गर्भावस्था में बवासीर के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Piles During Pregnancy in Hindi

गर्भावस्था हर महिला के लिए खूबसूरत दौर होता है। इस दौरान महिलाओं को उल्टी व मतली जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गर्भावस्था में होने वाली एक ऐसी ही आम समस्या पाइल्स भी है। कुछ घरेलू उपायों को अपनाकर गर्भावस्था में बवासीर की समस्या से कुछ हद तक राहत मिल सकती है। जी हां, प्रेगनेंसी में कुछ बातों का ख्याल रखने और घरेलू नुस्खों से बवासीर की समस्या को कम किया जा सकता है। इसी वजह से स्टाइलक्रेज के इस लेख के जरिए हम प्रेगनेंसी में बवासीर से बचाव के घरेलू उपाय और पाइल्स के कारण के बारे में बता रहे हैं।
विस्तार से पढ़ें
आइए, सबसे पहले जानते हैं बवासीर के बारे में।
विषय सूची
बवासीर क्या है?
बवासीर ऐसी स्थिति है, जिसमें गुदा (Anus) के अंदरूनी व बाहरी क्षेत्र की नसों में सूजन हो जाती है (1)। साथ ही मलाशय (Rectum) के निचले हिस्से की नसें भी सूज सकती हैं। इसकी वजह से मल त्याlते समय दर्द व खून निकलने जैसी परेशानी हो सकती है। महिलाओं को अधिकतर गर्भावस्था, प्रसव और कब्ज की वजह से बवासीर की शिकायत होती है (2)।
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अब गर्भावस्था में बवासीर के कारण भी जान लेते हैं।
गर्भावस्था में बवासीर के कारण – Causes of Piles During Pregnancy
गर्भावस्था में बवासीर के कारण कई हो सकते हैं। इसका सबसे पहला कारण, तो गर्भावस्था ही होती है। इसके अलावा, अन्य कारण के बारे में हम नीचे बता रहे हैं (2) (3) (4)।
- फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ का कम सेवन करना।
- कब्ज, जिसके कारण गुदा के आसपास की नसों और कोशिकाओं में सूजन होने लगती है।
- गर्भाशय से नसों पर दबाव पड़ने के कारण।
- लंबे समय तक बैठे रहने से।
- मल त्यागते समय ज्यादा जोर लगाने के कारण।
- हॉर्मोनल परिवर्तन।
- पेट पर पड़ने वाला दवाब।
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गर्भावस्था में बवासीर के लक्षणों को जानना भी जरूरी है।
गर्भावस्था में बवासीर के लक्षण – Symptoms of Piles During Pregnancy
गर्भावस्था में बवासीर के लक्षण आम लक्षणों जैसे ही होते हैं। चलिए, जानते हैं गर्भावस्था में बवासीर के लक्षणों के बारे में (2) (4)।
- बिना किसी दर्द के मलाशय से गहरे लाल रंग का खून निकलना।
- बवासीर अक्सर दर्दनाक नहीं होती, लेकिन अगर खून के थक्के जमने लग जाएं, तो यह दर्दनाक हो सकती है।
- गुदे के पास खुजली और सूजन होना।
- गुदे में बैठते हुए दर्द होना।
- मल त्याग करते समय दर्द होना।
- गुदा के पास गांठ का बनना।
- गुदे में सूजन और जलन।
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जानिए, गर्भावस्था में कब महिलाएं इस परेशानी का शिकार होती हैं।
गर्भावस्था में बवासीर की समस्या कब होती है?
