जटामांसी के फायदे, उपयोग और नुकसान – Jatamansi Benefits and Uses in Hindi

Written by , MA (Journalism & Media Communication) Puja Kumari MA (Journalism & Media Communication)
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आयुर्वेद में ऐसी कई सारी जड़ी बूटियां हैं, जिसका इस्तेमाल स्वास्थ लाभ के लिए किया जाता है। इन्हीं में से एक जड़ी बूटी है जटामांसी, जो शरीर को कई मायनों में फायदा पहुंचा सकती है। हालांकि, हम में से ऐसे कई लोग होंगे जिन्हें जटामांसी के फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी नहीं होगी। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम जटामांसी खाने के फायदे लेकर आए हैं। साथ ही यहां जटामांसी का उपयोग करने से जुड़ी जानकारी भी उपलब्ध है। तो चलिए बिना देर किए पढ़िए, जटामांसी चूर्ण के फायदे और उपयोग से जुड़ी जानकारियां।

विस्तार से पढ़ें लेख

सबसे पहले समझ लीजिए कि जटामांसी है क्या।

जटामांसी क्या है? – What is Jatamansi in Hindi

जटामांसी एक प्रकार की जड़ी- बूटी है, जिसका उपयोग कई सालों से आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों में किया जाता रहा है। इसका वैज्ञानिक नाम नारडोस्टेकीस जटामांसी (Nardostachys jatamansi) है जो, वैलेरिएनेसी (Valerianaceae) परिवार से आता है। यह भारत, नेपाल, चीन और भूटान जैसे कई देशों में पाया जाता है। इसके फूल नीले या गुलाबी रंग के होते हैं। जटामांसी में एंटीफंगल (फंगस से लड़ने वाला), एंटीमाइक्रोबायल (बैक्टीरियाओं से लड़ने वाला), एंटीऑक्सीडेंट (मुक्त कणों से बचाने वाला), एंटी डायबिटिक और हेपाटोप्रोटेक्टिव (लीवर की रक्षा करने वाला) जैसे कई गुण व अन्य प्रभाव मौजूद हैं, जिस कारण इसका उपयोग शारीरीक समस्याओं के जोखिम को कम करने के लिए किया जाता है (1)। लेख में आगे हमने जटामांसी के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में ही विस्तार से जानकारी देंगे।

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लेख में अब बारी है जटामांसी खाने के फायदे जानने की।

जटामांसी के फायदे – Benefits of Jatamansi in Hindi

यहां क्रमवार तरीके से जटामांसी खाने के फायदे बताने वाले हैं। हालांकि, इससे पहले हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि जटामांसी को किसी भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संपूर्ण इलाज समझने की भूल न करें। यह केवल हल्के-फुल्के स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षणों या बीमारी के जोखिम को कम कर सकता है। अब पढ़ें जटामांसी के फायदे –  

1. पाचन के लिए

जटामांसी का उपयोग पाचन संबंधी समस्या से आराम पाने के लिए किया जा सकता है। इस विषय पर हुए शोध में साफ तौर से इस बात का जिक्र मिलता है कि जटामांसी की जड़ का उपयोग पाचन संबंधी समस्याओं के लिए पारंपरिक रूप से किया जाता रहा है (2)। हालांकि इसके पीछे इसका कौन सा गुण काम करता है, फिलहाल इस बारे में अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।

2. याददाश्त के लिए

जटामांसी के फायदे में मेमोरी को बूस्ट करना भी शामिल है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर इससे जुड़े एक शोध में इस बात की पुष्टि होती है कि जटामांसी का एथेनॉलिक अर्क (Ethanolic extract) सीखने की क्षमता और याददाश्त में काफी सुधार कर सकता है। इसके अलावा, जटामांसी मेमोरी रिस्टोरेटिव एजेंट यानी स्मृति को फिर से लौटाने का काम कर सकता है। इसका उपयोग डिमेंशिया (Dementia – मस्तिष्क से जुड़ा रोग) के उपचार के लिए किया जा सकता है। वहीं, इसके इस कार्य के पीछे एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव को जिम्मेदार माना गया है (3)

