दर्द कम करने में मदद मिल सकती है (3)।
  1. प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार : हीट थेरेपी का उपयोग कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए भी किया जा सकता है। इस विषय पर हुए एक रिसर्च से इस बात की पुष्टी होती है। रिसर्च के अनुसार पूरे शरीर पर हीट थेरेपी के माध्यम से गर्मी दी जाती है, जिससे शारीरिक लचीलेपन से प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाया जा सकता है (4)।
  1. बॉडी डिटॉक्स का काम : शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने यानी कि डिटॉक्सीफिकेशन के लिए भी हीट थेरेपी के फायदे देखे गए हैं। रिसर्च में पाया गया कि नियमित स्टीम/साॅना बाथ लेने से शरीर से पसीना निकलता और पसीने के साथ विषाक्त पदार्थ भी बाहर निकल सकते हैं (5)।
  1. सांस संबंधी वायरस के लिए : रेस्पेरेटरी वायरस के कारण नाक में बलगम जमने की समस्या हाे सकती है। इस समस्या में हीट थेरेपी का उपयोग लाभदायक हो सकता है। शोध के मुताबिक हॉट स्प्रिंग्स, सॉना, स्टीम रूम, स्वेट लॉज, स्टीम इनहेलेशन, गर्म मिट्टी और पोल्टिस का उपयोग रेस्पेरेटरी इंफेक्शन को रोकने के लिए किया जा सकता है। इससे नाक में बलगम जमने की समस्या भी कम हो सकती है (6)।

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हीट थेरेपी के फायदे के बाद जानते हैं कि हीट थेरेपी का उपयोग कैसे कर सकते हैं।

हीट थेरेपी का उपयोग कैसे करें – How to use Heat therapy in Hindi

हीट थेरेपी का उपयोग मॉइस्ट हीट और ड्राई हीट के रूप में अलग-अलग तरीके से किया जाता है। इनके उपयोग के बारे में हम नीचे बता रहे हैं (1)।

1. मॉइस्ट हीट थेरेपी-

  • सॉना बाथ: इसे स्टीम बाथ भी कहते हैं। इस थेरेपी में व्यक्ति को एक स्टीम रूप में कुछ देर के लिए भेजा जाता है। जहां चारों ओर से आने वाली भाप तापमान को गर्म करती है, जिसके कारण पसीने के माध्यम से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जा सकता है।
  • स्टीम्ड टॉवल: इस थेरेपी को करने के लिए एक टॉवल को पानी में भिगोकर उसे निचोड़ लेते हैं, फिर उसे माइक्रोवेव में 30 सेकंड तक गर्म होने के लिए रख देते हैं। जब टॉवल का तापमान अनुकूल हो जाए, तो इऐ प्रभावित अंग पर रखा जाता है।
  • हॉट टब बाथ: इस थेरेपी में एक बाथिंग टब में 48 से 55 डिग्री सेल्सियस तापमान के पानी को भरा जाता है। फिर टब में कुछ देर के लिए लेटा जाता है। इस थेरेपी में सिर पानी के बाहर रहता है।
  • हॉट शॉवर: जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है, इस थेरेपी में शॉवर से निकलने वाले गर्म पानी के जरिए मरीज को नहलाकर उसका उपचार किया जाता है।

2. ड्राई हीट थेरेपी-

  • हॉट पैक: इस थेरेपी में सिलिकॉन के पैक में गर्म पानी को भर प्रभावित क्षेत्र पर समस्या को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • हॉट जेल पैक: इस थेरेपी में बाजार से मिलने वाले कुछ विशेष प्रकार के जेल पैक का उपयोग किया जाता है। प्रभावित क्षेत्र पर लगाने के पहले इन जेल पैक को पानी में एक निश्चित तापमान तक गर्म किया जाता है।
  • रैप्स: यह एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है, जिसे बिजली के द्वारा गर्म किया जाता है। गर्म होने के बाद इसे प्रभावित क्षेत्र पर रख दिया जाता है।
  • हीटिंग पैड: यह भी एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, इसे चार्ज और गर्म करके इसका उपयोग दर्द और चोट पर करना बहुत आसान होता है।
  • इंफ्रारेड सॉना: इस थेरेपी में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन का उपयोग कर इन्फ्रारेड लैंप द्वारा शरीर को गर्मी प्रदान की जाती है। इसके साथ ही इसमें हवा को गर्म करने से पहले शरीर को गर्म किया जाता है।

