विटामिन के प्रकार, फायदे और इसकी कमी के कारण, लक्षण – Vitamins in Hindi

Written by , MA (Mass Communication) Anuj Joshi MA (Mass Communication)
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शरीर को स्वस्थ रखने में पोषक तत्वों की अहम भूमिका होती है। इन्हीं जरूरी पोषक तत्वों में ‘विटामिन’ का नाम भी शामिल है। विटामिन के प्रकार कई सारे हैं और हर प्रकार के अपने फायदे हैं। ऐसे में स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम न सिर्फ विटामिन के फायदे और प्रकार बताएंगे, बल्कि विटामिन की कमी के लक्षण और स्रोत की जानकारी भी देंगे। यहां हम हर जरूरी विटामिन के फायदे अलग-अलग और विस्तार से बता रहे हैं। तो विटामिन के प्रकार से लेकर विटामिन की कमी के लक्षण तक की सभी जरूरी जानकारियों के लिए लेख को पूरा पढ़ें।

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सबसे पहले हम विटामिन्स क्या होते हैं, इसकी जानकारी दे रहे हैं।

विटामिनस क्या होते है? – What are Vitamins in Hindi

विटामिन ऐसे पदार्थ हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने और विकास के लिए जरूरी होते हैं। ये तत्वों का एक समूह है जो शरीर की कोशिकाओं के कार्य, वृद्धि और विकास के लिए जरूरी होते हैं। ये शरीर को ठीक तरह से कार्य करने में मदद करते हैं। बता दें कि मुख्य तौर पर 13 तरह के विटामिन्स होते हैं (1)। आगे हम विटामिन के प्रकार और कमी के लक्षणों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दे रहे हैं।

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विटामिन कितने प्रकार के होते हैं, अब हम इसके बारे में बता रहे हैं।

विटामिन के प्रकार – Types of Vitamins in Hindi

विटामिन मुख्य रूप से 13 प्रकार के होते हैं। इन्हें दो भागों में बांटा गया है। विटामिन का एक भाग वसा में घुलनशील (Fat-Soluble) और दूसरा भाग पानी में घुलनशील (Water-Soluble) होता है (1)। जिसकी चर्चा हम विटामिन के प्रकार जानने के बाद करेंगे।

यहां हम कुल 13 प्रकार के विटामिन और उनके रासायनिक नाम भी बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:

  1. विटामिन ए (रेटिनॉल)
  2. विटामिन बी1 (थायमिन)
  3. विटामिन बी2 (राइबोफ्लेविन)
  4. विटामिन बी3 (नियासिन)
  5. विटामिन बी5 (पैंटोथेनिक एसिड)
  6. विटामिन बी6 (पाइरिडोक्सीन)
  7. विटामिन बी7 (बायोटिन)
  8. विटामिन बी9 (फोलेट या फोलिक एसिड)
  9. विटामिन बी12 (स्यानोकोबलामीन)
  10. विटामिन सी (एसकोर्बिक एसिड)
  11. विटामिन डी (कैल्सिफेरॉल)
  12. विटामिन ई (टोकोफेरोल)
  13. विटामिन के (फिलोक्विनोन)

जैसा कि हमने ऊपर जानकारी दी है कि विटामिन को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है, जिसके बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं (1)।

  • वसा में घुलनशील विटामिन (Fat-soluble Vitamins)विटामिन का यह प्रकार शरीर के वसायुक्त ऊतकों में जमा होते हैं। इसमें मुख्य रूप से विटामिन ए, डी, ई, और के शामिल है। ये विटामिन्स डाइटरी फैट के रूप में शरीर में आसानी से अवशोषित हो सकता है।
  • पानी में घुलनशील विटामिन (Water-Soluble Vitamins) – विटामिन के अधिकतर प्रकार पानी में घुलनशील होते हैं, ये मुख्य रूप से 9 हैं। वसा में घुलनशील विटामिन की तरह यह शरीर में जमा नहीं होते हैं, बल्कि पानी में घुलकर मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाते हैं। शरीर में इन विटामिन के कमी को रोकने के लिए उन्हें नियमित रूप से लेना पड़ता है। हालांकि, इनमें विटामिन बी12 एकमात्र ऐसा पानी में घुलने वाला विटामिन है, जो लीवर में सालों तक स्टोर रह सकता है।

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विटामिन के प्रकार जानने के बाद अब हम शरीर में विटामिन की कमी होने का कारण बता रहे हैं।

विटामिन की कमी होने के कारण – Causes of Vitamin Deficiency in Hindi

ऐसे तो विटामिन की कमी होने को आम माना जा सकता है। दरअसल, विटामिन की कमी किसी भी उम्र के व्यक्ति में हो सकती है। अगर शरीर में विटामिन की थोड़ी कमी है, तो इसका कोई गंभीर परिणाम नहीं होता है (2)। ऐसे में यहां हम सामान्य तौर पर विटामिन की कमी होने के कारण के बारे में जानकारी दे रहे हैं:

  • पौष्टिक आहार का सेवन न करना – जैसे कि हमने पहले ही जानकारी दी है कि मनुष्य के शरीर को खाद्य पदार्थों के जरिए ही पोषक तत्व मिल पाते हैं। ऐसे में उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थ खाने से शरीर में विटामिन का स्तर संतुलित रहता है (3)। वहीं, जब शरीर को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता तो विटामिन की कमी हो सकती है। कई बार जरूरी विटामिन की कमी कुपोषण का कारण भी बन सकती है (4)।
  • मालअब्जॉर्प्शन (Malabsorption) – विटामिन की कमी का एक कारण मालअब्जॉर्प्शन भी हो सकता है। दरअसल, यह स्वास्थ्य संबंधी स्थिति है, जिसमें शरीर भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित करने में असफल होता है। यह स्थिति छोटी आंत में किसी प्रकार की समस्या के कारण उत्पन्न हो सकती है (5)।
  • शारीरिक समस्या – किसी तरह की गंभीर शारीरिक समस्या या बीमारी के कारण भी विटामिन की कमी हो सकती है। दरअसल, सीलिएक रोग (Celiac Disease – ग्लूटेन संवेदी आंत रोग), क्रोहन रोग (Crohn Disease – पाचन तंत्र से जुड़ी समस्या), संक्रमण, लिवर संबंधी बीमारियों के कारण भी विटामिन की कमी की समस्या हो सकती है। स्वास्थ्य संबंधी समस्या के कारण शरीर जरूरी पोषक तत्वों या विटामिन को अवशोषित नहीं कर पाता, जो विटामिन की कमी का कारण बन सकता है (5)।
  • सूरज की रोशनी कम मिलना – सूरज की रोशनी विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत होता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में विटामिन डी की कमी लगभग 50 फीसदी जनसंख्या में देखी जा सकती है। आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में लगभग 1 अरब लोगों में विटामिन डी की कमी पाई जा सकती है। इसका मुख्य कारण जीवनशैली से जुड़ा हुआ होता है। दरअसल, बाहरी गतिविधियां कम करने या खराब पर्यावरण सूर्य के प्रकाश के संपर्क को कम कर सकता है (6)। वजह से शरीर को सूरज की रोशनी कम मिल सकती है और यह विटामिन डी की कमी का कारण बन सकता है।
  • उम्र और जेंडर – विटामिन की कमी का एक कारण व्यक्ति की उम्र भी हो सकती है। बता दें कि गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं और युवा बच्चों में विटामिन की कमी होने का जोखिम सबसे अधिक हो सकता है (2)।

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लेख के इस भाग में पढ़ें शरीर में विटामिन की कमी के लक्षण क्या हो सकते हैं।

विटामिन की कमी के लक्षण – Symptoms of Vitamin Deficiency in Hindi

शुरुआती तौर पर शरीर में विटामिन के कमी के लक्षणों को पहचानने में मुश्किल हो सकती हैं। हालांकि, शरीर में विटामिन की कमी होने पर मानसिक और शारीरिक दोनों ही रूप से इसके कई लक्षण नजर आ सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (7):

मानसिक तौर पर शरीर में विटामिन की कमी के लक्षण:

  • मन का शांत न होना।
  • हिंसात्मक व्यावहार होना।
  • मानसिक विकार होना जैसे :- पागलपन या सिजोफ्रेनिया सिंड्रोम
  • व्यवहार में चिड़चिड़ापन होना।
  • भावनात्मक तौर पर अस्थिर होना।
  • न्यूरोसाइकियाट्रिक लक्षण, जैसे :- डिप्रेशन या एंग्जायटी होना

शारीरिक तौर पर शरीर में विटामिन की कमी के लक्षण:

  • पेलाग्रा रोग होना (नियासिन की कमी से होने वाली समस्या, कमजोरी होना, पेट दर्द, भूख की कमी) ।
  • स्कर्वी रोग होना (विटामिन सी की कमी से होने वाली बीमारी, मसूड़ों में सूजन या खून निकलना, दांतों का कमजोर होना आदि)
  • एनीमिया (खून की कमी होना)
  • ओस्टीयोमलेशिया (Osteomalacia) की स्थिति जिसमें हड्डियों का कमजोर होना शामिल है।
  • रिकेट्स (विटामिन डी की कमी से होने वाली समस्या, जिसमें हड्डियां नरम और कमजोर होने लगती हैं)।
  • भूख कम होना।
  • शारीरिक विकास धीमा होना।

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चलिए अब 13 प्रकार के विटामिन के स्रोत और उनके स्वास्थ्य फायदे भी जान लेते हैं।

विटामिन के 13 प्रकार : स्रोत और फायदे – 13 Types Of Vitamins : Source and Benefits

लेख के इस भाग में हम विटामिन के प्रकार के साथ ही, प्रत्येक विटामिन के स्वास्थ्य लाभ, कमी के लक्षण और उनके खाद्य स्त्रोत के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं। तो प्रत्येक विटामिन से जुड़ी जरूरी जानकारियां कुछ इस प्रकार हैं:

1. विटामिन ए (रेटिनॉल)

विटामिन ए का सेवन दांतों के स्वास्थ्य से लेकर, हड्डियों, कोशिकाओं, म्यूकस मेम्ब्रेन और त्वचा के लिए उपयोगी हो सकता है (1)। विटामिन ए को रेटिनोल भी कहा जाता है। यह आंखों के लिए भी जरूरी विटामिन्स में से एक है। स्वस्थ गर्भावस्था के लिए भी विटामिन ए जरूरी हो सकता है (8)।

विटामिन ए की कमी के कारण (9):

  • सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic Fibrosis – फेफड़े से संबंधित एक गंभीर समस्या) होना।
  • पेनक्रियाज यानी अग्नाशय में सूजन (Pancreatitis) या उसका ठीक तरह से काम न करना।
  • सीलिएक डिजीज (Celiac Disease – छोटी आंत से संबंधित एक समस्या) होना।
  • आहार में विटामिन ए युक्त खाद्य पदार्थ की कमी होना।

