Written by , (शिक्षा- एमए इन जर्नलिज्म मीडिया कम्युनिकेशन)

स्वस्थ शरीर और निरोगी काया तभी मिल सकती है, जब हमें सभी जरूरी पोषक तत्व संतुलित मात्रा में हासिल हों। इन पोषक तत्वों को हासिल करने का आसान विकल्प है, आहार। यही वजह है कि बड़े-बुजुर्ग हमेशा से पौष्टिक भोजन का सेवन करने पर जोर देते रहे हैं। इन पोषक तत्वों में विभिन्न प्रकार के खनिज, लवण और विटामिन शामिल होते हैं। इन्हीं में से एक है फास्फोरस। बेशक आप में से कई ने इस पोषक तत्व का नाम सुना होगा, लेकिन इसकी अहमियत को बमुश्किल ही कुछ लोग अच्छे से समझते होंगे। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम फास्फोरस के फायदे और फास्फोरस की कमी के लक्षण बताने के साथ ही फास्फोरस की कमी से कौन-सा रोग होता है, इस बारे में भी बताने जा रहे हैं।

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तो आइए, सबसे पहले हम फास्फोरस क्या है, इस बारे में जान लेते हैं। बाद में हम फास्फोरस के फायदे भी बताएंगे।

फास्फोरस क्या है? – What Is Phosphorus & Why Is It Important in Hindi

फास्फोरस एक प्रकार का खनिज (mineral) है, जो विभिन्न खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। वहीं, विशेषज्ञों के मुताबिक सामान्य रूप से प्रत्येक व्यक्ति में उसके शरीर के वजन के एक प्रतिशत के बराबर फास्फोरस स्वतः ही निर्मित होता है। यह पोषक तत्व सेहत और स्वास्थ्य के नजरिए से काफी अहम माना गया है। वजह यह है कि यह पोषक तत्व शरीर में वसा और कार्बोहाइड्रेट के इस्तेमाल को नियंत्रित करने, शरीर के विकास के लिए प्रोटीन निर्माण करने और कोशिकाओं और ऊतकों को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा, यह शरीर में एडिनोसिन ट्राईफास्फेट (ATP, कोशिकाओं को ऊर्जा देने वाला यौगिक) का निर्माण करने में भी मदद करता है। इस तरह फास्फोरस शरीर में ऊर्जा को बनाए रखने में भी मदद करता है (1)।

जानकारों की मानें, तो फास्फोरस मानव शरीर में मुख्य रूप से हड्डी, दांत, डीएनए (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) और आरएनए (राइबोन्यूक्लिक एसिड) में उपस्थित रहता है। वहीं, यह भी बताया जाता है कि मानव शरीर में मौजूद फास्फोरस की कुल मात्रा का करीब 85 प्रतिशत दांत और हड्डियों में पाया जाता है। वहीं, शरीर में उपस्थित फास्फोरस की कुल मात्रा का 15 प्रतिशत भाग खून और कोमल ऊतकों में मौजूद रहता है (2)।

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फास्फोरस क्या है, जानने के बाद अब हम अगले भाग में स्वास्थ्य संबंधी फास्फोरस के फायदे समझने का प्रयास करेंगे।

फास्फोरस के फायदे – Health Benefits of Phosphorus in Hindi

यहां हम क्रमवार फास्फोरस के फायदे विस्तृत रूप से समझने का प्रयास करेंगे। इस तरह हम मानव शरीर के लिए फास्फोरस की उपयोगिता को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे।

1. हड्डियों और दांतों के निर्माण में मददगार

वैसे तो इस बात से सभी अच्छी तरह वाकिफ होंगे कि हड्डियों और दांतों को मजबूती प्रदान करने के मामले में कैल्शियम एक अहम पोषक तत्व माना जाता है। मगर, कैल्शियम के साथ ही हड्डी और दांतों के निर्माण में और उन्हें मजबूत बनाए रखने में फास्फोरस भी अहम भूमिका निभाता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) के एक शोध में इस बात को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है। शोध में यह भी माना गया है कि शरीर में मौजूद फास्फोरस का करीब 85 प्रतिशत भाग हड्डी और दांतों में ही पाया जाता है (3)।

