Medically Reviewed By Neelanjana Singh, RD
Written by , (शिक्षा- एमए इन जर्नलिज्म मीडिया कम्युनिकेशन)

राजगिरा जिसे चौलाई के नाम से भी जाना जाता है। इसका प्रयोग व्रत के समय ज्यादा देखने को मिलता है, लेकिन बीते कुछ समय से इसके स्वास्थ्य फायदों को देखते हुए इसे दैनिक आहार के रूप में भी शामिल किया जाने लगा है। राजगिरा को चीनी की चाशनी से बनाए हुए लड्डू/चिक्की के साथ ज्यादा खाया जाता है। इसीलिए, स्टाइलक्रेज के इस लेख के जरिए आपको राजगिरा से होने वाले विभिन्न शारीरिक फायदों के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही आपको राजगिरा के फायदे और राजगिरा के नुकसान के बारे में भी बताया जाएगा।

शुरू करते हैं लेख

आइए, सबसे पहले जानते हैं कि राजगिरा है क्या?

राजगिरा क्या है? – What is Rajgira (Amaranth) in Hindi

राजगिरा को चौलाई या रामदाना के नाम से भी जाना जाता है। ये छोटे-छोटे बीज होते हैं, जो चौलाई के पौधे पर फलते-फूलते हैं। जब ये बीज पक जाते हैं, तो पौधों को काटकर इन्हें बाहर निकाला जाता है। राजगिरा किराने की दुकान या सुपर मार्केट में आसानी से मिल जाएगा। इसका वैज्ञानिक नाम अमरंथुस (Amaranthus) है और इसे अंग्रेजी में अमरंथ के नाम से जाना जाता है। राजगिरा देश के अधिकांश राज्यों में मिल जाएगा और इसके दाम अलग-अलग हो सकते हैं, जिसकी जानकारी भारत सरकार की वेबसाइट के जरिए ले सकते हैं (1)। राजगिरा को राजगिरा का लड्डू, राजगिरा की चिक्की, राजगिरा का हलवा आदि विभिन्न रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके खाने के कई स्वास्थ्य संबंधी फायदे भी हैं, जिसकी जानकारी लेख के अगले भाग में दी जा रही है।

पढ़ते रहें लेख

लेख में आगे अब हम राजगिरा के फायदे जानेंगे।

राजगिरा (चौलाई) के फायदे – Benefits of Rajgira (Amaranth) in Hindi

राजगिरा के स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे हैं, जिसकी जानकारी हम यहां विस्तार दे रहे हैं। हालांकि, इसके साथ ही यह समझना भी जरूरी है कि राजगिरा केवल इन समस्याओं में राहत पहुंचा सकता है। समस्या का पूर्ण उपचार डॉक्टरी परामर्श पर ही निर्भर करता है।

1. ग्लूटन फ्री (Gluten-Free)

राजगिरा को ग्लूटेन फ्री डाइट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। ग्लूटेन प्राकृतिक रूप से गेहूं, राई और जौ में पाया जाता है (2)। कुछ मामलों में इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। वैज्ञानिक रिपोर्ट की मानें, तो ग्लूटेन का सेवन सीलिएक रोग (Celiac disease) के जोखिम को बढ़ा सकता है (3)। यह छोटी आंत की बीमारी होती है। वहीं, राजगिरा ग्लूटेन से मुक्त होता है, जो इस बीमारी से बचाए रखने का काम कर सकता है (4)। सीलिएक रोग में राजगिरा अहम भूमिका निभाता है।

2. प्रोटीन का उच्च स्रोत

प्रोटीन के लिए लोग न जाने कितने खाद्य पदार्थों का सहारा लेते हैं। इस मामले में राजगिरा अहम भूमिका निभा सकता है, क्योंकि यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। दरअसल, शरीर की कोशिकाओं की मरम्मत करने और नई कोशिकाओं को बनाने के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है (5)। विशेषज्ञों के द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, राजगिरा को प्रोटीन के बेहतरीन विकल्प के रूप में शामिल किया जा सकता है (6)।

3. सूजन रोकने में मददगार

शरीर में सूजन की समस्या से लड़ने में भी राजगिरा के फायदे देखे जा सकते हैं। एक वैज्ञानिक अध्ययन में इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण के बारे में पता चला है, जो सूजन की समस्या को दूर करने का काम कर सकता है (7)।

4. हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए

हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए राजगिरा को प्रयोग में ला सकते हैं। दरअसल, राजगिरा में कैल्शियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है और यह तो जानते ही होंगे कि हड्डियों के निर्माण से लेकर उनके विकास के लिए कैल्शियम कितना जरूरी है (8), (9)।

