Medically Reviewed By Neha Srivastava, PG Diploma In Dietetics & Hospital Food Services
Written by , (शिक्षा- एमए इन जर्नलिज्म मीडिया कम्युनिकेशन)

लाल रंग का दिखने वाला चुकंदर सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। वहीं, जब गर्भावस्था की बात आती है, तो इसे लेकर सवाल खड़ा हो सकता है कि इसे गर्भवती के आहार में शामिल किया जाना चाहिए या नहीं। यह सवाल लाजमी भी है, क्योंकि गर्भावस्था में खानपान का ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है। यही वजह है कि इस लेख में हम बता रहे हैं कि प्रेगनेंसी में चुकंदर खाना सुरक्षित है या नहीं। अगर हां, तो कितनी मात्रा में इसे लिया जाना चाहिए? साथ ही गर्भावस्था के दौरान इसके सेवन का सही समय कौन-सा है। ऐसे तमाम सवालों के जवाब स्टाइलक्रेज के इस लेख में मौजूद हैं। साथ ही हम इस लेख में गर्भावस्था में चुकंदर खाने के फायदे और नुकसान के बारे में भी बता रहे हैं।

लेख विस्तार से पढ़ें

चलिए, सबसे पहले यह जान लेते हैं कि गर्भावस्था में चुकंदर और इसका रस का सेवन सुरक्षित है या नहीं।

क्या गर्भावस्था में चुकंदर और इसका रस लेना सुरक्षित है?

एक शोध के दौरान चुकंदर के रस को 97% महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित पाया गया है। इसमें मौजूद नाइट्रेट की वजह से इसे गर्भवतियों के लिए भी अच्छा माना गया है (1)। चुकंदर पेट के स्वास्थ्य को बेहतर रखने के साथ ही कई तरह से गर्भवतियों को फायदा पहुंचा सकता है, जिसके बारे में हम लेख के अगले भाग में बता रहे हैं (2)। चुकंदर का सेवन करते समय इसकी मात्रा का खास ख्याल रखा जाना चाहिए। दरअसल, इसमें मौजूद नाइट्रेट गर्भवास्था में महिला और भ्रूण के विकास में मदद करने के साथ ही कुछ नुकसान भी पहुंचा सकता है (3)। प्रेगनेंसी में चुकंदर खाने के नुकसान के बारे में हम लेख में आगे विस्तार से बताएंगे। नुकसान से पहले गर्भावस्था में चुकंदर खाने के फायदे के बारे में हम बता रहे हैं।

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लेख के अगले हिस्से में हम प्रेगनेंसी में चुकंदर खाने के फायदे के बारे में बता रहे हैं।

प्रेगनेंसी में चुकंदर खाने के फायदे – Benefits of Eating Beetroot in Pregnancy In Hindi

पाठक इस बात का ध्यान रखें कि चुकंदर गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न होने वाली किसी भी समस्या का इलाज नहीं है। यह केवल नीचे बताई जा रहीं समस्याओं के लक्षणों को कुछ हद तक कम करने में मदद कर सकता है।

1. फोलिक एसिड और बच्चों का विकास

बीटरूट में भरपूर मात्रा में फोलिक एसिड पाया जाता है, जो गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए जरूरी माना जाता है। चुकंदर में मौजूद यह फोलिक एसिड अजन्मे बच्चे को बर्थ डिफेक्ट से बचाने में मदद कर सकता है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ केमिकल स्टडीज के मुताबिक फोलिक एसिड शरीर में नए सेल्स को बनाने में मदद करता है। साथ ही यह भ्रूण की रीढ़ की हड्डी और दिमाग के उचित विकास को भी सुनिश्चित करता है (2)।

2. रक्त को शुद्ध करे

आधुनिक जीवन शैली, जंक फूड, शराब, दूषित पानी, अनिद्रा और खराब रक्त परिसंचरण यानी ब्लड सर्कुलेशन रक्त को अशुद्ध करने का कारण बनते हैं। रक्त की अशुद्धी की वजह से एलर्जी, मुंहासे, चकत्ते, जोड़ों में दर्द और इम्यून सिस्टम की कमजोरी जैसी समस्याएं होती हैं (3)। इन समस्याओं से बचने के लिए रक्त का साफ होना जरूरी है, जो चुकंदर की मदद से किया जा सकता है (2)। एक शोध में यह भी जिक्र मिलता है कि चुकंदर में मौजूद नाइट्रेट प्लेसेंटा के रक्त प्रवाह में सुधार कर सकता है, जिससे कुछ हद तक रक्त को शुद्ध करने में मदद मिल सकती है (4)। यह रक्त में मौजूद कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने का काम कर सकता है (2)।

3. शरीर में आयरन की मात्रा को बढ़ाए

चुकंदर में मौजूद आयरन शरीर में इस तत्व को बढ़ाने में मदद कर सकता है। देखा गया है कि गर्भवतियों को अक्सर आयरन की कमी की वजह से एनीमिया की समस्या का सामना करना पड़ता है। एनीमिया, जिसमें लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन बाधित हो जाता है। एक अध्ययन के मुताबिक विकासशील देशों में करीब 52% गर्भवतियां इससे प्रभावित होती हैं। इसी वजह से माना जाता है कि गर्भावस्था के दौरान आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल किया जाना चाहिए, जिसमें चुकंदर भी शामिल है (5)। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध ने स्पष्ट किया है कि पके हुए करीब 150g बीटरूट में 1.2mg आयरन की मात्रा होती है (6)। हालांकि, कच्चे चुकंदर में इसकी मात्रा थोड़ी कम होती है (7)। वहीं, अध्ययन से पता चलता है कि आयरन को अवशोषित करने के लिए विटामिन-सी भी जरूरी होता है, जो चुकंदर में भरपूर होता है (8)।

गर्भावस्था में चुकंदर खाने के फायदे के बाद अब हम विस्तार से इसे आहार में शामिल करने का तरीका बता रहे हैं।

गर्भावस्था के आहार में चुकंदर को कैसे शामिल करें?

