जायफल तेल के फायदे, उपयोग और नुकसान – Nutmeg Oil Benefits and Side Effects in Hindi

Medically reviewed by Neha Srivastava, MSc (Life Sciences) Neha Srivastava Neha SrivastavaMSc (Life Sciences)
Written by , MA (Journalism) Mona Narang MA (Journalism)
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जायफल का इस्तेमाल खाना बनाने के साथ-साथ कई शारीरिक समस्याओं के उपचार के लिए किया जाता है। इसी तरह इससे बनने वाला तेल भी लाभदायक होता है। जायफल का तेल स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। जायफल के तेल का उपयोग वैकल्पिक रूप से कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से बचने और इनके लक्षण को दूर करने के लिए किया जा सकता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में जायफल तेल के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में बताया जाएगा।

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चलिए, लेख में सबसे पहले जायफल तेल के फायदे के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।

जायफल तेल के फायदे – Benefits of Nutmeg Oil in Hindi

जायफल तेल पूरी तरह से स्वस्थ रखने के साथ-साथ विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से उबरने में भी मदद कर सकता है। नीचे हम क्रमानुसार जायफल तेल के फायदों के बारे में बता रहे हैं। इन समस्याओं में जायफल तेल को इस्तेमाल करने से कुछ लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है, लेकिन इस तेल को किसी मेडिकल ट्रीटमेंट का विकल्प नहीं माना जा सकता। गंभीर अवस्था में डॉक्टर से इलाज करवाना ही सबसे बेहतर है।

1. भूख बढ़ाना

इस मामले में जायफल के तेल को फायदेमंद माना जाता है। इसमें मौजूद फेनिलप्रोपेनाइड यौगिक की वजह से यह तेल भूख बढ़ाने में मदद कर सकता है। चूहों पर किए गए एक शोध में पाया गया कि जायफल के तेल को इन्हेल के जरिए प्रयोग करने से भूख में बढ़ोत्तरी हो सकती है (1)। इसे इस्तेमाल करने के लिए जायफल के तेल की कुछ बूंदों को डिफ्यूजर में डालकर कमरे में रख दें और इसे इन्हेल करें।

2. सांसों की दुर्गंध से मुक्ति

जायफल सांसों की बदबू को दूर करने में मददगार साबित हो सकता है (2)। दरअसल, जायफल का तेल एंटीमाइक्रोबियल गुण से भरपूर होता है, जो मुंह में बदबू पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद कर सकता है। यही वजह है कि इसका इस्तेमाल कई टूथपेस्ट में भी किया जाता है। इसके अलावा, जायफल तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण भी होते हैं, जो मसूड़ों में होने वाली सूजन को और दांतों में होने वाले दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं (3)। इसके लिए जायफल तेल की कुछ बूंदों को पानी में डालकर कुल्ला किया जा सकता है।

3. मस्तिष्क के लिए

जायफल के तेल में एंटीकॉनवल्सेंट (Anticonvulsant) गुण होते हैं, जो दिमाग के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। दरअसल, यह गुण मिर्गी के दौरों से बचाव का काम कर सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि इसकी कम मात्रा में उपयोग करने से ही यह एंटीकॉनवल्सेंट की तरह काम कर सकता है। वहीं, इसकी अधिक मात्रा उल्टा असर भी दिखा सकती है (4)। मस्तिष्क के लिए इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लें।

4. दर्द निवारक में सहायक

जायफल के तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, इसे दर्द निवारक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस तेल को प्रभावित क्षेत्र में लगाने पर दर्द से छुटकारा मिल सकता है। अगर पेट में दर्द हो, तो हल्के हाथों से तेल के जरिए मालिश की जा सकती है (5) (3)।

5. यौन शक्ति

जायफल के अर्क (तेल, रस, चूर्ण) में कामोत्तेजक (Aphrodisiac) गतिविधि पाई जाती है। इसलिए, माना जाता है कि यह पुरुषों की यौन शक्ति को भी बढ़ाने में मदद कर सकता है। कुछ नर चूहों पर किए गए एक शोध के मुताबिक जायफल के इथेनॉल अर्क के इस्तेमाल करने पर चूहों में निरंतर कामेच्छा और शक्ति दोनों बढ़ती रही है। इस शोध में चूहों के यौन व्यवहार में भी सुधार पाया गया (6)। इस संबंध में अभी तक मनुष्यों पर किसी तरह का परीक्षण नहीं किया गया है, इसलिए जायफल तेल का प्रयोग डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