गर्भावस्था में बवासीर की समस्या अमूमन आखिरी तिमाही में होती है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर पब्लिश एक रिसर्च के मुताबिक 85% तक गर्भवतियां आखिरी यानी तीसरी तिमाही में बवासीर से प्रभावित होती हैं। हम ऊपर बता ही चुके हैं कि यह समस्या प्रेगनेंसी में होने वाले हॉर्मोनल बदलाव और पेट पर पड़ने वाले दवाब जैसे कई कारण से हो सकती है (4)।
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हर समस्या से बचाव के कुछ घरेलू उपाय होते हैं। जानते हैं गर्भावस्था में बवासीर के लिए घरेलू उपाय क्या हैं।
गर्भावस्था में बवासीर के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Piles During Pregnancy
कुछ ऐसे घरेलू उपाय हैं, जिनका इस्तेमाल करके बवासीर की परेशानी को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। चलिए, गर्भावस्था में बवासीर के लिए घरेलू उपायों के बारे में जानते हैं।
1. नारियल का तेल
सामग्री :
- वर्जिन कोकोनट ऑयल
कैसे करें इस्तेमाल :
- हाथों को अच्छे से साफ करके उंगलियों की मदद से प्रभावित हिस्से पर नारियल तेल अच्छे से लगाएं।
- दिन में दो से तीन बार इसे प्रभावित हिस्से पर लगा सकते हैं।
- जब तक कि समस्या से राहत न मिल जाए, तब तक इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक :
नारियल का तेल एंटीइंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुणों से भरपूर होता है। इन गुणों की मदद से बवासीर की वजह से होने वाली सूजन और दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है (5)। एक शोध में यह साबित हुआ है कि नारियल के तेल से बनी क्रीम बवासीर से राहत पहुंचाने में फायदेमंद हो सकती है (6)। इसी आधार पर कहा जा सकता है कि नारियल के तेल का इस्तेमाल करने से बवासीर के लक्षण कुछ कम हो सकते हैं।
2. एलोवेरा
सामग्री :
- ताजा एलोवेरा का पत्ता या ऑर्गेनिक एलोवेरा जेल
कैसे करें इस्तेमाल :
- एलोवेरा से जेल निकालें और गुदे पर लगाएं।
- 10 से 15 मिनट के लिए जेल को लगाकर छोड़ दें।
- सुबह खाली पेट एलोवेरा जूस का सेवन भी किया जा सकता है।
- दिन में दो से तीन बार ऐसा कर सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
एलोवेरा में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होता है (7)। यह प्रभाव पाइल्स के कारण होने वाली जलन और खुजली को दूर करने में मदद कर सकता है (8)। एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद एक रिसर्च पेपर में एलोवेरा को स्किन पर लगाने और पाइल्स के लिए सुरक्षित बताया गया है (9)।
3. आइस पैक
सामग्री :
- तौलिया
- बर्फ
कैसे करें इस्तेमाल :
- एक तौलिये में बर्फ को लपेटें।
- सूजन और दर्द वाले हिस्से पर आइस पैक को लगाएं।
- आइस पैक के लिए साफ तौलिये का इस्तेमाल करें।
- एक बार में 15 मिनट से अधिक के लिए आइस पैक का उपयोग न करें।
कैसे है लाभदायक :
प्रेगनेंसी में बवासीर से राहत पाने के लिए आइस पैक की भी मदद ली जा सकती है (10)। एनसीबीआई के एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि 10 से 15 मिनट तक बर्फ का इस्तेमाल करने से बवासीर की परेशानी को कुछ हद तक कम किया जा सकता है (11)। इसे डॉक्टरी भाषा में क्रायोथेरेपी भी कहा जाता है (4)। बताया जाता है कि दर्द और रक्तस्राव जैसी जटिलताओं को कम करने के लिए आइस-बॉल को केवल प्रभावित हिस्से में ही लगाना चाहिए। इससे बवासीर के बार-बार होने के जोखिम को भी कम किया जा सकता है (12)।
