Medically Reviewed By Dr. Zeel Gandhi, BAMS
Written by , (शिक्षा- बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मीडिया कम्युनिकेशन)

आज फिर पेट अच्छे से साफ नहीं हुआ। अब दिनभर गैस, एसिडिटी, पेट में भारीपन, सिरदर्द और न जाने क्या कुछ सहना पड़ेगा। अधिकतर लोगों के दिन की शुरुआत कुछ इसी तरह होती है। इस बात से आप भी इनकार नहीं करेंगे कि अगर पेट खराब, तो समझो दिन भी खराब। आज के समय में कब्ज ऐसी समस्या है, जो लगभग हर बीमारी की जड़ है। कई बार तो समस्या इतनी गंभीर हो जाती है कि जान पर बन जाती है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम कब्ज के रामबाण इलाज लेकर आए हैं। इनकी मदद से आप कब्ज को जड़ से खत्म कर सकते हैं। इससे पहले कि हम कब्ज के रामबाण इलाज की चर्चा करें, उससे पहले हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर कब्ज क्या है, क्यों है और इसके लक्षण क्या हैं।

शुरू करते हैं लेख

आइए, जानते हैं कि कब्ज या कॉन्स्टिपेशन क्या है।

कब्ज क्या है? – What is Constipation in Hindi

कब्ज पाचन तंत्र से जुड़ी स्थिति है, जिसमें मल त्याग करते समय कठिनाई होती है। मलत्याग करते समय जब आसानी से मल गुदा मार्ग से न निकले, उस स्थिति को कब्ज कहते हैं। इस अवस्था में मल सख्त व सूखा हो सकता है। कई बार तो मल त्याग करते समय पेट व गुदा मार्ग में दर्द भी हो सकता है। वैज्ञानिक तौर पर एक हफ्ते में तीन बार से कम शौच आने को कब्ज माना जाता है। यह समस्या किसी को भी और किसी भी आयु में हो सकती है। कभी यह कुछ समय के लिए होती है, तो कभी लंबे समय तक चल सकती है। यहां एक बात को समझना जरूरी है कि कब्ज कोई बीमारी नहीं है, बल्कि अन्य शारीरिक विकारों का लक्षण हो सकता है (1)।

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लेख में आगे जानते हैं कब्ज के प्रकार।

कब्ज के प्रकार – Types of Constipations in Hindi

कब्ज मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है। आइए, कब्ज के इन तीनों प्रकारों को विस्तार से जानते हैं।

  1. नार्मल ट्रांजिट कॉन्स्टिपेशन (सामान्य कब्ज) : इसे सबसे आम माना जा सकता है। इस तरह के कब्ज से पीड़ित व्यक्ति को मल त्याग करने में परेशानी महसूस होती है, लेकिन वह अपने रूटीन के अनुसार सामान्य रूप से मल त्याग करता रहता है (2)
  2. स्लो ट्रांजिट कॉन्स्टिपेशन : यह बड़ी आंत में आए विकार के कारण पैदा होने वाली समस्या है। शौच की प्रक्रिया में एंटरिक नर्वस सिस्टम (ENS) की तंत्रिकाओं का अहम योगदान होता है। ये तंत्रिकाएं ही बड़ी आंत से गुदा द्वार तक शौच को लेकर आती है। इस तंत्रिका में आई असामान्यता स्लो ट्रांजिट कॉन्स्टिपेशन का कारण बनती है (3)
  3. डेफिकेशन डिसआर्डर (शौच विकार) : जिन लोगों को पुराने कब्ज की शिकायत होती है, उनमें से 50% डीफेक्शन डिसऑर्डर से पीड़ित होते हैं। इसका सही-सही कारण विशेषज्ञ ही बता सकते हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि गुदा संबंधी अंगों में शिथिलता और उनका आपस में बिगड़ा हुआ संबंध डिफेक्शन डिसऑर्डर का मुख्य कारण है (4)

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इस लेख का यह हिस्सा बेहद अहम है। यहां हम जानेंगे कब्ज के कारणों के बारे में।

कब्ज के कारण – Causes of Constipation in Hindi

मुख्य रूप से कब्ज की समस्या हमारी जीवनशैली और खानपान से जुड़ी है। जैसा कि लेख के शुरुआत में बताया गया है कि कब्ज कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह शरीर में आ रही अन्य कमियों के कारण पैदा हो सकती है, आइए जानते हैं कैसे?