इसके साथ ही यह भी जान लेना जरूरी है कि फास्फोरस हड्डी और दांतों के लिए तब तक उपयोगी है, जब तक यह शरीर में संतुलित मात्रा में हो और कैल्शियम के साथ इसका अनुपात बराबर हो। दरअसल, इसकी कमी ही नहीं बल्कि इसकी जरूरत से अधिक मात्रा हड्डियों और दांतों का दर्द व कमजोरी की वजह भी बन सकती है (4)।

2. किडनी की कार्यक्षमता को सुधारे

फास्फोरस किडनी की कार्यक्षमता के लिए भी उपयोगी माना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक विटामिन बी के साथ मिलकर किडनी की कार्यशैली को सुचारु ढंग से चलाने में मदद करता है (1)। वहीं, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि कितना फास्फोरस शरीर द्वारा अवशोषित हो रहा है और कितना मूत्र के माध्यम से बाहर निकाला जा रहा है (5)। वहीं, अधिक मात्रा में शरीर में फास्फोरस की उपस्थिति किडनी से संबंधित समस्या का कारण भी बन सकती है (6)।

3. मांसपेशियों को संकुचित रखता है

मांसपेशियों को संकुचित कर उन्हें मजबूती प्रदान करने के मामले में भी फास्फोरस को काफी हम माना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह विटामिन बी के साथ मिलकर इस काम में मदद करता है। वहीं, लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि यह शरीर में एडीनोसिन ट्राइफॉस्फेट (ATP, कोशिकाओं को ऊर्जा देने वाला यौगिक) का निर्माण करने में भी मदद करता है। इस तरह फास्फोरस शरीर में ऊर्जा को बनाए रखने में भी मदद कर सकता है (1)। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करने के साथ ही यह शरीर में ऊर्जा को सुरक्षित रखने में भी सहायक हो सकता है। इस कारण शरीर में फास्फोरस की उपस्थिति जल्दी थकान का अनुभव नहीं होने देती है।

4. दिल की धड़कन को नियंत्रित रखता है

फास्फोरस के फायदे में दिल की धड़कन को नियंत्रित रखना भी शामिल है। विशेषज्ञों के मुताबिक विटामिन-बी की उपस्थिति में फास्फोरस हृदय गति को सामान्य बनाए रखने में भी मददगार साबित हो सकता है (1)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि फास्फोरस युक्त खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करके हृदय गति को संतुलित रखा जा सकता है। वहीं, इसके विपरीत फास्फोरस युक्त खाद्य पदार्थों की अधिकता के कारण हार्ट फेलियर का जोखिम भी हो सकता है (7)। इस कारण फास्फोरस युक्त खाद्य पदार्थों का संतुलित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए।

5. दिमाग के लिए उपयोगी

दिमाग के लिए भी फास्फोरस को काफी उपयोगी माना गया है। विटामिन-बी के साथ संयुक्त रूप से फास्फोरस के फायदों में तंत्रिका तंत्र संबंधी संकेतों को भेजने की क्षमता में सुधार भी शामिल है (1)। इसके अलावा, फ्रंटियर्स इन एजिंग न्यूरोसाइंस के एक शोध में इसे अल्जाइमर (भूलने की बीमारी) में भी लाभकारी माना गया है। इसके साथ ही दिमाग की उपापाचय प्रक्रिया के लिए भी फास्फोरस की आवश्यकता होती है (8)। इन तथ्यों को देखते हुए फास्फोरस युक्त खाद्य को दिमाग के लिए भी उपयोगी माना जा सकता है।

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6. एटीपी बनाने में मदद करता है

एटीपी यानी एडीनोसिन ट्राइफॉस्फेट एक यौगिक है, जो शरीर में ऊर्जा को सुरक्षित रखने में मदद करता है। विशेषज्ञों के मुताबिक फास्फोरस इन यौगिक के निर्माण में मदद करता है और शरीर में ऊर्जा को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है (1)।

