Medically Reviewed By Dr. Zeel Gandhi, BAMS
Written by , (शिक्षा- बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मीडिया कम्युनिकेशन)

कुछ शारीरिक समस्याएं ऐसी होती हैं, जिनके बारे में महिलाएं खुलकर किसी से बात नहीं कर पाती हैं। ऐसे में वह समस्या बढ़ जाती है और गंभीर रूप ले लेती है। पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज भी कुछ इसी तरह की समस्या है। इस अवस्था में महिलाओं को तेज दर्द का सामना करना पड़ता है। इसलिए, अगर किसी को भी पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। स्टाइलक्रेज का हमारा यह आर्टिकल आपको पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के कारण और पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के लक्षण जानने में मदद करेगा। साथ ही आप इस आर्टिकल के माध्यम से पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के उपाय के बारे में भी जान सकेंगे।

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के कारण जानने से पहले यह क्या होता है, इस बारे में बात करेंगे।

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज क्या है? – What is Pelvic Inflammatory Disease (PID) in Hindi

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी) महिलाओं के प्रजनन अंगों में संक्रमण से संबंधित समस्या है। प्रजनन अंग में गर्भाशय (गर्भ), फैलोपियन ट्यूब (एक तरह की नलिका), अंडाशय और गर्भाशय ग्रीवा शामिल होती है। संक्रमण के कारण इनमें से किसी भी हिस्से में सूजन आ सकती है और तेज दर्द का भी सामना करना पड़ता है। यह समस्या ​​विभिन्न तरह के बैक्टीरिया के कारण हो सकती है। वहीं, आमतौर पर यह समस्या सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन (​​एसटीआई) के कारण उत्पन्न होने वाले बैक्टीरिया के कारण होती है। शारीरिक संबंध से फैलने वाले संक्रमण को ही एसटीआई कहते हैं। साथ ही योनि में पाए जाने वाले सामान्य बैक्टीरिया के चलते भी यह समस्या हो सकती है (1)।

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के लक्षण जानने से पहले इसके कारण के बारे में जान लेते हैं।

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के कारण – Causes of Pelvic Inflammatory Disease (PID) in Hindi

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज को श्रोणि सूजन की बीमारी के नाम से भी जाना जाता है। इसके लिए मुख्य रूप से बैक्टीरिया जिम्मेदार होते हैं। ये बैक्टीरिया गर्भाशय ग्रीवा में पाए जाते हैं, जो मेडिकल प्रोसीजर (चिकित्सा प्रक्रिया) के समय गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब तक पहुंच सकते हैं, जिससे पीआईडी की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इन मेडिकल प्रोसीजर में ये सब शामिल हैं (2):

  • प्रसव के दौरान।
  • एंडोमेट्रियल बायोप्सी (कैंसर की जांच के लिए गर्भ का कोई छोटा-सा टुकड़ा निकालना) के कारण।
  • गर्भनिरोधक उपकरण के कारण (गर्भावस्था को रोकने के लिए महिलाओं के गर्भाशय में डाले जाने वाले यंत्र)।
  • गर्भपात होने पर।
  • गर्भपात करवाने पर भी यह समस्या हो सकती है।

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के जोखिम कारक के बारे में बताने से पहले हम इसके लक्षणों की जानकारी दे रहे है।

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के लक्षण – Symptoms of Pelvic Inflammatory Disease (PID) in Hindi

अगर किसी को पीआईडी की समस्या है, तो उनमें ये आम लक्षण दिखाई दे सकते हैं (2):

  • बुखार आना।
  • श्रोणि, पेट और पीठ के निचले भाग में दर्द होना।
  • योनि से निकलने वाले द्रव का असामान्य रंग और गंध आना।

इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी हैं:

  • शारीरिक संबंध के बाद रक्त का बहना।
  • अधिक ठंड लगना।
  • शरीर में थकान महसूस होना।
  • पेशाब करते वक्त दर्द होना।
  • बार-बार पेशाब आना।
  • पीरियड क्रैम्प्स, जिससे सामान्य से अधिक या लंबे समय तक दर्द का अनुभव हो सकता है।
  • पीरियड के समय असामान्य रक्त का बहना।
  • भूख न लगना।
  • मतली और उल्टी होना।
  • पीरियड का स्किप होना।
  • यौन संबंध बनाते समय दर्द होना।

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज का इलाज के बारे में जानने से पहले इसके जोखिम कारक के बारे में जानेंगे।

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के जोखिम कारक – Risk Factors of Pelvic Inflammatory Disease (PID) in Hindi

ऐसा माना जाता है कि प्रति वर्ष करीब 10 लाख महिलाएं पीआईडी की शिकार होती है। 20 वर्ष से कम उम्र की 8 में से 1 किशोरी के पीआईडी के चपेट में आने की आशंका रहती है। पीआईडी के जोखिम उत्पन्न होने के पीछे अन्य अहम कारक इस प्रकार हैं (2) :

