Written by , (शिक्षा- एमए इन मास कम्युनिकेशन)

स्वस्थ शरीर पाना तभी संभव है, जब पोषक तत्वों से भरपूर आहार का संतुलित मात्रा में सेवन किया जाए। यानी लिए जाने खाद्य में मौजूद प्रोटीन, शुगर, कार्बोहाइड्रेट और विभिन्न विटामिन के साथ-साथ मिनरल्स का होना भी आवश्यक है। वजह यह है कि शरीर में मौजूद मिनरल्स की संतुलित मात्रा कई शारीरिक समस्याओं को दूर रखने में भी मदद कर सकती है। यही कारण है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम शरीर में मिनरल्स की उपयोगिता को विस्तार से समझाने जा रहे हैं। साथ ही यहां आपको प्रत्येक मिनरल के समृद्ध खाद्य स्रोत के बारे में भी जानने को मिलेगा।

शुरू करते हैं लेख

तो आइए सबसे पहले खनिज क्या हैं और यह शरीर के लिए क्यों जरूरी है, यह जान लेते हैं।

शरीर के लिए खनिज (मिनरल्स) क्यों महत्वपूर्ण हैं?

खनिज हमारे लिए महत्त्वपूर्ण इसलिए माने जाते हैं, क्योंकि यह हड्डी, मांसपेशी, हृदय और मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा खनिज हमारे शरीर में एंजाइम और हार्मोन बनने की प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं (1)। इतना ही नहीं एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में यह भी माना गया है कि खनिज शरीर में खून के जमाव को नियंत्रित करने का काम करते हैं। साथ ही यह ऑक्सीजन के संचालन के लिए भी जरूरी माने जाते हैं (2)। इन तथ्यों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि मिनरल्स हमारे शरीर के उचित विकास से लेकर उसे स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।

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आगे अब हम खनिज कितने प्रकार के होते हैं, इसके बारे में जानेंगे।

शरीर के लिए आवश्यक खनिजों के दो समूह – Two groups of essential minerals in Hindi

खनिजों को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया गया है, जिनके बारे में लेख के इस भाग में हम विस्तार से बता रहे हैं।

  1.  मैक्रो मिनरल्स (Macrominerals) : मैक्रो मिनरल्स में ऐसे मिनरल्स शामिल हैं, जिनकी आवश्यकता हमारे शरीर को अधिक होती है। इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड शामिल हैं। बता दें, दिनभर में शरीर को 100 मिलीग्राम से अधिक मात्रा में मैक्रो मिनरल्स की आवश्यकता होती है (3)।
  1.  माइक्रो मिनरल्स (Microminerals) – माइक्रो मिनरल्स को ट्रेस मिनरल्स भी कहते हैं। यह मिनरल्स हमारे शरीर को कम मात्रा में चाहिए होते हैं। आयरन, जिंक, आयोडीन और सेलेनियम माइक्रो मिनरल्स के अंतर्गत आते हैं। प्रतिदिन शरीर को 100 मिलीग्राम से कम मात्रा में इन मिनरल्स की जरूरत होती है (3)। यह मिनरल्स मुख्य रूप से शरीर के उत्तकों में मौजूद होते हैं। ये शरीर के एंजाइम सिस्टम (शरीर में होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं) को तेज करने का काम करते हैं। इसके विपरीत शरीर में इनकी मात्रा विषाक्तता का कारण भी बन सकती है (4)।

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लेख के अगले भाग में हम शरीर में मिनरल्स की कमी के कारण होने वाले रोग के बारे में बता रहे हैं।

मिनरल्स की कमी से होने वाले रोग – Deficiency of minerals in Hindi

भोजन में हेल्दी आहार को शामिल न करने से शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। परिणामस्वरूप शरीर में कई खनिजों की कमी हो सकती है, जिस वजह से शरीर कई रोगों की चपेट में आ सकता है। मिनरल्स की कमी के कारण होने वाले यह रोग कुछ इस प्रकार हैं :