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आइए, अब जानते हैं कि किस अवस्था में हीट थेरेपी से बचना चाहिए।

हीट थेरेपी का उपयोग कब नहीं करना चाहिए – When should you not use Heat therapy in Hindi

ऐसे कुछ मामले हैं जहां हीट थेरेपी का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, जैसे- शरीर में चोट या खुला घाव होना। इसके अलावा, कुछ खास मेडिकल कंडीशन में भी हीट थेरेपी को इस्तेमाल न करने की सलाह दी जाती है, जो इस प्रकार है (7):

  • गर्मी के प्रति संवेदनशील होने पर।
  • डायबिटीज मेलिटस यानी रक्त में ग्लूकोज की मात्रा उच्च स्तर पर होना।
  • एटोपिक यानी त्वचा पर सूजन होने पर।
  • रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लगने पर।
  • मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस) यह ऐसी बीमारी है, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है।
  • रूमेटाइड अर्थराइटिस के गंभीर रूप लेने पर।
  • अगर गर्भवती हैं, तो सॉना या हॉट टब का उपयोग नहीं करना चाहिए।

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यहां हम जानकारी दे रहे हैं कि हीट थेरेपी किस प्रकार हानिकारक साबित हो सकती है।

हीट थेरेपी के जोखिम – Risks of heat therapy in Hindi

  • हीट थेरेपी के फायदे होने के साथ ही इसके कुछ जोखिम कारक भी हो सकते हैं। यहां हम उन्हीं के बारे में बता रहे हैं (7)।
  • हीट थेरेपी में तेज गर्म चीज का इस्तेमाल करने से त्वचा जल सकती है।
  • यदि कोई संक्रमण है और हीट थेरेपी का उपयोग करते हैं, तो संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है।
  • थेरेपी को सीधे तौर पर प्रभावित क्षेत्र पर इस्तेमाल करने से त्वचा जल सकती है।
  • एक बार में 20 मिनट से अधिक समय तक हीटिंग टूल्स का उपयोग त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • अगर सूजन की समस्या गंभीर है, तो हीट थेरेपी लेने से परेशानी और बढ़ सकती है।
  • संवेदनशील लोगों में इसका नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है।

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हीट थेरेपी के बाद अब हम कोल्ड थेरेपी के फायदे विस्तार से जानेंगे।

कोल्ड थेरेपी क्या है? – What is Cold therapy in Hindi

कोल्ड थेरेपी को क्रायोथेरेपी भी कहा जाता है। इस तकनीक में शरीर के प्रभावित हिस्से को कुछ मिनटों तक अधिक ठंडे तापमान के संपर्क में रखा जाता है। इस थेरेपी के माध्यम से शरीर के किसी विशेष अंग या फिर पूरे शरीर का उपचार किया जाता है। उपचार के लिए कई माध्यमाें का उपयोग किया जाता है, जिनमें आइस पैक, आइस मसाज, कूलेंट स्प्रे और आइस बाथ शामिल हैं (8)।

कुछ लोग इस थेरेपी को महीने में एक या दो बार ही लेते है, लेकिन यहां बता दें कि जल्दी असर देखने के लिए इस थेरेपी को नियमित रूप से लेना चाहिए जैसे कि एथलीट लेते हैं। वे दिन में लगभग दो बार तक क्रायोथेरेपी का इस्तेमाल करते हैं।

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यहां जानें कि कोल्ड थेरेपी के प्रकार कौन-कौन से होते हैं।