  • कम फाइबर युक्त भोजन का सेवन : फलों, सब्जियों और अनाज में फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह दो प्रकार का होता है साल्युबल और इनसाल्युबल। दोनों पेट के लिए उपयोगी होते हैं। साल्युबल फाइबर पानी के साथ मिलकर जेल बनाकर पाचन को बढ़ाता है। वहीं, इनसाल्युबल फाइबर मल को मोटा और भारी करता है जिससे मल जल्दी बाहर आ जाता है। फाइबर की ये गतिविधि मलत्याग को सामान्य रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए, फाइबर की कमी मलत्याग को बाधित करके, कब्ज का कारण बन सकती है (5) (6)
  • द्रव्य पदार्थों का कम सेवन : फाइबर को बेहतर तरीके से काम करने के लिए पानी और अन्य तरल पदार्थों की जरूरत होती है। जैसे प्राकृतिक रूप से मीठे फल, सब्जियों का रस और सूप इत्यादि। इससे मल नरम होकर आसानी से पास हो जाता है (7)
  • दवाएं : दवाओं का सेवन बीमारी से निजात पाने के लिए किया जाता है, लेकिन कुछ दवाओं का सेवन कब्ज की बीमारी का कारण भी बन सकता है। कुछ एंटीडिप्रेसेंट्स और दर्द निवारक दवाएं कब्ज का कारण बन सकती हैं (8)। इसलिए, दवाइयों को भी लैट्रिन नहीं आने का कारण माना जा सकता है।
  • गर्भावस्था के दौरान : गर्भवती महिलाओं को अक्सर कब्ज का सामना करना पड़ता है। इस दौरान प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का स्तर ज्यादा और मोटीलिन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है। इसी कारण पेट से गुदा मार्ग तक मल आने में लगने वाला टाइम (बाउल ट्रांजिट टाइम) बढ़ सकता है। इसके अलावा, गर्भवती महिलाएं अतिरिक्त आयरन का सेवन करती हैं, जिसके कारण से भी कब्ज हो सकता है। इस दौरान बढ़ा हुआ गर्भाशय भी मल को बाहर निकलने से रोक सकता है (9)
  • हाइपोथायरायडिज्म : हाइपोथायरायडिज्म का एक लक्षण कब्ज भी है। हाइपोथायरायडिज्म शरीर में हार्मोन असंतुलन के लिए जिम्मेदार है। यह असंतुलन कब्ज की बीमारी का कारण बन सकता है (10)
  • शारीरिक श्रम की कमी : शारीरिक श्रम न करना या कोई व्यायाम न करना भी कब्ज का कारण बन सकता है। पेट की मांसपेशियों के मजबूत होने से मलत्याग करना सुविधाजनक हो सकता है। शारीरिक श्रम के अभाव में पेट की मांसपेशियां कमजोर पड़ सकती हैं और कब्ज का कारण बन सकती हैं (11)
  • हेल्थ सप्लीमेंट्स : ये भी कब्ज का कारण बन सकते हैं। मुख्य रूप से आयरन और कैल्शियम के सप्लीमेंट कब्ज का कारण बन सकते हैं (11)
  • तनाव : तनाव कई मायनों में कब्ज पैदा कर सकता है। तनाव के दौरान निकलने वाले हार्मोन आंत में संक्रमण का कारण बन सकते हैं और मल त्याग को बाधित कर सकते हैं। इसके अलावा, तनाव के दौरान व्यक्ति उचित आहार और पर्याप्त पानी का सेवन नहीं करता और व्यायाम भी नहीं करता, जिस कारण कब्ज हो सकता है (12)
  • मल की इच्छा को रोकना : मल को रोके रखने से कब्ज की बीमारी हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि मल को रोके रखने से पेट और आंत धीरे-धीरे मल त्याग का सिग्नल देना बंद कर सकते हैं (11)
  • आईबीएस : इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) पेट से जुड़ी ऐसी समस्या है, जिसमें पेट में दर्द या बेचैनी रह सकती है साथ ही 3 महीने या उससे अधिक समय के लिए मल त्याग की आदतों में बदलाव (जैसे दस्त या कब्ज) हो सकता है। इसलिए, इसके कारण भी कब्ज की समस्या हो सकती है (13)
  • अपर्याप्त नींद : इस भागदौड़ भरे जीवन में काम का इतना दबाव है कि व्यक्ति भरपूर नींद नहीं सो पाता हैं। पर्याप्त नींद न लेने के कारण पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं कर पाता और कब्ज की समस्या हो सकती है (14)

अधिक जानकारी आगे है

अब जानते हैं कि किन परिस्थितियों में माना जाता है कि व्यक्ति को कब्ज की समस्या है।

कब्ज के लक्षण – Symptoms of Constipation in Hindi

कब्ज की बीमारी के लक्षण इसकी गंभीरता के अनुसार नजर आ सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति में कब्ज के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। एक व्यक्ति में कब्ज के एक या एक से अधिक लक्षण देखे जा सकते हैं, जो इस प्रकार हैं (15) :

  • सामान्य से कम बार मल त्याग करना।
  • कठोर व सूखा मल, जो बाहर निकलते समय दर्द कर सकता है।
  • मल त्याग करने में अधिक जोर लगाने की जरूरत।
  • लंबे समय तक शौचालय में बैठना।
  • शौच के बाद लगना कि पेट साफ नहीं हुआ।
  • पुरानी कब्ज के लक्षण में से एक पेट में मरोड़ उठना या दर्द होना भी है।
  • पेट में मरोड़ उठना या दर्द होना।
  • मुंह में छाले होना।

बने रहें हमारे साथ

आइए, अब जानते हैं कि कब्ज के लिए कौन-कौन से घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं।

कब्ज का घरेलू इलाज – Home Remedies for Constipation in Hindi

कब्ज कैसे दूर करें, इस बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है। इसे ठीक करने के लिए कब्ज का घरेलू इलाज किया जा सकता है, जिनके प्रयोग से कब्ज से बचाव हो सकता है। आइए, जानते हैं कि ये कैसे कब्ज का रामबाण इलाज साबित हो सकते हैं।

1. पानी

सामग्री :

  • एक गुनगुना गिलास पानी
  • आधा चम्मच नींबू का रस
  • एक चम्मच शहद

प्रयोग की विधि :

  • गुनगुने पानी में नींबू और शहद मिलाएं।
  • अब एक जगह बैठ जाएं और जितना हो सके पानी को घूंट-घूंट करके पिएं।
  • इसके बाद खुली जगह पर 15-20 मिनट टहलना शुरू करें।
  • कुछ देर में मल त्याग की इच्छा हो सकती है।

कैसे मदद करता है?