  • कैल्शियम की कमी: शरीर में सही मात्रा में कैल्शियम की पूर्ति न हो पाने की स्थिति में मांसपेशियों में ऐंठन, ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होना), हृदय रोग, उच्च रक्त चाप और कैंसर जैसी समस्याएं हो सकती हैं (5)।
  • पोटेशियम की कमी: शरीर में पोटेशियम की कमी के कारण मांसपेशियों में कमजोरी, असामान्य दिल की धड़कन, उच्च रक्तचाप की परेशानी हो सकती है (6)।
  • मैग्नीशियम की कमी: मैग्नीशियम की कमी की स्थिति में अत्यधिक उत्तेजना, मांसपेशियों में कमजोरी, हर समय नींद का एहसास होना, सीजर (दौरे) जैसी समस्या हो सकती है (7)।
  • आयरन: उचित मात्रा में आयरन की पूर्ति न होने पर एनीमिया रोग (लाल रक्त कोशिकाओं की कमी) और एरिथ्रोपोएसिस (आयरन की कमी) की स्थिति पैदा हो सकती है (8)।

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लेख में आगे खनिज के लाभ के बारे में विस्तार से बताया गया है।

18 आवश्यक मिनरल्स के फायदे – Health benefits of 18 Essential Minerals in Hindi

लेख के इस भाग में हम शरीर के लिए आवश्यक सभी मिनरल्स के फायदे विस्तार से बता रहे हैं। साथ ही यहां हम प्रत्येक मिनरल के खाद्य स्रोतों की भी जानकारी देंगे।

1. कैल्शियम

कैल्शियम हड्डियों और दांतों के निर्माण के साथ उन्हें मजबूती प्रदान करने का काम करता है। साथ ही यह शरीर की मांसपेशियों और रक्त वाहिकाओं को जोड़ने और उनका विस्तार करने में भी मदद करता है। इसके अलावा तंत्रिका तंत्र की कार्यक्षमता को बनाए रखने में भी यह सहायक है। इतना ही नहीं शरीर में हार्मोन और एंजाइम के बनने की प्रक्रिया के लिए भी कैल्शियम का उपयोग जरूरी माना जाता है (9)।

खाद्य स्रोत – दूध, दही, पनीर, केल, ब्रोकली, पालक, चिया सीड, सफेद ब्रेड, संतेर का जूस आदि में कैल्शियम पाया जाता है (10)।

2. फास्फोरस

फास्फोरस शरीर के लिए अहम खनिजों में से एक है। यह शरीर के हर सेल में मौजूद होता है। कैल्शियम की तरह फास्फोरस भी हड्डियों और दांतों को स्वस्थ रखने में मददगार हो सकता है। साथ ही यह रक्त वाहिकाओं और मांसपेशियों की कार्यक्षमता को बढ़ाने में भी सहायक है। यही नहीं, शरीर में फास्फोरस की उचित मात्रा क्रोनिक किडनी डिजीज और हृदय रोग से जुड़े जोखिमों को कम करने में भी मददगार हो सकती है (11)।

खाद्य स्रोत- डेयरी उत्पाद (दूध, दही, पनीर), मांस, मछली, अंडा, फलियां, राजमा, जई का दलिया (ओटमील) आदि फास्फोरस के स्रोत हैं (12)।

3. बोरान

बोरान एक ट्रेस मिनरल है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य, मस्तिष्क के कार्य और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा यह ब्रेस्ट कैंसर, यूटरिन कैंसर और ओवेरियन कैंसर के जोखिम को कम करने में भी प्रभावकारी हो सकता है (13)। इस आधार पर कहा जा सकता है कि बोरान भी स्वास्थ्य को सुचारू रूप से काम करने में अहम भूमिका निभाता है।

खाद्य स्रोत – शरीर में बोरान की कमी को पूरा करने के लिए कॉफी, दूध, सेब, सूखे और पके हुए सेम, आलू, एवोकाडो, किशमिश, अंगूर, नाशपाती और पालक का सेवन किया जा सकता है (14)।