7. पाचन के लिए उपयोगी

पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और अपच की समस्या में राहत पाने के लिए भी फास्फोरस को काफी उपयोगी माना गया है। इस बात की पुष्टि फास्फोरस से संबंधित एक शोध से होती है। शोध में जिक्र मिलता है कि फास्फोरस युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन पाचक रस को बढ़ावा देने के साथ ही शॉर्ट चेन ऑफ फैटी एसिड (SCFA) को भी सक्रिय करने में मदद कर सकता है। चूंकि यह दोनों आंतों की कार्यक्षमता को बढ़ाने के साथ ही उसे स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं (9)। इस कारण फास्फोरस को पाचन स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी माना जा सकता है।

8. चर्बी कम करने में सहायक

चर्बी कम करने के मामले में भी फास्फोरस काफी मददगार साबित हो सकता है। न्यूट्रिशन एंड डायबिटीज द्वारा किए गए एक शोध में इस बात को साफ तौर पर माना गया है। शोध में पाया गया कि 12 हफ्ते तक लगातार फास्फोरस सप्लीमेंट का उपयोग करने से भूख में कमी के साथ कमर की मोटाई और संपूर्ण शरीर के वजन में कमी आई (10)। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि फास्फोरस युक्त खाद्य पदार्थ वजन को कम करने में भी अहम भूमिका निभा सकता है।

9. प्रोटीन के उत्पादन में सहायक

प्रोटीन के उत्पादन के मामले में भी फास्फोरस अहम भूमिका अदा करता है। फ्रंटियर्स इन प्लांट साइंस के एक शोध में इस बात को साफ तौर पर माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि फास्फोरस आरएनए यानी राइबोन्यूक्लोएसिड का एक मुख्य तत्व है, जिसकी जगह कोई दूसरा तत्व नहीं ले सकता है। वहीं, आरएनए प्रोटीन के उत्पादन के लिए जाना जाता है (11)। इस तथ्य के आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रोटीन के उत्पादन में फास्फोरस सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है।

10. कमजोरी को दूर करने में सहायक

जैसा कि लेख में ऊपर बताया जा चुका है कि फास्फोरस शरीर में एडीनोसिन ट्राइफॉस्फेट (ATP, कोशिकाओं को ऊर्जा देने वाला यौगिक) का निर्माण करने में भी मदद करता है। इस तरह फास्फोरस शरीर में ऊर्जा को बनाए रखने में भी मदद कर सकता है (1)। ऐसे में यह माना जा सकता है कि शारीरिक कमजोरी की समस्या को दूर करने में भी फास्फोरस सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है

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लेख के अगले भाग में अब हम आपको फास्फोरस के स्रोत के बारे में बताएंगे।

फास्फोरस युक्त खाद्य पदार्थ – Phosphorus Rich Foods in Hindi

फास्फोरस के स्रोत कुछ इस प्रकार हैं, जिनका इस्तेमाल कर फास्फोरस की कमी को पूरा करने में मदद मिल सकती है (2):

  • दूध
  • दही
  • मसूर की दाल
  • काजू
  • आलू
  • राजमा
  • चावल
  • मटर
  • ओटमील
  • अंडा
  • तिल
  • ब्रेड
  • ऐस्पैरागस
  • टमाटर
  • सेब
  • गोभी
  • चाय
  • चिकन
  • सैल्मन मछली

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फास्फोरस के स्रोत के बाद अब हम आपको फास्फोरस की ली जाने वाली मात्रा के बारे में बताएंगे।

आपको फास्फोरस की कितनी आवश्यकता है – Phosphorus dosage in Hindi

उम्र के आधार पर ली जाने वाली फास्फोरस की मात्रा कुछ इस प्रकार है (1):