विटामिन ए की कमी के लक्षण (9) (10):

  • कमजोर हड्डियों और दांतों की समस्या होना।
  • आंखों में सूजन व सूखापन होना।
  • रतौंधी (रात में कम या न दिखाई देना) होना।
  • बार-बार संक्रमण होना।
  • त्वचा पर चकत्ते होना।
  • शारीरिक विकास धीमा होना।
  • सूखी त्वचा होना।
  • चिड़चिड़ापन महसूस होना।
  • एनीमिया का जोखिम।

खाद्य स्रोत (1):

  • शाकाहारी (वेज)- गहरे रंग के फल और पत्तेदार सब्जियां, दूध, पनीर, दही, मक्खन।
  • मांसाहारी (नॉन वेज)- अगर कोई नॉन वेज खाना पसंद करता है तो अंडा, , मछली या चिकन भी विटामिन ए का अच्छा स्त्रोत है।

2. विटामिन बी1 (थायमिन)

विटामिन बी1 या थायमिन की मदद से शरीर की कोशिकाएं कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा में बदलने का कार्य करती हैं। बता दें कि कार्बोहाइड्रेट की मुख्य भूमिका शरीर को ऊर्जा देना होता है, विशेष रूप से मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के लिए ऊर्जा प्रदान करना होता है। विटामिन बी1 हृदय के कार्य और मस्तिष्क को स्वस्थ बनाए रखने में भी मदद कर सकता है (11)।

विटामिन बी1 की कमी के कारण (12):

  • आहार में विटामिन बी1 की कमी होना।
  • शरीर में विटामिन बी1 का कम अवशोषित होना (Malabsorption)।
  • शराब की लत होना।
  • बढ़ती हुई उम्र।
  • विभिन्न दवाओं का सेवन करना।
  • लंबे समय से कोई बीमारी होना।
  • एचआईवी/एड्स (HIV/AIDS) जैसे संक्रमण होना।
  • मधुमेह की समस्या होना।
  • ऐसे लोग जिन्होंने बेरिएट्रिक सर्जरी (Bariatric Surgery – वजन घटाने की सर्जरी) करवाई हो।

विटामिन बी1 (थायमिन) की कमी के लक्षण (13) (11):

  • एनोरेक्सिया (Anorexia- एक प्रकार का आहार-संबंधी विकार)।
  • चिड़चिड़ापन।
  • याददाश्त की समस्या (Short Term Memory)।
  • हृदय का काम नहीं करना।
  • हाथ या पैर में सूजन
  • इस्किमिया (Ischemia- शरीर में रक्त प्रवाह कम या बाधित होना)।
  • सीने में दर्द
  • सिर चकराना
  • हर चीज दो दिखना।
  • भ्रम होना।
  • बेरीबेरी (Beriberi) रोग होना, जो हृदय और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है।
  • वेर्निक-कोर्साकोफ सिंड्रोम (Wernicke-Korsakoff Syndrome – मस्तिष्क से जुड़ा एक विकार)।
  • कमजोरी।
  • थकावट।

खाद्य स्रोत (1) (11):

  • शाकाहारी (वेज)- दूध का पाउडर, फलियां, मटर, साबुत अनाज, नट्स एंड सीड्स।
  • मांसाहारी (नॉन वेज)- अंडा और अन्य मांसाहारी खाद्य पदार्थ।

3. विटामिन बी2 (राइबोफ्लेविन)

राइबोफ्लेविन एक प्रकार का बी विटामिन है। यह पानी में घुलनशील है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर में जमा नहीं होता है। पानी में घुलनशील विटामिन पानी में घुल जाते हैं। वहीं, बचा हुआ विटामिन मूत्र के माध्यम से शरीर से निकल जाता है। शरीर इन विटामिन्स को कम मात्रा में स्टोर पाता है। ऐसे में शरीर में इस विटामिन की पूर्ति के लिए इसका नियमित सेवन जरूरी है। यह शरीर में अन्य विटामिन बी के साथ काम करता है। साथ ही शरीर के विकास और लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में योगदान कर सकता है (14)।

विटामिन बी2 की कमी के कारण (15):

  • विटामिन बी2 युक्त आहार कम खाना, मुख्य रूप से आहार में मांस और डेयरी उत्पाद का कम सेवन करना।
  • छोटी आंत से जुड़ी समस्या के कारण शरीर में विटामिन बी2 का अवशोषित होना कम हो सकता है।
  • वीगन होना (वो शाकाहारी लोग जो आहार में पशु उत्पाद को शामिल नहीं करते हैं)।
  • गर्भावस्था या स्तनपान के कारण।
  • राइबोफ्लेविन ट्रांसपोर्टर डेफिशियेंसी (एक प्रकार का न्यूरोलॉजिकल विकार)।

विटामिन बी2 (राइबोफ्लेविन) की कमी के लक्षण (16):

  • सूखे या लाल होंठ होना।
  • एंगुलर चेलाइटिस (Angular Cheilitis – होठों के किनारों में सूजन) होना।
  • होंठों पर छाले होना।
  • सूखी, मैजेंटा लाल या काली जीभ होना।
  • सेबोरहाइक डर्मेटाइटिस (Seborrheic Dermatitis – त्वचा विकार, जिसमें त्वचा में खुजली यह जलन होना) के लक्षण होना।
  • आंख आना (कंजंक्टिवाइटिस)
  • गले में खराश होना
  • थकान की समस्या होना।

खाद्य स्रोत (15):

