Written by , (शिक्षा- एमए इन मास कम्युनिकेशन)

बेहतर स्वास्थ्य के लिए योग को दैनिक दिनचर्या में शामिल करने की सलाह दी जाती है। वजह यह है कि योग के अभ्यास से शरीर और मन सही तरीके से काम करता है। साथ ही इससे कई शारीरिक समस्याओं को पनपने से रोकने में भी मदद मिलती है। मगर, योग के इतने प्रकार हैं कि कई बार लोग यह तय नहीं कर पाते कि उनके लिए कौन सा योग बेहतर होगा। इस स्थिति में झेन योग का चुनाव बेहतर साबित हो सकता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम झेन योग की पूरी जानकारी देंगे। ताकि आप झेन योग करने का तरीका आसानी से समझ पाएं।

शुरू करते हैं लेख

आइए लेख की शुरुआत में हम झेन योग क्या है, इस बारे में जान लेते हैं। 

झेन योग क्या है – What is Zen Yoga in Hindi

झेन एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ध्यान। इस योग के अंतर्गत कई अलग-अलग योग आसन किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस योग की शुरुआत गौतम बुद्ध द्वारा की गई थी। इसके बाद बोधिधर्म नामक मोंक (साधु) ने इस योग को चीन तक पहुंचाया। चीन में इस योग को चान के नाम से जाना जाता है। यहां से यह शैली जापान में प्रचलित हुई, जहां इसे झेन योग नाम दिया गया।

यह योग मुख्य रूप से शारीरिक ऊर्जा को महसूस करने और उसे समझने के उद्देश्य से किया जाता है। हालांकि, झेन योग शरीर के लचीलेपन को बढ़ावा देने और रक्त संचार में भी सुधार जैसी कई शारीरिक समस्याओं में ही राहत पहुंचा सकता है। इन फायदों के बारे में लेख में आगे हम विस्तार से जानेंगे।

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आगे जानिए, झेन योग में कौन कौन से योग शामिल है।

झेन योग में शामिल आसन – Zen Yoga Poses in Hindi

लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि झेन योग कोई एक योगासन नहीं हैं, बल्कि इसमें कई योगासनों को शामिल किया जाता है। यह आसन कुछ इस प्रकार हैं :

1. बद्धकोणासन

Badekonasana
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बद्धकोणासन का नाम संस्कृत शब्द से लिया गया है। इसमें बद्ध का मतलब है बंधा हुआ, कोण का अर्थ मोड़ से है और आसन का मतलब है स्थिति। अर्थात इस योग के दौरान पैरों को मोड़कर एक बद्धकोण का निर्माण किया जाता है। इसे अंग्रेजी में कॉबलर और बटरफ्लाई पोज के नाम से भी जाना जाता है।

योग करने का तरीका :

  • इस आसन को करने के लिए एक योग मैट बिछाकर दोनों पैरों को सामने की तरफ फैलाकर बैठ जाएं। ध्यान रहे, इस दौरान रीड की हड्डी सीधी होनी चाहिए।
  • अब सांस छोड़ते हुए दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर एड़ियों को पास में ले आएं। एड़ियों को पास में लाने के लिए हाथों से मदद ले सकते हैं।
  • सुनिश्चित करें कि इस समय दोनों एड़ियां एक-दूसरे को छू रही हों। साथ ही पैरों के पंजों को आपने अपने हाथों से पकड़ रखा हो, ताकि दोनों पैर आपस में सटे रहें।
  • इसके बाद जितना हो सके दोनों एड़ियों को पेट के करीब लाने की कोशिश करें।
  • अब घुटनों से जमीन को स्पर्श करने के लिए जांघ पर हल्का दबाव डालें। इससे घुटने खुद-ब-खुद जमीन को छूने लगेंगे।
  • कुछ सेकेंड इसी अवस्था में रुक कर वापस घुटनों को ऊपर लाएं।
  • इस प्रक्रिया को करीब 10 से 15 बार करें। ऐसा करने पर आपके पैर ठीक वैसे ही ऊपर नीचे गति करेंगे, जैसे कोई तितली अपने पंख हिला रही हो।
  • ध्यान रहे, इस आसन को करते समय सांस लेने और छोड़ने की गति सामान्य होनी चाहिए।
  • इस आसन को रुक-रुक कर 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं।

इस योग के लाभ :

