विटामिन ई के स्रोत और स्वास्थ्य लाभ – Vitamin E Rich Foods in Hindi

Written by , MA (Journalism & Media Communication) Puja Kumari MA (Journalism & Media Communication)
 • 
 

शरीर की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाए रखने के लिए कई तरह के पोषक तत्वों की जरूरत होती है। विटामिन ई भी उन्हीं पोषक तत्वों में से एक है। शरीर में अगर विटामिन ई की कमी हो जाए, तो कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम न सिर्फ विटामिन ई के फायदे बताएंगे, बल्कि विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ की भी जानकारी देंगे। ध्यान रहे कि विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ बीमारियों से बचाने में मदद कर सकते हैं। साथ ही अगर कोई बीमार है, तो विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ उसके लक्षणों को कुछ कम कर सकते हैं। वहीं, अगर किसी की अवस्था गंभीर है, तो मेडिकल ट्रीटमेंट जरूरी है।

इससे पहले कि विटामिन-ई के फायदे जानें, विटामिन-ई क्या है यह जान लेते हैं।

विटामिन ई क्या है?

विटामिन-ई एक फैट सॉल्युबल विटामिन है। यह एक कारगर एंटीऑक्सीडेंट भी है। विटामिन-ई शरीर के टिश्यू को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है। फ्री रेडिकल्स कोशिकाओं, टिश्यू और अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। शरीर की इम्युनिटी के लिए भी विटामिन-ई की आवश्यकता होती है। यह शरीर को वायरस और बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण से भी बचा सकता है (1) (2)। लेख में नीचे आपको इस विषय में जरूरी जानकारी दी जाएगी।

लेख के आगे के भाग में जानिए विटामिन ई के फायदे।

विटामिन ई के लाभ – Vitamin E Benefits In Hindi

इससे पहले कि आप विटामिन-ई के स्रोत के बारे में जानें, आपका यह जानना जरूरी है कि विटामिन-ई के फायदे क्या-क्या हैं।

  • कैंसर : एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, विटामिन-ई में एंटी-कैंसर गुण मौजूद होते हैं (3) (1)। वहीं, कुछ शोध में यह भी पाया गया है कि विटामिन-ई कैंसर से बचाव करने में कोई भूमिका नहीं निभाता (4)। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि विटामिन-ई कैंसर से पूरी तरह बचाव कर सकता है या नहीं यह अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। इस संबंध में अभी और शोध किए जाने की जरूरत है।
  • हृदय के लिए : विटामिन-ई हृदय रोग के लिए लाभकारी हो सकता है। कुछ शोध के अनुसार विटामिन-ई का सेवन हृदय संबंधी बीमारियों का जोखिम कम कर सकता है। इसके बावजूद, विटामिन-ई के इस लाभ को लेकर संशय बना हुआ है। सटीक वैज्ञानिक प्रमाण के अभाव में यह कहना थोड़ा मुश्किल होगा कि विटामिन-ई हृदय के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है (4)। हृदय के लिए विटामिन-ई सप्लीमेंट लेने से पहले अच्छा होगा कि एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
  • आंखों के विकार के लिए : बढ़ती उम्र के साथ कुछ नेत्र संबंधी विकार जैसे एज रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन (Age-related macular degeneration-AMD) और मोतियाबिंद अंधेपन का कारण बन सकते हैं। यहां विटामिन-ई के लाभ देखे जा सकते हैं। माना जाता है कि एंटीऑक्सीडेंट, जिंक और कॉपर के साथ विटामिन-ई के सप्लीमेंट एएमडी से पीड़ित व्यक्तियों में अंधेपन के जोखिम को कम कर सकते हैं (4)। वहीं, दूसरी ओर एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में मोतियाबिंद पर विटामिन-ई के प्रभाव को संशयात्मक माना गया है (3)। ऐसे में आंखों के लिए किसी भी प्रकार के विटामिन-ई के सप्लीमेंट लेने से पहले संबंधित डॉक्टर से परामर्श लेना उचित विकल्प रहेगा।
  • त्वचा के लिए : विटामिन-ई त्वचा के लिए भी लाभकारी हो सकता है। कई कॉस्मेटिक प्रोडक्ट में विटामिन-ई का उपयोग किया जाता है। कुछ शोध के अनुसार, यह त्वचा की समस्या जैसे – जेरोसिस (Xerosis) यानी त्वचा के रूखेपन की समस्या, एटॉपिक डर्मेटाइटिस (Atopic Dermatitis) यानी त्वचा पर खुजली व सूजन की समस्या और अल्सर जैसी परेशानियों से राहत दिला सकता है (5) (6)। फिलहाल, इस संबंध में अभी और शोध की आवश्यकता है (7)। इसके लिए डॉक्टरी सलाह पर विटामिन-ई युक्त तेल या क्रीम का उपयोग किया जा सकता है।
  • इम्युनिटी के लिए : विटामिन-ई रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में भी मदद कर सकता है। यह वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से बचाव करने में मदद कर सकता है (1)। खासकर, वृद्धों के लिए यह काफी लाभकारी हो सकता है। इम्युनिटी के लिए विटामिन-ई एक एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है (8)।