4. सिट्ज बाथ (Sitz Bath)
सामग्री :
- एक बाथ टब
- गुनगुना पानी
कैसे करें इस्तेमाल :
- बाथ टब में लगभग चार इंच तक गुनगुना पानी डालें।
- अब इसमें करीब 10 से 15 मिनट के लिए बैठे जाएं।
- पानी में बाथ सोप, बबल बाथ या ऐसा कोई प्रोडक्ट न डालें।
- दिन में दो बार इसे दोहरा सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
गर्म पानी में गुदा को डुबोकर रखने की क्रिया को सिट्ज बाथ थेरेपी कहा जाता है। इस थेरेपी को बवासीर के लक्षण कम करने के लिए लाभकारी माना जाता है। एक रिसर्च पेपर में लिखा है कि सिट्स बाथ की मदद से पाइल्स के कारण होने वाली जलन, दर्द और खुजली से काफी हद तक राहत मिल सकती है (13)।
5. एप्सम साल्ट
सामग्री :
- थोड़ा-सा मैग्नीशियम सल्फेट (Epsom Salt)
- ग्लिसरीन
कैसे करें इस्तेमाल :
- दोनों सामग्रियों को मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें।
- अब इस पेस्ट को उंगलियों की मदद से प्रभावित हिस्से पर लगाएं।
कैसे है लाभदायक :
एप्सम साल्ट और ग्लिसरीन को बवासीर से राहत दिलाने वाला एक मिश्रण माना जाता है (14)। बताया जाता है कि यह नसों में होने वाली सूजन को कम कर सकता है (15)। यह फायदेमंद होता है यह तो स्पष्ट है, लेकिन यह किस तरह से कार्य करता है, इसको लेकर अभी अधिक शोध की आवश्यकता है।
6. जात्यादि तेल (Jatyadi Oil)
सामग्री :
- 5-6 बूंद जात्यादि तेल
- गुनगुना पानी
- एक बाथ टब
कैसे करें इस्तेमाल :
- बाथटब को एक-चौथाई गुनगुने पानी से भरें और उसमें जात्यादि तेल डालें।
- पांच से छह मिनट के लिए इस बाथटब में बैठें।
- इसे दिन में दो या तीन बार दोहराएं।
कैसे हैं लाभदायक :
अक्सर बवासीर के इलाज के लिए इस आयुर्वेदिक तेल का इस्तेमाल किया जाता है। इस हर्बल तेल में घाव भरने वाला गुण होता है, जिससे यह बवासीर में फायदेमंद हो सकता। खासकर, बवासीर के लिए सर्जरी होने के बाद इस तेल को इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, जात्यादी तेल बवासीर की सर्जरी के कारण होने वाले आंतरिक रक्तस्राव को रोकने में भी मदद कर सकता है (16)।
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चलिए, अब जानते हैं कि इस अवस्था में क्या खाएं और क्या नहीं।
गर्भावस्था में बवासीर में क्या खाएं और क्या नहीं खाएं
गर्भावस्था में बवासीर होने पर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं इसकी जानकारी होना जरूरी है। इसी वजह से हम नीचे दोनों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। आइए, पढ़ते हैं।
क्या खाएं : बवासीर में फाइबर से भरपूर आहार का सेवन करना अच्छा होता है। डॉक्टर भी इस बीमारी में फाइबर से भरपूर फल, सब्जी व दाल को डाइट में शामिल करने की सलाह देते हैं (4)। ऐसे ही कुछ खाद्य पदार्थों के बारे में हम नीचे बता रहे हैं।
- ब्रोकली : गर्भावस्था के दौरान कब्ज से बवासीर हो सकती है। ऐसे में उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करना अच्छा होता है। ब्रोकली में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है। ऐसे में ब्रोकली का सेवन करने से बवासीर से कुछ राहत मिल सकती है (17)।
