Written by , (शिक्षा- एमए इन जर्नलिज्म मीडिया कम्युनिकेशन)

भले ही आज अन्य अनाज की तुलना में जौ उतना चलन में नहीं है, लेकिन प्राचीन समय से ही इसे अनाज का राजा माना जाता है। हो भी क्यों न, आखिर इसमें मिनरल और विटामिन के साथ कई जरूरी पोषक तत्व जो पाए जाते हैं। यही वजह है कि इसे कई शारीरिक समस्याओं में भी उपयोगी माना गया है। अब जौ के फायदे कितने हैं और इसे आहार में किस तरीके से शामिल किया जा सकता है? स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम इन्हीं सवालों के जवाब देने का प्रयास कर रहे हैं। उससे पहले आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि किसी भी समस्या का पूर्ण इलाज डॉक्टरी परामर्श पर ही निर्भर करता है। जौ का उपयोग केवल उन समस्याओं में राहत पहुंचाने का काम कर सकता है।

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तो आइए, लेख में आगे बढ़ने से पहले जौ क्या है, यह जान लेते हैं।

जौ क्या है – What is Barley in Hindi

जौ एक अनाज है, जिसका उत्पादन प्राचीन समय से किया जा रहा है। यह प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट के साथ कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और फोस्फोरस जैसे मिनरल्स से समृद्ध होता है। साथ ही इसमें विटामिन सी, थियामिन, राइबोफ्लेविन और नियासिन जैसे कई विटामिन भी पाए जाते हैं (1)। इसे संस्कृत में यव कहते हैं और यह भारत, अमेरिका, जर्मनी व रूस जैसे देशों में अधिक मात्रा में उगाया जाता है। हालांकि, गेहूं व धान जैसे मुख्य अनाज की तुलना में इसकी लोकप्रियता समय से साथ कम हुई है, लेकिन स्वास्थ्य के लिए इसका इस्तेमाल आज भी किया जाता है। खासकर, जौ का पानी सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। लेख में आगे चलकर हम विस्तृत रूप से जौ खाने के फायदे जानेंगे।

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जौ क्या है, यह समझने के बाद आगे अब हम जौ के प्रकार बताएंगे।

बार्ले या जौ के प्रकार – Types of Barley in Hindi

बाजार में बार्ली के बीज विभिन्न रूपों में मौजूद हैं, जिन्हें अपनी पसंद के अनुसार खरीद सकते हैं। यहां हम जौ के कुछ प्रचलित प्रकारों के बारे में बता रहे हैं:

  1. फ्लेक्स: यह जौ का एक आम प्रकार है, जिसे बार्ली के बीजों को चपटा करके बनाया जाता है। इसका प्रयोग पहले से ही पके हुए भोजन में किया जाता है। इसे गर्म या ठंडा दोनों रूपों में खा सकते हैं। ओट्स फ्लेक्स की जगह इसे खाया जा सकता है।
  2. जौ का आटा: यह पीसा हुआ जौ है, जिसे आटे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इससे रोटियां बना सकते हैं, जैसे गेहूं की रोटी बनाई जाती है। इसके अलावा, जौ के आटे से ब्रेड भी बनाई जाती है।
  3. ग्रिट्स: यह जौ का मोटा आटा है। इसे बनाने के लिए बार्ली के बीजों की ऊपरी परत को हटाया जाता है।
  4. हुल्ड: यह जौ का एक पौष्टिक प्रकार है, जिसे बस ऊपर से हल्का-हल्का साफ किया जाता है। इसे जौ का साबुत रूप भी कह सकते हैं।
  5. पर्ल बार्ले: इसे बार्ली का सबसे खूबसूरत रूप कहते हैं। यह चमकते मोती जैसा दिखता है। इसके बीज एक समान और सफेद रंग के होते हैं। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से सूप और सलाद में किया जाता है।

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यहां हम जौ के फायदे से जुड़ी कुछ बातों पर चर्चा करेंगे।