3. उच्च रक्तचाप के लिए

उच्च रक्तचाप की समस्या के लिए भी जटामांसी चूर्ण के फायदे देखे जा सकते हैं। इससे संबंधित एनसीबीआई की वेबसाइट पर एक शोध प्रकाशित है, जिसमें बताया गया है कि जटामांसी एंटी हाइपरटेनसिव (Antihypertensive – उच्च रक्तचाप को कम करने वाला) गुण प्रदर्शित कर सकता है। इसका यह गुण सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दोनों रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है (4)। हालांकि, उच्च रक्तचाप के जोखिम को कम करने के लिए जटामांसी का उपयोग करने के साथ-साथ उच्च रक्तचाप के लिए सही आहार और जीवनशैली को अपनाना भी जरूरी है (5)

4. तनाव के लिए

तनाव के जोखिम को कम करने के लिए भी जटामांसी का उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, जटामांसी के जड़ों में एंटी स्ट्रेस (Antistress – तनाव को कम करने वाला ) गुण मौजूद होते हैं (6)। तनाव ही नहीं, बल्कि इसका सेवन अवसाद के जोखिम को भी कम कर सकता है। इसके पीछे इसके जड़ों में मौजूद एंटी डिप्रेशन (Antidepressant) गुण को उपयोगी माना जा सकता है (5)।  यही वजह है कि स्ट्रेस को दूर करने के लिए जटामांसी को लाभकारी माना गया है। ऐसे में इसका उपयोग अवसाद और तनाव की समस्या से राहत पाने के लिए घरेलू उपाय के तौर पर करना लाभकारी साबित हो सकता है।

5. अनिद्रा के लिए

रात की अच्छी नींद के लिए भी जटामांसी के फायदे देखे जा सकते हैं। दरअसल, जटामांसी का उपयोग अनिद्रा की समस्या से छुटकारा पाने के लिए किया जा सकता है (7)। शोध में पाया गया है कि जटामांसी इंसानों में विभिन्न प्रकार के नींद संबधी समस्याओं को दूर करने में प्रभावी साबित हो सकती है। इसके पीछे वैलेरेनिक एसिड (Valerenic acids) और इरिडोइड ग्लाइकोसाइड (Iridoid glycosides) को जिम्मेदार माना जा सकता है, जो सेडेटिव गतिविधी (Sedative activity) यानी दिमाग को शांत करने वाला गुण प्रदर्शित कर सकते हैं। इसकी जड़ों के अर्क का उपयोग, नींद की गुणवत्ता में सुधार कर अनिद्रा के इलाज में काफी हद तक सहायक माना जा सकता है (8)

6. चिंता को कम करने के लिए

जटामांसी खाने के फायदे में चिंता को कम करना भी शामिल है। दरअसल, जटामांसी को एक नेचुरल एंटी एनेग्जायटी (Anti anxiety) ऐजेंट माना जाता है, जो चिंता के लक्षणों को कम कम कर मन को शांत कर सकता है। इस पर हुए शोधों की मानें तो जटामांसी की जड़ें या फिर जडों का अर्क इसमें महत्तवपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं (2)। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि जटामांसी चूर्ण के फायदे चिंता को कम करने के लिए देखे जा सकते हैं।

7. मासिक धर्म के लिए

मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं के लिए जटामांसी पाउडर उपयोग में लाया जा सकता है। बताया जाता है कि सालों से इसका उपयोग मासिक धर्म को नियमित करने के लिए किया जाता रहा है (9)। इसके अलावा, प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (Premenstrual syndrome) के लक्षणों को कम करने के लिए भी जटामांसी को सुरक्षित और प्रभावी पाया गया है (10)। बता दें कि प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम का अर्थ पीरियड्स शुरू होने से पहले होने वाली समस्याओं से है, जिसमें थकान, मूड का बदलना, कब्ज की समस्या, सिर दर्द होना आदि शामिल हैं (11)

वहीं, जटामांसी में ऐंठन को कम कारने वाला प्रभाव भी है (9)। ऐसे में हो सकता है कि जटामांसी के उपयोग से मासिक धर्म में होने वाले ऐंठन की समस्या कुछ हद तक कम हो सकती है। हालांकि मासिक धर्म में जटामांसी चूर्ण के फायदे स्पष्ट रूप से जानने के लिए अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।

8. सिरदर्द के लिए

जटामांसी का उपयोग सिरदर्द से राहत पाने के लिए भी किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध की मानें तो इसका उपयोग सिरदर्द के इलाज के लिए भी किया जा सकता है (12)। इसके पीछे एनाल्जेसिक प्रभाव (दर्द से राहत दिलाने वाला) को माना जा सकता है (13)