- संतरा : संतरे में उच्च मात्रा में फाइबर होता है। सिर्फ एक संतरे से 12.7 प्रतिशत फाइबर की जरूरत को पूरा किया जा सकता है। इसी वजह से संतरे को पाइल्स में फायदेमंद माना जाता है (18)। इसे गर्भावस्था के लिए भी फायदेमंद माना जाता है, इसलिए बिना किसी झिझक के इसका सेवन कर सकते हैं (19)।
- मूली : मूली एक स्वास्थ्यवर्धक सब्जी है। इसके जूस को सिर्फ बवासीर के लिए ही नहीं, बल्कि अस्थमा व पीलिया में भी उपयोगी माना जाता है (20)। ध्यान दें कि गर्भवतियों को इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए, क्योंकि मूली में रोगाणु होने की आशंका होती है (21)। डॉक्टर की सलाह के बाद इसे आहार में शामिल करें और अच्छे से धोकर ही सेवन करें।
- शकरकंद : गर्भावस्था के दौरान बवासीर से राहत पाने के लिए शकरकंद का सेवन करना भी फायदेमंद हो सकता है। शकरकंद में फाइबर की उच्च मात्रा होती है। इसी वजह से पाइल्स को दूर करने वाली प्रेगनेंसी डाइट में इसको शामिल करने की सलाह दी जाती है। प्रेगनेंसी में भी यह सुरक्षित है (17)।
- बीन्स : बवासीर के उपचार के लिए बीन्स को भी आहार में शामिल किया जा सकता है। दरअसल, पाइल्स से राहत पाने के लिए एक दिन में 30 से 35 ग्राम फाइबर की आवश्यकता पड़ती है, जिसे बीन्स का सेवन करके कुछ हद तक पूरा किया जा सकता है (22)। गर्भावस्था में भी इसका इस्तेमाल फायदेमंद होता है (17)।
क्या नहीं खाएं : ऐसे कई खाद्य पदार्थ भी हैं, जिनका सेवन गर्भावस्था में बवासीर के दौरान नहीं करना चाहिए। ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिनमें फाइबर नहीं पाया जाता उनके उपयोग से बचना चाहिए (23) (24)।
- चीज़
- पनीर
- चिप्स
- मीट
- फ्रोजन खाद्य पदार्थ
- मिर्च मसाले वाला खाना
- तला-भूना
बने रहें हमारे साथ
अब हम बता रहे हैं कि अगर प्रेगनेंसी में बवासीर हो जाए, तो डॉक्टर से संपर्क कब करना चाहिए।
प्रेगनेंसी में बवासीर होने पर डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?
गर्भावस्था में बवासीर का इलाज करने के लिए व परमार्श लेने के लिए डॉक्टर से नीचे बताए गए लक्षण दिखने पर तुरंत संपर्क करें (2)।
- घरेलू उपचार के बाद भी अगर फायदा न मिले।
- गुदे से भारी रक्तस्त्राव होने लगे।
- रक्तस्त्राव के साथ ही चक्कर आने लग जाएं।
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आगे पढ़िए कि गर्भावस्था में बवासीर के इलाज के लिए क्या कुछ किया जा सकता है।
गर्भावस्था में बवासीर का इलाज – Treatment for Piles During Pregnancy
गर्भावस्था में बवासीर का इलाज करने के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि यह अवस्था नाजुक होती है। डॉक्टर स्थिति को देखते हुए इलाज की सलाह दे सकते हैं। फिर भी कुछ सामान्य इलाज के बारे में हम नीचे बता रहे हैं (4)।
- स्टूल सॉफ्टर : डॉक्टर स्टूल सॉफ्टनर लेने की सलाह दे सकते हैं। इससे मल निकासी में मदद मिलती है।
- इंफ्लेमेटरी दवा : दर्द कम करने वाली दवाइयां और एंटी इंफ्लेमेटरी दवा थोड़े समय के लिए फायदा पहुंचा सकती हैं। इसके कारण दर्द होने पर गर्भवतियां भी इनका उपयोग कर सकती हैं। हालांकि, यह पूरी तरह से सुरक्षित है या नहीं यह स्पष्ट नहीं है। इसी वजह से डॉक्टर से पूछे बिना इनका इस्तेमाल न करें।