जौ के फायदे – Barley Benefits In Hindi

लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि सेहत और स्वास्थ्य से जुड़े जौ के फायदे कई है। इसकी वजह है, इसमें मौजूद कई जरूरी पोषक तत्व। जौ से जुड़े एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) के एक शोध में भी इस बात को माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि बार्ले ग्रास (जौ की पत्तियां) और बार्ले ग्रेन (जौ के बीज) दोनों ही कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में राहत पहुंचा सकते हैं, जिनमें हृदय रोग, अपच और मोटापे जैसी कई गंभीर समस्याएं शामिल हैं (2)। अब किन-किन समस्याओं में बार्ली के फायदे हासिल किए जा सकते हैं, इस बारे में हम लेख में आगे विस्तार से बताएंगे।

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आगे अब हम विस्तार से जौ खाने के फायदे समझाने का प्रयास करेंगे।

सेहत के लिए जौ के 20 फायदे – 20 Health Benefits of Barley in Hindi

यहां हम क्रमवार सेहत के लिए बार्ली के फायदे बताने जा रहे हैं, जिन्हें जानने के बाद जौ की उपयोगिता को आसानी से समझा का सकता है।

1. हृदय स्वास्थ्य के लिए उपयोगी

हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने के मामले में जौ को उपयोगी माना जा सकता है। जो के फायदे से संबंधित एनसीबीआई के शोध में इस बात को माना गया है। शोध में स्वीकार किया गया है कि जौ में बीटा-ग्लूकेन नाम का एक खास तत्व पाया जाता है। यह तत्व बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के साथ ही हाई बीपी की समस्या से राहत पहुंचाने का काम कर सकता है। साथ ही यह धमनियों से संबंधित समस्या (Atherosclerosis – आर्टरी वॉल पर फैट और कोलेस्ट्रॉल का जमना) के कारण हृदय रोग के जोखिम को कम करने में भी मदद कर सकता है (2)। इस आधार पर जौ को हृदय स्वास्थ्य के लिए उपयोगी माना जा सकता है और इसके लिए जो का आटा खाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि हृदय स्वास्थ्य और हाई बीपी के लिए नियंत्रित खान पान के साथ ही हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना भी जरूरी है।

2. प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाए

शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के उपाय में जौ और जौ की पत्तियों को उपयोग में लाया जा सकता है। जौ से संबंधित एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है। शोध में माना गया है कि जौ की पत्तियों में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने वाला गुण पाया जाता है। वहीं, दूसरी ओर यह भी माना गया है कि जौ के बीज में मौजूद बीटा-ग्लूकेन प्रतिरोधक क्षमता को नियंत्रित करने के साथ ही उसे बढ़ावा देने का भी काम कर सकता है (2)। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने में जौ का दलिया खाने के फायदे हासिल हो सकते हैं।

3. यौन स्वास्थ्य के लिए

यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के मामले में भी जो के फायदे हासिल किए जा सकते हैं। यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले खाद्य पदार्थों से संबंधित एक शोध में इस बात को स्वीकार किया गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि जौ में एफ्रोडिसिएक (aphrodisiac) यानी कामेक्षा को बढ़ाने वाला गुण पाया जाता है। वहीं, शोध में यह भी माना गया है कि यह जननांग में रक्त संचार को बढ़ावा दे सकता है और साथ ही लिंग के ढीलेपन की समस्या को भी दूर करने में सहायक हो सकता है। वहीं, यह ब्लड प्रेशर, हृदय समस्या, अनिद्रा, अवसाद, प्रतिरोधक क्षमता विकार और डायबिटीज से राहत दिलाने में भी कारगर हो सकता है। इन सभी समस्याओं में लाभकारी होने के कारण यह यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मददगार हो सकता है (3)। इसके लिए जो का आटा नियमित आहार में शामिल किया जा सकता है।