सुबह सोकर उठने के बाद शहद के साथ नींबू पानी का सेवन लाभकारी हो सकता है। इस बारे में एक शोध से जानकारी मिलती है कि सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में शहद और नींबू मिलाकर पीने से कब्ज की समस्या से राहत मिल सकती है (16)। ऐसे में अगर कोई कब्ज का रामबाण इलाज खोज रहा है, तो इस घरेलू उपचार को अपनाया जा सकता है।

2. अरंडी का तेल

सामग्री :

  • एक चम्मच अरंडी का तेल
  • आधा नींबू का रस
  • एक गिलास पानी

प्रयोग की विधि :

  • एक गिलास पानी को गुनगुना करें।
  • इसमें नींबू और अरंडी का तेल मिला लें।
  • इस पानी का सेवन सुबह खाली पेट करें।

कैसे मदद करता है?

अरंडी का तेल कब्ज का घरेलू इलाज माना जा सकता है। जब इसे खाली पेट लिया जाता है, तो यह तेल चमत्कारी तरीके से काम करता है। यह पेट में जाकर मल को पतला व मुलायम कर सकता है, जिस कारण कुछ समय बाद शौच के समय पेट पूरी तरह साफ हो सकता है (17)।

नोट : डॉक्टर से सलाह लिए बिना इस तेल को सात दिन से ज्यादा नहीं लेना चाहिए।

3. पपीता

सामग्री :

  • एक कटोरी पपीता
  • एक कप डेरी फ्री कोकोनट योगर्ट

प्रयोग की विधि :

  • एक कटोरी पपीता और एक कप डेरी फ्री कोकोनट योगर्ट को मिक्सी में डालकर शेक बनाएं।
  • अब गिलास में डालकर इसका सेवन करें।

कैसे मदद करता है?

यह आंतों के लिए ल्यूब्रिकेट का काम करता है यानी मल को मुलायम कर पेट को साफ कर सकता है। पपीते को कब्ज का रामबाण इलाज माना जा सकता है, क्योंकि इसके रस में पपाइन नामक तत्व होता है, जो भोजन को पचा सकता है। यह गुणकारी फल शरीर को डिटॉक्स करने में भी मदद कर सकता है (18) (19)। इसी वजह से पपीता को मल को मुलायम करने के उपाय में से एक माना जाता है।

4. अलसी के बीज

सामग्री :

  • अलसी के बीज
  • एक गिलास पानी

प्रयोग की विधि :

  • अलसी के बीजों को मिक्सी में डालकर पाउडर बना लें।
  • 20 ग्राम अलसी पाउडर को पानी में डालकर मिक्स करके रख दें।
  • तीन-चार घंटे बाद पानी को छानकर पी जाएं।

कैसे मदद करता है?

अलसी को कब्ज की आयुर्वेदिक दवा माना गया है। इसमें में सॉल्युबल फाइबर पाया जाता है, जो आंतों को साफ कर कब्ज का उपचार करने में कारगर हो सकता है। इसमें फाइबर ज्यादा और कार्बोहाइड्रेट कम होता है, जिस कारण यह पाचन तंत्र को दुरुस्त कर खाने को हजम करने में मदद कर सकता है। अलसी में कई एंटी-ऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते हैं, जो शरीर में हार्मोन को नियंत्रित रखते हैं। इस लिहाज से हम कह सकते हैं कि अलसी कब्ज के लिए उपयोगी हो सकती है (20)।

आगे हैं और नुस्खे

5. बेकिंग सोडा

सामग्री :

  • एक चम्मच बेकिंग सोडा
  • एक गिलास गुनगुना पानी

प्रयोग की विधि :

  • पानी में बेकिंग सोडा मिलाएं और पी जाएं।
  • प्रेशर बनने की प्रतीक्षा करें।

कैसे मदद करता है?

कब्ज की दवा के रूप में बेकिंग सोडा यानी सोडियम बाइकार्बोनेट कारगर, गुणकारी व सस्ता उपाय साबित हो सकता है। सोडियम बाइकार्बोनेट एक एंटी एसिड तत्व है, जिसका उपयोग सीने में जलन और एसिड के कारण हुई  अपच से राहत देने के लिए किया जा सकता है। पाचन तंत्र से जुड़े ये फायदे कब्ज के जोखिम को कम कर सकते हैं। बेकिंग सोडा का प्रयोग करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें, क्योंकि इसका अधिक सेवन हानिकारक भी हो सकता है (21)।

6. शहद

सामग्री :

  • एक चम्मच शहद
  • आधा नींबू
  • एक गिलास गुनगुना पानी

प्रयोग की विधि :

  • गुनगुने पानी में शहद और नींबू मिलाएं।
  • फिर इस मिश्रण को पी लें।

कैसे मदद करता है?