इस योग के नियमित अभ्यास से गर्भवती महिलाओं को प्रसव के समय तकलीफ कम हो सकती है। साथ ही यह योग प्रजनन प्रणाली को ठीक करने में भी मदद कर सकता है। इतना ही नहीं इस आसन का अभ्यास करने से रक्त संचार में सुधार और तनाव से राहत के साथ ही मूत्राशय व गुर्दे की कार्य क्षमता को बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है। इसके अलावा महिलाओं के अनियमित मासिक धर्म को भी व्यवस्थित रखने में यह योग मददगार हो सकता है (1)। 

2. आनंद बालासन

Anand Balasan
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इस योग का अभ्यास करते वक्त व्यक्ति एक खुश बच्चे की तरह दिखाई देता है। यही वजह है कि इस योग का नाम आनंद बालासन रखा गया है। इस योग को अंग्रेजी में हैप्पी बेबी पोज भी कहा जाता है।

योग करने का तरीका :

  • इस योग के लिए चटाई या योग मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।
  • इस समय दोनों हाथों और पैरों को सीधा रखें।
  • फिर सांस छोड़ते हुए दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ें और पेट की ओर लाएं।
  • सुनिश्चित करें कि इस वक्त आपकी जांघें आपके पेट पर हों।
  • अब जांघों को पेट पर ही रोकते हुए पैरों का निचला हिस्सा ऊपर की तरफ उठाएं।
  • इस स्थिति में आपके दोनों पैर के पंजे छत की ओर होने चाहिए।
  • फिर अपने दोनों पैरों के घुटनों को इतना फैलाएं कि आपके दोनों घुटने आपके पेट के अगल-बगल जमीन पर आ जाएं।
  • इस पूरे योग के दौरान सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया सामान्य होनी चाहिए।
  • इस आसन में आने के बाद 30 सेकंड तक रुके रहने का प्रयत्न करें।
  • समय पूरा होने के बाद धीरे-धीरे अपनी प्रारंभिक स्थिति में वापस आ जाएं।
  • एक बार में इस आसन के तीन से पांच चक्र किए जा सकते हैं।

इस योग के लाभ :

सिल करने के लिए इसके अंतर्गत आने वाला आनंद बालासन काफी लाभकारी हो सकता है।झेन योग के फायदे हा एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक वैज्ञानिक अध्ययन की मानें, तो आनंद बालासन करने से गंभीर पेल्विक दर्द से राहत मिल सकती है। साथ ही यह आसन तनाव व चिंता से छुटकारा दिलाकर मानसिक शांति भी प्रदान कर सकता है (2)।

3. धनुरासन

Dhanurasan
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इस आसन को करते समय शरीर धनुष की तरह दिखाई देने लगता है। इसी वजह से इसे धनुरासन कहा जाता है। शुरुआती अभ्यास के दौरान इस आसन को करने में थोड़ी परेशानी जरूर महसूस हो सकती हैं, लेकिन इसके नियमित अभ्यास से कुछ दिनों में ये आसन अच्छी तरह होने लगेगा।

योग करने का तरीका:

  • धनुरासन करने के लिए योग मैट बिछाकर पेट के बल लेट जाएं। इस समय हाथों को पैरों के पास सीधे सटाकर रखें।
  • अब धीरे-धीरे पैरों को घुटनों को मोड़ें व हाथों से पैर के टखने को पकड़ लें।
  • इसके बाद सांस लेते हुए सिर, सीना और जांघों को एक साथ जमीन से ऊपर की ओर उठाएं। साथ ही हाथों से पैरों को खीचें।
  • इस मुद्रा में आने के बाद ऊपर की तरफ देखें और अपना ध्यान सांसों पर लगाए रखें।
  • कुछ सेकंड इसी मुद्रा में बने रहे और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए प्रारम्भिक अवस्था में वापस आ जाएं।
  • इस योग को रुक-रुक कर 10 मिनट तक कर सकते हैं।

इस योग के लाभ:

एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, धनुरासन को करने के फायदे के तौर पर कमर और पीठ को मजबूती देने व रीढ़ की हड्डी का लचीलापन बढ़ाने में मदद मिल सकती है। साथ ही इस आसन का नियमित अभ्यास करने से मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं (3)। वहीं एक अन्य शोध के मुताबिक यह आसन कोर्टिसोल हार्मोन को नियंत्रित रखने में भी सहायक हो सकता है, जो कि अवसाद की समस्या का एक कारण माना जाता है। ऐसे में धनुरासन कोर्टिसोल हार्मोन के स्तर को संतुलित रखकर अवसाद की स्थिति से भी राहत दिला सकता है (4)।