प्रेगनेंसी में चुकंदर को किस तरह से आहार में शामिल किया जा सकता है, यह हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं:

कैसे खाएं:
  • बीटरूट को सलाद के रूप में खाया जा सकता है।
  • चुकंदर की सब्जी भी बनाई जा सकती है।
  • बीटरूट के जूस का भी सेवन किया जा सकता है।
  • इसे अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर मिक्स वेज के रूप में भी खाया जा सकता है।
  • बीटरूट को पाउडर के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है।
  • कुछ लोग इसका हलवा बनाकर भी खाते हैं।
कितना खाएं:

गर्भावस्था के दौरान चुकंदर को आहार में कितनी मात्रा में शामिल करें, इसकी सटीक जानकारी से जुड़ा शोध उपलब्ध नहीं है। वहीं जब रक्त में हीमोग्लोबिन बढ़ाने की बात आती है तो चुकंदर को एक बहुत शक्तिशाली एजेंट माना जाता है। ऐसे में एक कप चुकंदर के जूस में शहद मिलाकर दिन में एक बार सेवन किया जा सकता है (8)। गर्भावस्था में इसकी सटीक मात्रा के बारे में जानने के लिए आप डॉक्टरी परामर्श जरूर लें।

कब खाएं:

गर्भावस्था में चुकंदर कब खाना चाहिए, इसको लेकर कोई सटीक समय के बारे में बताया नहीं गया है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक फोलेट की कमी से बचने के लिए गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीनों में फोलेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है (9)। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि बीटरूट में फोलेट की अच्छी मात्रा पाई जाती है और गर्भावस्था में इसे खाया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर इसमें मौजूद नाइट्रेट का सेवन गर्भावस्था के 30वें हफ्ते से शरीर में विषाक्तता का कारण बन सकता है, ऐसे में तीसरी तीमाही में इसका सेवन न किया जाना ही बेहतर होगा (10)। अच्छा होगा कि गर्भावस्था में इसके खाने के सही समय के बारे में जानने के लिए डॉक्टरी परामर्श लिया जाए।

पढ़ते रहें

चलिए, अब प्रेगनेंसी में चुकंदर खाने के कसान पर एक नजर डाल लेते हैं।

गर्भावस्था में चुकंदर खाने के नुकसान- Side Effects of Beetroot in Pregnancy In Hindi

ऐसा नहीं है कि प्रेगनेंसी में चुकंदर खाने के फायदे ही फायदे होंगे। गर्भावस्था में चुकंदर खाने के फायदे के साथ ही नुकसान भी हो सकते हैं। दरअसल, अधिक मात्रा में चुकंदर को लिया जाए तो ऐसे में इसके फायदे के बजाय नुकसान देखने को मिल सकते हैं। ऐसे में गर्भावस्था में चुकंदर खाने के नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं, यह हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं (7) (11) (12):

  • चुकंदर में मौजूद बीटाइन (betaine) के कारण मतली और दस्त जैसी समस्या हो सकती है।
  • हार्टबर्न व सीने में जलन।
  • चुकंदर का ज्यादा सेवन करने से पेशाब का रंग लाल (Beeturia) हो सकता है।
  • मेथेमोग्लोबिनेमिया (रक्त संबंधी विकार)।
  • भ्रूण की कोशिकाओं में परिवर्तन और घातक परिवर्तन।
  • थायरॉयड।
  • किडनी स्टोन का जोखिम। दरअसल, चुकंदर में ऑक्सालेट होता है, इसलिए जिनको गुर्दे की पथरी की समस्या है, उन्हें परहेज करना चाहिए या डॉक्टरी सलाह पर सीमित मात्रा मे ही लेना चाहिए।

नाइट्रेट की विषाक्तता की वजह से 30वें हफ्ते के बाद होने वाले नुकसान (13):

  • ऑक्सीजन की कमी से होंठों का रंग नीला होना।
  • सांस लेने में समस्या।
  • उल्टी और दस्त।
  • डिहाइड्रेशन (शरीर में पानी की कमी)।
  • तेज नाड़ी, चक्कर आना, कमजोरी और कोमा।

नोट : सामान्य तौर पर चुकंदर के साइड इफेक्ट्स नहीं देखे जाते हैं लेकिन फिर भी अगर किसी को चुकंदर सूट नहीं होता है तो इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

गर्भावस्था में चुकंदर खाने के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में हम विस्तार से लेख में बता चुके हैं। ऐसे में प्रेगनेंसी में चुकंदर खाना और न खाने का फैसला गर्भवती महिला इसके नुकसान को ध्यान में रखकर ही करें। साथ ही इसकी मात्रा का खास ख्याल रखें। वहीं, अगर किसी की गर्भावस्था में कोई जटिलता है, तो चुकंदर का सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

Sources

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