4. सोडियम

सोडियम की मात्रा मुख्य रूप से नमक युक्त पदार्थों में होती है। यह शरीर में रक्त की मात्रा और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा शरीर की मांसपेशियों और तंत्रिकाओं को उचित रूप से सक्रिय रखने के लिए भी शरीर को सोडियम की आवश्यकता होती है (15)।

खाद्य स्रोत – साधरण नमक (टेबल सॉल्ट), दूध, सेलरी, पीने का पानी के जरिए शरीर में सोडियम की पूर्ति की जा सकती है (15)।

5. पोटेशियम

पोटेशियम मुख्य रूप से शरीर की कोशिकाओं, तंत्रिकाओं और मांसपेशियों की कार्यक्षमता को बनाए रखने के लिए जरूरी माना गया है। यह रक्तचाप, दिल के धड़कन और कोशिकाओं में पानी की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा पोटेशियम को पाचन में भी सहायक माना जाता है (9)।

खाद्य स्रोत – सूखी खुबानी, मसूर दाल, किशमिश, आलू, राजमा, सोयाबीन, केला, दूध, दही, पालक और ब्रोकली का सेवन करने से शरीर में पोटेशियम की जरूरत को पूरा किया जा सकता है (16)।

6. मैग्नीशियम

अन्य मिनरल्स की तरह, शरीर के लिए मैग्नीशियम के फायदे भी कई हैं। यह तंत्रिका और मांसपेशियों के कार्य को प्रोत्साहित करने के साथ प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाए रखने में मदद कर सकता है। वहीं हड्डियों की मजबूती के लिए इसे अहम माना जाता है। इसके अलावा यह दिल की धड़कन को सामान्य रखने में भी सहायक हो सकता है (7)।

खाद्य स्रोत- केला, एवोकाडो, बादाम, काजू, मटर, बींस, सोया उत्पाद, ब्राउन राइस आदि में मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है (7)।

7. मैंगनीज

मैंगनीज शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद होता है। शरीर को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए इसकी जरूरत होती है। लोग इसे दवा के तौर पर भी लेते हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में यह मददगार साबित हो सकता है ।

खाद्य स्रोत- नट्स, फलियां, बीज, चाय, साबुत अनाज और पत्तेदार हरी सब्जियों का सेवन कर शरीर में मैंगनीज की पूर्ति की जा सकती है ।

8. सल्फर

सल्फर शरीर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शरीर में मौजूद अमीनो एसिड की स्थिति को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा यह बाल, नाखून और त्वचा में पाए जाने वाली कोशिकाओं को कठोर करने में भी सहायक माना जाता है। वहीं डर्मेटाइटिस (त्वचा की सूजन) के इलाज में भी इसे उपयोगी माना जाता है। यहीं कारण है कि सेबोरिक डर्मेटाइटिस (सिर में पपड़ीदार डैंड्रफ) से राहत के लिए सल्फर युक्त शैंपू लगाने की सलाह दी जाती है (17)।

खाद्य स्रोत- दूध व इससे बने पदार्थों के साथ ही अंडा, फिश और अन्य सी फूड का सेवन कर शरीर में सल्फर की पूर्ति की जा सकती है (17)।

9. क्लोराइड

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए क्लोराइड भी जरूरी मिनरल में से एक है। यह शरीर में तरल पदार्थों के संतुलन को बनाए रखने के साथ ही पाचक रसों के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है (18)।

खाद्य स्रोत- टेबल सॉलट और सी सॉल्ट में यह सोडियम क्लोराइड के रूप में होता है। राई, टमाटर और ऑलिव में भी क्लोराइड मौजूद होता है (18)।

10. आयरन

दूसरे मिनरल की तरह शरीर के लिए आयरन भी बेहद जरूरी होता है। दरअसल, आयरन हीमोग्लोबिन का जरूरी घटक है, जो फेफड़ों से ऑक्सीजन को ऊतकों में पहुंचाने का काम करता है। इसके अलावा शरीर में आयरन की कमी से एनीमिया का जोखिम अधिक हो सकता है (19)।