4. वजन घटाने में मददगार

जौ का दलिया खाने के फायदे में बढ़ते वजन को नियंत्रित करना भी शामिल है। इसलिए, बढ़ते वजन को कम करने की इच्छा रखने वाले लोग भी जौ को अपने आहार में जगह दे सकते हैं। दरअसल, जौ में बीटा-ग्लूकेन, रेजिस्टेंट स्टार्च, टोकोल्स, डायट्री फाइबर, पॉलीफिनोल्स, पॉलीसैकराइड और फाइटोस्टेरोल्स पाए जाते हैं। इन सभी तत्वों की मौजूदगी के कारण जौ के गुण में एंटीओबेसिटी (वजन को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है (2)। वहीं, डॉक्टर के मुताबिक बीटा ग्लूकेन (सोल्यूबल फाइबर का एक प्रकार) भूख को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जिससे वजन को घटाने में मदद मिल सकती है। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि वजन घटाने के उपाय में जौ के इस्तेमाल को शामिल किया जा सकता है।

5. पाचन शक्ति बढ़ाए और कब्ज को ठीक करे

पाचन शक्ति को बढ़ाने के मामले में भी जो का आटा लाभकारी साबित हो सकता है। इस बात को जौ से संबंधित एनसीबीआई के एक शोध में भी माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि जौ में मौजूद डायट्री फाइबर आतों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का काम कर सकते हैं। वहीं, शोध में यह भी माना गया है कि फर्मेंटेड जौ के अर्क में लैक्सेटिव (कब्ज से राहत दिलाने वाला) प्रभाव पाया जाता है। जौ में मौजूद बीटा-ग्लूकेन और ब्यूटेरिक एसिड इस जौ के गुण के लिए अहम माने जाते हैं (2)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि पाचन शक्ति को बढ़ाने के साथ ही कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में भी जौ का दलिया खाने के फायदे मददगार हो सकते हैं।

6. सर्दी-खांसी में पहुंचाए आराम

सर्दी और खांसी से राहत पाने के लिए जौ को एक बेहतरीन विकल्प माना जाता सकता है। इसके औषधीय गुणों में सामान्य सर्दी और खांसी की समस्या से राहत दिलाना भी शामिल है। इस बात का जिक्र जौ से संबंधित एक शोध में भी मिलता है, जिसमें जौ के अर्क को सर्दी और खांसी से राहत पाने की पारंपरिक औषधि बताया गया है (4)। इस आधार पर माना जा सकता है कि जौ के इस्तेमाल से सामान्य सर्दी और खांसी से भी कुछ हद तक राहत पाई जा सकती है। हालांकि, इन लाभ के पीछे जौ के कौन से गुण काम करते हैं, इसे लेकर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।

7. हड्डियों और दांतों के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी

हड्डियों और दांतों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के मामले में भी जौ का दलिया खाने के फायदे हासिल हो सकते हैं। दो अलग-अलग शोध से यह बात प्रमाणित होती है। एक शोध में माना गया है कि जौ फास्फोरस से समृद्ध होता है, जो हड्डियों और दांतों के विकास के लिए आवश्यक माना जाता है। इसलिए, यह ओस्टियोपोरोसिस की समस्या (हड्डियों का कमजोर होना) में सहायक हो सकता है (5)। वहीं, जौ से संबंधित एक अन्य शोध में माना गया कि जौ का उपयोग हड्डियों के विकास को बढ़ावा दे सकता है। साथ ही यह भी माना गया है कि जौ में मौजूद बीटा-ग्लूकेन एल्वेओलर बोन लोस (दांतों का क्षरण) से बचाव में कारगर हो सकता है (2)।

8. टाइप-2 डायबिटीज में सहायक

टाइप-2 डायबिटीज की समस्या से राहत पाने के लिए भी जो का आटा लाभकारी हो सकता है। दरअसल, शोध में माना गया है कि फेलोलिक्स और बीटा-ग्लूकेन की मौजूदगी के कारण ही जौ के गुण में एंटीडायबिटिक (ब्लड शुगर कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। जौ का यह प्रभाव टाइप-2 डायबिटीज की समस्या में राहत पहुंचाने का काम कर सकता है (6)।