- सर्जरी : गर्भावस्था के एक महीने के बाद लगातार बवासीर के लक्षण नजर आ रहे हैं, तो स्क्लेरोथेरेपी (रक्त वहिकाओं में दवा इंजेक्ट करना), क्रायोथेरेपी (कोल्ड थेरेपी) या सर्जरी जैसे उपचार करने पड़ सकते हैं।
- सामान्य दवा : कई महिलाओं में बवासीर के ज्यादातर लक्षण बच्चे को जन्म देने के तुरंत बाद ठीक हो जाते हैं, इसलिए गर्भावस्था के दौरान सर्जिकल प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं पड़ती। डॉक्टर द्वारा सुझाई गई कुछ दवाओं व घरेलू नुस्खों से ही स्थिति बेहतर हो जाती है।
नीचे पढ़ें और जानकारी
आइए, जानते हैं कि प्रेगनेंसी में बवासीर से बचाव कैसे किया जा सकता है।
प्रेगनेंसी में बवासीर से बचाव – Prevention Tips for Piles During Pregnancy
प्रेगनेंसी में बवासीर से बचाव के लिए कुछ टिप्स को अपनाया जाए, तो मदद मिल सकती है। यह टिप्स कुछ इस प्रकार हैं (17) (25):
- उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ खाएं और तरल पदार्थों का अधिक सेवन करें।
- लंबे समय तक खड़े रहने या बैठने से पेल्विक एरिया की नसों पर दबाव बनता है, इसलिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
- प्रसव से पहले डॉक्टर की सलाह के अनुसार अपने वजन पर ध्यान दें। अधिक वजन से भी बवासीर हो सकती है।
- प्रेगनेंसी में बवासीर से बचाव के लिए नियमित तौर पर पानी पिएं।
- मल त्यागते समय जोर न लगाएं।
- लंबे समय तक शौचालय में बैठे न रहें।
- भारी समान उठाने से बचें।
- गर्म पानी के एक टब में बैठे, जिससे दर्द से राहत मिल सकती है।
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अब जानेंगे बवासीर से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में।
गर्भावस्था में बवासीर होने वाले दुष्प्रभाव
गर्भावस्था के दौरान मलाशय से रक्तस्राव होना व बवासीर की स्थिति उत्पन्न होने के बाद भी अगर ध्यान न दिया जाए, तो कुछ जटिलताओं का सामना लोगों को करना पड़ सकता है। इसके दुष्प्रभाव कई तरह के हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं (4)।
- गंभीर इंफ्लेमेशन- बवासीर के कारण आगे चलकर गंभीर इंफ्लेमेशन हो सकता है। इससे कनेक्टिव टिश्यू में रक्तस्राव, अल्सर और ब्लड सप्लाई के रूकने (Ischemia) जैसी समस्या हो सकती है (26)।
- थ्राम्बोसिस – थ्रोम्बोसिस वह स्थिति है, जब रक्त नलिकाओं में खून के थक्के बन जाते हैं। थ्रोम्बोसिस से नसें ब्लाक हो जाती हैं। ऐसे में रक्तस्राव भी बढ़ सकता है (27)।
- प्रोलैप्स – शरीर का कोई अंदरूनी अंग अपनी जगह से खिसक कर दूसरी जगह चला जाता है, तो उसे प्रोलैप्स कहते हैं। सामान्यत: यह योनि में होता है। मलाशय खिसककर गुदाद्वार से बाहर निकलने लगता है, जिससे मल त्यागते समय कमर में दर्द व भारी पीड़ा होती है और खिसकने वाला अंग कमजोर पड़ने लगता है (28)।
गर्भावस्था में होने वाले बवासीर से राहत कैसे मिल सकती है, यह आप जान ही गए होंगे। इन घरेलू उपायों और खाद्य पदार्थों को अपना कर आसानी से पाइल्स के कारण होने वाली असुविधा को कम किया जा सकता है। बस इस दौरान महिला को अपने खानपान और लाइफ स्टाइल को लेकर थोड़ा सतर्क होने की जरूरत है। ऐसा करने से आप प्रेगनेंसी के समय को हंसी-खुशी बिता सकती हैं। बस, तो चेहरे पर एक स्माइल रखें और बवासीर से होने वाली परेशानी को बाए-बाए कहें।
Sources
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