बवासीर दूर करने के लिए अरंडी के तेल का उपयोग – Castor Oil For Piles in Hindi

Written by , MA (Journalism & Media Communication) Puja Kumari MA (Journalism & Media Communication)
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अरंडी के तेल का उपयोग विभिन्न औषधीय व कॉस्मेटिक्स उत्पादों में किया जाता है। वजह है इसमें मौजूद अनेक गुण और प्रभाव। माना जाता है कि इन्हीं गुणों के कारण अरंडी का तेल बवासीर की समस्या से भी राहत दिला सकता है। बवासीर दूर करने के लिए अरंडी के तेल का उपयोग कैसे कर सकते हैं, इससे जुड़ी सारी जानकारी आप स्टाइलक्रेज लेकर आया है। यहां बवासीर के लिए अरंडी के तेल के फायदे के साथ ही इससे जुड़े कुछ जोखिम की भी जानकारी मौजूद है। बस तो अंत तक स्क्रॉल करते हुए जानिए किस तरह से बवासीर दूर करने के लिए अरंडी का तेल फायदेमंद साबित हो सकता है।

शुरू करते हैं लेख

बवासीर के लिए अरंडी का तेल का उपयोग कैसे करें, यह जानने से पहले पढ़ें पाइल्स के लिए कैस्टर ऑयल कैसे है फायदेमंद।

बवासीर के लिए अरंडी का तेल क्यों फायदेमंद है : Castor Oil Benefits For Piles In Hindi

एनसीबीआई यानी नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन की वेबसाइट में मौजूद एक शोध में जिक्र है कि बवासीर के लिए अरंडी के तेल के फायदे हो सकते हैं। इस रिसर्च में यह भी बताया गया है कि अरंडी का तेल किस तरह से बवासीर से राहत दिला सकता है। इसकी विस्तृत जानकारी आगे बिंदुओं के माध्यम से जानिए (1)

  1. लैक्सेटिव प्रभाव : अरंडी के तेल में पेट साफ करने वाला लैक्सेटिव प्रभाव होता है (1)। दरअसल, बवासीर के कारणों में से एक कब्ज की समस्या भी है (2)ऐसे में यह माना जा सकता है कि अरंडी के तेल में मौजूद लैक्सेटिव प्रभाव कब्ज की समस्या दूर करके बवासीर से राहत दिला सकता है।
  1. एंटी इंफ्लेमेटरी प्रभाव : बवासीर से राहत पाने के लिए अरंडी के तेल में मौजूद एंटी इंफ्लामेटरी प्रभाव मददगार साबित हो सकता है। यह इफेक्ट बवासीर के कारण हो रही सूजन को कम कर सकता है (3)
  1. एंटीडायरियल प्रभाव : पशु अध्ययनों में इसकी पुष्टि हुई है कि अरंडी के तेल में मौजूद रिसिनोलिक एसिड में एंटीडायरियल प्रभाव होता है। यह प्रभाव दस्त यानी डायरिया की समस्या से राहत दिलाकर बवासीर से बचाव कर सकता है (4)। दरअसल, डायरिया की समस्या भी बवासीर का जोखिम बढ़ा सकती है (2)
  1. एंटीनोसिसेप्टिव प्रभाव : अरंडी के तेल में दर्द कम करने वाला एंटीनोसिसेप्टिव प्रभाव भी पाया जाता है। यह पाइल्स से संबंधित दर्द को कुछ कम करके इस समस्या से राहत दिला सकता है (5)। ऐसे में बवासीर के दर्द से परेशान लोग अरंडी के तेल का उपयोग कर सकते हैं।

नोट : अरंडी के बीज में रिसिन नामक जहरीला तत्व होता है, जिसकी अधिकता जीवन के लिए घातक हो सकती है (6)। ऐसे में बवासीर के लिए अरंडी के तेल का उपयोग प्रभावित क्षेत्र पर लगाने के लिए ही करें। अगर पीना हो, तो जूस या पानी में महज दो से तीन बूंद अरंडी तेल  मिलाकर पिएं। इससे अधिक नहीं (7)