  • शाकाहारी (वेज)- ओट्स, दही, दूध, मशरूम, बादाम, मक्खन, क्विनोआ, पालक, सेब, राजमा, ब्रेड, सूरजमुखी के बीज, टमाटर, चावल आदि।
  • मांसाहारी (नॉन वेज)- अंडा, मांस, मछली आदि।

4. विटामिन बी3 (नियासिन)

यह भी एक प्रकार का पानी में घुलनशील विटामिन है। नियासिन या विटामिन बी3 त्वचा और नसों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकता है। साथ ही अगर शरीर में इसकी मात्रा उचित रहे, तो यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी मदद कर सकता है (1)। इतना ही नहीं, यह पाचन क्रिया को स्वस्थ रखने में भी सहायक हो सकता है। यह खाने को ऊर्जा में बदलने में मुख्य भूमिका निभाता है (17)। आगे हम इसकी कमी के लक्षणों पर ध्यान देंगे:

विटामिन बी3 की कमी के कारण (18) (19):

  • विटामिन बी3 युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन न करना।
  • खराब डाइट होना।
  • प्रोटीन युक्त आहार की कमी होना।
  • शराब का सेवन करना।
  • धीमी गति से बढ़ने वाले ट्यूमर (Carcinoid Tumors) होना।
  • कुछ खास तरह की दवाइयों का सेवन करना (Isoniazid- एक प्रकार का एंटीबायोटिक)।
  • मालएब्जॉर्प्शन विकार (Malabsorption – जैसे :- क्रोनिक डायरिया और इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज) होना।

विटामिन बी3 (नियासिन) कमी के लक्षण (19) (17):

विटामिन बी3 की कमी से पेलाग्रा का जोखिम हो सकता है, जिसमें निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं, जैसे-

  • भ्रम होना।
  • ग्लोसाइटिस (जीभ में सूजन या संक्रमण होना) होना।
  • गंजेपन की समस्या होना
  • त्वचा पर सूजन होना।
  • सूर्य के प्रकाश के प्रति संवेदनशील होना।
  • ह्रदय का आकार बढ़ना (Enlarged Heart)।
  • पेरिफेरल न्यूरोपैथी (नसों से जुड़ी समस्या)।
  • डिमेंशिया (भूलने की बीमारी)।
  • पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानियां होना।
  • मानसिक स्वास्थ्य का प्रभावित होना।

खाद्य स्रोत (1):

  • शाकाहारी (वेज)- एवोकाडो, फलियां, सूखे मेवे, आलू, दूध।
  • मांसाहारी (नॉन वेज)- अंडा, मछली, बिना चर्बी वाला मांस, मुर्गी।

5. विटामिन बी5 (पैंटोथेनिक एसिड)

विटामिन बी5 या पैंटोथैनिक एसिड भोजन के चयापचय में मदद कर सकता है। यह हार्मोन और कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन के स्तर को बनाए रखने में भी मदद कर सकता है (1)। इसके कमी के कारणों और लक्षणों को आगे विस्तार से बताया गया है।

विटामिन बी5 की कमी के कारण (20):

  • आहार में विटामिन बी5 खाद्य की कमी होना।
  • कुपोषण होना।
  • पैंटोथेनेट किनासे 2 (Pantothenate Kinase 2 – जीन संबंधी न्यूरोडीजेनेरेशन या मस्तिष्क विकार) होना।

विटामिन बी5 (पैंथोथेटिक एसिड) की कमी के लक्षण (21):

खाद्य स्रोत (1):

  • शाकाहारी (वेज)- एवोकाडो, ब्रोकली, केल, पत्ता गोभी, फलियां और दाल, दूध, मशरूम, शकरकंद, दलिया।
  • मांसाहारी (नॉन वेज)- अंडा, मछली, बिना चर्बी वाला मांस, मुर्गी।

6. विटामिन बी6 (पाइरिडोक्सीन)

विटामिन बी6 को रासायनिक तौर पर पाइरिडोक्सिन (Pyridoxine) कहा जाता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और मस्तिष्क के कार्य प्रणाली को सही तरह से बनाए रखने में मदद कर सकता है। वहीं, व्यक्ति जितना प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करेंगे, उतना ही शरीर में पाइरिडोक्सिन की जरूरत बढ़ेगी (1)।

इसके अलावा, यह विटामिन शरीर में एंटी बॉडीज बनने में मदद कर सकता है, जो रोगों से लड़ने में सहायक साबित हो सकता है। यह ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने के साथ-साथ हीमोग्लोबिन बनने में और एनीमिया से बचाव में भी उपयोगी हो सकता है। शरीर में इसकी कमी से चिड़चिड़ापन या उलझन महसूस होने की समस्या हो सकती है (22)। आगे इसकी कमी के अन्य लक्षणों को विस्तार पूर्वक बताया गया है।

विटामिन बी6 की कमी के कारण (23) (24):

  • गुर्दे संबंधी यानी किडनी की समस्या (Chronic Renal Insufficiency) होना।
  • होमोसिसटिन्यूरिया (Homocystinuria – चयापचय में गड़बड़ी से जुड़ा एक आनुवंशिक रोग) होना।
  • एंटीएपिलेप्टिक (Antiepileptic- मिर्गी या दौरे की दवा) दवाओं का सेवन करना।
  • रूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis – जोड़ों से जुड़ी समस्या) जैसे ऑटोइम्यून विकार होना।
  • शराब का सेवन करना।
  • एस-एल्ब्यूमिन (S-albumin – एक तरह का प्रोटीन) की कमी होना।
  • होमोसिस्टीन (Homocysteine – रक्त में मौजूद एमिनो एसिड) का स्तर अधिक होना।