9. गर्भावस्था में लाभकारी

गर्भावस्था में आयरन, कैल्शियम और फोलिक एसिड को अहम माना जाता है। वजह यह है कि आयरन भ्रूण के शारीरिक और मानसिक विकास में मदद कर सकता है। फोलिक एसिड बच्चे में जन्म दोष के जोखिम को कम करने में मदद करता है। वहीं, कैल्शियम गर्भावस्था के दौरान प्रीक्लेम्पसिया (उच्च रक्तचाप विकार) को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है (7)। खास यह है कि ये सभी तत्व जौ में पाए जाते हैं (1)। इसके साथ ही गर्भावस्था में डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए भी आहार में जौ को शामिल करने की सलाह दी जाती है (8)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि जौ गर्भावस्था के लिए भी उपयोगी सहायक हो सकता है।

10. यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) में फायदेमंद

यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन से परेशान लोग भी जौ का उपयोग कर इस समस्या में राहत पा सकते हैं। जौ से संबंधित एक शोध में इस बात को साफतौर पर स्वीकार किया गया है। शोध में माना गया है कि जौ के औषधीय गुण में एंटीबैक्टीरियल प्रभाव शामिल होता है। इस प्रभाव के कारण यह मूत्र मार्ग से संबंधित बैक्टीरियल संक्रमण को दूर करने में मदद कर सकता है। वहीं, शोध में यह भी माना गया है कि इसमें मौजूद एंटी-इन्फ्लामेट्री गुण मूत्राशय की सूजन को कम करने में भी सहायक हो सकता है (9)। इस आधार पर माना जा सकता है कि यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन की समस्या में भी जौ का उपयोग कुछ हद तक सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है।

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11. गर्मियों में सहायक और प्यास की तीव्र इच्छा को कम करे

गर्मियों में जौ का सेवन शरीर को सुरक्षा प्रदान कर सकता है। जौ की घास विटामिन-सी और ई से समृद्ध होती है, जो गर्मियों में अपने एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव से शरीर की रक्षा कर सकते हैं (10) (11)। वहीं, आयुर्वेद में कुछ खाद्य पदार्थों को पित्त दोष (पित्त का अंसुलित होना, जिससे शरीर में गर्मी भी बढ़ सकती है) को दूर करने में सहायक माना गया है, जिसमें जौ भी शामिल है (12)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि यह शरीर को ठंडक प्रदान करने का काम कर सकता है। वहीं,, जौ से संबंधित एक शोध में माना गया है कि डायबिटीज की समस्या में पानी पीने की तीव्र इच्छा पनपती है। ऐसे में जौ का उपयोग डायबिटीज में राहत दिलाकर पानी पीने की तीव्र इच्छा (डिप्सिया) की समस्या को भी नियंत्रित कर सकता है (13)।

इस आधार पर यह माना जा सकता है कि गर्मियों में सहायक होने के साथ ही जौ प्यास की तीव्र इच्छा को भी नियंत्रित कर सकता है। मगर, इस मामले में जौ के औषधीय गुण कितना प्रभावी होंगे, इस बारे में कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता।

12. अर्थराइटिस में सहायक

अर्थराइटिस की समस्या से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी जौ का उपयोग लाभकारी साबित हो सकता है। बार्ले ग्रास यानी जौ की पत्तियों के अर्क से संबंधित एक शोध में इस बात को सीधे तौर पर स्वीकार किया गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि जौ की पत्तियों में मौजूद एंटीइन्फ्लामेट्री (सूजन कम करने वाला) गठिया से संबंधित सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। वहीं, इसमें यूरिक एसिड को कम करने का भी गुण मौजूद होता है। बता दें, यूरिक एसिड की अधिकता अर्थराइटिस को जन्म दे सकती है। इस कारण जौ के औषधीय गुण में एंटीअर्थराइटिक (अर्थराइटिस से राहत दिलाने वाला) प्रभाव भी देखने को मिलता है (10)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि अर्थराइटिस की समस्या में भी जौ का उपयोग लाभकारी हो सकता है। वहीं, विशेषज्ञों के मुताबिक जौ की पत्तियों के अर्क में नींबू का इस्तेमाल करने से यह आर्थराइटिस में अधिक लाभकारी हो सकता है। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि प्यूरिन युक्त खाद्य (सी फूड और ऑर्गन मीट) का इस्तेमाल न किया जाए।