खाद्य स्रोत- आयरन युक्त खाद्य पदार्थों में टूना मछली, साबुत अनाज, साल्मन फिश, डार्क रेड मीट, अंडा, ड्राई फ्रूट्स आदि शामिल होते हैं (19)।

11. आयोडीन

आयोडीन भी शरीर के लिए आवश्यक मिनरल में से एक है। शरीर को थायराइड हार्मोन बनाने के लिए आयोडीन की जरूरत होती है। वहीं थायराइड हार्मोन सम्पूर्ण शरीर की उपापचय प्रक्रिया के साथ कई अन्य महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करता है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान हड्डियों और मस्तिष्क के विकास के लिए भी थायराइड हार्मोन जरूरी माना जाता है। इस तरह आयोडीन बेहतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी माना जा सकता है (20)।

खाद्य स्रोत- आयोडीन के लिए टूना फिश, मिल्क, योगर्ट, चीज आदि का सेवन कर सकते हैं(21)।

12. फ्लोराइड

फ्लोराइड भी शरीर के लिए एक उपयोगी मिनरल है। दांतों की सड़न को रोकने के लिए इसे फायदेमंद माना जाता है। यह दांतों को मजबूत बनाने के साथ दांतों पर जमने वाली कैविटी से बचाव में भी सहायक माना जा सकता है (22)।

खाद्य स्रोत- फ्लोराइड युक्त पानी, चाय, कॉफी, सोयाबीन, साल्मन फिश, मैकेरल फिश से फ्लोराइड प्राप्त किया जा सकता है (23)।

13. जिंक

स्वस्थ रहने के लिए जिंक एक आवश्यक खनिज है। यह शरीर की हर कोशिका में पाया जाता है। इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के साथ यह जख्मों को भरने व शरीर के ऊतकों को बढ़ाने में मदद कर सकता है। साथ ही ऊतकों की क्षति को ठीक करने में भी सहायक माना जाता है। स्वाद और सूंघने की शक्ति के लिए भी शरीर को जिंक की जरूरत होती है (24)।

खाद्य स्रोत- बींस, नट्स, साबुत अनाज आदि में जिंक मौजूद होता है (24)।

14. कॉपर

कॉपर शरीर के लिए आवश्यक मिनरल है। हड्डियों के स्वास्थ्य, इम्यून फंक्शन, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के साथ हृदय संबंधित रोग के जोखिम को कम करने में यह मदद करता है। इसलिए उम्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को इसकी निश्चित और संतुलित मात्रा लेने की सलाह दी जाती है (25)।

खाद्य स्रोत- साबुत अनाज, बींस, नट्स, आलू, हरी पत्तेदार सब्जियां, काली मिर्च आदि में कॉपर होता है (26)।

15. सेलेनियम

शरीर को इसकी कम मात्रा में ही जरूरत होती है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण खनिजों में से एक है। यह शरीर में खास प्रोटीन को बनाता है, जो कोशिकाओं की क्षति को रोकने में मदद करता है। वहीं कुछ शोध इस बात को भी स्पष्ट करते हैं कि यह कैंसर से बचाव के साथ शरीर को भारी धातुओं और अन्य हानिकारक पदार्थों के प्रभाव से बचाने में भी सहायक है (27)। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि कैंसर एक घटक और जानलेवा बीमारी है, जिसका इलाज डॉक्टरी परामर्श पर ही निर्भर करता है।

खाद्य स्रोत- फिश, रेड मीट, अंडा, चिकन, लहसुन आदि में सेलेनियम होता है (27)।

16. क्रोमियम

दूसरे मिनरल की तरह शरीर को क्रोमियम की भी आवश्यकता होती है। इसे शरीर नहीं बनाता है। यह कार्बोहाइड्रेट और वसा को पूरे शरीर में वितरित करने में अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा यह फैटी एसिड और कोलेस्ट्रॉल के शरीर में अवशोषित होने की प्रक्रिया को उत्तेजित करता है। वहीं मस्तिष्क को स्वस्थ बनाने के साथ शरीर की अन्य प्रक्रियाओं के लिए भी इसे महत्वपूर्ण माना जाता है (28)।