6. डिटॉक्सीफाई

डिटॉक्सिफिकेशन के लिए जायफल का तेल काफी लाभदायक हो सकता है। किडनी और लीवर को डिटॉक्सिफाई करने के लिए जायफल का तेल बेहतरीन लिवर टॉनिक की तरह काम कर सकता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालकर लिवर को होने वाली क्षति को रोकने के साथ ही गुर्दे की पथरी से संबंधित लक्षणों को कम कर सकता है (3)। दरअसल, जायफल के तेल में मौजूद मिरिस्टिसिन (Myristicin) यौगिक में हेपटोप्रोटेक्टीव गतिविधि पाई जाती है, जो लिवर को स्वस्थ रखने का काम कर सकती है (7)।

7. मांसपेशियों और जोड़ों के लिए

जायफल के तेल में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण की वजह से यह मांसपेशियों में होने वाले खिंचाव से संबंधित दर्द को कम कर सकता है (5)। साथ ही यह जोड़ों की सूजन से भी राहत दिलाने का काम कर सकता है (3)।

8. स्किन के लिए

जायफल के तेल में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं (6) (7)। ये गुण कील-मुंहासों को कम करने में मदद कर सकते हैं, क्योंकि पिंपल बैक्टीरिया के कारण भी होते हैं। साथ ही यह एंटी-इंफ्लेमेटरी की तरह भी काम करता है, जो मुंहासों से प्रभावित हिस्से में होने वाली सूजन को कम करने में मदद कर सकता है (8) (6)। इसके लिए रूई में एक बूंद जायफल का तेल डालकर एक्ने से प्रभावित जगह पर लगाया जा सकता है। इसके अलावा, जायफल का उपयोग भी एक्ने और इसके निशान को दूर करने के साथ झुर्रियों से बचाने में मदद कर सकता है (9)।

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जायफल तेल के फायदे के बाद अब जानते हैं इसके उपयोग से जुड़ी जानकारी।

जायफल तेल का उपयोग – How to Use Nutmeg Oil in Hindi

जायफल के उपयोग से तो अब तक वाकिफ हो चुके होंगे, लेकिन जायफल के तेल का उपयोग किस तरह से किया जा सकता है, इसके लेकर लोगों में उलझन बनी रहती है। नीचे हम जायफल के तेल का उपयोग करने के कुछ तरीके बता रहे हैं।

  • जायफल का तेल डिफ्यूजर में डालकर इन्हेल करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • जायफल के तेल को सीधे मसूड़ों पर लगाया जा सकता है
  • जायफल का तेल को मसाज करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • जायफल तेल की कुछ बूंदों को पानी में डालकर माउथवॉश की तरह उपयोग किया जा सकता है।
  • जायफल के तेल का इस्तेमाल अरोमाथेरेपी के लिए किया जा सकता है।
  • जायफल के तेल का उपयोग फ्लेवर के लिए भी किया जाता है। जैसे: मिठाई या बेक्ड प्रोडक्ट।

नोट: ध्यान रहे कि इसका उपयोग अधिक मात्रा में नहीं किया जाना चाहिए। अन्यथा जायफल तेल के नुकसान भी हो सकते हैं। हालांकि, इसे इस्तेमाल करने के लिए कोई मात्रा निर्धारित नहीं की गई है, लेकिन इसका उपयोग एक से दो बूंंद से ज्यादा नहीं किया जाना चाहिए।

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जायफल तेल के फायदे तो अब जान चुके हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि जायफल का तेल कैसे बनता है।

जायफल का तेल बनाने की विधि

जायफल का तेल बाजार में भी आसानी से उपलब्ध है, लेकिन इसे घर में भी बिना किसी परेशानी के बनाया जा सकता है। जायफल का तेल बनाने की विधि शुरू करने से पहले इन सामग्रियों की जरूरत पड़ेगी।

सामग्री :

  • कैरियर ऑयल जैसे नारियल का तेल
  • जायफल
  • जायफल को पीसने के लिए मूसल व ओखल
  • कांच की बोतल
  • बोतल में तेल डालने के लिए कीप

बनाने की विधि:

  • सबसे पहले जायफल को दरदरा पीसकर करीब आधा कप पाउडर बना लें।
  • अब इसे एयर टाइट कांच के जार में डाल लें। इस जार में कीप की मदद से कैरियर ऑयल यानी नारियल या कोई अन्य तेल डालें।
  • जार में इतना तेल डालें कि खुरदुरा पिसा गया जायफल पूरी तरह से डूब जाए।
  • अब जार के ढक्‍कन को टाइट से बंद कर दें।
  • अब इसमें मौजूद तेल को अच्छे से हिलाएं और इसे धूप में कम से कम 48 घंटों के लिए रखें।
  • धूप में रखने के बाद इसे समय-समय पर हिलाते भी रहें।
  • धूप में करीब 48 घंटे तेल को रखने के बाद इसे छन्‍नी से छानकर दूसरी बोतल में कीप की मदद से डाल लें।
  • इस प्रक्रिया को दो बार दोहराएं। यानी तेल छानने के बाद एक बार फिर उसमें आधा कप पिसा हुआ जायफल डालकर धूप में सूखाकर छान लें। लीजिए,
  • तैयार है घर में बना शुद्ध जायफल का तेल।