  • अगर कोई गोनोरिया या क्लैमाइडिया (बैक्टीरिया के कारण उत्पन्न समस्या) से प्रभावित व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनता है।
  • अगर कोई अलग-अलग लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाता है, तो उसे पीआईडी की समस्या हो सकती है।
  • अगर किसी को पहले भी एसटीआई की समस्या रही हो, तो उसे भी पीआईडी का सामना करना पड़ सकता है।
  • जिन्हें पहले पीआईडी की समस्या रही हो, तो उन्हें फिर से यह समस्या होने का खतरा बना रहता है।
  • अगर किसी ने 20 वर्ष की उम्र से पहले शारीरिक संबंध बनाए हैं, तो उसे भी यह पीआईडी होने की आशंका रहती है।

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज से बचने के उपाय के बारे में जानने से पहले इसके इलाज के बारे में जान लेते हैं।

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज का इलाज – Treatment of Pelvic Inflammatory Disease (PID) in Hindi

श्रोणि सूजन की बीमारी के उपचार में डॉक्टर टेस्ट रिपोर्ट आने से पहले एंटीबायोटिक दवा दे सकते हैं। साथ ही यह समस्या कितनी गंभीर है, डॉक्टर उसी के आधार पर इलाज करते हैं (2)। यहां हम कम व गंभीर पीआईडी की स्थिति के आधार पर कुछ आम इलाज के बारे में बता रहे हैं।

हल्के या कम पीआईडी की स्थिति में :

  • डॉक्टर इस समस्या से जूझ रहे पीड़ित का चेकअप कर घर भेजने से पहले 2 सप्ताह के लिए एंटीबायोटिक गोलियां दे सकते हैं।
  • हल्के पीआईडी की स्थिति में मरीज को डॉक्टर से फॉलोअप लेते रहना चाहिए।

 गंभीर पीआईडी की स्थिति में :

  • ऐसी स्थिति में मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है।
  • इस समस्या से प्रभावित मरीज को पहले इंट्रावेनस थेरेपी (नस के माध्यम से दवाई देना) के माध्यम से एंटीबायोटिक दवाई दी जा सकती है।
  • इसके बाद एंटीबायोटिक गोलियां खाने के लिए दे सकते हैं।

इस आर्टिकल के अंतिम भाग में हम पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज से बचने के उपाय बता रहे हैं।

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज से बचने के उपाय – Prevention Tips for Pelvic Inflammatory Disease (PID) in Hindi

कुछ बातों को ध्यान में रखा जाए, तो पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज को होने से रोका जा सकता है। इसके लिए नीचे कुछ बिंदुओं में इससे बचाव के तरीके बताए जा रहे हैं (2)।

  • यौन संबंध बनाते समय सुरक्षा को ध्यान में रखने पर पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज को रोकने में मदद मिल सकती है।
  • सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन (एसटीआई) को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका यौन संबंध नहीं बनाना है।
  • सिर्फ एक पार्टनर के साथ यौन संबंध रखने पर पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के जोखिम को कम किया जा सकता है।
  • शारीरिक संबंध बनाने से पहले महिला व पुरुष दोनों को एसटीआई की जांच करा लेनी चाहिए। इससे पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज से बचने में मदद मिल सकती है।
  • शारीरिक संबंध बनाते समय कंडोम इस्तेमाल करने से इस समस्या को होने से रोका जा सकता है।

ऊपर बताए गए बचने के उपाय के अलावा यह तरीका भी पीआईडी के जोखिम को कम कर सकता है:

  • एसटीआई की जांच नियमित रूप से करवाते रहें।
  • पहली बार शारीरिक संबंध बनाने से पहले शरीर की जांच करा लेनी चाहिए। इससे संक्रमण का पता लगाया जा सकता है, ताकि पीआईडी की समस्या से बचा जा सके।
  • अगर किसी महिला की उम्र 24 वर्ष या इससे अधिक है, तो उसे हर वर्ष क्लैमाइडिया और गोनोरिया की जांच जरूर करवानी चाहिए।

इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको स्पष्ट हो गया होगा कि पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज क्या होती है। अगर किसी को यह समस्या है, तो उन्हें घबराने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आप इस आर्टिकल को अपनी सहेली और परिवार की अन्य महिलाओं के साथ जरूर शेयर करें, ताकि उन्हें भी श्रोणि सूजन की बीमारी के उपचार के बारे में जानकारी मिल सके। हम आशा करते है कि इस आर्टिकल में दी गई प्रत्येक जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। अगर अब भी किसी के मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल है, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स के मदद से हमसे पूछ सकते हैं। हम जल्द से जल्द वैज्ञानिक प्रमाण सहित जवाब देने का प्रयास करेंगे।

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