कोल्ड थेरेपी के प्रकार – Types of cold therapy in Hindi

प्रभावित क्षेत्र में कोल्ड थेरेपी लगाने के अलग-अलग तरीके हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है (8):

  1. आइस पैक या फ्रोजन जेल पैक : यह कोल्थ थेरेपी का सबसे सामान्य तरीका है। इसे करने के लिए आइस पैक के अंदर क्यूब्स या क्रश्ड आइस का उपयोग किया जाता है। शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि दर्द और चोट की अवस्था को कम करने के लिए आइस पैक का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। इसमें उपचार के दौरान इंट्रामस्क्युलर तापमान को कम कर दर्द के स्तर को कम किया जा सकता है (9 )।
  1. आइस स्प्रे : जैसा कि हमने बताया कि तापमान को कम करने पर दर्द की स्थिति को कम किया जा सकता है। ठीक ऐसे ही आइस स्प्रे का कूलिंग इफेक्ट भी उपचार के दौरान प्रभावित क्षेत्र को ठंडा कर अपना असर दिखा सकता है (10)।
  1. आइस बाथ : इस तकनीक में व्यक्ति को बर्फ के पानी से भरे हुए एक छोटे पूल में 5 से 10 मिनट तक बैठाया जाता है, जिसमें सिर को छोड़कर उसका पूरा शरीर बर्फ से ठंडे हुए पानी में रहता है (11 )। इसके अलावा, इस तकनीक में कूलिंग चेंबर का उपयोग भी किया जा सकता है।
  1. आइस मसाज : इस तकनीक में बर्फ का उपयोग प्रभावित स्थान पर मसाज के लिए किया जाता है। माना जाता है कि इस प्रकार मालिश करने से दर्द और सूजन से तुरंत फायदा हो सकता है (12 )। इसे किसी हल्के कपड़े में लपेटकर प्रभावित स्थान के आस-पास या फिर पूरे शरीर पर मसाज करते हैं।

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प्रकार के बाद बारी है कोल्ड थेरेपी के फायदे जानने की।

कोल्ड थेरेपी के फायदे – Benefits of cold therapy in Hindi

कोल्ड थेरेपी के फायदों के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है (8) (3)।

  1. माइग्रेन में लाभकारी : माइग्रेन की समस्या में कोल्ड थेरेपी का उपयोग प्रभावी हो सकता है। रिसर्च में पाया गया है कोल्ड थेरेपी से माइग्रेन का इलाज करीब 150 वर्ष से किया जा रहा है। रिसर्च में नमक और बर्फ के मिश्रण को मरीज के सिर के चारों ओर लपेटा गया। इसमें पाया गया कि बर्फ ने इंट्राक्रैनील वाहिकाओं से गुजरने वाले रक्त को ठंडा करके माइग्रेन के दर्द को कुछ कम कर दिया है (13)।
  1. नर्वस सिस्टम पर असरदार : कोल्ड थेरेपी का उपयोग नर्व को सुन्न कर दर्द की स्थिति को कम करने में फायदेमंद हो सकता है। रिसर्च में पाया गया कि आइस थेरेपी के माध्यम से रक्त वाहिकाओं को संकुचित करके प्रभावित क्षेत्र की तंत्रिका को अस्थायी रूप से सुन्न करके दर्द से राहत मिल सकती है (14 )।
  1. मूड ठीक करे : मूड को ठीक करने में भी आइस थेरेपी का उपयोग कारगर माना जा सकता है। शोध के अनुसार काेल्थ थेरेपी मूड विकार जैसे कि चिंता और अवसाद से प्रभावित लोगों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। दरअसल, यह मूड डिसऑर्डर काे कम बनने वाले हार्मोन एड्रेनालाइन, नॉरएड्रेनालाइन और एंडोर्फिन को रिलीज करने में मददगार हो सकता है। इससे मूड कुछ ठीक हो सकता है (15)।
  1. गठिया का दर्द कम करे : कोल्ड थेरेपी का इस्तेमाल सूजन संबंधी समस्या, जैस कि गठिया, में भी लाभदायक हो सकता है। वैज्ञानिकों के द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि पूरे शरीर की क्रायोथेरेपी के माध्यम से गठिया के रोगियों में दर्द को काफी हद तक कम कर दिया है। शोध में इलाज के दौरान रोगियोंं को एक कोल्ड चेंबर में लगभग औसतन 2.5 मिनट तक बैठाया गया, जिसमें पाया गया कि इलाज के बाद उनके जोड़ों में दर्द की स्थिति में अस्थाई रूप से सुधार हुआ है (16 )।
  1. अल्जाइमर में मददगार : अल्जाइमर यानी भूलने की समस्या को कम करने में भी कोल्ड थेरेपी असरदार हो सकती है। इस विषय पर हुए एक रिसर्च में पाया गया कि क्रायोथेरेपी के एंटी-ऑक्सीडेटिव और एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव अल्जाइमर के दौरान होने वाली सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद कर सकते हैं (17)।
  1. त्वचा की समस्या में : कई बीमारियों के साथ ही त्वचा से संबंधित बीमारी में भी कोल्ड थेरेपी का सकारात्मक प्रभाव देखा गया है। दरअसल, क्रायोथेरेपी रक्त में एंटीऑक्सीडेंट के स्तर में सुधार करने के साथ ही एटॉपिक डर्माटाइटिस के कारण होने वाली ड्राइनेस और खुजली के लक्षण को कम कर सकती है (18)।