अब जब विटामिन-ई के फायदे जान गए हैं, तो अब बारी आती है विटामिन ई के स्रोत के बारे में जानने की। लेख के इस भाग में हम विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ – Vitamin E Rich Foods in Hindi

विटामिन ई के फायदे जानने के बाद इसे आहार में शामिल करना तो बनता है। वैसे तो विटामिन ई के कैप्सूल बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन बेहतर है कि विटामिन ई के स्रोत के लिए प्राकृतिक चीजों का उपयोग किया जाए। इसलिए, नीचे हम विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ की जानकारी दे रहे हैं, जो प्राकृतिक रूप से विटामिन ई के स्रोत हैं।

1. गेहूं के बीज का तेल (Wheat Germ Oil)

कुछ लोगों के लिए यह सामग्री नई हो सकती है। गेहूं के बीज के तेल में भी विटामिन-ई मौजूद होता है। आप सलाद, पास्ता और कई खाने के चीजों में इसे टॉपिंग की तरह उपयोग कर सकते हैं।

विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम 149.40 मिलीग्राम (9)।

2. बादाम

बादाम भी विटामिन-ई का अच्छा स्रोत है। बादाम को आहार में शामिल कर इसके फायदों का लुत्फ उठाया जा सकता है। इसके अलावा, बादाम तेल या दूध का भी सेवन किया जा सकता है। बालों और त्वचा के लिए बादाम तेल को लगा भी सकते हैं।

विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम 25.63 मिलीग्राम (10)।

3. एवोकाडो

वोकाडो में भी विटामिन-ई मौजूद होता है। एवोकाडो पोषक तत्वों से भरा फल होता है और इसे कई तरीकों से खाया जा सकता है। अपने आहार में विटामिन-ई को शामिल करने के लिए एवोकाडो का सेवन एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

सेवन का तरीका:

  • एवोकाडो को छीलकर और उसका बीज निकालकर सीधे खाया जा सकता है।
  • सैंडविच पर बटर के बदले एवोकाडो को मैश करके खा सकते हैं।
  • एवोकाडो की स्मूदी का सेवन भी किया जा सकता है।

विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 2.07 मिलीग्राम (11)।

4. सूरजमुखी के बीज

सूरजमुखी के बीज भी विटामिन-ई के अच्छे स्रोत हैं। सूरजमुखी के बीज के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, हालांकि ध्यान रहे कि छिलका पूरी तरह से हटा दें। छिलके के साथ सेवन करने से पेट दर्द और उल्टी की समस्या हो सकती है (12)।

सेवन का तरीका:

  • बीज के छिलके हटाकर कच्चा सेवन किया जा सकता है।
  • इसे भूनकर स्नैक्स की तरह सेवन किया जा सकता है।
  • इसे सैंडविच, पास्ता और अन्य खाद्य पदार्थों के साथ भी खाया जा सकता है।

विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 35.17 मिलीग्राम (13) ।

आप अधिक जानकारी के लिए हमारे सूरजमुखी के बीज पर लिखे गए लेख को पढ़ सकते हैं।

5. पालक

विटामिन-ई के लिए हरी सब्जियों का सेवन भी लाभकारी हो सकता है। कई हरी सब्जियों में विटामिन-ई होता है और पालक उन्हीं में से एक है। पालक न सिर्फ विटामिन-ई का बल्कि कई अन्य पोषक तत्व जैसे – प्रोटीन, मैग्नीशियम और कैल्शियम का भी स्रोत है। पालक स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है।