13. पित्ताशय की पथरी के लिए

जौ के आटे की रोटी के फायदे पित्ताशय की पथरी में भी सहायक हो सकते हैं। इस संबंध में जौ से संबंधित एक शोध में भी जिक्र मिलता है। शोध में माना गया है कि जौ में मौजूद फाइबर कुछ हद तक पित्ताशय की पथरी को गलाने का काम कर सकता है (14)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि पिताशय की पथरी से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए जौ का सेवन लाभकारी साबित हो सकता है।

14. अस्थमा के लिए

दमा एक चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें व्यक्ति के वायुमार्ग में सूजन और अतिरिक्त बलगम जमा हो जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है। अस्थमा से निजात पाने में जौ मदद कर सकता है। एक वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, नवजात में अस्थमा की समस्या को जौ की मदद से कम किया जा सकता है (15)। हालांकि, यह किस प्रकार यह काम करता है, इसे लेकर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।

15. एनीमिया के जोखिम को कम करे

एनीमिया (लाल रक्त कोशिकाओं की कमी) का सबसे आम कारण आयरन की कमी माना जाता है। वहीं, आयरन से समृद्ध अनाज में जौ भी शामिल है, जिसे एनीमिया से बचाव के लिए और आयरन को पूरा करने के लिए लेने की सलाह दी जाती है (16)। ऐसे में यह माना जा सकता है कि आहार में जौ या जौ का आटा को शामिल कर आयरन की कमी को पूरा करने में मदद मिल सकती है। इस तरह यह एनीमिया की समस्या में लाभकारी प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है।

16. एथेरोस्क्लेरोसिस से करे बचाव

एथेरोस्क्लेरोसिस एक ऐसी समस्या है, जिसमें धमनी की दीवारों पर और अंदर फैट, कोलेस्ट्रोल और अन्य पदार्थ जमा हो जाते हैं। इसकी वजह से हृदय तक ठीक से रक्त प्रवाह नहीं हो पाता। इसके पीछे मुख्य रूप से ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन दो अहम कारण माने जाते हैं। ऐसे में जौ का सेवन इस समस्या में लाभकारी प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है। जो के फायदे से संबंधित एक शोध में इस बात को माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि जौ में मौजूद पॉलीफिनोल्स कोलेस्ट्रोल और लिपिड को कम कर इस समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। वहीं, जौ में मौजूद पॉलीसेकराइड की वजह से जौ के औषधीय गुण में एंटीइफ्लामेट्री और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। ये गुण मुक्त कणों के तनाव और सूजन को कम कर एथेरोस्क्लेरोसिस की संभावना को कम कर सकते हैं (2)।

17. त्वचा के लिए उपयोगी

जौ का उपयोग त्वचा के लिए भी लाभकारी हो सकता है। यह बात जौ से जुड़े एक शोध से साबित होती है। शोध में जिक्र मिलता है कि फर्मेंटेड जौ का अर्क त्वचा से जुड़े घाव में लाभकारी हो सकता है। इसके अलावा, जौ का इस्तेमाल एटॉपिक डर्मेटाइटिस यानी एक्जिमा (सूजन के कारण त्वचा पर लाल चकत्ते की समस्या) से राहत दिलाने में मदद कर सकता है (2)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि त्वचा के लिए भी बार्ली के फायदे लाभकारी हो सकते हैं। इसके लिए जौ का आटा खाने के साथ ही इसके अर्क को त्वचा पर लगाने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।

18. बालों के स्वास्थ्य को बनाए रखे

बालों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी जौ का उपयोग सहायक हो सकता है। इस बात को बालों के विकास से संबंधित जौ पर किए गए एक प्रयोग में माना गया है। किए गए प्रयोग में पाया गया कि जौ में मौजूद प्रोसायनिडिन बी-3 नाम के खास तत्व में बालों के विकास को बढ़ावा देने का गुण पाया जाता है (17)। इस आधार पर माना जा सकता है कि जौ का आटा खाने के साथ-साथ इसके पानी को बालों में लगाने से बालों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिल सकती है।