विटामिन बी6 (पाइरिडोक्सीन) की कमी के लक्षण (25):

  • दौरे आना।
  • मानसिक स्थिति में बदलाव होना।
  • नॉरमोसाइटिक एनीमिया (Normocytic Anemia – रक्त से जुड़ा एक विकार)।
  • प्रुरिटिक (Pruritic – त्वचा पर दाने या खुजली होना)।
  • चेलाइटिस (Cheilitis – होंठों पर सूजन) होना।
  • ग्लोसाइटिस (Glossitis – जीभ में सूजन) होना।
  • अवसाद होना।

खाद्य स्रोत (1):

  • शाकाहारी (वेज)- एवोकाडो, केला, सूखी हुई फलियां, साबुत अनाज, सूखे मेवे।
  • मांसाहारी (नॉन वेज)- मांस, मुर्गी (Poultry)।

7. विटामिन बी7 (बायोटिन)

विटामिन बी7 या बायोटिन शरीर में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के चयापचय के लिए जरूरी होता है। साथ ही यह हार्मोन और कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन के लिए भी जरूरी माना जाता है (1)। यह शरीर के स्वस्थ विकास और शरीर में फैटी एसिड बनने में मदद कर सकता है (26)।

विटामिन बी7 की कमी के कारण (27) (28):

  • होलोकार्बोऑक्सीलेज सिंथेटेज (Holocarboxylase Synthetase – चयापचय से जुड़ा एक जन्मजात विकार) ऐसी स्थिति जब शरीर बायोटिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है।
  • आहार में बायोटिन युक्त खाद्य की कमी होना।
  • दवाओं के साथ विटामिन बी7 युक्त आहार की प्रतिक्रिया होना।
  • गर्भावस्था।
  • धूम्रपान करना।
  • बायोटिन का शरीर में न घुलना।
  • कच्चे अंडे का सेवन करना या अंडे के सफेद भाग का अधिक सेवन करना।
  • विटामिन बी7 (बायोटिन) की कमी के लक्षण

विटामिन बी7 की कमी से मुख्य तौर पर न्यूरोलॉजिकल स्थितियां हो सकती हैं, जैसे (27):

  • हाइपोटोनिया (Hypotonia – मांसपेशियों का कमजोर होना) होना।
  • दौरे आना।
  • शारीरिक गतिविधियों पर नियंत्रण खोना।
  • सुन्नता या झुनझुनी होना
  • मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होना।
  • बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास धीमा होना।
  • अवसाद (डिप्रेशन) होना।
  • सुस्ती होना।
  • भ्रम होना।

बायोटिन की कमी के कुछ अन्य सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं (26):

  • मांसपेशियों में दर्द होना।
  • डर्मेटाइटिस (Dermatitis – एक प्रकार का एक्जिमा) होना।
  • ग्लोसाइटिस (Glossitis – जीभ में सूजन) होना।
  • त्वचा पर चकत्ते होना।
  • बालों का झड़ना।
  • नाखूनों का टूटना या कमजोर होना।

खाद्य स्रोत (1):

  • शाकाहारी (वेज)- चॉकलेट, सूखी हुई फलियां, दूध, सूखे मेवे, खमीर उठा हुआ भोजन।
  • मांसाहारी (नॉन वेज)- अंडे का पीला भाग, मांस।

8. विटामिन बी9 (फोलेट या फोलिक एसिड)

विटामिन बी9 या फोलिक एसिड शरीर में विटामिन बी12 के साथ मिलकर लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद कर सकता है। यह डीएनए के उत्पादन के लिए भी जरूरी होता है, जो ऊतकों के विकास और कोशिकाओं के कार्य को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है (1)।

वहीं, गर्भावस्था के पहले और गर्भावस्था के दौरान भी यह जरूरी पोषक तत्वों में से एक है। इसका सही मात्रा में सेवन करना होने वाले शिशु को न्यूरल ट्यूब दोष जैसे :- स्पाइना बिफिडा के जोखिम को कम कर सकता है। गर्भावस्था की पहली तिमाही में इसका सेवन करने से गर्भपात के जोखिम को कम किया जा सकता है। हम बता दें कि फोलेट प्राकृतिक रूप से खाद्य पदार्थों में होता है, वहीं, फॉलिक एसिड मनुष्य द्वारा बनाए जाने वाले सप्लीमेंट है (29)।

विटामिन बी9 की कमी के कारण (30):

  • विटामिन बी9 युक्त खाद्य पदार्थों की आहार में कमी होना।
  • ऐसे रोग होना जिसके कारण शरीर में फोलिक एसिड अच्छी तरह से अवशोषित नहीं होता है (जैसे :- सीलिएक रोग या क्रोहन रोग)।
  • शराब का सेवन।
  • खाने को अत्यधिक पकाकर खाना।
  • हीमोलिटिक एनीमिया (Hemolytic Anemia – शरीर में पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाएं न होना) होना।
  • किडनी डायलिसिस (Kidney Dialysis – खून को फिल्टर करने की एक कृत्रिम विधि)।

विटामिन बी9 (फोलेट या फोलिक एसिड) की कमी के लक्षण (31) (29):

खाद्य स्रोत (1) (32):