खाद्य स्रोत- क्रोमियम के लिए आहार में अंडा, चिकन, व्हीट जर्म, ब्रोकली आदि को शामिल किया जा सकता है (28)।

17. मोलिब्डेनम

मोलिब्डेनम भी शरीर के लिए बहुत जरूरी और आवश्यक है। यह शरीर में एंजाइमों को सक्रिय कर, हानिकारक सल्फाइट को तोड़ने में मदद करता है। इसके साथ ही यह विषाक्त पदार्थों को शरीर में बनने से रोक सकता है। शरीर में मोलिब्डेनम की मात्रा कम या ज्यादा होने पर कई साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। हालांकि ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है (29)।

खाद्य स्रोत: फलियां मोलिब्डेनम का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके अलावा मोलिब्डेनम के पूर्ति के लिए साबुत अनाज और नट्स का सेवन भी किया जा सकता है (29)।

18. कोबाल्ट

शरीर के लिए महत्वपूर्ण खनिज तत्वों में कोबाल्ट भी शामिल है। कोबाल्ट विटामिन-बी 12 का एक मुख्य तत्व है, जो एनीमिया की रोकथाम के साथ अन्य कई स्वास्थ्य स्थितियों से बचाव कर सकता है। बता दें, शरीर में विटामिन-बी 12 की कमी के कारण कई न्यूरोलॉजिकल परेशानियां जैसे:- कमजोरी, थकान, याददाश्त में कमी, चिड़चिड़ापन, भ्रम और अवसाद जैसी समस्याएं हो सकती हैं (30)।

खाद्य स्रोत: कोबाल्ट विटामिन-बी 12 में पाया जाता है। इसके लिए टूना फिश, चीज, योगर्ट, अंडा, ओट्स आदि का सेवन किया जा सकता है (31)।

लेख में आगे बढ़ें

यहां अब हम शरीर के लिए सभी खनिजों की आवश्यक मात्रा के बारे में बताएंगे।

आपको मिनरल्स की कितनी आवश्यकता होती है?- How much minerals do humans need in Hindi

लेख में हमने जाना कि मिनरल्स शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बेहद आवश्यक हैं। मगर, इनकी शरीर में जरूरत से अधिक मात्रा कई परेशानियों को न्योता दे सकती है। इसलिए यहां हम कुछ बिंदुओं के माध्यम से खनिजों की दैनिक आवश्यकता के बारे में बता रहे हैं:

  • कैल्शियम– आमतौर पर पुरुषों, महिलाओं व बुजुर्गों को कम से कम 1000 से 1200 मिलीग्राम तक कैल्शियम रोजाना लेना चाहिए। वहीं, छोटे बच्चों को रोजाना 200 मिलीग्राम और बच्चों को 700 मिलीग्राम प्रति दिन कैल्शियम की जरूरत होती है। वहीं लंबे समय तक कैल्शियम को अधिक मात्रा में लेने से कुछ लोगों में गुर्दे की पथरी का जोखिम हो सकता है (32)।
  • फास्फोरस– वयस्कों को प्रतिदिन करीब 700 मिलीग्राम फास्फोरस की जरूरत होती है। छोटे बच्चों में 100 मिलीग्राम और 9 से 18 साल के बच्चों में 1250 मिलीग्राम प्रतिदिन फास्फोरस लेने की सलाह दी जाती है ()। किडनी की कार्यक्षमता में सुधार के लिए फास्फोरस आवश्यक तत्वों में से एक है, लेकिन इसकी अधिकता शरीर में किडनी से संबंधित परेशानी पैदा कर सकती है (33)।
  • बोरान– बोरान के दैनिक सेवन की नियत मात्रा तय नहीं है। हालांकि वयस्कों के लिए इसकी अधिकतम खुराक प्रतिदिन 17 मिलीग्राम है। वहीं 9 से 13 साल के बच्चों के लिए 11 मिलीग्राम और छोटे बच्चों के लिए 3 मिलीग्राम बोरान की अधिकतम मात्रा बताई जाती है (13)।
  • सोडियम6 महीने तक के बच्चों के लिए 120 मिलीग्राम, एक से 18 साल के बच्चों के लिए 1000 से 1500 मिलीग्राम और वयस्कों के लिए 2300 मिलीग्राम तक सोडियम का सेवन सुरक्षित होता है। शरीर में इसकी अधिकता हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट फेल, लिवर सिरोसिस और किडनी रोग का कारण बन सकते हैं (15)।
  • पोटेशियम– शिशुओं के लिए पोटेशियम की दैनिक खुराक 400 मिलीग्राम है। वहीं 9 से 13 साल के लड़कों के लिए 2500 मिलीग्राम और लड़कियों के लिए 2300 मिलीग्राम। बात करें वयस्कों की तो महिलाओं के लिए 2600 मिलीग्राम और पुरुषों के लिए 3400 मिलीग्राम प्रतिदिन पोटेशियम लेने की जरूरत होती है। वहीं, पोटेशियम की अधिकता हाइपरकेलेमिया कहलाती है। इसमें हृदय की लय में असामान्य व खतरनाक बदलाव हो सकता है। साथ ही यह किडनी विकार का कारण बन सकता है (6)।
  • आयरन– 7 से 12 महीने के शिशुओं को 11 मिलीग्राम, 4 से 8 साल के बच्चों को 10 मिलीग्राम, 19 से 50 साल के पुरुषों को 8 मिलीग्राम और महिलाओं को 18 मिलीग्राम आयरन की जरूरत होती है। वहीं गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान इसकी जरूरत अलग होती है। बात करें आयरन की अधिकता की तो ऐसा बहुत कम लोगों में देखने को मिलता है। बहुत बार बच्चों में अधिक आयरन सप्लीमेंट्स लेने के कारण इसकी अधिकता हो जाती है। थकान, चक्कर आना, जी मिचलाना, उल्टी, सिरदर्द, वजन कम होना, सांस लेने में दिक्कत होना आदि इसके लक्षण हैं (19)।
  • आयोडीन– आयोडीन की दैनिक आहार 6 महीने से कम शिशुओं में 110 माइक्रोग्राम, 7-12 महीने के शिशुओं में 130 माइक्रोग्राम, 9-13 साल के बच्चों में 120 माइक्रोग्राम और 14-18 साल के बच्चों में 150 माइक्रोग्राम होती है। वयस्कों में रोजाना 150 माइक्रोग्राम आयोडीन लेने की सलाह दी जाती है। गर्भावस्था और स्तनपान कराने वाली महिलाओं में आयोडीन की जरूरत अलग हो सकती है। शरीर में आयोडीन की अधिक मात्रा बहुत कम ही देखने को मिलती है। आयोडीन की अधिकता थायराइड ग्रंथि के कार्य को प्रभावित कर सकती है (20)।
  • जिंक– प्रतिदिन सात महीने से तीन साल तक के बच्चों को 3 मिलीग्राम, 4-8 साल के बच्चों को 5 मिलीग्राम, 9-13 साल के बच्चों को 8 मिलीग्राम, 14 से 18 साल के लड़कों को 11 मिलीग्राम और लड़कियों को 9 मिलीग्राम जिंक की आवश्यकता होती है। वहीं 19 साल से अधिक उम्र के पुरुषों की 11 मिलीग्राम व महिलाओं की 8 मिलीग्राम जिंक की दैनिक खुराक होनी चाहिए। जिंक की कमी को दूर करने के लिए सप्लीमेंट्स ले रहे हैं तो डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। जिंक सप्लीमेंट्स को अधिक मात्रा में लेने से दस्त, पेट में दर्द व उल्टी की शिकायत हो सकती है (24)।