शहद को प्राकृतिक व गुणकारी माना गया है और यह कब्ज का घरेलू इलाज हो सकता है। भारत में प्राचीन काल से इसका उपयोग दवा के तौर पर किया जा रहा है। अगर कोई सोच रहा है कि कब्ज कैसे दूर करें, तो इसके लिए आयुर्वेद में भी शहद के लाभ बताए गए हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबियल व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो कब्ज से बचाव में उपयोगी साबित हो सकते हैं (22)।

7. आलू बुखारे का जूस

सामग्री 

  • दो आलू बुखारे

प्रयोग की विधि :

  • नियमित रूप से आलू बुखारे का सेवन करें।

कैसे मदद करता है?

आलू बुखारा कब्ज का उपचार कर सकता है। इसमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो पेट के लिए लाभकारी हो सकता है। यह मल की मात्रा को बढ़ाकर पेट साफ करता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में आलू बुखारे को कब्ज के लिए फायदेमंद माना गया है (23)।

अधिक जानकारी आगे है

8. त्रिफला

सामग्री :

  • दो चम्मच त्रिफला चूर्ण
  • एक गिलास गुनगुना पानी

प्रयोग की विधि :

  • त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी में मिला लें।
  • रात को सोने से पहले इसे पी लें।
  • इसे पीने के बाद कुछ न खाएं।

कैसे मदद करता है?

आंवला, हरड़ व बहेड़ा नामक तीन फलों को समान मात्रा में मिलाकर त्रिफला चूर्ण बनाया जाता है। यह कब्ज को ठीक करने की बेहद पुरानी आयुर्वेदिक औषधि है। त्रिफला पेट को साफ कर सकता है और पेट फूलना व सूजन जैसे लक्षणों से राहत दे सकता है (24)। इसलिए त्रिफला को कब्ज का रामबाण इलाज माना जा सकता है।

9. हर्बल-टी

सामग्री :

  • हर्बल-टी बैग
  • गरम पानी

प्रयोग की विधि : :

  • हर्बल टी बैग को गरम पानी से भरे कप में डालें।
  • पांच मिनट बाद इसे पी जाएं।

कैसे मदद करता है?

हर्बल-टी को प्राकृतिक लैक्सटिव (पेट साफ करने की दवा) माना गया है। इसके सेवन से मल त्याग करने में आसानी होती है (25)। बाजार में कई हर्बल टी मौजूद हैं, जिन्हें कब्ज का उपचार करने के लिए स्वादानुसार चुना जा सकता है।

कब्ज कैसे दूर करें यह जानने के लिए और उपाय भी हैं, जिन्हें आप नीचे पढ़ सकते हैं।

10. विटामिन

सामग्री :

  • विटामिन-सी टैबलेट
  • विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स कैप्सूल

कैसे करें प्रयोग :

  • विटामिन-सी टैबलेट को एक गिलास पानी में मिलाकर पी जाएं।
  • इसी मिश्रण के साथ विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स कैप्सूल भी ले सकते हैं।

कैसे मदद करता है?

विटामिन-सी का प्रयोग कब्ज के लक्षणों को कम कर सकता है। कब्ज की दवा के रूप में विटामिन-सी का प्रयोग भोजन नली को ठीक से काम करने के लिए प्रेरित कर सकता है। विटामिन-सी शरीर से हानिकारक टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद कर सकता है। वहीं, विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स कैप्सूल में बी-1, बी-5, बी-9 और बी-12 जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो पेट को साफ करने में उपयोगी हो सकते हैं (26) (27)। इसी वजह से इसे मल को मुलायम करने की दवा भी माना जाता है।

11. कीवी

सामग्री :

  • दो कीवी
  • काला नमक

प्रयोग की विधि :

  • किवी को छीलकर टुकड़ों में काट लें।
  • कीवी फल में काला नमक लगाकर खाएं।

कैसे मदद करता है?

कब्ज का इलाज करने में कीवी मददगार हो सकती है। कीवी का सेवन आईबीएस के लक्षणों में कमी ला सकता  है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, कीवी का सेवन करने से मल त्याग में लगने वाले समय को कम किया जा सकता है, यानी मल त्याग करना सुविधाजनक हो सकता है (28)।

12. अंजीर

सामग्री :

  • सूखे अंजीर

प्रयोग की विधि :

  • अंजीर को रात भर पानी में भिगो कर रखें।
  • सुबह खाली पेट अंजीर का सेवन करें।
  • चाहें, तो इसका पेस्ट भी बना सकते हैं।

कैसे मदद करता है?