19. कैंसर से बचाव में सहायक

कैंसर के जोखिम को कम करने के मामले में भी जौ सहायक हो सकता है। जो के फायदे से संबंधित एनसीबीआई के एक शोध में जिक्र मिलता है कि जौ में बीटा-ग्लूकेन, फिनोलिक्स, अर्बीनोक्जायलन, फाइटोस्टेरोल, लिग्नेन और रेजिस्टेंट स्टार्च जैसे तत्व पाए जाते हैं। इन सभी की मौजूदगी के कारण ही जौ में एंटीकैंसर (कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने वाला) गुण पाया जाता है। यह मुख्य रूप से पेट और लिवर से संबंधित कैंसर से बचाव में कुछ हद तक मददगार हो सकता है (2)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि जौ का सेवन कुछ हद तक कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। हालांकि, यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि कैंसर एक जानलेवा बीमारी है, जिसका इलाज डॉक्टरी परामर्श और देखरेख में किया जाना आवश्यक है।

20. लिवर को स्वस्थ रखे

लिवर के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी जौ का सेवन लाभकारी हो सकता है। दरअसल, जौ खाने के फायदे से संबंधित एक शोध में माना गया है कि जौ में हेप्टोप्रोटेक्शन (लिवर को सुरक्षा देने वाला) का गुण पाया जाता है। इस गुण के पीछे जौ में मौजूद बीटा-ग्लूकेन, फिनोलिक्स और पेंटोसन जैसे तत्व अहम भूमिका निभाते हैं (2)। इस आधार पर माना जा सकता है कि लिवर के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जौ का सेवन करना मददगार साबित हो सकता है।

और भी है बहुत कुछ

आगे लेख में अब हम जौ के पौष्टिक तत्वों से जुड़ी जानकारी हासिल कर लेते हैं।

जौ के पौष्टिक तत्व – Barley Nutritional Value in Hindi

नीचे दिए गए चार्ट के माध्यम से हम जौ के पौष्टिक तत्वों से जुड़ी जानकारी हासिल कर सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार है (1):

पोषक तत्वयूनिटमात्रा प्रति 100 ग्राम
पानीg10.09
एनर्जीKcal352
प्रोटीनg9.91
टोटल लिपिड (फैट)g1.16
कार्बोहाइड्रेटg77.72
फाइबर (टोटल डायट्री)g15.6
शुगरg0.8
कैल्शियमmg29
आयरनmg2.5
मैग्नीशियमmg79
फास्फोरसmg221
पोटेशियमmg280
सोडियमmg9
जिंकmg2.13
कॉपरmg0.42
मैगनीजmg1.322
सेलेनियमµg37.7
विटामिन-सीmg0
थियामिनmg0.191
राइबोफ्लेविनmg0.114
नियासिनmg4.604
विटामिन बी-6mg0.26
फोलेट (डीएफई)µg23
विटामिन-ए (आईयू)IU22
विटामिन-ईmg0.02
विटामिन-केµg2.2
फैटी एसिड (टोटल सैचुरेटेड)g0.244
फैटी एसिड (मोनोअनसैचुरेटेड)g0.149
फैटी एसिड (पॉलीसैचुरेटेड)g0.56

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जौ का उपयोग – How to Use Barley in Hindi

जौ को अपने दैनिक आहार में निम्नलिखित रूप से शामिल किया जा सकता है:

  • जौ के बीजों का सूप बनाकर जौ का सेवन किया जा सकता है।
  • इसे चावल या आलू के विकल्प के रूप में उबाल कर खा सकते हैं।
  • जौ के आटे की रोटियां बनाकर खाई जा सकती हैं।
  • जौ के आटे से बनी ब्रेड का भी सेवन किया जा सकता है।
  • सब्जियों की सलाद में पके हुए जौ के बीज डालकर खाए जा सकते हैं।
  • नाश्ते के लिए जौ की स्वादिष्ट दलिया (मीठी या नमकीन) बनाकर खा सकते हैं।
  • रिसोट्टो (चावल से बना एक व्यंजन) बनाने के लिए चावल के बजाय जौ का उपयोग करें।
  • स्वास्थ्य के लिए जौ का पानी पिएं। बेहतर स्वाद के लिए इसमें नींबू या शहद मिलाएं।
  • जौ के बीज का पाउडर बनाएं और इसे स्मूदी या मिल्क शेक में मिलाएं।
  • वहीं, जौ की पत्तियों का जूस बनाकर भी पीने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