  • कॉपर– आमतौर पर 14 साल से लेकर वयस्कों के लिए 890-900 माइक्रोग्राम कॉपर की जरूरत होती है। 1-3 साल के बच्चों में 340 माइक्रोग्राम, 4-8 साल के बच्चों के लिए 440 माइक्रोग्राम और 9 से 13 साल के बच्चों के लिए 700 माइक्रोग्राम प्रतिदिन कॉपर को शामिल करने की सलाह दी जाती है। बता दें, कॉपर को अधिक मात्रा में लेने से हेपेटाइटिस, गुर्दे से संबंधित परेशानियां, मस्तिष्क विकारों के साथ अन्य कई समस्याओं के होने का जोखिम हो सकता है (26)।
  • सेलेनियम– वयस्कों में रोजाना 55 माइक्रोग्राम सेलेनियम की आवश्यकता होती है। वहीं बच्चों में सेलेनियम की जरूरत को पूरा करने के लिए 20-40 माइक्रोग्राम मात्रा निर्धारित की गई है। गर्भावस्था में 60 माइक्रोग्राम और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 70 माइक्रोग्राम सेलेनियम लेने के लिए कहा जाता है (27)। शरीर में सेलेनियम की अधिकता सेलेनोसिस का कारण बन सकता है। बालों का झड़ना, नाखूनों का टूटना, उल्टी, चिड़चिड़ापन, थकान आदि इसके लक्षण हैं।
  • क्रोमियम– आमतौर पर हमारे शरीर को प्रतिदिन 20 से 35 माइक्रोग्राम क्रोमियम की आवश्यकता होती है। हर किसी के लिए यह मात्रा अलग हो सकती है। इसकी जरूरत प्रत्येक व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य और लिंग पर निर्भर करती है (28)।
  • मोलिब्डेनम– मोलिब्डेनम की दैनिक मात्रा की बात की जाए, तो 14 से 18 साल के लोगों में 43 माइक्रोग्राम व 19 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए 45 माइक्रोग्राम की आवश्यकता होती है। 1-3 साल के बच्चों के लिए 17 माइक्रोग्राम व 9-13 साल के बच्चों के लिए 34 माइक्रोग्राम मोलिब्डेनम रिकमेंड किया गया है (29)।
  • मैग्नीशियम– एक सामान्य महिला में मैग्नीशियम की दैनिक खुराक प्रतिदिन 310-320 मिलीग्राम है। पुरुषों के लिए 400-420 मिलीग्राम व 6 महीने तक के शिशुओं के लिए 30 मिलीग्राम रोजाना मैग्नीशियम लेने की सलाह दी जाती है। 6 से 12 महीने के शिशुओं में 75 मिलीग्राम और 9 से 13 साल के बच्चों में 240 मिलीग्राम मैग्नीशियम लेने की जरूरत होती है (7)।
  • मैंगनीज– आमतौर पर पुरुषों को मैंगनीज की 2.3 मिलीग्राम व महिलाओं को 1.8 मिलीग्राम लेने की सलाह दी जाती है। वहीं गर्भवती महिलाओं में 2.0 मिलीग्राम व स्तनपान कराने वाली महिलाओं में 2.6 मिलीग्राम मैंगनीज की आवश्यकता होती है (34)।
  • क्लोराइड- 14 से 50 साल के पुरुषों और महिलाओं को 2.3 ग्राम प्रतिदिन जरूरत होती है। वहीं 51 से 70 साल के पुरुषों और महिलाओं के लिए 2 ग्राम लेने की सलाह दी जाती है। गर्भवती महिलाओं के लिए इसकी दैनिक खुराक रोजाना 2.3 ग्राम निर्धारित की गई है। शरीर में इसकी अधिकता ब्लड प्रेशर को बढ़ाने के साथ हार्ट फेल, सिरोसिस और किडनी रोग का कारण बन सकता है (18)।
  • फ्लोराइड- 1418 साल के लड़को को प्रतिदिन करीब 3 मिलीग्राम फ्लोराइड की जरूरत होती है। वहीं पुरुषों को 4 मिलीग्राम और महिलाओं को 3 मिलीग्राम फ्लोराइड की आवश्यकता होती है। छोटे बच्चों में 0.5 मिलीग्राम और 9 से 13 साल के बच्चों में 2 मिलीग्राम प्रतिदिन फ्लोराइड लेने की सलाह दी जाती है (35)।
  • सल्फर- सल्‍फर को कितनी मात्रा में लेना चाहिए इसकी कोई मात्रा निर्धारित नहीं की गई है। हालांकि रोजाना सल्फर युक्त अमीनो एसिड लेने की सलाह दी जाती है (36)।
  • कोबाल्ट: कोबाल्ट शरीर के लिए जरूरी तत्वों में से एक है। इसका दैनिक रूप से कितनी मात्रा में सेवन करना चाहिए यह निर्धारित नहीं है। शरीर में कोबाल्ट की अधिकता थायराइड व बोनमैरो को प्रभावित कर सकता है, जिससे एरिथ्रोसाइट्स (लाल रक्त कोशिका), फेफडों में फिब्रोसिस और अस्थमा की शिकायत हो सकती है (37)।