आगे पढ़ें

अब हम बवासीर दूर करने के लिए अरंडी के तेल का उपयोग बता रहे हैं।

बवासीर के लिए अरंडी के तेल का उपयोग – How To Use Castor Oil For Piles in Hindi

यहां हम बवासीर के लिए अरंडी का तेल का उपयोग किन-किन चीजों के साथ किया जा सकता है, यह बताएंगे। ध्यान रखें कि यहां बताए गए बवासीर के लिए अरंडी के तेल के लाभ तभी होंगे, जब इसका सही तरीके से इस्तेमाल किया जाएगा। बस इसे बवासीर का इलाज समझने की गलती न करें। ये महज घरेलू उपाय हैं, जो बवासीर के लक्षण कम कर सकते हैं।

1. अरंडी का तेल

सामग्री : 

  • दो-तीन बूंद अरंडी का तेल
  • आधा कप संतरे का जूस

उपयोग का तरीका :

  • सबसे पहले जूस में अरंडी का तेल मिलाएं।
  • अब इसे चम्मच से अच्छे से मिला लें।
  • दिन में दो बार इसका सेवन कर सकते हैं।
  • बवासीर की समस्या बनी रहने तक इसे पी सकते हैं।

कैसे है लाभकारी : 

लंबे समय से चली आ रही कब्ज की समस्या बवासीर का कारण बन सकती है (2)। हम लेख के शुरूआत में ही बता चुके हैं कि अरंडी के तेल में लैक्सेटिव यानी पेट साफ करने वाला प्रभाव होता है, जिस वजह से बवासीर के लिए अरंडी का तेल का उपयोग किया जा सकता है। यह प्रभाव बवासीर का कारण बनने वाली कब्ज की शिकायत को भी दूर कर सकता है (1)। बस अरंडी के तेल का सेवन उचित मात्रा में ही करें। इसके अलावा, रूई की मदद से मलाशय के आस-पास भी अरंडी का तेल लगाकर बवासीर से राहत पाई जा सकती है।

2. अरंडी का तेल और टी ट्री ऑयल

सामग्री :

  • आधा चम्मच अरंडी का तेल
  • एक से दो बूंद टी ट्री ऑयल

उपयोग का तरीका :

  • एक कटोरी में अरंडी और टी ट्री तेल को अच्छे से मिलाएं।
  • फिर इसमें रूई भिगोकर प्रभावित स्थान पर लगाएं।
  • बवासीर की समस्या बनी रहने तक नियमित रूप से इसका इस्तेमाल करें।

कैसे है लाभकारी : 

बवासीर दूर करने के लिए अरंडी के तेल का उपयोग टी ट्री ऑयल के साथ भी कर सकते हैं। टी ट्री ऑयल में एंटीइंफ्लेमेशन और एंटीसेप्टिक प्रभाव होता है (8)इस आधार पर यह माना जा सकता है कि यह बवासीर में मलाशय के पास आई नसों में सूजन को कम कर सकता है, जिससे कुछ हद तक इस समस्या से राहत मिल सकती है।

इसके अलावा, एक अन्य अध्ययन में यह भी पाया गया है कि टी ट्री ऑयल और हयालूरोनिक (Hyaluronic) एसिड से बना जेल लगाने से भी बवासीर के इलाज में कुछ हद तक मदद मिल सकती है (9)। ऐसे में अगर किसी को टी ट्री ऑयल और अरंडी के तेल से परेशानी होती है, तो टी ट्री ऑयल में हयालूरोनिक एसिड मिलकार रूई की मदद से मलाशय के आस-पास लगा सकते हैं।

3. अरंडी का तेल और जैतून का तेल

सामग्री : 

  • दो से तीन बूंद अरंडी का तेल
  • आधा छोटा चम्मच जैतून का तेल
  • एक कप संतरे का रस

उपयोग का तरीका :

  • संतरे के जूस में अरंडी और जैतून का तेल मिलाएं।
  • दिन में दो बार इस मिश्रण का सेवन कर सकते हैं।
  • बवासीर की समस्या बनी रहने तक इसका सेवन किया जा सकता है।

कैसे है लाभकारी : 

बवासीर के घरेलू उपचार में अरंडी के साथ जैतून का तेल भी मिलाया जा सकता है। पाइल्स के लिए जैतून के तेल के फायदे की बात करें, तो नियमित रूप से इसका सेवन मल त्याग की प्रक्रिया आसान कर सकता है, जिससे कब्ज की परेशानी कम होती है (10)। जैसा कि हम लेख में बता चुके हैं कि कब्ज भी बवासीर का एक कारण हो सकता है (2)। ऐसे में जैतून का तेल कब्ज की समस्या दूर करके बवासीर का इलाज करने सकता है।