5. हृदय स्वास्थ्य के लिए

राजगिरा में हृदय स्वास्थ्य को बरकरार रखने के भी गुण पाए जाते हैं। दरअसल, हृदय जोखिम का एक कारण रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ना भी है। रक्त में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक सहित कई हृदय रोग का कारण बन सकता है (10)। यहां राजगिरा अहम भूमिका अदा कर सकता है, क्योंकि यह ब्लड कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर सकता है (11)।

एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, राजगिरा का तेल कुल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स (रक्त में फैट), एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) की मात्रा को कम कर सकता है (12)।

6. डायबिटीज के जोखिम को कम करने के लिए

राजगिरा का सेवन डायबिटीज से बचे रहने के लिए भी किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन में पता चला है कि राजगिरा और राजगिरा के तेल का सप्लीमेंट एंटीऑक्सीडेंट थेरेपी के रूप में काम कर सकता है, जो हाइपरग्लाइसीमिया (हाई ब्लड शुगर) को नियंत्रित करने और मधुमेह के जोखिम को रोकने में फायदेमंद साबित हो सकता है (13)।

एक अन्य वैज्ञानिक अध्ययन में यह देखा गया है कि पर्याप्त इंसुलिन की मात्रा के बिना खून में मौजूद अतिरिक्त ग्लूकोज टाइप 2 डायबिटीज का कारण बन सकता है (14)। वहीं, राजगिरा और राजगिरा के तेल का मिश्रण सीरम इंसुलिन की पर्याप्त मात्रा बढ़ा सकता है (13)।

7. कैंसर के जोखिम को कम करने में

कैंसर के जोखिम से बचने के लिए भी राजगिरा का इस्तेमाल फायदेमंद साबित हो सकता है। राजगिरा में उपयोगी एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत कर सकता है और कैंसर से होने वाले खतरे को भी कम कर सकता है (15)।

इसके अलावा, राजगिरा में विटामिन-ई पाया जाता है (8)। विटामिन-ई एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम कर सकता है। यह फ्री-रेडिकल्स से कोशिकाओं को बचाता है और साथ ही कई प्रकार के कैंसर के खतरे को भी रोकने में सक्रिय भूमिका निभा सकता है (16)। वहीं, इस बात का ध्यान रखें कि राजगिरा किसी भी तरीके से कैंसर का इलाज नहीं है। इसका इस्तेमाल कैंसर से बचाव में कुछ हद तक लाभकारी हो सकता है। अगर कोई कैंसर से पीड़ित है, तो उसका डॉक्टरी इलाज करवाना जरूरी है।

8. लाइसिन (एमिनो एसिड) का उच्च स्रोत

लाइसिन एक प्रकार का एमिनो एसिड है और शरीर में प्रोटीन की पूर्ति के लिए एमिनो एसिड एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां राजगिरा के फायदे देखे जा सकते हैं, क्योंकि इसमें लाइसिन की भरपूर मात्रा पाई जाती है (17) (18)।

9. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी चौलाई के फायदे देखे जा सकते हैं। राजगिरा में जिंक की मात्रा पाई जाती है, जो इम्यून सिस्टम को बढ़ाने का काम कर सकता है (19)। इसके अलावा, राजगिरा में विटामिन-ए की मात्रा भी पाई जाती है और विटामिन-ए इम्यूनिटी को बूस्ट कर सकता है (8), (20)।

10. पाचन शक्ति को बढ़ाने में

स्वस्थ जीवन के लिए पाचन क्रिया का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। यहां चौलाई के फायदे देखे जा सकते हैं, क्योंकि यह फाइबर से समृद्ध होता है (8)। फाइबर एक जरूरी पोषक तत्व है, जो पाचन क्रिया में सुधार के साथ-साथ कब्ज जैसी समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करता है (21)।

11. वजन को नियंत्रित करने में

चौलाई के फायदे वजन नियंत्रित करने के लिए भी देखे जा सकते हैं। यहां पर एक बार फिर चौलाई में मौजूद फाइबर का जिक्र होगा (8)। फाइबर पाचन क्रिया को मजबूत करने के साथ-साथ वजन को नियंत्रित करने का काम कर सकता है। दरअसल, फाइबर युक्त भोजन का सेवन देर तक पेट को भरा रखता है, जिससे अतिरिक्त खाने की आदत को नियंत्रित किया जा सकता है (21)।

12. अच्छी दृष्टि के लिए

आंखों की दृष्टि को ठीक रखने के लिए चौलाई का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। राजगिरा में विटामिन-ए पाया जाता है (8)। विटामिन-ए आंखों के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होता है (22)। इसकी पूर्ति के जरिए बढ़ती उम्र के साथ होने वाली दृष्टि संबंधित समस्याओं को भी कम किया जा सकता है (23)।