9. मिर्गी के लिए

जटामांसी चूर्ण के फायदे में मिर्गी की समस्या  से बचाव भी शामिल है। दरअसल, मिर्गी एक ऐसी समस्या है, जिसमें बार-बार रोगी को दौरे पड़ने लगते हैं (14)। ऐसे में जटामांसी का उपयोग मिर्गी के उपचार के लिए किया जा सकता है। बताया जाता है कि इसकी जड़ों से बने तेल में एंटी कोनव्यूलसेंट (Anti-convulsant – मिर्गी के दौरो को रोकने वाला) गुण होता है (15)। इसके साथ ही जटामांसी एपिलेप्सी से बचाव का भी गुण प्रदर्शित कर सकता है, जो मिर्गी के जोखिम को कम कर सकता है (5)। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि मिर्गी के दौरों से बचाव के लिए जटामांसी खाने के फायदे देखे जा सकते हैं।

10. हृदय के लिए

हृदय को स्वस्थ रखने के लिए भी जटामांसी फायदेमंद माना जा सकता है। जटामांसी कार्डियोप्रोटेक्टिव (Cardioprotective – हृदय रोग से बचाव और स्वस्थ रखने वाला) गतिविधि प्रदर्शित कर सकता है (16)। इसके पीछे इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव को जिम्मेदार माना जा सकता है, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम कर ह्रदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है (5)। ऐसे में यह माना जा सकता है कि हृदय स्वास्थ के लिए भी जटामांसी पाउडर लाभकारी हो सकता है।

11. एंटी कैंसर प्रभाव

जटामांसी का उपयोग कैंसर की समस्या के लिए भी किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि जटामांसी में एंटी कैंसर गुण (कैंसर के जोखिम को कम करना) मौजूद होते हैं, जो स्तन कैंसर से बचाव में सहायक हो सकते हैं। यह कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को रोकने में भी सहायक हो सकते हैं (17)। इसके साथ ही इसकी जड़ों में एंटी ट्यूमर गुण भी मौजूद होते हैं (5)। हालांकि, यहां हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि कैंसर एक गंभीर बीमारी है और जटामांसी कुछ हद तक इससे बचाव कर सकतती है। जटामांसी को कैंसर का इलाज समझने की भूल न करें। अगर किसी को कैंसर हो तो डॉक्टरी इलाज को ही प्राथमिकता दें। 

12. मधुमेह के लिए

जटामांसी के फायदे में मधुमेह की समस्या से भी राहत पाना शामिल है। दरअसल, चुहों पर किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया है कि जटामांसी का एथेनॉलिक अर्क एंटी डायबेटिक गुण प्रदर्शित कर सकता है, जो ब्लड ग्लूकोज के स्तर को कम करने में प्रभावी साबित हो सकता है (18)। हालांकि, यह शोध चुहों पर किया गया है, इंसानों पर इसके प्रभाव जानने के लिए अभी और अधिक शोध किया जाने की आवश्यकता है।

13. बालों के लिए

बालों की देखभाल के लिए भी जटामांसी के फायदे देखे जा सकते हैं। बताया जाता है कि जटामांसी के तेल का उपयोग बालों के विकास और कालेपन के लिए किया जाता है (7)। यही नहीं, जटामांसी में हेयर फॉलिकल्स (Hair follicles – बालों के रोम) को मजबूत करने और बालों को झड़ने से रोकने की भी क्षमता होती है। इसके अलावा, हेयर मास्क बनाने के लिए भी जटामांसी पाउडर लाभ में लाया जा सकता है (19)। इन तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि स्वास्थ के साथ-साथ बालों के लिए भी जटामांसी के फायदे देखे जा सकते हैं।

14. त्वचा के लिए

सेहत और बालों के अलावा, त्वचा के लिए भी जटामांसी उपयोगी साबित हो सकती है। इससे जुड़े शोध में बताया गया है कि जटामांसी एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, जिसका उपयोग त्वचा रोगों के लिए किया जाता रहा है। संस्कृत में, इसे कांतिप्रदा (Kanti Prada) कहा जाता है जिसका अर्थ है रंग सुधारना और त्वचा में चमक लाना। यही नहीं, इसमें एंटी ऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, जो त्वचा को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से भी बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। साथ ही यह सूर्य की हानिकारक किरणों से भी त्वचा की रक्षा कर सकता है (20)