अंजीर को कब्ज के मरीजों के लिए बेहतरीन औषधि माना गया है। इसके बीज मल को मुलायम कर सकते हैं, ताकि वो मल द्वार के जरिए आसानी से बाहर निकल सके। इस बारे में एनसीबीआई की वेबसाइट पर एक शोध प्रकाशित है। जिसमें बताया गया है कि अंजीर का पेस्ट कब्ज के उपचार में मददगार साबित हो सकता है। इसके पीछे का कारण है इसमें मौजूद फाइबर, जो मल निकासी की प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद कर सकता है (29)। यही कारण है कि कब्ज की दवा के रूप में अंजीर का सेवन लाभकारी माना जा सकता है।

13. जैतून का तेल

सामग्री :

  • दो चम्मच जैतून का तेल

प्रयोग की विधि :

  • रोज सुबह खाली पेट जैतून का तेल पिया जा सकता है।
  • खाना बनाने में भी इस तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।

कैसे मदद करता है?

जैतून का तेल कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज है। यह तेल मल को मुलायम करता है, जिससे मल त्याग करते समय जोर लगाने की जरूरत नहीं पड़ती और पेट आसानी से साफ हो सकता है (30)।

14. गेहूं का चोकर

सामग्री :

  • आटे से निकाला गया या बाजार से खरीदा गया चोकर
  • पानी

प्रयोग की विधि :

  • चोकर को पानी के साथ मिक्सी में पीसकर पाउडर बना लें।
  • 20 ग्राम पाउडर को पानी में घोल कर रोजाना सेवन करें।
  • चाहें, तो साबुत चोकर को दैनिक आहार में भी शामिल कर सकते हैं।
  • इसे रोटी, दलिया और हलवे इत्यादि में मिलाया जा सकता है।
  • बाजार में मिलने वाली जिन ब्रेड और बिस्कुट में चोकर होता है, उनका सेवन किया जा सकता है।

कैसे मदद करता हैं?

वैज्ञानिक अध्ययन इस बात का पुख्ता प्रमाण देते हैं कि कब्ज की रोकथाम के लिए फाइबर युक्त गेहूं का चोकर मददगार हो सकता है। चोकर मनुष्य के लिए एक वरदान है, क्योंकि गेहूं का चोकर मोटापा और कुछ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों से बचाव में सहायक है। साथ ही ये डायवर्टिकुलर रोग (एक पाचन तंत्र विकार), कब्ज और आईबीएस सहित पेट की कई बीमारियों की रोकथाम कर सकता है (31)। इसलिए, चोकर को कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज माना जा सकता है।

15. सेब

सामग्री :

  • एक सेब
  • एक गिलास दूध

प्रयोग की विधि :

  • सेब को छिलके समेत बारीक टुकड़ों में काट लें।
  • इन्हें मिक्सी में डालकर दूध के साथ पीस लें।
  • इस शेक को नाश्ते में शामिल करें।
  • रोजाना एक सेब का सेवन करना शेक से भी ज्यादा फायदेमंद है।

कैसे मदद करता है?

सेब को छिलके सहित खाने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में फाइबर मिलता है, जो कब्ज के लिए लाभकारी हो सकता है। इसलिए, सेब को कब्ज के लिए अच्छे माने जाने वाले खाद्य पदार्थों में शामिल किया जाता है (7)

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16. खट्टे फल या सिट्रस फ्रूट

सामग्री :

  • संतरा
  • मौसंबी
  • नींबू
  • चकोतरा

प्रयोग की विधि :

  • इन सभी फलों का नियमित रूप से सेवन करें।

कैसे मदद करता है?

आम धारणा है कि खट्टे फल खाने से कब्ज होता है, जबकि ऐसा नहीं है। वैज्ञानिक अध्ययन कहता है कि खट्टे फलों में पेक्टिन नामक कंपाउंड पाया जाता है, जो कब्ज का देसी इलाज हो सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध एक अध्ययन के अनुसार, कब्ज को नियंत्रित करने में पेक्टिन सहायक हो सकता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि खट्टे फल कब्ज के उपचार में उपयोगी हो सकते हैं (32)।

17. दालें

सामग्री :

  • किडनी बीन्स (राजमा)
  • छोले
  • सोयाबीन
  • अन्य दालें

प्रयोग की विधि :

  • उपरोक्त में रोजाना किसी एक दाल को पका कर दोपहर या रात के भोजन में शामिल किया जा सकता है।

कैसे मदद करता है?

दालों में प्रचुर मात्रा में फाइबर होता है, इसलिए यह कब्ज से राहत दे सकता है। साथ ही इनका सेवन संतुलित मात्रा में करना चाहिए, क्योंकि अधिक फाइबर का सेवन करना गैस और पेट दर्द का कारण बन सकता है (33) (34) ।

अभी बाकी है जानकारी

लेख के इस हिस्से में जानेंगे कब्ज में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए।

कब्ज में क्या खाएं और क्या न खाएं – Diet for Constipation in Hindi

अगर खानपान संतुलित रहेगा, तो किसी भी तरह के रोग का जोखिम नहीं हो सकता है। इसलिए, जरूरी है कि जो भी वह खाएं साफ और स्वच्छ होना चाहिए। चलिए, अब बताते हैं कि कब्ज न हो उसके लिए किन-किन चीजों को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए (6)(7)।

ये खाएं :