  • शाकाहारी (वेज)- शतावरी, ब्रोकोली, चुकंदर, सूखी फलियां, हरी-पत्तेदार सब्जियां, लोबिया, चावल, एवोकाडो, ब्रेड, मटर, मसूर की दाल, संतरा, मूंगफली का मक्खन।
  • मांसाहारी (नॉन वेज)- अंडा, मांस, केकड़ा (Crab), मछली, मुर्गी।

9. विटामिन बी12 (स्यानोकोबलामीन)

विटामिन बी12 को स्यानोकोबलामीन (Cyanocobalamin) भी कहते हैं। इसके सेवन से एनीमिया की रोकथाम की जा सकती है (33)। साथ ही यह पुरानी व गंभीर बीमारियों और न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (एक प्रकार का जन्म दोष) के जोखिम को कम करने में भी मदद कर सकता है (34)। इतना ही नहीं, विटामिन बी 12, अन्य बी विटामिन की तरह, प्रोटीन चयापचय के लिए महत्वपूर्ण है। यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। बता दें शरीर विटामिन बी 12 को वर्षों तक लिवर में स्टोर करके रख सकता है (35)।

विटामिन बी12 की कमी के कारण (36) (37):

  • डाइट में विटामिन बी12 युक्त खाद्य की कमी होना।
  • नियमित रूप से शाकाहारी खाना या शाकाहारी होने के कारण।
  • परनीसियस एनीमिया (Pernicious Anemia – विटामिन बी12 को अवशोषित करने वाले प्रोटीन की कमी) होना।
  • पेट या आंत की बीमारी (जैसे :- सीलिएक रोग और क्रोहन रोग) होना।
  • बढ़ती उम्र के कारण।
  • हाइड्रोक्लोरिक एसिड (Hydrochloric Acid) का उत्पादन कम होना। शरीर में विटामिन बी12 के अवशोषण के लिए हाइड्रोक्लोरिक एसिड की
  • आवश्यकता हो सकती है।
  • वीगन डाइट।
  • मालअब्जॉर्ब्शन।
  • एट्रोफिक गैस्ट्रेटिस (Atrophic Gastritis – पेट में सूजन) होना।

विटामिन बी12 की कमी के लक्षण (35) (38):

  • शारीरिक रूप से कमजोर होना।
  • एनीमिया (खून की कमी) होना।
  • पर्निशियस एनीमिया (Pernicious Anemia – लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में कमी) होना।
  • शरीर के संतुलन में गड़बड़ी होना।
  • बाहों और पैरों में सुन्नपन या झुनझुनी होना
  • बढ़ती उम्र के साथ दृष्टि से संबंधित समस्याएं होना।

खाद्य स्रोत (37):

  • शाकाहारी (वेज)- मक्खन, दही, दूध, केला, स्ट्रॉबेरी, पालक, राजमा, ओट्स (दलिया)।
  • मांसाहारी (नॉन वेज)- टूना फिश, अंडा, मांस, सालमन मछली।

10. विटामिन सी (एसकोर्बिक एसिड)

विटामिन सी को एस्कॉर्बिक एसिड (Ascorbic Acid) भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो दांतों और मसूड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद कर सकता है। साथ ही यह शरीर में आयरन के अवशोषण में भी मदद कर सकता है, जिससे ऊतकों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, विटामिन सी घाव भरने में भी मदद कर सकता है (1)। विटामिन सी के कमी कारण और लक्षण भी साझा किए गए हैं।

विटामिन सी की कमी के कारण (39):

  • आहार में विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों की कमी होना।
  • सिर्फ गाय का दूध होना (नवजात शिशु जो सिर्फ दूध पीते हैं)।
  • शराब का सेवन करना।
  • धूम्रपान करना।
  • टाइप-1 डायबिटीज होना।
  • पाचन संबंधित विकार होना।
  • आयरन का स्तर अधिक होना।
  • कुछ विशेष खाद्य पदार्थों से एलर्जी होना।

विटामिन सी की कमी के लक्षण (39) (40):

  • चिड़चिड़ापन होना।
  • एनोरेक्सिया (Anorexia – एक प्रकार का आहार-संबंधी विकार) होना।
  • घावों का जल्दी न भरना।
  • दांतों का खराब होना।
  • मसूड़ों में सूजन होना
  • मसूड़ों से खून बहना
  • एकिमोसिस (Ecchymosis – रक्त वाहिकाओं का क्षतिग्रस्त होने के कारण त्वचा में अंदरूनी रक्तस्त्राव होना)।
  • हाइपरकेराटोसिस (Hyperkeratosis – एक प्रकार का त्वचा विकार) होना।
  • वजन बढ़ना।
  • जोड़ों में दर्द होना।
  • त्वचा का ड्राई होना
  • नाक से खून आना।
  • बालों का रूखा होना या टूटना।

खाद्य स्रोत (1) (41):

  • शाकाहारी (वेज)- ब्रोकली, अंकुरित अनाज, पत्ता गोभी, फूल गोभी, खट्टे फल, आलू, पालक, स्ट्रॉबेरी, टमाटर, लाल मिर्च, अंगूर का रस, कीवी फ्रूट, हरी शिमला मिर्च, चकोतरा, हरी मटर, नारंगी।
  • मांसाहारी (नॉन वेज)- अंडा, मछली (42)।

11. विटामिन डी (कैल्सिफेरॉल)