सेवन का तरीका:

  • आलू-पालक की सब्जी का सेवन किया जा सकता है।
  • पालक का सूप या जूस पी सकते हैं।
  • पनीर के साथ पालक की सब्जी बनाकर सेवन किया जा सकता है।
  • पालक का साग बनाकर खा सकते हैं।
  • पालक को दाल के साथ बनाकर सेवन किया जा सकता है।
  • पालक का पराठा भी खा सकते हैं।

विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम2.03 मिलीग्राम (14)।

6. पीनट बटर

अगर किसी को विटामिन-ई का सेवन बिना मेहनत किए करना है, तो पीनट बटर अच्छा विकल्प है। हालांकि, इसमें कैलोरी भी होती है, इसलिए इसका सीमित रूप से सेवन लाभकारी हो सकता है।

सेवन का तरीका:

  • पीनट बटर को ब्रेड में लगाकर सेवन किया जा सकता है।
  • पीनट बटर को रोटी के साथ भी खाया जा सकता है।
  • पीनट बटर को ऐसे भी खाया जा सकता है।

विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 9.1मिलीग्राम (15)

7. हेजलनट

विटामिन ई के लिए हेजलनट का भी सेवन किया जा सकता है। यह न सिर्फ विटामिन-ई बल्कि कई अन्य पोषक तत्व जैसे – प्रोटीन, फाइबर और कैल्शियम का भी अच्छा स्रोत है। हेजलनट शरीर को स्वस्थ रखने में मददगार साबित हो सकता है।

सेवन का तरीका:

  • हेजलनट को ऐसे भी खाया जा सकता है।
  • इसे भूनकर भी खाया जा सकता है।
  • इसे स्मूदी या शेक में मिलाकर भी खाया जा सकता है।

विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम17.5 मिलीग्राम (16)।

8. पाइन नट्स

पाइन नट्स को चिलगोजा भी कहा जाता है। इसमें विटामिन-ई के साथ आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन जैसे जरूरी पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। अन्य नट्स की तरह ही यह भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है।

सेवन का तरीका:

  • इसे कच्चा खाया जा सकता है।
  • इसे भूनकर भी सेवन किया जा सकता है।
  • सलाद या स्मूदी में डालकर भी इसका सेवन किया जा सकता है।

विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम – 9.33 मिलीग्राम (17)।

9. सूखे खुबानी (Dried Apricots)

सूखे खुबानी में फाइबर के साथ-साथ कई आवश्यक विटामिन होते हैं, जिनमें विटामिन-ई भी शामिल है (18)। जहां फाइबर पाचन में मदद कर सकता है (19)। वहीं, विटामिन-ई सेहत के साथ-साथ त्वचा के लिए भी लाभकारी हो सकता है (20)।

सेवन का तरीका:

विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम 4.33 मिलीग्राम।

10. कीवी

कीवी में विटामिन-ई तो होता ही है, साथ ही यह विटामिन-सी का भी अच्छा स्रोत है (21)। कीवी में मौजूद विटामिन-सी इम्युनिटी के लिए भी लाभकारी हो सकता है।

सेवन का तरीका:

  • कीवी को ऐसे ही छीलकर खाया जा सकता है।
  • कीवी के जूस का भी सेवन किया जा सकता है।
  • फ्रूट सलाद में कीवी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • कीवी की स्मूदी का भी सेवन कर सकते हैं।
  • कीवी की आइसक्रीम भी खा सकते हैं।

विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम1.46 मिलीग्राम (22)।

11. ब्रोकली

सब्जियों की बात करें, तो ब्रोकली भी स्वास्थ्यप्रद खाद्य पदार्थों में से एक है। हालांकि, अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में ब्रोकली में विटामिन-ई की मात्रा कम होती है, लेकिन इसमें विटामिन-सी, फाइबर और पोटैशियम जैसे जरूरी पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं (23)।

सेवन का तरीका:

  • ब्रोकली की सब्जी बनाकर खाई जा सकती है।
  • ब्रोकली का सेवन सूप में डालकर भी किया जा सकता है।
  • ब्रोकली को फ्राई करके भी खाया जा सकता है।

विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम0.78 मिलीग्राम (24)।

12. टमाटर

टमाटर किसी भी सब्जी का स्वाद बढ़ा सकता है। स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ यह सेहत के लिए भी फायदेमंद है। टमाटर में विटामिन-ए और विटामिन-सी के साथ-साथ लायसोपीन (lycopene) नामक एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होता है (25)। साथ ही इसमें विटामिन-ई भी मौजूद है, लेकिन काफी कम मात्रा में।

सेवन का तरीका:

  • टमाटर को सब्जी में डालकर सेवन किया जा सकता है।
  • टमाटर का इस्तेमाल सलाद और सैंडविच में किया जा सकता है।
  • टमाटर की चटनी का भी सेवन किया जा सकता है।
  • टमाटर का सूप भी पी सकते हैं।

विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम0.54 मिलीग्राम (26)।

13. अजमोद/ अजवायन

अजमोद में भी विटामिन-ई मौजूद होता है, लेकिन अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में कम। इसके अलावा, इसमें विटामिन ए, सी, के और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं (27)।

सेवन का तरीका:

  • अजमोद को सलाद के साथ खाया जा सकता है।
  • अजमोद का सेवन पीनट बटर, चीज़ डिप या सॉस के साथ किया जा सकता है।

विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम0.75 मिलीग्राम (28)।

14. ओर्गेनो

विटामिन-ई के लिए ओर्गेनो का सेवन भी किया जा सकता है। खाने में विटामिन ई को शामिल करने के आसान विकल्पों में से एक आसान विकल्प ये भी हो सकता है।

सेवन का तरीका:

  • इसे सलाद और सैंडविच के साथ सेवन किया जा सकता है।

विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम18.26 मिलीग्राम (29)।

15. ऑलिव या जैतून

जैतून के तेल के साथ जैतून भी लाभकारी हो सकता है। इसमें विटामिन-ई मौजूद होता है, इसलिए यह सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है।

सेवन का तरीका:

  • इसे सैंडविच या पिज्जा के साथ खाया जा सकता है।
  • जैतून के तेल को खाना बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
  • जैतून के अचार का सेवन किया जा सकता है।
  • जैतून के तेल को त्वचा और बालों के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।

[ पढ़े: जैतून के तेल के 21 फायदे, उपयोग और नुकसान ]

विटामिन की मात्रा प्रति 100 ग्राम 3.81 मिलीग्राम (30)।

नोट : ऊपर बताए गए किसी भी खाद्य पदार्थ से अगर किसी को एलर्जी हो, तो उस खाद्य पदार्थ का सेवन न करें। अगर किसी को विटामिन-ई युक्त खाद्य पदार्थ के सेवन के बाद असहजता महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर कोई व्यक्ति किसी विशेष प्रकार की दवाई का सेवन कर रहा है, तो विटामिन ई के कैप्सूल या विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ के सेवन से पहले भी डॉक्टर की राय लें।

ये थे कुछ विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ। अब बारी आती है यह जानने की कि शरीर में अगर विटामिन ई की कमी हो, तो क्या बीमारियां हो सकती हैं।

विटामिन ई की कमी से होने वाले रोग

नीचे पढ़ें विटामिन ई की कमी से होने वाले रोगों के बारे में (4)।

  • क्रोन रोग ( Crohn’s Disease) – इसमें पाचन तंत्र में सूजन की समस्या हो सकती है। इसके लक्षणों में दस्त, बुखार और वजन घटना शामिल है (31)।
  • सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic Fibrosis) – यह फेफड़ों की बीमारी होती है। यह वंशानुगत है और अगर परिवार के किसी सदस्य को यह समस्या है, तो उसी परिवार के किसी दूसरे व्यक्ति को भी यह हो सकती है। इसमें विटामिन (ए, ई, के और डी) के सप्लीमेंट दिए जा सकते हैं (32)।
  • तंत्रिका और मांसपेशियों की समस्या भी हो सकती है।
  • देखने की क्षमता में कमी आ सकती है।
  • विटामिन ई की कमी से प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर हो सकती है।

लेख के आगे के भाग में जानिए शरीर को कितने विटामिन ई की जरूरत होती है।

आपको विटामिन ई की कितनी आवश्यकता है?