मात्रा: सामान्य रूप से प्रतिदिन करीब 100 ग्राम जौ का सेवन किया जा सकता है (18)। वहीं, व्यक्ति की उम्र और स्वास्थ्य के हिसाब से इस मात्रा में परिवर्तन संभव है।

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अब हम यहां जौ का पानी बनाने का तरीका बताएंगे।

जौ का पानी कैसे बनाएं – How To Make Barley Water in Hindi

निम्न विधि का इस्तेमाल कर जौ का पानी बनाने के तरीके को समझा जा सकता है।

सामग्री:

  • एक चौथाई कप जौ (हुल्ड या पर्ल)
  • दो कप पानी
  • एक बड़ा चम्मच नींबू का रस
  • दो बड़े चम्मच चीनी या एक बड़ा चम्मच शहद
  • चार से पांच आइस क्यूब

बनाने की विधि:

  • सबसे पहले जौ को पानी में अच्छी तरह उबाल लें।
  • पानी को छानकर ठंडा होने के लिए रख दें।
  • पानी ठंडा होने पर उसमें नींबू का रस, चीन/शहद मिलाएं। वहीं, डायबिटीज रोगी चीनी की जगह नमक का प्रयोग कर सकते हैं। नींबू का रस मिलाने से जौ के पानी का स्वाद बढ़ने के साथ-साथ विटामिन-सी भी हासिल होता है।
  • ऊपर से आइस क्यूब डालें।
  • अब रिफ्रेशिंग जौ के पानी का आनंद लें।

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आगे अब हम जौ को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के तरीके बताएंगे।

जौ का चयन और लंबे समय तक सुरक्षित रखना – Selection and Storage of Barley in Hindi

जौ का उपयोग लंबे समय तक करने के लिए इसका सही चयन और सही स्टोर करना बहुत जरूरी है। नीचे जानिए कि किस प्रकार करें जौ के बीज का चयन और भंडारण।

चयन: जौ लगभग सभी खाद्य पदार्थों की दुकान या सुपरमार्केट में मिल जाएगा। हमेशा जौ को किसी विश्वसनीय अनाज की दुकान से खरीदें। जौ पैकेट में भी उपलब्ध है। पैकेट वाले जौ खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता व एक्सपायरी डेट की जांच कर ले। साथ में यह भी देखे कि कहीं पैकेट में नमी तो नहीं है। खरीदने से पहले हमेशा पैकेजिंग की तारीख की जांच करें।

स्टोर: जौ के बीज को सीधे धूप से दूर किसी ठंडी और सूखी जगह पर रखें। स्टोर करने के लिए जौ को प्लास्टिक या कांच के कंटेनर में रखें। अगर जौ को ठीक प्रकार स्टोर किया गया है, तो इसका उपयोग एक साल तक किया जा सकता है।

गर्मियों के दौरान जौ के बीज को रेफ्रिजरेटर या फ्रीजर में स्टोर कर सकते हैं, लेकिन स्टोर करने से पहले जौ को किसी एयरटाइट कंटेनर में रखें। हो सके, तो कंटेनर को ऊपर से किसी प्लास्टिक की शीट से रैप कर लें।

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जौ के फायदे और अन्य जानकारी के बाद आगे जानिए जौ के नुकसान।

जौ के नुकसान – Side Effects of Barley in Hindi

जौ खाने के फायदे तो आपने जान लिए हैं, लेकिन अधिक सेवन के कारण जौ के नुकसान भी देखने को मिल सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:

  • जौ में लैक्सेटिव (मल को मुलायम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है (2)। इस कारण इसका अधिक सेवन करने से दस्त की समस्या हो सकती है।
  • जौ में एंटीडायबिटिक (ब्लड शुगर को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है (2)। इस कारण डायबिटीज की दवा लेने वाले लोगों को इसके सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए।
  • जौ में कुछ एलर्जिक प्रभाव पाए जाते हैं, जिसके कारण इसके सेवन से कुछ बच्चों में एलर्जी की शिकायत हो सकती है (19)।
  • हालांकि, यह लैक्सेटिव प्रभाव के कारण कब्ज से राहत दिला सकता है, लेकिन स्टार्च की मौजूदगी के कारण इसका अधिक सेवन कुछ परिस्थितियों में कब्ज भी पैदा कर सकता है।