अंत तक बने रहें

जायफल का तेल बनाने की विधि के बाद चलिए, अब एक नजर डालते हैं जायफल तेल के नुकसान पर।

जायफल तेल से नुकसान – Side Effects of Nutmeg Oil in Hindi

जायफल तेल के फायदे के साथ ही कई नुकसान भी हो सकते हैं, क्योंकि इसका उपयोग सिर्फ सीमित मात्रा में ही किया जाना चाहिए। इसका ज्यादा उपयोग नुकसान भी पहुंचा सकता है, जो इस प्रकार है (10):

  • छाती में दर्द
  • डबल विजन
  • मुंह का सूखना
  • आंख में जलन
  • पेट में दर्द
  • हेलोसिनेशन व मतिभ्रम (Hallucination)
  • निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन)
  • जी मिचलाना
  • दिल का तेज धड़कना
  • नशे का एहसास होना
  • चिंता
  • सिरदर्द
  • चक्कर
  • दौरा व झटके
  • त्वचा में लाल चकत्ते
  • आलस

जायफल तेल का इस्तेमाल करके कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है। जायफल तेल के फायदे पाने के लिए इसका उपयोग सीमित मात्रा में ही करना चाहिए, क्योंकि जायफल तेल की अधिक मात्रा नुकसान भी पहुंचा सकती है। इसका इस्तेमाल करने के बाद किसी तरह के लक्षण नजर आएं, तो बेहतर होगा कि डॉक्टर की सलाह पर ही जायफल ऑयल उपयोग में लाएं। स्वास्थ्य से जुड़े अन्य लेख पढ़ने के लिए स्टाइलक्रेज की वेबसाइट विजिट करते रहें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या जायफल का तेल जहरीला होता है?

हां, जायफल में कुछ ऐसे तत्व होते हैं, जिसकी अधिकता जीवन के लिए घातक हो सकती है (11)।

जायफल के तेल की गंध कैसी होती है?

जायफल के तेल की गंध तेज और मसाले जैसी होती है (12)।

क्या जायफल का तेल रोजाना चेहरे पर लगा सकते हैं?

हां, सीमित मात्रा में जायफल के तेल का इस्तेमाल त्वचा पर किया जा सकता है (9)।

संदर्भ (Source) :

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  1. Appetite-enhancing effects of nutmeg oil and structure-activity relationship of habituation to phenylpropanoids
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/30919203/
  2. Use of traditional plants in management of halitosis in a Moroccan population
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5580951/
  3. Health and nutritional benefits of nutMeg (mystica fragrans houtt.)
    https://www.semanticscholar.org/paper/Health-and-nutritional-benefits-of-nut-Meg-%28mystica-Agbogidi-Azagbaekwe/9c2f09bb819b3bee8c6f64cc0a631464b356f553?p2df
  4. Essential Oils and Their Constituents: Anticonvulsant Activity
    http://citeseerx.ist.psu.edu/viewdoc/download?doi=10.1.1.444.7465&rep=rep1&type=pdf
  5. Nutmeg oil alleviates chronic inflammatory pain through inhibition of COX-2 expression and substance P release in vivo
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4848392/
  6. Phyto-pharmacological potential of Jaiphal (Myristica fragrans Houtt): A spice of medicinal importance and its utilization in Unani Medicine
    https://www.academia.edu/36710391/Phyto_pharmacological_potential_of_Jaiphal_Myristica_fragrans_Houtt_A_spice_of_medicinal_importance_and_its_utilization_in_Unani_Medicine
  7. Hepatoprotective effect of myristicin from nutmeg (Myristica fragrans) on lipopolysaccharide/d-galactosamine-induced liver injury
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/12617584/
  8. DEVELOPMENT AND EVALUATION OF HERBAL FORMULATION FOR THE TREATMENT OF ACNE
    https://ijpsr.com/bft-article/development-and-evaluation-of-herbal-formulation-for-the-treatment-of-acne/?view=fulltext
  9. FORMULATION AND EVALUATION OF COSMETIC HERBAL FACE PACK FOR GLOWING SKIN
    https://www.ijrap.net/admin/php/uploads/1887_pdf.pdf
  10. Myristica oil poisoning
    https://medlineplus.gov/ency/article/002899.htm
  11. Nutmeg Poisonings: A Retrospective Review of 10 Years Experience from the Illinois Poison Center 2001–2011
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4057546/
  12. The Isolation of Myristicin from Nutmeg Oil by Sequences Distillation
    https://www.jyoungpharm.org/sites/default/files/JYoungPharm_10_1_20.pdf
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