4. पूर्वोत्तानासन

Predetermination
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पूर्वोत्तानासन भी झेन योग के अंतर्गत आता है। इसे अंग्रेजी में अपवर्ड प्लांक पोज भी कहा जाता है। इस आसन का नाम दो शब्दों के मेल से बना है। इसमें पूर्व का अर्थ पूर्व दिशा से है, जिसका तात्पर्य शरीर के अगले हिस्से से है। वहीं उत्तान का अर्थ है खींचा हुआ है। यानी इस योग के दौरान शरीर के अगले हिस्से को दोनों हाथों के सहारे ऊपर की ओर खींचा या उठाया जाता है।

योग करने का तरीका :

  • इस आसन को करने के लिए सबसे पहले चटाई या योग मैट बिछाकर दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
  • अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को पीछे करें और दोनों हाथों को जमीन पर रोकते हुए शरीर के भार को संतुलित रखने का प्रयास करें।
  • फिर हाथों से ताकत लगाते हुए पूरे शरीर को जमीन से ऊपर उठाएं। इस समय पैर सीधे रहेंगे और शरीर का पूरा भार दोनों हाथों और एड़ियों पर संतुलित होगा।
  • सुनिश्चित करें कि इस दौरान दोनों हाथ बिल्कुल सीधे रहें और जमीन से 90 डिग्री का कोण बना रहे हों।
  • कुछ सेकंड के लिए शरीर को इसी अवस्था में बनाए रखने का प्रयास करें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
  • अंत में सांस छोड़ते हुए अपनी प्रारंभिक स्थिति में वापस आ जाएं।
  • बेहतर अभ्यास हो जाने के बाद इस योग को 10 से 15 मिनट तक किया जा सकता है।

इस योग के लाभ:

पूर्वोत्तानासन के नियमित अभ्यास से अस्थमा को ठीक करने में मदद मिल सकती है। दरअसल, इस आसन को करने से श्वसन तंत्र बेहतर तरीके से काम करता है और शरीर में बनने वाले हार्मोन संतुलित रहते हैं। इसके अलावा इस आसन के नियमित अभ्यास से मन को शांत रखने के साथ ही कलाइयों, भुजाओं और पीठ को मजबूत बनाने में भी मदद मिल सकती है (5)।

5. उत्कटासन

Utkatasan
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इस आसन का नाम संस्कृत के तीन शब्दों के मेल से बना है। इसमें उत यानी उठा हुआ,कट यानि कूल्हे या हिप्स और आसन यानी मुद्रा है, जिसका अर्थ होता है उठे हुए हिप्स वाला आसन। उत्कटासन को चेयर पोज के नाम से भी जाना जाता है। यही वजह है कि इस आसन में काल्पनिक कुर्सी पर बैठने का अभ्यास किया जाता है।

योग करने का तरीका:

  • सबसे पहले योग मैट या चटाई बिछाकर ताड़ासन की मुद्रा में खड़े जाएं।
  • अब दोनों हाथों को हल्का सामने की तरफ ले आए और इस दौरान दोनों हथेलियां जमीन की ओर हों।
  • वहीं इस स्थिति में दोनों हाथ बिल्कुल सीधे और तने हुए होने चाहिए।
  • इसके बाद घुटनों को धीरे-धीरे मोड़ें व पेल्विस वाले भाग को नीचे की ओर ले जाएं।
  • इस दौरान उतना ही झुके जितना कि कुर्सी पर बैठने के लिए झुकते हैं।
  • एक बार कुर्सी पर बैठे हुए पोज में आने पर सुनिश्चित करें कि रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी होनी चाहिए।
  • अब मन को शांत रखें और गहरी सांस लें।
  • इस अवस्था में करीब एक मिनट तक रहने की कोशिश करें।
  • फिर धीरे-धीरे करके नीचे प्राणायाम की मुद्रा में बैठ जाएं।

इस योग के लाभ:

यह आसन सम्पूर्ण शरीर की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करने में मदद करता है (6)। साथ ही इसके नियमित अभ्यास से शारीरिक संतुलन को मजबूती प्रदान करने में भी मदद मिल सकती है (7)। ऐसे में कहा जा सकता है कि उत्कटासन के माध्यम से झेन योग के फायदे मांसपेशियों के साथ शारीरिक संतुलन को मजबूत करने में मददगार हो सकते हैं।

6. त्रिकोणासन

Trigonasana
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त्रिकोणासन को झेन योग के अलावा हठ योग का भी एक आसन माना जाता है। इसे दो शब्दों को जोड़कर बनाया गया है, जिसमें पहला त्रिकोण यानि तीन कोणों वाला व दूसरा आसन यानी मुद्रा है। इस आसन के दौरान शरीर को त्रिकोण जैसी मुद्रा में लाना होता है।