दोस्तों, ये थे जौ खाने के सबसे चमत्कारी फायदे। शरीर के लिए जौ खाने के फायदे जानने के बाद आपको इसे अपने दैनिक आहार में जरूर शामिल करना चाहिए। हमने लेख में जौ के सेवन के कुछ तरीके भी बताए हैं, जिन्हें आप इस्तेमाल में ला सकते हैं। हो सकता है कि नियमित सेवन के दौरान कुछ बताए गए जौ के नुकसान सामने आएं। ऐसी स्थिति में आप घबराएं नहीं और डॉक्टर से संपर्क करें। आशा है कि जौ पर लिखा हमारा यह लेख आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद साबित होगा। स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे ही अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें स्टाइलक्रेज के साथ।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:

जौ के पौधे की क्या पहचान है?

जौ के पौधे देखने में बिल्कुल गेहूं की तरह होते हैं, लेकिन इसके बीज के किनारे गेहूं के मुकाबले अधिक नुकीले होते हैं। वहीं, इसके बीजों के ऊपर दिखने वाली बालों जैसी संरचना अधिक पतली और लंबी होती है।

क्या जौ चावल से अधिक स्वास्थ्यवर्धक है?

दोनों ही अनाज पोषक तत्वों से भरपूर माने जाते हैं और दोनों के अपने अलग-अलग फायदे भी होते हैं। इसलिए, स्वास्थ्य के मामले में दोनों की आपस में तुलना नहीं की जा सकती है। वहीं, अगर जौ के पोषक तत्वों की चावल के पोषक तत्वों से तुलना की जाए, तो यह कहा जा सकता है कि जौ में चावल के मुकाबले उपस्थित कई मिनरल और विटामिन की मात्रा अधिक होती है (1) (20)।

क्या जौ और गेंहू एक ही हैं?

जौ और गेंहू दोनों ही ग्रास फैमिली के अनाज हैं, लेकिन ये दोनों एक नहीं हैं।

क्या जौ एक सुपर फूड है?

जौ के सेवन से स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे हासिल किए जा सकते हैं, जिसके बारे में आपको लेख में पहले ही बताया जा चुका है। यही वजह है कि इसे सुपर-फूड में शुमार किया जा सकता है।

ओट्स और जौ में क्या अंतर है?

ओट्स के बीज भी जौ से काफी मिलते-जुलते होते हैं, लेकिन इनके मध्य सबसे बड़ा अंतर है। जौ के बीज बालों जैसी संरचना से ढके रहते हैं, जबकि ओट्स के बीज बिना बालों के अपने पौधों पर लगे हुए दिखाई देते हैं।

क्या जौ में अधिक मात्रा में ग्लूटेन पाया जाता है?

बेशक जौ में ग्लूटेन नाम का एक खास प्रोटीन पाया जाता है, जिसे सीलिएक डिजीज (प्रतिरोधक तंत्र से जुड़ा विकार, जो आंतों को प्रभावित करता है) में

लेना मना होता है। हालांकि, गेंहू के मुकाबले में जौ में इसकी मात्रा कम पाई जाती है (21)।

जौ की तासीर कैसी होती है?

जौ की तासीर ठंडी होती है।

जौ कहां पाया जाता है?

भारत के विभिन्न क्षेत्रों के साथ ही जौ रूस, यूक्रेन, जर्मनी और कनाडा में पाया जाता है।

क्या जौ का पानी पीने के कारण बार-बार पेशाब जाना पड़ सकता है?

हां, जौ के पानी में मूत्रवर्धक गुण मौजूद होता है। इसलिए, इसे पीने के बाद बार-बार पेशाब का अनुभव हो सकता है (22)।

जौ का आटा कैसे बनाये?

जौ के बीजों को पीस कर जौ का आटा बनाया जा सकता है।

Sources

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