अभी बाकी है जानकारी 

लेख के इस हिस्से में जटामांसी का उपयोग कैसे कर सकते हैं, इस बारे में जानें।

जटामांसी खाने का सही तरीका – How to Use Jatamansi in Hindi

लेख में अभी तक हमने जटामांसी के फायदे की जानकारी दी है। अब इन फायदों के लिए जटामांसी के सही उपयोग की भी जानकारी जरूरी है। ऐसे में लेख के इस भाग में हम जटामांसी के उपयोग से जुड़ी जानकारियां दे रहे हैं। तो  जटामांसी का उपयोग निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है –

  • चूर्ण के रूप में जटामांसी का उपयोग किया जा सकता है।
  • जटामांसी के पत्तों को काढ़े के तौर पर इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
  • इसके पत्तों को महलम के तौर पर भी प्रयोग में लाया जा सकता है।
  • जटामांसी के तेल को बालों में लगा सकते हैं।
  • जटामांसी के पाउडर को त्वचा पर भी लगाया जा सकता है
  • पानी, दूध या फिर शहद के साथ जटामांसी के चूर्ण को इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • हेयर मास्क बनाने में भी जटमांसी के पाउडर का इस्तेमाल किया जा सकता है।

कब खाएं और कितना खाएं :

अगर बात की जाए, जटामांसी के सेवन के समय की तो इसका सेवन किसी भी समय किया जा सकता है। वहीं, जटामांसी चूर्ण के फायदे प्राप्त करने के लिए 200 mg/kg तक की मात्रा में इसके सेवन को सुरक्षित माना गया है (21)। हालांकि, इसके सेवन की मात्रा को लेकर संशय बना हुआ है, क्योंकि कुछ स्थितियों में दिनभर में दो बार 2 से 5 ग्राम जटामांसी के चूर्ण के सेवन की सलाह दी जाती है (22)। वहीं, व्यक्ति की उम्र और स्वास्थ के अनुसार इसकी मात्रा में बदलाव किया जा सकता है। ऐसे में हमारी सलाह है कि इसके सेवन से पहले एक बार डॉक्टरी सलाह जरूर लें।

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अब बारी है जटामांसी के नुकसान के बारे में जानने की।

जटामांसी के नुकसान – Side Effects of Jatamansi in Hindi

जटामांसी खाने के फायदे जानने के बाद यह भी जानना जरूरी है कि अगर अधिक मात्रा में किया जाए तो इसके क्या दुष्प्रभाव सामने आ सकते हैं। इसलिए यहां हम जटामांसी के नुकसान बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:

  • जैसे कि हमने लेख में बताया कि जटामांसी में अगर किसी को ब्लड शुगर को कम करने के गुण होते हैं (18)। ऐसे में अगर किसी को लो ब्लड शुगर की समस्या है, तो इसके सेवन से परहेज करें।
  • कुछ मामलों में जटामांसी को दवा के तौर पर व्यवहार में बदलाव जैसी समस्याओं को देखा गया है। हालांकि यह शोध चुहों पर किया गया है (23)। इंसानों पर इसके दुष्प्रभाव के लिए अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
  • किसी-किसी को जटामांसी से एलर्जी की समस्या हो सकती है। ऐसे में त्वचा पर जटामांसी के उपयोग से पहले एक पर पैच टेस्ट जरूर करें।
  • गर्भावस्था के दौरान जटामांसी के प्रयोग से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें

इसमें कोई शक नहीं कि आयुर्वेद में जटामांसी का उपयोग एक शानदार औषधी के रूप में किया जाता रहा है। इस लेख को पढ़ने के बाद अब आपको भी जटामांसी के फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी मिल गई होगी। यहां हमने जटामांसी का उपयोग, किस प्रकार से कर सकते हैं, इस बारे में भी विस्तार से चर्चा की है। ऐसे में अगर चाहें तो छोटी-मोटी शारीरिक समस्याओं से राहत पाने के लिए जटामांसी को उपयोग में ला सकते हैं। वहीं, गंभीर समस्या से जूझ रहे लोगों को इसके सेवन से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लेनी चाहिए। अब इस लेख को अन्य लोगों के साथ शेयर कर हर किसी को इस आयुर्वेदिक औषधि की जानकारी दें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या रोजाना जटामांसी का सेवन किया जा सकता है?