फलियां : अन्य सब्जियों के मुकाबले इसमें अधिक मात्रा में फाइबर होता है। इसे आप या तो सूप में डालकर खा सकते हैं या फिर इसकी सलाद भी बना सकते हैं। फलियों की सब्जी भी बन सकती है। पेट साफ न होने के लक्षण दिखाई देने पर इनका सेवन बढ़ा देना फायदेमंद हो सकता है।

फल : वैसे तो फल खाना हर तरह से लाभकारी है, लेकिन पपीता, सेब, केला व अंगुर ऐसे फल हैं, जो कब्ज में लाभदायक हो सकते हैं। इनमें प्रचुर मात्रा में फाइबर होता है, जो पेट को साफ करने में मदद कर सकते हैं। डायबिटीज के मरीज इन फलों का सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

सूखे मेवे : किशमिश, अखरोट, अंजीर व बादाम जैसे सूखे मेवों में अधिक फाइबर होता है। नियमित रूप से इनका सेवन करने से कब्ज से बचाव हो सकता है।

पॉपकॉर्न : पॉपकॉर्न को फाइबर और कैलोरी का स्रोत माना जाता है। पॉपकॉर्न को स्नैक्स के तौर पर खाने से कब्ज से राहत मिल सकती है। इसके लिए फ्लेवर पॉपकॉर्न की जगह प्लेन पॉपकॉर्न का इस्तेमाल ज्यादा बेहतर हो सकता है।

ओटमील : ओट्स में वसा कम मात्रा में होती है, जबकि बीटा ग्लूकॉन नाम विशेष प्रकार का फाइबर होता है। इसके अलावा, ओट्स में आयरन, प्रोटीन व विटामिन-बी1 भी पाया जाता है।

लिक्विड पदार्थ : अगर चाहते हैं कि कब्ज की समस्या हमेशा दूर रहे, तो अधिक से अधिक तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए। दिनभर में कम से कम आठ-दस गिलास पानी तो जरूर पीना ही चाहिए। इसके अलावा, विभिन्न तरह के फलों व सब्जियों का जूस पिया जा सकता है। इससे आंतों को भोजन पचाने में दिक्कत नहीं आती और शरीर हमेशा हाइड्रेट रह सकता है।

कब्ज के लिए नुकसान पदार्थ

कब्ज के नुकसान के लिए कुछ खाद्य पदार्थ जिम्मेदार हो सकते हैं, इन खाद्य पदार्थ में ये शामिल हैं:

तले हुए खाद्य पदार्थ : चिप्स व चाट-पकौड़ी जैसी चीजें खाने से पेट का हाजमा खराब हो सकता है और कब्ज की शिकायत हो सकती है।

शक्कर युक्त पेय पदार्थ : कोल्ड ड्रिक्स या फिर चीनी से बने शरबत पेट को खराब कर सकते हैं।

चाय-कॉफी : जिन्हें कब्ज हो, उन्हें चाय व कॉफी से भी परहेज करना चाहिए।

जंक फूड : पास्ता, बर्गर, पिज्जा या फिर माइक्रोवेव में बने खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए। पेट साफ न होने के लक्षण दिखाई दें, तो भोजन पर ध्यान देने की जरूरत हो सकती है।

शराब व धूम्रपान : धूम्रपान करने से पाचन तंत्र खराब हो जाता है। धूम्रपान का सीधा असर छोटी व बड़ी आंत पर पड़ता है, जिस कारण कब्ज हो सकती है (35)। वहीं, शराब जैसे अल्कोहल युक्त पेय पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनका अधिक सेवन पेट खाली होने में लगने वाले समय में इजाफा कर सकता है (36)।

आगे हैं रोचक जानकारी

आइए, जानते हैं कि घरेलू नुस्खों से पुरानी से पुरानी कब्ज का इलाज हो सकता है या नहीं।

क्या इन घरेलू नुस्खों से पुरानी से पुरानी कब्ज का इलाज हो सकता है?

एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन की मानें, तो फाइबर युक्त आहार पुरानी कब्ज के लक्षणों में सुधार ला सकता है, लेकिन केवल आहार और घरेलू तरीके इसका पूरा इलाज नहीं कर सकते। अगर कब्ज पुरानी है और उपरोक्त घरेलू नुस्खों को अपनाने के बाद भी मल त्याग में कठिनाई हो, तो डॉक्टर से सलाह लेना बेहतर होगा। डॉक्टर पुरानी कब्ज के इलाज के लिए दवाओं और एनिमा का प्रयोग सुझा सकते हैं। इससे कब्ज और कब्ज से होने वाले रोग से बचा सकता है।

लेख को अंत तक पढ़ें

आइए, अब जानते हैं कि कौन-कौन से योग किए जाएं, जिससे इस समस्या को कम किया जा सके।

कब्ज के लिए योगासन – Yoga for Constipation in Hindi

योगासन करना भी कब्ज से राहत दे सकता है। आइए, जानते हैं कि कब्ज के लिए कौन-कौन से योगासन करना उचित है (37)।

  1. मयूरासन : जिन्हें कब्ज है, उनके लिए मयूरासन बेहतर विकल्प हो सकता है। इससे पाचन क्रिया ठीक होती है और गैस, कब्ज व पेट में दर्द जैसी समस्या दूर होती हैं।
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मयूरासन करने की प्रक्रिया :