योग करने का तरीका:

  • त्रिकोणासन करने के लिए योग मैट या चटाई बिछाकर सीधे खड़े हो जाएं।
  • इस समय दोनों पैरों के बीच में दो फुट की दूरी बनाए रखें व हाथों को सीधे शरीर से सटाकर रखें।
  • अब दोनों हाथों को कंधे के बराबर तक ऊपर की ओर फैला लें।
  • इसके बाद सांस लेते हुए दाएं हाथ को ऊपर की ओर उठाकर कान के करीब ले जाएं और बाएं पैर को बाहर की तरफ मोड़ लें।
  • फिर सांस छोड़ते हुए कमर से बाईं ओर झुकते हुए बाएं हाथ से बाएं पैर के पंजे को छूने की कोशिश करें।
  • ऐसा करते समय घुटने मुड़ने नहीं चाहिए। साथ ही दायां हाथ ऊपर आसमान की ओर बिल्कुल सीधा होना चाहिए।
  • इस मुद्रा में आने के बाद कुछ सेकंड तक रहने की कोशिश करें और सामान्य रूप से सांस लेते और छोड़ते रहें।
  • फिर वापस अपनी प्रारम्भिक स्थिति में आ जाएं।
  • यह योग का आधा चक्र हुआ। अब इस प्रक्रिया को शरीर के दूसरे हिस्से की तरफ से भी करें।
  • शुरुआती समय में इस आसन के तीन चक्र किए जा सकते हैं।

इस योग के लाभ:

चिंता व तनाव को दूर करने के साथ ही नींद में सुधार और मूड को ठीक करने में त्रिकोणासन करने के लाभ हासिल किए जा सकते हैं। इसके साथ ही ब्लड प्रेशर यानी रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी इस आसन के अभ्यास से सहायता मिल सकती है (8)।

7. अर्ध चंद्रासन

Half moon
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अर्ध चंद्रासन को झेन योग का एक महत्वपूर्ण आसन माना जा सकता है। अर्ध चंद्रासन का अर्थ है, आधे चांद के जैसा दिखाई देने वाली मुद्रा। यही वजह है कि इस आसन का अभ्यास करने के दौरान शरीर आधे चांद जैसी आकृति में आ जाता है।

योग करने का तरीका:

  • इस योग को करने के लिए योग मैट या चटाई पर दोनों पैर फैलाकर खड़े हो जाएं।
  • इसके बाद अपने दोनों हाथों को कंधे के बराबर लाते हुए फैला लें।
  • इसके बाद अपने दोनों हाथों को कंधे के बराबर लाते हुए फैला लें।
  • सुनिश्चित करें कि इस स्थिति में दोनों हाथ कंधों के साथ एक सीधी रेखा में होंगे।
  • अब धीरे से अपनी दाईं ओर झुकते हुए दाहिने हाथ की हथेली को दाहिने पैर के करीब रखें।
  • इसके बाद बाएं पैर को जमीन से ऊपर उठाएं।
  • इस स्थिति में बायां हाथ आसमान की ओर रहेगा।
  • कुछ सेकंड इसी मुद्रा में बने रहे। फिर यही प्रक्रिया दाएं हिस्से की तरफ से दोहराएं।
  • शुरुआती समय में इस आसन के तीन से पांच चक्र किए जा सकते हैं।

इस योग के लाभ:

अर्ध चंद्रासन से निचले रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और नसें सक्रिय होती हैं। ऐसे में कमर के दर्द से राहत दिलाने में यह आसन सहायक हो सकता है। इसके अलावा इस आसन का नियमित अभ्यास करने से उपापचय संबंधी विकार जैसे :- डायबिटीज और हाई बीपी की समस्या से भी राहत मिल सकती है (9)। यानी अर्ध चंद्रासन के माध्यम से झेन योग के फायदे कमर दर्द के साथ-साथ बीपी और डायबिटीज जैसी समस्याओं में भी सहायक हो सकते हैं।

नोट: शुरुआती अभ्यास करने वाले ऊपर बताए गए योग आसनों को योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें।

अंत तक पढ़ें लेख

अब हम झेन योग से संबंधित कुछ जरूरी सावधानियों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

झेन योग के लिए कुछ सावधानियां – Precautions for Zen Yoga in Hindi

झेन योग को करते समय कुछ सावधानियों को ध्यान में रखना जरूरी है। इससे झेन योग के फायदे सही से हासिल हो पाएंगे। यह सावधानियां कुछ इस प्रकार हैं :