आगे हैं कुछ खास

आर्टिकल के इस हिस्से में हम जानेंगे कि कोल्थ थेरेपी का उपयोग किस प्रकार से कर सकते हैं।

कोल्ड थेरेपी का उपयोग कैसे करें – How to use cold therapy in Hindi

कोल्ड थेरेपी का उपयोग करने के पहले इस बात का ध्यान रहे कि बर्फ को सीधे त्वचा पर नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि इससे त्वचा और टिश्यू को नुकसान हो सकता है (8)। इसके अलावा, चोट लगने के बाद 48 घंटे के अंदर बर्फ से की गई सिकाई दर्द को कम करने में मदद कर सकती है। यहां उपयोग की विधि और ध्यान रखने योग्य बातों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

  • बर्फ का उपयोग प्रभावित स्थान पर हल्के हाथों से सर्क्यूलर मोशन में करना चाहिए।
  • जहां दर्द महसूस हो रहा हो, उस जगह के आस-पास छह इंच तक कोल्ड थेरेपी को इस्तेमाल करना चाहिए।
  • आइस मसाज को सीधे तौर पर त्वचा पर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे हड्डी में नंबनेस यानी सुन्नपन आ सकता है।
  • इसे लंबे समय तक त्वचा के संपर्क में नहीं रखना चाहिए। इसे ज्यादा से ज्यादा 5 मिनट तक ही त्वचा पर इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • इस थेरेपी को दिन में दो से पांच बार दोहराया जा सकता है।

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यहां जानें कोल्थ थेरेपी का उपयोग करते समय ध्यान रखने योग्य बातें।

कोल्ड थेरेपी का उपयोग कब नहीं करना चाहिए – When should you not use cold therapy in Hindi

  • निम्न परिस्थितियों में कोल्ड थेरेपी को इस्तेमाल करने से बचना चाहिए (8)।
  • संवेदनशील लोगों को कोल्ड थेरेपी का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • मधुमेह के रोगियों को भी इसका उपयोग करने से बचना चाहिए।
  • मांसपेशियों या सख्त जोड़ों पर भी कोल्ड थेरेपी का उपयोग सीधे तौर पर नहीं करना चाहिए।
  • निम्न रक्त संचार होने पर कोल्ड थेरेपी का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

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लेख के इस भाग में हम बता रहे हैं कोल्ड थेरेपी किस प्रकार नुकसानदायक है।