  • घुटनों के बल बैठ जाएं और आगे की तरफ झुक जाएं।
  • हथेलियों को एक साथ जमीन पर सटाते हुए दोनों कोहनियों को नाभी पर टिकाएं और संतुलन बनाते हुए घुटनों को सीधा करने की कोशिश करें।
  • इस आसन को एक बार में करना कठिन है, लेकिन नियमित अभ्यास से इसे किया जा सकता है।

सावधानी : जिन्हें उच्च रक्तचाप, टीबी या फिर हृदय संबंधी कोई बीमारी हो, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए।

  1. अर्ध मत्स्येंद्रासन : इस आसन को करने से भी कब्ज में राहत मिल सकती है।
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करने की प्रक्रिया :

  • जमीन पर बैठ जाएं और रीढ़ की हड्डी सीधी रखें।
  • अब दाएं पैर को मोड़कर बाएं तरफ ले जाएं और एड़ी को कूल्हे से स्पर्श करने का प्रयास करें। वहीं, बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाएं पैर के ऊपर से ले जाते हुए तलवे को जमीन से सटा लें।
  • अब दाएं हाथ को जांघ व पेट के बीच में से ले जाते हुए बाएं पैर को छूने की कोशिश करें और बाएं हाथ को पीछे की ओर ले जाएं (जैसा फोटो में दर्शाया गया है)।
  • इसके बाद कमर, कंधों व गर्दन को बाईं ओर मोड़ते हुए बाहिने कंधे के ऊपर से देखने की कोशिश करें।
  • इस दौरान, लंबी व गहरी सांस लेते व छोड़ते रहें।
  • अब सांस छोड़ते हुए दाएं हाथ, कमर, गर्दन व छाती को ढीला छोड़ते हुए सामान्य मुद्रा में आ जाएं और दूसरी तरफ से इसी प्रक्रिया को दोहराएं।

सावधानी : गर्भवती महिलाओं और जिन्हें रीढ़ की हड्डी, गर्दन व कमर में दर्द हो या फिर एसिडिटी की परेशानी हो, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए।

  1. हलासन : यह कब्ज ठीक करने के साथ-साथ मोटापे को भी कम करता है।
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करने की प्रक्रिया :

  • जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं और पैरों व हाथों को सीधा रखें।
  • अब पैरों को धीरे-धीरे 90 डिग्री तक उठाने की कोशिश करें।
  • फिर सांस छोड़ते हुए कमर को ऊपर उठाएं और पैरों को पीछे ले जाते हुए अंगूठों को जमीन से स्पर्श करने की कोशिश करें।
  • कुछ सेकंड इसी स्थिति में रहें और सामान्य गति से सांस लेते हैं। फिर ,सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं।
  1. पवनमुक्तासन : यह लीवर को मजबूत कर पाचन तंत्र को ठीक करता है और कब्ज, गैस व एसिडिटी से राहत देता है। इसलिए इसके अभ्यास से कब्ज से होने वाले रोग से बचा जा सकता है।
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करने की प्रक्रिया :

  • जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं। पहले दाहिने पैर को घुटने से मोड़ें और दोनों हाथों को आपस में जोड़ते हुए घुटने को पकड़ लें।
  • अब सांस लेते हुए घुटने को छाती से लगाने की कोशिश करें और फिर सांस छोड़ते हुए गर्दन उठाते हुए नाक को घुटने से लगाने का प्रयास करें।
  • कुछ सेकंड इस स्थिति में रहने के बाद सांस लेते हुए वापस सामान्य मुद्रा में आ जाएं और इस तरह से सांस लें कि पेट पूरा फूल जाए और सांस छोड़ें तो पेट पूरा अंदर चला जाए।
  • यह प्रक्रिया बाएं पैर से और फिर दोनों पैरों के साथ करें।

सावधानी : जिसे कमर या घुटनों में दर्द हो, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए। साथ ही सुबह खाली पेट या फिर भोजन करने के पांच घंटे बाद इस आसन को करें।

5. तितली मुद्रा : पाचन तंत्र को बेहतर करने के लिए यह आसन सबसे उपयुक्त व आसान है।

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करने की प्रक्रिया :

  • जमीन पर बैठ जाएं और दोनों घुटनों को मोड़ते हुए तलवों को आपस में मिलाएं।
  • तलवों को दोनों हाथों से पकड़ लें और जितना हो सके शरीर के पास ले आए।
  • इसके बाद दोनों घुटनों को आराम-आराम से ऊपर-नीचे करें।
  • कोशिश करें कि जब घुटने नीचे जाएं, तो वह जमीन को स्पर्श करें।

सावधानी : अगर घुटनों में चोट लगी हो या दर्द हो, तो यह आसन न करें।

नोट: शुरुआत में ये सभी आसन ट्रेनर की देखरेख में ही करें। नीचे हम कब्ज से बचाव के लिए कुछ जरूरी टिप्स दे रहे हैं।

अभी जानकारी बाकी है

कब्ज का उचित इलाज न मिलने पर उसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, आइए जानते हैं।