इसके अलावा, बवासीर के लिए अरंडी और जैतून के तेल के गुण बढ़ाने के लिए इसमें शहद और बीवैक्स मिलाकर प्रभावित हिस्से में लगा सकते हैं। रिसर्च के अनुसार, प्राकृतिक तौर पर यह मिश्रण फ्लेवोनोइड्स, एंटीऑक्सिडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल प्रभावों से समृद्ध होता है। इनकी वजह से यह बवसीर के कारण होने वाली खुजली, दर्द और खून के बहाव को कम कर सकता है (11)

4. अरंडी का तेल और नारियल तेल

सामग्री : 

  • दो बूंद अरंडी का तेल
  • दो बूंद नारियल का तेल

उपयोग का तरीका :

  • अरंडी और नारियल के तेल को अच्छे से मिलाएं।
  • अब इसे गुनगुना करें।
  • फिर इस तेल को रुई से प्रभावित हिस्से पर लगाएं।
  • बवासीर की समस्या बनी रहने तक यह उपाय कर सकते हैं।

कैसे है लाभकारी : 

वर्जिन कोकोनट ऑयल का लैक्सेटिव प्रभाव मल त्याग की प्रक्रिया आसान बनाकर पेट साफ करने में मदद कर सकता है। दरअसल, बवासीर होने पर भी मल निकासी में दिक्कत होती है (12)। साथ ही बवासीर का एक कारण कब्ज भी है (2)। इस आधार पर बवासीर से राहत दिलाने और कब्ज दूर करने के लिए नारियल तेल लाभकारी साबित हो सकता है।

एक अन्य अध्ययन के अनुसार, बवासीर के उपचार में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीनोसाइसेप्शन यानी दर्द कम करने वाली गतिविधियां प्रभावी होती हैं। ये दोनो ही गुण नारियल तेल में होते हैं। साथ ही नारियल तेल में आराम पहुंचाने वाला रिलेक्सेंट प्रभाव भी होता है, जो बवासीर में लाभकारी साबित हो सकता है (3)। वहीं, जब नारियल तेल में बवासीर दूर करने के लिए अरंडी का तेल मिलाया जाता है, तो यह और प्रभावकारी हो सकता है।

5. अरंडी का तेल और तिल का तेल

सामग्री : 

  • आधा कप अरंडी का तेल
  • आधा कप तिल का तेल

उपयोग का तरीका :

  • स्प्रे बोतल में अरंडी और तिल का तेल डालें।
  • अब इसे अच्छे से मिक्स कर लें
  • दिन में 2 से 3 बार इस तेल को मलाशय के आस-पास स्प्रे कर सकते हैं।
  • रुई की मदद से भी इसे लगाया जा सकता है।

कैसे है लाभकारी : 

बाहरी बवासीर के उपचार के लिए अंरडी के तेल के साथ तिल के तेल का इस्तेमाल करना लाभकारी हो सकता है। इन दोनों तेल का मिश्रण लगाने से खून के थक्के और बवासीर में होने वाले रक्तस्राव को रोका जा सकता है। साथ ही यह मलाशय की त्वचा को नरम बनाने और गुदा के अंदर की दरारों को ठीक करने में भी मदद कर सकता है (13)

इसके अलावा, तिल के पाउडर में मक्खन मिलाकर सेवन करने से भी बवासीर के दर्द और रक्तस्राव को कम किया जा सकता है। साथ ही तिल के पाउडर को छाछ के साथ पीने से कब्ज की परेशानी भी कम हो सकती है (14)। इसी वजह से पाइल्स में अरंडी के तेल के साथ ही तेल का तेल और पाउडर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

स्क्रॉल करें

लेख के अंतिम भाग में पढ़ें बवासीर के लिए अरंडी का तेल इस्तेमाल करने से जुड़ी सावधानियां।

अरंडी के तेल का उपयोग करने से जुड़ी सावधानियां – Precaution to use Castor Oil

बवासीर के लिए अरंडी के तेल के फायदे कई तरह से हो सकते हैं। हालांकि, इसका इस्तेमाल करते समय कुछ सावधानियों का भी ध्यान रखना चाहिए (6)