कोल्ड थेरेपी के जोखिम – Risks of cold therapy in Hindi

यहां हम विस्तार से बता रहे हैं कोल्ड थेरेपी के जोखिम कारकों को (19)।

  • फ्रोस्ट बाइट: इसे शीतदंश भी कहते हैं। लंबे समय तक या सीधे तौर पर कोल्ड थेरेपी का उपयोग किया जाता है, तो इससे अधिक ठंड के संपर्क में आने से शरीर के हिस्से जैसे – नाक, उंगलियां या पैर की उंगलियां प्रभावित हो सकती है। इससे त्वचा सुन्न हो सकती है या जलन हो सकती है।
  • क्रोनिक पेन: इसे पुराना या गंभीर दर्द कहा जाता है। जब बर्फ को अधिक समय तक प्रभावित क्षेत्र पर रखा जाता है, तो इसके कारण पुराना दर्द उभर सकता है या फिर दर्द बढ़ सकता है।
  • कोल्ड इंजरी: अगर कोल्ड थेरेपी का अधिक समय तक इस्तेमाल करते हैं, तो इससे कोल्ड इंजरी यानी ठंड के कारण होने वाली चोट भी हो सकती है।

चोट और दर्द की समस्या होने पर हीट थेरेपी और कोल्ड थेरेपी दोनों का उपयोग काफी हद तक फायदेमंद हो सकता है, लेकिन दोनों ही थेरेपी का उपयोग करने के पहले कुछ बातों पर गौर करना जरूरी है। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अधिक समय तक हीट थेरेपी और कोल्ड थेरेपी का उपयोग हानिकारक हाे सकता है। इसके साथ ही इनका इस्तेमाल गंभीर समस्या का इलाज नहीं हैं, इसलिए किसी भी प्रकार की गंभीर समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

हीट और कोल्ड थेरेपी को एक साथ कितने टाइम के गैप में यूज करना चाहिए?

हीट और कोल्ड थेरेपी का उपयोग थोड़े अंतराल पर किया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले प्रभावित क्षेत्र पर लगभग 15 से 20 मिनट तक हीट थेरेपी का उपयोग किया जाता है। इसके कुछ घंटे के बाद 10 से 25 मिनट तक कोल्ड थेरेपी का इस्तेमाल करना चाहिए। आमतौर पर इसे भी दिन में दो से तीन बार करना चाहिए। इस विषय में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह ली जा सकती है।

हीट थेरेपी और कोल्ड थेरेपी किस चीज में मदद करती है?

हीट और कोल्ड थेरेपी कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं में मदद कर सकती है। जैसे कि हीट थेरेपी कई प्रकार के दर्द से राहत दिलाने, रक्त संचार, मेटाबॉलिज्म और टिश्यू में लोच को बढ़ाने में मददगार हो सकता है। वहीं, कोल्ड थेरेपी भी दर्द में राहत दिलाने के साथ ही, एडिमा, मांसपेशियों में ऐंठन और चयापचय में सुधार करने के लिए लाभदायक हो सकता है (3)।

मुझे पहले क्या उपयोग करना चाहिए बर्फ या हीट?

चोट लगने के बाद पहले 72 घंटे के लिए बर्फ बेहतर विकल्प है, क्योंकि यह सूजन को कम करने में मदद करती है। वहीं, हीट मांसपेशियों को आराम देने में मदद कर सकती है। हालांकि, किसी भी विकल्प का उपयोग एक बार में 10 से 15 मिनट से अधिक के लिए नहीं किया जाना चाहिए (3)। इन दोनों प्रक्रियाओं के बारे में लेख में विस्तार से बताया गया है।

References

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  2. Heat and cold therapy reduce pain in patients with delayed onset muscle soreness: A systematic review and meta-analysis of 32 randomized controlled trials
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  6. Turning up the heat on COVID-19: heat as a therapeutic intervention
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  7. Mechanisms and efficacy of heat and cold therapies for musculoskeletal injury
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  8. Cryotherapy
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  10. The Use of Cryotherapy in Acute Sports Injuries
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  11. Post exercise ice water immersion: Is it a form of active recovery?
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  15. Whole-body cryotherapy as adjunct treatment of depressive and anxiety disorders
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