रोजाना जटामांसी का सेवन किया जा सकता है (22)। हालांकि, बेहतर है इस विषय में डॉक्टर की सलाह भी ली जाए, क्योंकि किसी भी चीज का जरूरत से ज्यादा सेवन लाभ के बजाय हानि का कारण बन सकता है।

जटामांसी स्वास्थ के लिए क्यों बुरा है?

अगर जटामांसी का सेवन अत्यधिक किया जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकती है। हालांकि, इसके दुष्प्रभावों को लेकर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है। इसलिए, बेहतर है इसकी सेवन की मात्रा के बारे में डॉक्टरी सलाह ली जाए, क्योंकि उम्र और स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार इसकी मात्रा में बदलाव हो सकते हैं।

क्या खाली पेट जटामांसी का सेवन किया जा सकता है?

खाली पेट में जटामांसी का सेवन किया जा सकता है या नहीं, फिलहाल इस संबंध में शोध की कमी है। ऐसे में खाली पेट इसके सेवन से पहले डॉक्टरी परामर्श लेना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।

जटामांसी का असर कितने दिनों में होता है।

जटामांसी का असर कितने दिनों में हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस प्रकार की समस्या के लिए लिया जा रहा है। अगर छोटी समस्या के लिए जटामांसी का प्रयोग किया जा रहा है तो इसका असर जल्दी हो सकता है। वहीं, अगर समस्या बड़ी है तो इसमें काफी समय भी लग सकता है।

क्या जटामांसी इम्यून सिस्टम के लिए फायदेमंद है?

हां, जटामांसी इम्यून सिस्टम के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। एक शोध में जानकारी मिलती है कि जटामांसी आयरन से समृद्ध होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। साथ ही यह सर्दी और जुकाम में भी प्रभावी साबित हो सकता है (24)

जटामांसी पाउडर पतंजलि का कहां से खरीद सकते हैं?

जटामांसी पाउडर पंतजलि का, ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं। इसके अलावा औयुर्वेदिक स्टोर से भी जटामांसी पाउडर पंतजलि को खरीदा जा सकता है।

References

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  2. Herbal anxiolyte : Nardostachys jatamansi
    http://jprsolutions.info/newfiles/journal-file-56b2b3113d3ba8.28561722.pdf
  3. Nardostachys jatamansi improves learning and memory in mice
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  4. Efficacy of Nardostachys jatamansi (D.Don) DC in essential hypertension: A randomized controlled study
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  5. A review on pharmacognostic and phytochemical study of a plant Nardostachys Jatamansi
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  7. Pharmacological importance of Nardostachys jatamansi DC: A potential therapeutic agent in different pathological ailments
    https://www.jocpr.com/articles/pharmacological-importance-of-nardostachys-jatamansi-dc-a-potential-therapeutic-agent-in-different-pathological-ailments.pdf
  8. Valeriana jatamansi: An herbaceous plant with multiple medicinal uses
    http://gbpihed.gov.in/PDF/Publication/Phytotehrapy_research_Valeriana_jatamansi.pdf
  9. Review of Nardostachys grandiflora: An Important Endangered Medicinal and Aromatic Plant of Western Himalaya
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  12. Nardostachys jatamansi Root Extract Modulates the Growth of IMR-32 and SK-N-MC Neuroblastoma Cell Lines Through MYCN Mediated Regulation of MDM2 and p53
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  13. Central nervous system (CNS) depressant and Analgesic activity of methanolic extracts of Nardostachys jatamansi DC. and Coscinium fenestratum Colebr. in experimental animal model.
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    https://www.wjpsonline.org/admin/uploads/tAax0z.pdf
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  22. Ayurvedic Standard Treatment Guidelines
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  23. Evaluation of toxicological and antioxidant potential of Nardostachys jatamansi in reversing haloperidol-induced catalepsy in rats
    https://www.researchgate.net/publication/270134480_Evaluation_of_toxicological_and_antioxidant_potential_of_Nardostachys_jatamansi_in_reversing_haloperidol-induced_catalepsy_in_rats
  24. Physico-Chemical And Elemental Analysis Of Ash Of Some Medicinal Plants From Garhwal Region, Uttarakhand, India By Atomic Absorption Spectrophotometer (Aas)
    https://innovareacademics.in/journal/ijpps/Vol4Suppl4/4448.pdf
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