कब्ज होने से नुकसान – Side Effects Constipation in Hindi

कब्ज को अनदेखा करना कुछ गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। इन समस्याओं में कब्ज से होने वाली बीमारियां शामिल हैं।

  • लगातार कब्ज रहना बवासीर की समस्या को जन्म दे सकता है (38)।
  • कब्ज के कारण पेट साफ न होने से मुहांसों की समस्या भी हो सकती है (39)।
  • लगातार कब्ज बना रहना पुरुषों में वैरिकोसील (नसों की खराबी का रोग) रोग का कारण बन सकता है। यह समस्या पुरुषों की प्रजनन क्षमता में कमी ला सकती है (40)।
  • पुराने कब्ज के मरीजों को कुछ मानसिक विकार भी हो सकते हैं, जिसमें चिंता, तनाव और अवसाद शामिल है (41)।

आइए, अब जानते हैं कि कब्ज से बचाव किस तरह किया जा सकता है।

कब्ज से बचाव – Prevention Tips For Constipation in Hindi

यहां हम कुछ काम की बातें बता रहे हैं, जिन्हें दिनचर्या में शामिल करने से यह कब्ज की समस्या से बचा जा सकता है।

अनुशासित दिनचर्या : सुबह तय समय पर उठें और रात को तय समय पर सोएं। साथ ही तीनों टाइम के खाने में चार-चार घंटे का अंतर रखें और हल्का खाएं। इस अभ्यास से कब्ज से होने वाली बीमारी से बचा जा सकता है।

जब यात्रा पर हों : यात्रा के दौरान भी नियमानुसार ही भोजन करें और संभव हो, तो हल्का व साफ-सुथरा ही खाएं।

समय पर शौच : जैसा कि इस लेख में पहले बताया गया है कि मल को रोककर रखने से भी पाचन तंत्र खराब होता है और कब्ज की समस्या होती है। इसलिए, जब जरूरत महसूस हो, तभी तुरंत मल त्याग करें।

फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ : अपने भोजन में ओट्स, ब्राउन राइस, फल व सब्जियों को शामिल करें, ताकि पर्याप्त मात्रा में फाइबर मिल सके।

नियमित व्यायाम : ज्यादा देर तक बैठकर काम करने से भी कब्ज की समस्या हो सकती है। इसलिए, व्यस्त जीवन में कुछ समय निकालकर व्यायाम करें या फिर जिम जा सकते हैं। अगर खेलकूद में रुचि है, तो क्रिकेट, बैडमिंटन, लॉन टेनिस व फुटबॉल खेल सकते हैं। साइकलिंग व स्विमिंग भी अच्छा विकल्प हो सकता है।

बेड-टी को न : सुबह उठते ही बेड-टी की जगह पानी पीने की आदत डालें। सुबह चाय या कॉफी की जगह गुनगुना पानी ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि कई बीमारियों की जड़ कब्ज है और आजकल ज्यादातर लोग इससे परेशान है। अगर समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं पाया जाए, तो यह पूरे शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, जरूरी है कि यहां बताए गए घरेलू नुस्खों व सलाह का पालन कर इस बीमारी से बचाव का प्रयास करें। अच्छा खान-पान और अनुशासित दिनचर्या अपनाएं। स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए आप स्टाइलक्रेज के अन्य आर्टिकल भी पढ़ सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

कब्ज बार-बार क्यों होता है?

कब्ज बार-बार होने के कारण हैं – दिनचर्या में बदलाव, दैनिक आहार में पर्याप्त फाइबर न होना, पर्याप्त तरल पदार्थ न पीना और व्यायाम न करना। इन सारे कारणों के होने से कब्ज बार-बार हो सकता है। इसलिए, कब्ज से बचने के लिए खान-पान की एक नियमित दिनचर्या बनाना जरूरी है (15)

कब्ज के कुछ तुरंत उपाय क्या हैं?

एनिमा का इस्तेमाल करना इसका तुरंत उपाय हो सकता है। इसमें गुदा मार्ग से साबुन जैसे चिकने द्रव को पेट में पहुंचाया जाता है। इसके कुछ देर बाद ही मल त्याग की इच्छा होने लगती है। यह विधि नियमित रूप से इस्तेमाल नहीं की जाती, क्योंकि इसके कई नुकसान हो सकते हैं। डॉक्टर भी इसके इस्तेमाल की सलाह गंभीर मामलों में देते हैं। इसलिए, कब्ज से राहत में डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवा और खान-पान में सुधार ही विश्वसनीय हैं (42)।

References

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    https://www.niddk.nih.gov/health-information/digestive-diseases/constipation/definition-facts
  2. The pathophysiology of chronic constipation
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  4. Defecation Disorders: An Important Subgroup of Functional Constipation
    Its Pathophysiology
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  6. Diets for Constipation
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  9. Treating constipation during pregnancy
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  38. Risk Factors for Hemorrhoids on Screening Colonoscopy
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4583402/
  39. Acne vulgaris
    probiotics and the gut-brain-skin axis – back to the future?
  40. Chronic constipation: Facilitator factor for development of varicocele
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3110927/
  41. Perforation and mortality after cleansing enema for acute constipation are not rare but are preventable
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3641812/

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