विटामिन डी मुख्य तौर पर हम सूर्य की किरणों से प्राप्त कर सकते हैं। शरीर में इसकी उचित मात्रा बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि सप्ताह में कम से कम 3 बार 10 से 15 मिनट के लिए धूप के संपर्क में रहा जाए। विटामिन डी शरीर को कैल्शियम अवशोषण में मदद कर सकता है। कैल्शियम दांतों और हड्डियों के स्वस्थ विकास और रखरखाव में मदद कर सकता है। साथ ही विटामिन डी खून में कैल्शियम और फास्फोरस के उचित स्तर को बनाए रखने में भी उपयोगी हो सकता है (1)।

विटामिन डी की कमी के कारण (43):

  • आहार में विटामिन डी की कमी होना।
  • शरीर में विटामिन डी का अवशोषित न होना (Malabsorption)।
  • सूर्य की रोशनी के संपर्क में न आना।
  • किडनी और लिवर का शरीर में विटामिन डी का न बना पाना।
  • कुछ दवाओं का सेवन करने के कारण।

विटामिन डी की कमी के लक्षण (44) (45):

  • हड्डी में दर्द होना।
  • जोड़ों में दर्द (Arthralgias) होना।
  • मांसपेशियों में दर्द (Myalgias) होना।
  • थकान होना।
  • मांसपेशियों में ऐंठन होना।
  • कमजोरी होना।
  • बड़ों में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो सकती है, एक प्रकार का हड्डी का रोग, जिसमें हड्डियां कमजोर होने लगती है।
  • वहीं बच्चों में रिकेट (Ricket) का कारण बन सकता है। इसमें हड्डियां कमजोर होने लग सकती है।

खाद्य स्रोत (1) (45):

  • शाकाहारी (वेज)- दूध और डेयरी उत्पाद (जैसे :- पनीर, दही, मक्खन और क्रीम), मशरूम।
  • मांसाहारी (नॉन वेज)- वसायुक्त मछली जैसे सालमन, मछली के गुर्दे का तेल (कॉड लिवर ऑयल), अंडे की जर्दी।

12. विटामिन ई (टोकोफेरोल)

विटामिन ई को टोकोफेरोल (Tocopherol) भी कहा जाता है। यह एक एंटीऑक्सीडेंट है, जो शरीर को लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद कर सकता है और विटामिन के (Vitamin K) का उपयोग करने में सहायक हो सकता है (1)। इतना ही नहीं, विटामिन ई फ्री रेडिकल से शरीर के टिश्यू के क्षति को बचा सकता है। साथ ही यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर कर वायरस और बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमण के जोखिम को कम कर सकता है (46)।

विटामिन ई की कमी के कारण (47):

  • आहार में विटामिन ई की कमी होना।
    ऐसी बीमारियां होना, जिसके कारण विटामिन ई शरीर में अवशोषित नहीं होता हो। इनमें क्रोहन रोग, सिस्टिक फाइब्रोसिस, एबिटालिपोप्रोटीनेमिया (Abetalipoproteinemia) जैसे आनुवंशिक रोग शामिल हैं।
  • पाचन तंत्र में विटामिन ई को अवशोषित करने वाले कुछ वसा की कमी होना।

विटामिन ई (टोकोफेरोल) की कमी के लक्षण (48):

  • न्यूरोलॉजिकल विकार होना ।
  • स्पिनोसेरेबेल्लार अटेक्सिया (Spinocerebellar Ataxia – न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों का संग्रह)।
  • मांसपेशियां कमजोर होना।
  • लिवर फेल होना।
  • हार्ट फेल होना।

खाद्य स्रोत (1) (47):

शाकाहारी (वेज)- एवोकाडो, गहरे हरे रंग की सब्जियां (जैसे :- पालक, ब्रोकली, शतावरी और शलजम), मक्का और सूरजमुखी का तेल, पपीता, आम, नट्स (जैसे :- मूंगफली, हेजलनट्स, बादाम) और बीज, वीट जर्म (Wheat Germ) ऑयल।

13. विटामिन के (फिलोक्विनोन)

शरीर के लिए विटामिन के (Phylloquinone) की जरूरत सबसे अहम हो सकती है, क्योंकि विटामिन के खून का थक्का (ब्लड क्लॉट) बनाने में मदद करता है। इसके अलावा, यह हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी माना जाता है (1)। इसे ब्लड क्लॉटिंग विटामिन भी कहा जाता है (49)।

विटामिन के की कमी के कारण (50):

  • आहार में उचित मात्रा में विटामिन के युक्त खाद्य पदार्थ की कमी होना।
  • शरीर में विटामिन के का अवशोषण न होना।
  • लिवर, आंतों में सूजन और फेफड़ों से जुड़ी बीमारी के कारण।
  • नवजात या स्तनपान करने वाले बच्चों में विटामिन के कमी का जोखिम हो सकता है।

विटामिन के (फिलोक्विनोन) की कमी के लक्षण (51):

  • रक्तस्राव (खून बहना) होना।
  • त्वचा के रंग में परिवर्तन होना (Ecchymosis)।
  • त्वचा पर छोटे-छोटे लाल, भूरे या बैंगनी रंग के धब्बे होना (Petechiae) होना।

खाद्य स्रोत (1) (49):

  • शाकाहारी (वेज)- पत्ता गोभी, फूल गोभी, अनाज, गहरे हरे रंग की सब्जियां (जैसे :- ब्रोकोली, स्प्राउट्स और शतावरी), सलाद पत्ते (Lettuce Leaf) गहरे रंग की पत्तेदार सब्जियां (जैसे :- पालक, केल और शलजम), ब्रूसेल स्प्राउट (Brussels Sprouts)।
  • मांसाहारी (नॉन वेज)- मछली, मांस, अंडा आदि इस विटामिन के स्रोत होते हैं ।

लेख में आगे बढ़ें

अब जानें कि विटामिन की पूर्ति करने के लिए विटामिन सप्लीमेंट का सेवन किया जा सकता है या नहीं।

क्या विटामिन के सप्लीमेंट्स फायदेमंद हैं? – Are Vitamin Supplements Helpful too?