  • गुर्दे के संक्रमण से पीड़ित व्यक्तियों को अरंडी के तेल का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • पेट में दर्द या आंतों में संक्रमण होने की स्थिति में भी अरंडी के तेल का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में अरंडी के तेल का अधिक सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसकी अधिकता गर्भपात का कारण बन सकती है।
  • अरंडी के बीज में कुछ हद तक विषाक्तता होती है। इस वजह से इसकी अधिकता स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानी जाती है।

भले ही बवासीर से कितना ही दर्द और असुविधा क्यों न हो रही हो, लोग इसके बारे में खुलकर बात नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति में बवासीर के लक्षण कम करने के लिए अरंडी के तेल का उपयोग किया जा सकता है। इन घरेलू नुस्खों से शुरुआती बवासीर के लक्षण से आराम मिलने के साथ ही स्थिति में सुधार हो सकता है। लेकिन, इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं की डॉक्टर को न दिखाया जाए। घर में बवासीर के लिए घरेलू उपाय का उपयोग करने के साथ ही विशेषज्ञ से सही इलाज भी करवाएं। आम अंगों में होने वाली बीमारी की तरह ही बवासीर भी है, इसमें शर्मिंदगी की कोई बात नहीं। बस तो अपनी हिचक को छोड़कर इस परेशानी के बारे में पाइल्स एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या अरंडी का तेल छोटे बच्चों में बवासीर दूर कर सकता है?

हां, बवासीर में बच्चों के लिए अरंडी का तेल लाभकारी हो सकता है। इसके लिए सोते समय बच्चे के मलाशय के आस-पास अरंडी का तेल लगा सकते हैं (15)

कितने दिनों में अरंडी का तेल बवासीर दूर कर सकता है?

घरेलू तौर पर किसी भी उपाय का असर होने में कुछ दिनों का समय लग सकता है। अगर बवासीर के लिए अरंडी के तेल का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इसका परिणाम नजर आने में भी कुछ समय लगेगा। अनुमान के तौर पर कहा जा सकता है कि पाइल्स की शुरुआती अवस्था में अरंडी के तेल से 2 से 4 हफ्तों में आराम मिल सकता है।

क्या गर्भवती महिलाएं बवासीर दूर करने के लिए अरंडी का तेल इस्तेमाल कर सकती हैं?

डॉक्टरी सलाह के अनुसार, गर्भवती महिलाएं सिर्फ बाहरी तौर पर ही बवासीर के लिए अरंडी के तेल का इस्तेमाल कर सकती हैं। उन्हें इस दौरान अरंडी के तेल का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह गर्भावस्था पर नकारात्मक असर डाल सकता है (6)

References

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    3. An Evidence-Based Study on Medicinal Plants for Hemorrhoids in Medieval Persia
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    4. ANTINOCICEPTIVE AND ANTIDIARRHOEAL ACTIVITIES OF ETHANOLIC LEAF EXTRACT OF TILIACORA ACUMINATA (LAM.) MIERS
      http://cms.galenos.com.tr/Uploads/Article_12378/393-404.pdf
    5. The antinociceptive and anti-inflammatory effects of five depot formulations of ketorolac propyl ester in rats
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    6. Ricinus communis (castor) an overview
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    7. Final Report on the Safety Assessment of Ricinus Communis (Castor) Seed Oil, Hydrogenated Castor Oil, Glyceryl Ricinoleate, Glyceryl Ricinoleate SE, Ricinoleic Acid, Potassium Ricinoleate, Sodium Ricinoleate, Zinc Ricinoleate, Cetyl Ricinoleate, Ethyl Ricinoleate, Glycol Ricinoleate, Isopropyl Ricinoleate, Methyl Ricinoleate, and Octyldodecyl Ricinoleate
      https://www.natural-knowhow.com/wp-content/uploads/2015/10/Safety-Data-article-review-on-Castor-bean-oil-and-its-constituents.pdf
    8. Essential oils as Therapeutics
      http://nopr.niscair.res.in/bitstream/123456789/8050/1/NPR%204(1)%2018-26.pdf
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      https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/22492249/
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      https://medlineplus.gov/druginfo/natural/233.html
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    13. AN ANTI HEMORRHOID HERBAL COMPOSITION FOR TARGETTING HEMORRHOIDS AND A METHOD OF SYNTHESIZING THE SAME
      https://patentscope.wipo.int/search/en/detail.jsf?docId=WO2017037508
    14. Ayurveda offering Herbal Healing
      https://www.esic.nic.in/attachments/publicationfile/7d11b02e5abb4717d53b4ce05efabd21.pdf
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