  • छह महीने तक के बच्चों के लिए – 100 मिलीग्राम प्रतिदिन
  • सात से बारह महीनों के बच्चों के लिए – 275 मिलीग्राम प्रतिदिन
  • एक से तीन साल के बच्चों के लिए – 460 मिलीग्राम प्रतिदिन
  • चार से आठ साल के बच्चों के लिए – 500 मिलीग्राम प्रतिदिन
  • नौ साल के बच्चों से लेकर 18 साल तक के किशोरों के लिए – 1250 मिलीग्राम प्रतिदिन
  • वयस्कों के लिए – 700 मिलीग्राम प्रतिदिन
  • 18 साल से कम उम्र की गर्भवती के लिए – 1250 मिलीग्राम प्रतिदिन
  • 18 साल से अधिक उम्र वाली गर्भवती के लिए – 700 मिलीग्राम प्रतिदिन

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लेख के अगले भाग में अब हम आपको फास्फोरस को उपयोग करने के तरीके के बारे में बताएंगे।

फास्फोरस का उपयोग कैसे करें – How to use Phosphorus in Hindi

फास्फोरस की कमी को पूरा करने के लिए फास्फोरस युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है। वहीं, इसके अलावा अधिक आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से फास्फोरस सप्लीमेंट (जैसे :- कैप्सूल या टैबलेट) के रूप में लिया जा सकता है।

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लेख के अगले भाग में अब हम आपको फास्फोरस की कमी के लक्षण बताएंगे।

फास्फोरस की कमी के लक्षण – Phosphorus deficiency symptoms in Hindi

निम्न स्थितियों को फास्फोरस की कमी के लक्षण के रूप में देखा जा सकता है, जो कुछ इस प्रकार हैं (2):

  • मासपेशियों में कमजोरी
  • हड्डियों में कमजोरी व दर्द
  • बार-बार इन्फेक्शन होना
  • पैरेस्थीसिया (paresthesia) यानी हाथ-पैरों में पिन के चुभने जैसा एहसास होना
  • अटैक्सिया (ataxia) तंत्रिका संबंधी कमजोरी के कारण मदहोशी जैसी स्थिति होना
  • भ्रम की स्थिति पैदा होना

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फास्फोरस कम होने के लक्षण जानने के बाद अब हम आपको फास्फोरस की कमी से कौन-सा रोग होता है, इस बारे में बताएंगे।

फास्फोरस की कमी से रोग – Phosphorus deficiency disease in Hindi

निम्न बिंदुओं के माध्यम से अब हम फास्फोरस की कमी से कौन-सा रोग होता है, इस बारे में आसानी से समझ पाएंगे।

  • ओसटोपीनिया (Osteopenia) – हड्डियों से संबंधित एक विकार, जिसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और उनके टूटने का जोखिम बढ़ जाता है (12)।
  • एनोरेक्सिया (anorexia) – वजन संबंधी मनोविकार, जिसमें व्यक्ति अपने वजन को कम करने के प्रति अधिक सक्रिय हो जाता है (2)।
  • एनीमिया (anemia) – फास्फोरस की कमी के कारण शरीर में उचित मात्रा में रक्त न बनने की स्थिति पैदा हो सकती है, जिसके कारण एनीमिया की समस्या हो सकती है (2)।

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फास्फोरस की कमी से कौन-सा रोग होता है? यह जानने के बाद अब हम अधिक मात्रा से होने वाले फास्फोरस के नुकसान जानने का प्रयास करेंगे।

शरीर में अधिक मात्रा में फास्फोरस से नुकसान : Side Effects of Phosphorus in Hindi

नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से हम अधिक मात्रा में फास्फोरस से होने वाले नुकसान के बारे में आसानी से समझ सकते हैं।

  • हालांकि, फास्फोरस हड्डियों और दांतों के लिए उपयोगी माना गया है, लेकिन इसकी जरूरत से अधिक मात्रा हड्डियों और दांतों के कमजोर होने का कारण भी बन सकती है (4)।
  • बेशक किडनी की कार्यक्षमता में सुधार करने में फास्फोरस अहम भूमिका निभाता है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा से शरीर में किडनी से संबंधित समस्या भी हो सकती है (6)।
  • वहीं फास्फोरस युक्त खाद्य पदार्थ की अधिकता के कारण हार्ट फेलियर का जोखिम भी हो पनप सकता है (7)।