  • अगर कोई गंभीर रूप से बीमार है या किसी तरह की सर्जरी हुई है, तो ऐसे में झेन योग को करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
  • झेन योग का अभ्यास गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए।
  • अगर किसी को रीढ़ की हड्डियों से जुड़ी समस्या है, तो वे झेन योग को करने से बचें।
  • झेन योग को हमेशा खाली पेट करना चाहिए। इसके लिए सुबह का समय सबसे बेहतर हो सकता है।
  • अगर ऊपर बताए गए किसी भी योग के दौरान किसी तरह का तेज दर्द महसूस हो, तो कुछ समय के लिए योग करना बंद कर दें।

झेन योग कोई एक योग नहीं है, बल्कि कई योगासनों का एक समूह है। इन आसनों की मदद से शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद मिल सकती है। वहीं इन आसनों का नियमित अभ्यास व्यक्ति की कार्य क्षमता को बढ़ाने का भी काम कर सकता है। उम्मीद करते हैं कि हमारे इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए फायदेमंद साबित होगी। वहीं इस तरह के अन्य योग से जुड़े विषयों के बारे में जानना चाहते हैं, तो हमारी वेबसाइट स्टाइलक्रेज पर उपलब्ध अन्य लेख जरूर पढ़ें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

झेन योग किसे नहीं करना चाहिए?

गर्भवती महिलाओं को झेन योग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसके अंतर्गत आने वाले ज्यादातर योग में संतुलन की अहम भूमिका होती है। ऐसे में इस योग के दौरान संतुलन बिगड़ने पर गिरने का डर रहता है, जो गर्भवती के लिए ठीक नहीं है। वहीं रीढ़ की हड्डी में दर्द की स्थिति में भी यह आसन न करने की सलाह दी जाती हैं, क्योंकि इसमें शामिल आसनों में रीढ़ अहम भूमिका निभाती है।

हम कितनी बार झेन योग कर सकते हैं?

झेन योग की अलग-अलग क्रिया को दिन में एक बार कर सकते हैं।

क्या झेन योग धार्मिक है?

नहीं, झेन योग एक साधना है, जिसमें शरीरिक क्षमता को बढ़ाने और संतुलन को बनाने पर जोर दिया जाता है। ऐसे में किसी भी धर्म का व्यक्ति इस योग को अपना सकता है।

क्या मैं अपनी मानसिक समस्याओं को दूर करने के लिए झेन योग का अभ्यास कर सकता हूं?

जी हां, झेन योग तनाव को दूर कर मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है (10)।

References

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  1. A Single Case Study on Menstrual Disorder and with Yoga Therapy
    https://ijneronline.com/HTMLPaper.aspx?Journal=International%20Journal%20of%20Nursing%20Education%20and%20Research;PID=2015-3-1-12
  2. Development and Feasibility of a Group-Based Therapeutic Yoga Program for Women with Chronic Pelvic Pain
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6279262/
  3. Effects of hatha yoga exercises on spine flexibility in young adults
    https://www.researchgate.net/publication/306073569_Effects_of_hatha_yoga_exercises_on_spine_flexibility_in_young_adults
  4. Reducing psychological distress and obesity through Yoga practice
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3573546/
  5. Influence of yogic breathing on Asthma: The respiratory disorder
    https://www.theyogicjournal.com/pdf/2019/vol4issue1/PartU/5-1-6-638.pdf
  6. The Effects of Yoga (Asana) on Human Lower Limb Muscles
    https://citeseerx.ist.psu.edu/viewdoc/download?doi=10.1.1.219.6719&rep=rep1&type=pdf
  7. To Study Effects of Yoga Therapy on Balance in Post Stroke Hemiplegic Patients
    https://www.ijhsr.org/IJHSR_Vol.9_Issue.7_July2019/21.pdf
  8. The Effects of a Gentle Yoga Program on Sleep, Mood, and Blood Pressure in Older Women with Restless Legs Syndrome (RLS): A Preliminary Randomized Controlled Trial
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3303621/
  9. Effects of a 12-Week Hatha Yoga Intervention on Metabolic Risk and Quality of Life in Hong Kong Chinese Adults with and without Metabolic Syndrome
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4482438/
  10. Psychology of Meditation and Health: Present Status and Future Directions
    https://www.ijpsy.com/volumen10/num3/273/psychology-of-meditation-andhealth-present-EN.pdf
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