13. गर्भावस्था के लिए लाभदायक

गर्भावस्था में मां को पोषण युक्त आहार की जरूरत होती है और चौलाई को गर्भावस्था में बेहतरीन पोषण के रूप में शामिल किया जा सकता है। यह गर्भावस्था में कब्ज की समस्या से बचने के लिए फाइबर, एनीमिया के खतरे को दूर रखने के लिए आयरन और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम की पूर्ति का काम कर सकता है (24) (8)।

इसके अलावा, गर्भावस्था में विटामिन-सी की पर्याप्त मात्रा जरूरी होती है, जो राजगिरा के जरिए पूरी की जा सकती है (8), (25)। हालांकि, इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

14. बालों और त्वचा के लिए लाभदायक

बालों और त्वचा के अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी राजगिरा का सेवन किया जा सकता है। बालों को स्वस्थ बनाने के लिए हम राजगिरा का सेवन कर सकते हैं, क्योंकि इसमें मौजूद जिंक बालों के लिए फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, जिंक का सेवन करने से सिर में होने वाली खुजली कम हो सकती है और बालों का झड़ना रुक सकता है (8) (26)।

त्वचा के बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी राजगिरा लाभकारी परिणाम दे सकता है, क्योंकि इसमें मौजूद विटामिन-सी त्वचा के लिए उपयोगी माना जाता है। विटामिन-सी एक एंटीऑक्सीडेंट है, जो त्वचा को यूवी विकिरण से होने वाले नुकसान से बचा सकता है। इसके अतिरिक्त विटामिन-सी मुंहासों को दूर करने और त्वचा में कोलेजन को बढ़ाने में मदद कर सकता है (8), (27)।

15. एनीमिया से लड़ने में

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राजगिरा के फायदों में एनीमिया से बचाव करना भी शामिल है। एनीमिया एक ऐसी चिकित्सकीय स्थिति है, जो शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण उत्पन्न होती है। यहां राजगिरा के लाभ देखे जा सकते हैं, क्योंकि यह आयरन से समृद्ध होता है। आयरन एक जरूरी पोषक तत्व है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाने का काम करता है (8), (28)।

लेख में आगे बढ़ें

राजगिरा के फायदे जानने के बाद आइए अब लेख के अगले भाग में जानते हैं कि राजगिरा में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व होते हैं।

राजगिरा के पौष्टिक तत्व – Amaranth Nutritional Value in Hindi

राजगिरा में मौजूद पौष्टिक तत्वों और उनकी मात्रा के बारे में आप नीचे दिए गए टेबल के माध्यम से जान सकते हैं (8) :

पोषक तत्वमात्रा प्रति 100 ग्राम
पानी11.29g
ऊर्जा371kcal
प्रोटीन13.56g
कुल लिपिड (वसा)7.02g
कार्बोहाइड्रेट65.25g
फाइबर, कुल डाइटरी6.7g
शुगर, कुल1.69g
मिनरल
कैल्शियम159mg
आयरन7.61mg
मैग्नीशियम248mg
फास्फोरस557mg
पोटैशियम508mg
सोडियम4mg
जिंक2.87mg
विटामिन
विटामिन सी, कुल एस्कॉर्बिक एसिड4.2mg
थायमिन0.116mg
राइबोफ्लेविन0.200mg
नियासिन0.923mg
विटामिन बी-60.591mg
फोलेट, डीएफई82μg
विटामिन बी-120.00μg
विटामिन ए, आरएइ0μg
विटामिन ए, आईयू2IU
विटामिन ई (अल्फा-टोकोफेरॉल)1.19mg
विटामिन डी (डी2+डी3)0.0μg
विटामिन डी0IU
विटामिन के0.0μg
लिपिड
फैटी एसिड, टोटल सैचुरेटेड1.459g
फैटी एसिड, टोटल मोनोअनसैचुरेटेड1.685g
फैटी एसिड, टोटल पॉलीअनसैचुरेटेड2.778g
कोलेस्ट्रॉल0mg

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राजगिरा के पौष्टिक तत्व के बाद यह जानना भी जरूरी है कि राजगिरा का उपयोग कैसे किया जा सकता है। नीचे बताई जा रही जानकारी को ध्यानपूर्वक पढ़ें।

राजगिरा का उपयोग – How to Use Rajgira (Amaranth) in Hindi

राजगिरा का उपयोग निम्न प्रकार किया जा सकता है-

  • राजगिरा का हलवा बनाकर खाया जा सकता है। मीठा कम खाने वाले लोग इसकी खिचडी बनाकर खा सकते हैं।
  • घी में भूनने के बाद इसे दूध के साथ उबालकर पिया जा सकता है।
  • भूने हुए राजगिरा को चीनी की चाशनी से पट्टी बनाकर खाया जा सकता है।
  • राजगिरा के लड्डू बनाकर खाए जा सकते हैं।
  • चौलाई (राजगिरा) को सूजी के रूप में इस्तेमाल करके गुझिया बनाई जा सकती है।
  • राजगिरा का इस्तेमाल खीर बनाने में भी किया जा सकता है।