फास्फोरस के फायदे के साथ ही इस लेख को पढ़ने के बाद अब आप इसकी उपयोगिता को अच्छे से समझ गए होंगे। वहीं, लेख से आपको फास्फोरस की कमी के लक्षण भी पता चले। ऐसे में फास्फोरस कम होने के लक्षण दिखने पर बिना देर किए फास्फोरस की कमी को दूर करने के उपाय कर लेने चाहिए, नहीं तो फास्फोरस की कमी से होने वाले रोग का जोखिम बढ़ सकता है। वहीं, यह भी जान लेना आवश्यक है कि फास्फोरस की कमी ही नहीं, बल्कि फास्फोरस रिच फूड्स की अधिकता के भी कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। यही वजह है कि फास्फोरस रिच फूड्स को हमेशा संतुलित मात्रा में ही लिया जाना चाहिए। उम्मीद है फास्फोरस से संबंधित यह लेख आपको काफी पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य स्वास्थ्य संबंधी विषयों के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें स्टाइलक्रेज।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

किडनी रोग से ग्रस्त व्यक्तियों को हर रोज कितने फास्फोरस की आवश्यकता होती है?

किडनी रोग में सुधार के लिए रोगियों को बेहतर लाभ के लिए 1517 मिली ग्राम प्रतिदिन कैल्शियम के साथ 685 मिलीग्राम फास्फोरस प्रतिदिन लेने की सलाह दी जाती है (13)। इस आधार पर माना जा सकता है कि किडनी रोगियों को प्रतिदिन 685 मिलीग्राम फास्फोरस की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि, इससे जुड़ी सही जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

सैल्मन में फास्फोरस अधिक मात्रा में उपलब्ध होता है?

85 ग्राम सैल्मन मछली की एक खुराक में करीब 214 मिलीग्राम फास्फोरस पाया जाता है (2)। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि सैलमन मछली फास्फोरस रिच फूड्स में गिनी जाती है।

क्या केला फास्फोरस से समृद्ध होता है?

100 ग्राम केले में करीब 22 मिलीग्राम तक ही फास्फोरस उपलब्ध होता है, जो कि फास्फोरस की प्रतिदिन की मात्रा का एक छोटा सा भाग है (14)। इसलिए केले को फास्फोरस युक्त तो कहा जा सकता है, लेकिन इसे फास्फोरस रिच फूड्स में नहीं गिना जा सकता।

किस स्तर पर फास्फोरस की उपस्थिति इसकी अधिकता को प्रदर्शित करती है?

सामान्य वयस्कों के खून में फास्फोरस की मात्रा 2.8 से 4.5 मिली/डेसीलीटर के मध्य होनी चाहिए (15)। ऐसे में खून में 4.5 मिली/डेसीलीटर से अधिक फास्फोरस की मात्रा इसकी अधिकता को प्रकट करती है।

यदि फास्फोरस अधिक हो, तो किन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए?

यदि फास्फोरस अधिक हो, तो ऐसे में फास्फोरस से समृद्ध खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए, जिनके बारे में आपको लेख में पहले ही बताया जा चुका है।

फास्फोरस की कमी के जोखिम में कौन हैं?

निम्न स्थितियों में फास्फोरस की कमी होने का जोखिम बढ़ सकता है, जो कुछ इस प्रकार हैं (15):

  • अत्यधिक शराब का सेवन करने वाले।
  • जिनमें अत्यधिक कैल्शियम की मात्रा उपस्थित हो।
  • प्राइमरी हाइपरथायराइडिज्म (शुरुआती थायराइड हार्मोन की अधिकता)।
  • फोस्फेट युक्त खाद्य के सेवन में कमी करने वाले।
  • कुपोषण यानी आवश्यक पोषक तत्व न लेने वाले।
  • विटामिन डी की कमी वाले।

क्या विटामिन डी फास्फोरस को कम करता है?

हां, विटामिन डी आंतों द्वारा फास्फोरस के अवशोषण को बढ़ाकर खून में इसकी उपस्थिति को कम कर सकता है (16)।

Sources

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