अगर शरीर में किसी विटामिन की मात्रा जरूरत से ज्यादा कम हो गई है, और खाद्य पदार्थों से भी उसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है तो उसकी पूर्ति करने के लिए विटामिन सप्लीमेंट्स का सेवन किया जा सकता है (1)। इन्हें डॉक्टरी सलाह के बाद टैबलेट, कैप्सूल, कैंडी और पाउडर के रूप में लिया जा सकता है। साथ ही इन्हें एनर्जी ड्रिंक के रूप में भी आहार में शामिल कर सकते हैं।

इनका सेवन न सिर्फ वयस्क, बल्कि बच्चे भी कर सकते हैं। हालांकि, उनकी खुराक के बारे में डॉक्टर से जानकारी लेना आवश्यक। व्यक्ति की उम्र और स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए सप्लीमेंट्स का डोज तय किया जाता है। यहां हम कुछ खास विटामिन सप्लीमेंट की जानकारी दे रहे हैं, जो विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों में लाभकारी हो सकते हैं (52):

  • कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट्स हड्डियों को मजबूत रखने और उनके नुकसान को कम करने में मदद कर सकते हैं (52)।
  • फोलिक एसिड कुछ जन्म दोषों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं (52)। गर्भवती महिलाओं को यह सप्लीमेंट लेने की सलाह दी जाती है, ताकि भ्रूण में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (एक प्रकार का जन्मजात रोग) का जोखिम कम किया जा सके (53)।
  • साथ ही लंबे समय से वजन घटाने वाले आहार खाने वाले लोगों के साथ ही दस्त, सीलिएक रोग, सिस्टिक फाइब्रोसिस या पैंक्रिया में सूजन (Pancreatitis) जैसी समस्याओं से पीड़ित लोग भी विटामिन सप्लीमेंट्स का सेवन करके इसके लाभ ले सकते हैं (53)।

उम्मीद है कि लेख में दी गई जानकारी से यह पता चल गया होगा कि हमारे शरीर के लिए विटामिन के फायदे कितने सारे हैं। हर विटामिन अपने में खास है और शरीर के लिए जरूरी होते हैं। वहीं, विभिन्न तरह के खाद्य पदार्थ से इनकी पूर्ति की जा सकती है। तो शरीर में सभी विटामिन की मात्रा बनाए रखने के लिए और विटामिन की कमी से बचने के लिए सही डाइट का सेवन करें। वहीं, विटामिन की कमी के लक्षण अगर अधिक हो तो विटामिन सप्लीमेंट्स लेने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें। इस लेख को अन्य लोगों के साथ शेयर करके हर किसी को शरीर के लिए विटामिन के महत्व के बारे में अवगत कराएं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

5 सबसे महत्वपूर्ण विटामिन्स कौन से हैं?

विटामिन के फायदे देखा जाए, तो सभी 13 विटामिन्स शरीर के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। हालांकि, इनमें से 5 विटामिन्स विटामिन ए, सी, डी, ई, के और बी सबसे महत्वपूर्ण माने जा सकते हैं। दरअसल, ये 5 विटामिन शरीर को ठीक से काम करने में अहम भूमिका निभाते हैं (54)।

क्या मैं एक बार में अपने सभी विटामिन ले सकता हूं?

अगर आहार के जरिए सभी विटामिन्स एक बार में खाते हैं, तो उसे सुरक्षित माना जा सकता है। वहीं, अगर आहार की जगह पर विटामिन्स सप्लीमेंट्स का सेवन करना चाहते हैं, तो यह नुकसानदायक हो सकता है। बेहतर है इस बारे में डॉक्टरी सलाह लें।

क्या हर दिन विटामिन लेना अच्छा है?

रिसर्च के अनुसार, विटामिन ए, ई, डी, सी और फोलिक एसिड की उच्च-खुराक या सप्लीमेंट्स लेना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है (55)। वहीं, अगर हर दिन लगातार किसी खाद्य पदार्थ के जरिए विटामिन का सेवन किया जाए, तो जाहिर है कि शरीर में उसकी अधिकता हो सकती है, जो हानिकारक हो सकता है (1)। ऐसे में संतुलित आहार लें और विटामिन के सप्लीमेंट्स का सेवन डॉक्टर के दिए गए निर्देश के आधार पर ही करें।

क्या वास्तव में विटामिन काम करते हैं?

जैसे कि लेख में हम पहले ही बता चुके हैं कि विभिन्न विटामिन्स शरीर की अलग-अलग तरह से मदद करते हैं। ये शरीर के कार्यों को बेहतर बनाए रखने और उनके विकास में सहायक हो सकते हैं (1)। इसके अलावा, अगर किसी विटामिन की कमी होती है, तो डॉक्टर के सलाह अनुसार उसका सप्लीमेंट लिया जा सकता है, जो डीएनए क्षति से लेकर, कैंसर और हृदय रोग जैसे जोखिमों को कम करने में भी मदद कर सकते हैं। साथ ही यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम कर कई क्रोनिक बीमारियों की रोकथाम कर सकते हैं (55)। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि विटामिन या उनके सप्लीमेंट्स वास्तव में स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी माने जा सकते हैं।

References

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