सेहत और स्वास्थ्य के लिए मिनरल्स कितने जरूरी हैं, यह तो अब आप समझ ही गए होंगे। साथ ही आपको लेख के माध्यम से अलग-अलग सभी मिनरल्स के फायदे भी ज्ञात हो गए होंगे। इन फायदों को हासिल करने के लिए आप संतुलित मात्रा में सभी मिनरल्स के खाद्य स्रोतों को आहार में शामिल कर सकते हैं। मगर, यह जरूर ध्यान रखें कि इन खनिजों की अधिकता कई दुष्परिणाम भी प्रदर्शित कर सकती है। ऐसे में अगर कोई इन खनिजों की पूर्ति के लिए सप्लीमेंट का सेवन करने की सोच रहा है, तो बिना डॉक्टर की सलाह के इन्हें इस्तेमाल में न लाएं। उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा। आगे जानिए मिनरल्स को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :

तीन सबसे महत्वपूर्ण मिनरल कौन से हैं?

हमारे शरीर के लिए सभी मिनरल्स आवश्यक होते हैं। लेख में ऊपर हर मिनरल की कमी से होने वाली परेशानियों के बारे में विस्तार से बताया गया है। ऐसे में किसी भी खनिज को अतिमहत्वपूर्ण कहना सही नहीं होगा।

कौन से मिनरल्स मसल्स को बनाने में मदद करते हैं?

मसल्स को बनाने में कैल्शियम, पोटेशियम, फास्फोरस, सोडियम, मैग्नीशियम, आयरन, सेलेनियम और जिंक मददगार साबित हो सकते हैं (38)।

हम खनिज को कैसे खाते हैं?

सामान्य तौर पर शरीर में मिनरल्स की पूर्ति को खाद्य पदार्थों के जरिए पूरा किया जाता है।

क्या होगा अगर मैं बहुत अधिक मात्रा में खनिज का सेवन कर लूं?

कुछ खनिज को अधिक मात्रा में लेने से शरीर में होमियोस्टैटिक बैलेंस (शरीर में पानी और खनिजों का संतुलन) बिगड़ सकता है, जिससे कई दुष्परिणाम हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर सोडियम की अधिकता हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकती है। वहीं आयरन को अधिक मात्रा में लेने से लिवर खराब हो सकता है (39)। बता दें, आहार के माध्यम से खनिजों की अधिकता बमुश्किल ही देखने को मिलती है। सामान्य तौर पर अधिक मात्रा में सप्लीमेंट लेने की स्थिति में ही खनिजों की अधिकता होने का जोखिम रहता है।

Sources

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