प्रत्येक दिन आवश्यक विटामिन ई की मात्रा व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करती है। नीचे हम उसके बारे में एक सूची साझा कर रहे हैं (1) (4)।

वर्ग बच्चे और वयस्कमात्रा प्रति दिन
जन्म से लेकर 6 महीने तक4 मिलीग्राम
7–12 महीने तक के बच्चे 5 मिलीग्राम
1 से 3 साल तक के बच्चे 6 मिलीग्राम
4 से 8 साल तक के बच्चे7 मिलीग्राम
9–13 साल तक के बच्चे11 मिलीग्राम
14-18 साल तक के किशोर 15 मिलीग्राम
वयस्क15 मिलीग्राम
गर्भवती महिला15 मिलीग्राम
स्तनपान कराने वाली महिला19 मिलीग्राम

नोट : विटामिन-ई की मात्रा के बारे में एक बार डॉक्टर से भी सलाह जरूर लें। डॉक्टर व्यक्ति के स्वास्थ्य के अनुसार इसके सेवन के बारे में जानकारी देंगे।

लेख के आगे के भाग में पढ़ें कि विटामिन की कमी से बचाव कैसे किया जा सकता है।

विटामिन ई की कमी से बचने के उपाय – Prevention Tips for Vitamin E Deficiency in Hindi

  • विटामिन-ई की कमी से बचाव के लिए विटामिन-ई युक्त खाद्य पदार्थों जैसे – सब्जियों और फलों का सेवन करें।
  • विटामिन-ई युक्त ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें।
  • डॉक्टर की सलाह के अनुसार विटामिन ई के कैप्सूल का सेवन भी कर सकते हैं।

विटामिन ई के फायदे शरीर को बीमारियों से बचाने के लिए हो सकते हैं। साथ ही ध्यान रहे कि जरूरत से ज्यादा सेवन करने से नुकसान भी हो सकते हैं। इसलिए, सही तरीके से और डॉक्टर की सलाह के अनुसार विटामिन ई का सेवन करें। अगर किसी भी विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ से किसी व्यक्ति को एलर्जी हो, तो उस विशेष खाद्य पदार्थ का सेवन न करें। ध्यान रहे विटामिन ई कुछ बीमारियों से बचाव कर सकता है, न कि उन्हें ठीक कर सकता है। किसी भी गंभीर बीमारी के लिए डॉक्टरी इलाज आवश्यक है। इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति विटामिन ई के कैप्सूल का सेवन करना चाहता है, तो डॉक्टरी सलाह जरूरी है। अगर आप इस विषय के संबंध में कोई सवाल या सुझाव हमारे साथ शेयर करना चाहते हैं, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स के जरिए हमें संपर्क करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या विटामिन ई में रक्त को पतला करने के गुण मौजूद होते हैं?

हां, विटामिन-ई में रक्त को पतला करने के गुण मौजूद हैं (33)। इसके इस गुण के कारण दिल के दौरे का जोखिम कम हो सकता है। ध्यान रहे कि अगर आप पहले से खून को पतला करने की किसी दवा का सेवन कर रहे हैं, तो विटामिन-ई के सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लें।

क्या विटामिन ई पानी में घुलनशील है?

नहीं, यह वसा में घुलनशील है (1)।

विटामिन ई के कुछ तथ्य क्या हैं?

• विटामिन ई की खोज 1922 में डॉ. हर्बर्ट इवांस और कैथरीन बिशप ने की थी (34)।
• विटामिन ई की कमी आमतौर पर असामान्य है। ऐसा आनुवंशिक विकार, कुपोषित बच्चे और शिशु के समय पहले जन्म लेने जैसी अवस्था में ही हो सकता है (4)।

विटामिन ई का सबसे अच्छा रूप क्या है?

अल्फा टोकोफेरॉल (alpha-tocopherol) प्राकृतिक रूप से खाद्य पदार्थों में पाया जाने वाला विटामिन ई है । ये खाद्य पदार्थों और सप्लीमेंट में मौजूद होता है।

विटामिन ई के 8 रूप क्या हैं?

विटामिन ई आठ यौगिकों का एक समूह है, जिसमें चार टोकोफेरोल्स (अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा) और चार टोकोट्रिऑनोल (अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा) शामिल है (3)।

और पढ़े:

Was this article helpful?
thumbsupthumbsdown
The following two tabs change content below.

ताज़े आलेख