कब करें इस्तेमाल: राजगिरा की पट्टी को व्रत वाले दिन इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा, इसे दिन में या रात में कभी भी खा सकते हैं।

कितना मात्रा में इस्तेमाल करें: राजगिरा की 20 से 50 ग्राम मात्रा को दिन में एक बार लिया जा सकता है। फिर भी इसके सेवन की सही मात्रा के लिए आहार विशेषज्ञ से परामर्श जरूर करें।

अंत तक पढ़ें लेख

राजगिरा का सेवन सीमित मात्रा में ही करें, नहीं तो यह स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है, जिसके बारे में नीचे जानकारी दी जा रही है।

राजगिरा (चौलाई) के नुकसान – Side Effects of Rajgira (Amaranth) in Hindi

चौलाई के नुकसान कुछ इस प्रकार हैं-

  • चौलाई में पोटेशियम भी होता है। पोटेशियम शरीर में महत्वपूर्ण खनिज है। शरीर में इसके स्तर का सही संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी होता है। जिन लोगों के रक्त में पोटेशियम का स्तर बढ़ा हुआ होता है उन्हें इसका सेवन करने से परहेज करना चाहिए। साथ ही इसके लिए चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
  • इसका अधिक सेवन ब्लड प्रेशर के साथ किडनी स्टोन के जोखिम को बढ़ा सकता है (8), (29)।
  • अधिक मात्रा में फाइबर का सेवन करने से पेट फूलने और पेट में ऐंठन की समस्या हो सकती है, क्योंकि राजगिरा में फाइबर की मात्रा भी होती है (8), (21)।

आपने अभी पढ़ा कि मुख्य रूप से व्रत में प्रयोग होने वाला राजगिरा हमारे दैनिक आहार के रूप में भी शामिल किया जा सकता है। चौलाई के फायदे और चौलाई के नुकसान के बारे में भी आपको जानकारी दी गई है। इसलिए, इसके सेवन के दौरान आपको उपरोक्त बताई गई सावधानियों के लिए भी ध्यान देने की जरूरत है। उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करके, राजगिरा के लाभ से अन्य लोगों को भी अवगत कराएं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्विनोआ से राजगिरा कितना अलग है? क्या इसमें क्विनोआ जैसे सैपोनिन (saponins) होते हैं?

क्विनोआ और राजगिरा के स्वास्थ्य फायदे लगभग एक जैसे हैं। क्विनोआ में राजगिरा जैसे सैपोनिन भी पाए जाते हैं। इसके अलावा, यह कैंसर और डायबिटीज की समस्या को भी ठीक करने में काम आ सकता है (30), (31)।

राजगिरा कैसे विकसित होता है?

राजगिरा के बीजों की खेतों में बुवाई की जाती है और जब राजगिरा एक पौधा बन जाता है, तो उसमें राजगिरा के दाने आने लगते हैं, जिसको पक जाने पर पौधों से अलग कर लिया जाता है।

राजिगिरा का स्वाद कैसे होता है?

राजगिरा वैसे तो स्वादहीन होता है, लेकिन इसको चबाने पर आपको हल्के-से मीठेपन का अहसास हो सकता है।

क्या राजगिरा के स्थान पर कोई अच्छा विकल्प है?

हां, राजगिरा के स्थान पर क्विनोआ का सेवन कर सकते हैं, क्योंकि क्विनोआ में भी लगभग राजगिरा जैसे ही गुण पाए जाते हैं (33)।

राजगिरा को कैसे अंकुरित कर सकते हैं ?

राजगिरा को अंकुरित करने के लिए सबसे पहले एक बर्तन में उसे रात भर के लिए भिगोकर रख दें। उसके बाद सुबह पानी से राजगिरा को अलग करके एक कपड़े में लपेट कर रख दें। अब इस कपड़े पर दिन भर में कम से कम 4-5 बार पानी के छीटें मारें, ताकि इसमें नमी बनी रहे। अब इसे फिर रात भर के लिए ऐसे ही छोड़ दें। एक या दो दिन में यह अंकुरित रूप में आपको मिल सकते हैं।

राजगिरा आटे के क्या लाभ हैं?

राजगिरा के आटे में भी लगभग वही गुण पाए जाते हैं, जो राजगिरा में होते हैं। राजगिरा का आटा कैल्शियम, आयरन, विटामिन-सी व फाइबर जैसे पौषक तत्वों से भरपूर होता है (32)। इसमें कैल्शियम हड्डियों के लिए, आयरन खून के लिए, विटामिन-सी त्वचा के लिए और फाइबर पाचन के लिए लाभदायक माने जाते हैं।

References

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